Solutions For All Chapters Sanskrit Class 7
Question 2: यथायोग्यं श्लोकांशान् मेलयत-
क ख
धनधान्यप्रयोगेषु – नासद्भिः किञ्चिदाचरेत्।
विस्मयो न हि कर्त्तव्यः – त्यक्तलज्जः सुखी भवेत्।
सत्येन धार्यते पृथ्वी – बहुरत्ना वसुन्धरा।
सद्भिर्विवादं मैत्रीं च – विद्यायाः संग्रहेषु च।
आहारे व्यवहारे च – सत्येन तपते रविः।
Answer:
क | ख |
धनधान्यप्रयोगेषु (धन और अनाज के उपयोग में।) – | विद्यायाः संग्रहेषु च। (और शिक्षा के संग्रह में।) |
विस्मयो न हि कर्त्तव्यः (आश्चर्य नहीं करना चाहिए।) – | बहुरत्ना वसुन्धरा। (पृथ्वी बहुत से रत्नों से भरी हुई है।) |
सत्येन धार्यते पृथ्वी (पृथ्वी सत्य के आधार पर स्थिर है।) – | सत्येन तपते रविः। (सूर्य सत्य के कारण चमकता है।) |
सद्भिर्विवादं मैत्रीं च (अच्छे लोग विवाद और मित्रता में।) – | नासद्भिः किञ्चिदाचरेत्। (बुरे लोग कुछ भी न करें।) |
आहारे व्यवहारे च (आहार और व्यवहार में।) – | त्यक्तलज्जः सुखी भवेत्। (लज्जा त्यागने वाला सुखी हो जाता है।) |
Question 3: एकपदेन उत्तरत-
(क) पृथिव्यां कति रत्नानि? — पृथ्वी पर कितने रत्न हैं?
उत्तर: पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि। — पृथ्वी पर तीन रत्न हैं।
(ख) मूढैः कुत्र रत्नसंज्ञा विधीयते? — मूर्ख लोगों द्वारा रत्न की संज्ञा कहाँ दी जाती है?
उत्तर: मूढैः पाषाणखण्डेषु रत्नसंज्ञा विधीयते। — मूर्ख लोग पत्थर के टुकड़ों को रत्न की संज्ञा देते हैं।
(ग) पृथिवी केन धार्यते? — पृथ्वी किसके द्वारा धारण की जाती है?
उत्तर: पृथिवी सत्येन धार्यते।— पृथ्वी सत्य द्वारा धारण की जाती है।
(घ) कैः सङ्गितं कुर्वीत?— संगीत किसके द्वारा किया जाता है?
उत्तर: सद्भिः सङ्गितं कुर्वीत। — संगीत अच्छे लोगों द्वारा किया जाता है।
(ङ) लोके वशीकृतिः का? — संसार में वशीकरण क्या है?
उत्तर: लोके वशीकृतिः क्षमा। — संसार में वशीकरण क्षमा है।
Question 4: रेखाङ्गितपदानि अधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत-
(क) सत्येन वाति वायुः।
सत्य के साथ वायु चलती है (अर्थात, सत्य के साथ जीवन की यात्रा होती है)।
(ख) सद्भिः एव सहासीत।
सद्भाव से ही सहयोग करो (अर्थात, अच्छे लोगों के साथ ही मेल-मिलाप करो)।
(ग) वसुन्धरा बहुरत्ना भवति।
पृथ्वी अनेक रत्नों से भरी होती है (अर्थात, पृथ्वी में अनेक कीमती चीजें हैं)।
(घ) विद्यायाः संग्रहेषु त्यक्तलज्जः सुखी भवेत्।
विद्या के संग्रह में लज्जा त्यागकर सुखी होता है (अर्थात, विद्या प्राप्त करने में संकोच नहीं करना चाहिए)।
(ङ) सद्भिः मैत्रीं कुर्वीत।
सद्भाव से ही मित्रता करो (अर्थात, अच्छे लोगों से ही मित्रता करो)।
Answer:
(क) केन वाति वायु:? – हवा किससे बहती है?
(ख) काभि: एव सहासीत? – किसके साथ ही उसने बातचीत की?
(ग) का बहुरत्ना भवति? – कौन सी बहुमूल्य वस्तु होती है?
(घ) कस्या: संग्रहेषु त्यक्तलज्ज: सुखी भवेत्? – किसके संग्रह में लज्जा छोड़ने वाला सुखी होता है?
(ङ) काभिः मैत्रीं कुर्वीत? – किसके साथ दोस्ती करनी चाहिए?
Question 5: प्रश्नानामुत्तराणि लिखत-
(क) कुत्रः विस्मयः न कर्त्तव्यः?
(किस बात का आश्चर्य नहीं करना चाहिए?)
उत्तर: बहुरत्ना वसुन्धरा इति विस्मय: न कर्त्तव्य:।
(इसलिए, पृथ्वी के अनेक रत्नों का आश्चर्य नहीं करना चाहिए।)
(ख) पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि कानि?
(पृथ्वी पर तीन रत्न कौन से हैं?)
उत्तर: पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि जलमन्नं सुभाषितम् सन्ति।
(पृथ्वी पर तीन रत्न हैं – जल, अन्न, और सुभाषित (सुंदर वचन)।)
(ग) त्यक्तलज्जः कुत्र सुखी भवेत्?
(लज्जा त्यागकर कौन सुखी होता है?)
उत्तर: त्यक्तलज्ज: आहारे व्यवहारे च सुखी भवेत्।
(लज्जा त्यागकर आहार और व्यवहार में सुखी होता है।)
Question 6: मञ्जूषातः पदानि चित्वा लिङ्गानुसारं लिखत-
रत्नानि वसुन्धरा सत्येन सुखी अन्नम् वह्निः रविः पृथ्वी सङ्गतिम्
पुँल्लिङ्गम् स्त्रीलिङ्गम् नपुसंकलिङ्गम्
…………………… …………………… ……………………
…………………… …………………… ……………………
…………………… …………………… ……………………
Answer:
पुँल्लिङ्गम् स्त्रीलिङ्गम् नपुंसकलिङ्गम्
सत्येन वसुन्धरा रत्नानि
रवि पृथ्वी सुखी
अन्नम् वहि्नः सङ्गतिम्
Question 7: अधोलिखितपदेषु धातव: के सन्ति?
पदम् धातुः
करोति …………..
पश्य …………..
भवेत् …………..
तिष्ठति …………..
Answer:
पदम् धातु:
कर्त्तव्य: कृ
पश्य दृश्
भवेत् भू
स्थित: स्था
Sanskrit kya majedaar subject hai woow
Hamare teacher ne jaisa karvaya usse to yah bahut alag hai
Sanskrit nai Dimag hila dala hai 💀
Asi tesi kar di he sanskrit ne