गावँ शहर और व्यापार
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आओ याद करें
1. खाली जगहों को भरो :
(क) तमिल के बड़े भूस्वामी को ……………………….. कहते थे।
(ख) ग्राम-भोजकों की जमीन पर प्रायः ……………………….. द्वारा खेती की जाती थी।
(ग) तमिल में हलवाहे को ……………………….. कहते थे।
(घ) अधिकांश गृहपति ……………………….. भूस्वामी होते थे।
उत्तर :
(क) वेल्लला
(ख) दास और मजदूरों
(ग) उणवार
(घ) स्वतंत्र व छोटे।
2. ग्राम-भोजकों के काम बताओ। वे शक्तिशाली क्यों थे?
उत्तर : ‘ग्राम-भोजक’ के पद पर आमतौर पर गाँव का सबसे बड़ा भू-स्वामी होता था। साधारणतया इनकी जमीन पर इनके दास और मजदूर काम करते थे। इसके अतिरिक्त प्रभावशाली होने के कारण प्रायः राजा भी कर वसूलने का काम इन्हें ही सौंप देते थे। ये न्यायाधीश का और कभी-कभी पुलिस का काम भी करते थे।
3. गाँवों तथा शहरों दोनों में रहने वाले शिल्पकारों की सूची बनाओ।
उत्तर : बढ़ई, बुनकर, कुम्हार, सुनार, मूर्तिकार जैसे शिल्पकार गाँव व शहर दोनों जगह रहते थे।
4. सही जवाब ढूंढो :
(क) वलयकूप का उपयोग
- नहाने के लिए
- कपड़े धोने के लिए।
- सिंचाई के लिए
- जल निकास के लिए किया जाता था।
(ख) आहत सिक्के
- चाँदी
- सोना
- टिन
- हाथी दाँत के बने होते थे।
(ग) मथुरा महत्त्वपूर्ण
- गाँव
- पत्तन
- धार्मिक केंद्र
- जंगल क्षेत्र था।
(घ) श्रेणी
- शासकों
- शिल्पकारों
- कृषकों
- पशुपालकों का संघ होता था।
उत्तर :
(क) 4. जल निकास के लिए किया जाता था।
(ख) 1. चाँदी
(ग) 3. धार्मिक केंद्र
(घ) 2. शिल्पकारों
आओ चर्चा करें
5. पृष्ठ 79 पर दिखाए गए लोहे के औजारों में कौन खेती के लिए महत्त्वपूर्ण होंगे? अन्य औज़ार किस काम में आते होंगे?
उत्तर : खेती के लिए महत्त्वपूर्ण औजार कुल्हाड़ी तथा हँसिया थे। किसी वस्तु को बिना छुए हुए पकड़ने के लिए सँड़सी का प्रयोग किया होगा।
6. अपने शहर की जल निकास व्यवस्था की तुलना तुम उन शहरों की व्यवस्था से करो, जिनके बारे में तुमने पढ़ा है। इनमें तुम्हें क्या-क्या समानताएँ और अंतर दिखाई दिए?
उत्तर : हमारे शहर में जल निकास व्यवस्था को योजनाबद्ध तरीके से बनाया गया है। इसी तरह की जल निकास व्यवस्था को हमारे पढ़े गए शहरों में अपनाया गया था। ये दोनों व्यवस्थाएँ अनेक प्रकार से समान थी, लेकिन इन दोनों व्यवस्थाओं में केवल । एक ही अंतर था कि हमारी व्यवस्था आधुनिक है, जबकि वह व्यवस्था प्राचीन । थी। प्राचीन जल निकास व्यवस्था में कीचड़, ईंट और फैंस का प्रयोग किया जाता था जो लंबे समय तक काम नहीं कर सकती थी, लेकिन आज की व्यवस्था मजबूत चीजों से तैयार की गयी है तथा लंबे समय तक उपयोग में लाई जा सकती है।
आओ करके देखें
7. अगर तुमने किसी शिल्पकार को काम करते हुए देखा है तो कुछ वाक्यों में उसका वर्णन करो। ( संकेत : उन्हें कच्चा माल कहाँ से मिलता है, किस तरह के औजारों का प्रयोग करते हैं, तैयार माल का क्या होता है, आदि)
उत्तर : मैंने बढ़ई शिल्पकार को काम करते देखा है। वह लकड़ी के रूप में कच्चा टिंबर मार्किट से खरीदता है। टिंबर मार्किट में लकड़ी वनों से काटकर लायी जाती है। वह कई प्रकार के औजार; जैसे-लकड़ी घिसने वाला रंदा, लकड़ी काटने वाली आरी, छेद करने वाला, हथौड़ी का प्रयोग करता है। तैयार माल के रूप में मेज, कुर्सी, पलंग, दीवान इत्यादि होते हैं।
8. अपने शहर या गाँव के लोगों के कार्यों की एक सूची बनाओ। मथुरा में किए जाने वाले कार्यों से ये कितने समान और कितने भिन्न हैं?
उत्तर : मैं शहरों के परिवारों में स्त्री और पुरुष दोनों को काम करते हुए देखता हूँ। स्त्रियाँ और पुरुष दोनों दफ्तरों और अन्य स्थानों पर काम करते हैं। मथुरा यातायात और व्यापार के दो मुख्य रास्तों पर स्थित था तथा वह एक धार्मिक केंद्र भी था। मथुरा बेहतरीन मूर्तियाँ बनाने का भी केंद्र था।
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