वैदिक सभ्यता एवं सामाजिक विज्ञानि
RBSE Solutions For All Chapters Samajik Vigyan Class 6
प्रश्न एक व दो के सही उत्तर कोष्ठक में लिखिएप्रश्न
प्रश्न 1.
वेदों की संख्या है
(अ) दो
(ब) तीन
(स) चार
(द) पाँच।
उत्तर:
(स) चार
प्रश्न 2.
सरस्वती नदी का प्राचीन नाम है
(अ) विपाषा
(ब) सिन्धु
(स) गोमती
(द) द्वषद्वती।
उत्तर:
(द) द्वषद्वती।
प्रश्न 3.
वेद कालीन दो राजनीतिक संस्थाओं के नाम बताइए।
उत्तर:
वैदिक कालीन दो राजनीतिक संस्थाओं के नाम क्रमशः सभा एवं समिति थे।
प्रश्न 4.
वैदिक काल में परिवार प्रथा कैसी थी ?
उत्तर:
वैदिक काल में परिवार प्रथा संयुक्त थी।
प्रश्न 5.
‘पणि’ एवं ‘निष्क’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
वैदिक कालीन व्यापारी वर्ग को पणि तथा सोने के सिक्कों को निष्क कहा जाता था।
प्रश्न 6.
वेदों के नाम बताइए। इनमें सबसे प्राचीन वेद कौन-सा है?
उत्तर:
वेदों के नाम क्रमशः ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद हैं। इनमें सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद है। प्रश्न 7वेद कालीन शिल्पकला पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। उत्तर:वेद कालीन शिल्पकला के अन्तर्गत कपड़े बुनना, चमड़ा रंगना, आभूषण बनाना, बैलगाड़ियाँ, तख्त, चारपाई, नौकाएँ बनाना आदि कार्य प्रमुख रूप से किए जाते थे। लोग लोहार, सुनार, कुम्हार, वैद्य आदि का कार्य करते थे।
प्रश्न 8.
वैदिक संस्कृति की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
वैदिक संस्कृति की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित थी
- संयुक्त परिवार प्रथा
- शिक्षा एवं नारी का सम्मान
- संस्कारों को प्रधानता
- वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना
- वर्ण एवं आश्रम व्यवस्था।
प्रश्न 9.
वैदिक काल की शिक्षा का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वैदिक काल की शिक्षा का आधार सादा जीवन उच्च विचार था। शिक्षा गुरुकुल में दी जाती थी तथा लड़के-लड़कियों को समान रूप से शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार था। वैदिक शिक्षा संस्कृत माध्यम से दी जाती थी। वैदिक शिक्षा का प्रधान लक्ष्य बौद्धिक व आध्यात्मिक विकास तथा आचरण की पवित्रता को विकसित करना था।
प्रश्न 10.
वेदकालीन आश्रम व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वेदकालीन आश्रम व्यवस्था को क्रमशः ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ एवं संयास चार भागों में बाँटा गया था। ब्रह्मचर्य आश्रम यज्ञोपवीत संस्कार से 25 वर्ष तक, गृहस्थ आश्रम 25-50 वर्ष तक, वानप्रस्थ आश्रम 50-75 वर्ष तक एवं संन्यास आश्रम 75-100 वर्ष की आयु के अनुसार विभाजित किया गया था। वैदिक काल में व्यक्ति से समाज तक की यात्रा के पड़ावों के रूप में इन आश्रमों का निरूपण किया गया था।
प्रश्न 11.
वेद कालीन व्यापार पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
वेदकालीन व्यापार वस्तु-विनिमय प्रणाली पर आधारित था। विदेशी व्यापार जल और स्थल दोनों भागों से होता था। पणि (व्यापारी) वर्ग वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए ऊँटों, छकड़ों एवं घोड़ों का प्रयोग करता था। इस समय व्यापार में निष्क नामक मुद्रा का प्रयोग भी व्यापारियों द्वारा किया जाता था।
प्रश्न 12.
वेद के भाग कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:
वेद के भाग क्रमशः संहिता, ब्राह्मण, आरण्यक एवं उपनिषद हैं।
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