संरचनात्मक परिवर्तन
i. समाज की संस्थाओ, नियमो एवं कार्यप्रणलियो मे आने वाला बदलाव संरचनात्मक परिवर्तन कहलाता है।
ii. प्राचीन दौर से वर्तमान समय तक भारतीय समाज की संरचना मे बड़े स्तर पर बदलाव आया है।
iii. भारत में संरचनात्मक परिवर्तन उपनिवेशवाद के कारण आया।
iv. इस पाठ मे मुख्य रूप से हम अपने अतीत को समझने की कोशिश करेंगे और देखेंगे की किस प्रकार हमारे अतीत की वजह से हमारा वर्तमान परिवर्तित हुआ।
औपनिवेशिक शासन
i. एक देश द्वारा किसी अन्य देश पर शासन स्थापित करके उस देश के संसाधनों का प्रयोग करना औपनिवेशिक शासन कहलाता है।
ii. भारत में ब्रिटिश शासन काल एक ऐसा ही एक औपनिवेशिक शासन दौर था।
iii. अंग्रेजों ने भारत पर लगभग 200 सालों तक शासन किया और इस दौर में भारत के संसाधनों का दोहन किया। परन्तु उसके साथ ही उनके शासन के दौर में भारतीय समाज में कई परिवर्तन भी आये।
औपनिवेशिक शासन के मुख्य उद्देश्य
i. भारत में स्थापित औपनिवेशिक शासन का मुख्य उद्देश्य भारतीय संसाधनों का शोषण करना था।
ii. ब्रिटेन में आई औद्योगिक क्रांति के दौर में ब्रिटेन को कच्चे माल एवं बाजारों की आवश्यकता थी, इन दोनों आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ब्रिटिश शासन ने भारत का सहारा लिया।
iii. भारत के किसानों को ब्रिटेन के उद्योगों के लिए कच्चा माल उत्पादित करने के लिए मजबूर किया गया एवं भारतीय उद्योगों पर कई प्रकार के प्रतिबंध लगाकर भारतीय उद्योगों का शोषण किया गया।
iv. ऐसा इसलिए किया गया ताकि ब्रिटेन में विकसित होते उद्योगों के लिए कच्चे माल की पूर्ति हो सके एवं सामान की बिक्री के लिए बाजार उपलब्ध हो सके।
ब्रिटिश शासन द्वारा भारत में केवल अपने हितों की पूर्ति की गई।
औपनिवेशिक शासन की प्रकृति
i. अंग्रेजों ने भारतीय जमीन पर एकाधिकार की स्थापना की और इस प्रकार भारतीय संसाधनों का बड़े स्तर पर दोहन किया गया।
ii. अंग्रेजी सरकार द्वारा बहुत से ऐसे नए कानून बनाए गए जिससे उनके हितों की पूर्ति हो सके।
iii. ब्रिटिश व्यवस्था पूंजीवाद पर आधारित थी जिस वजह से उनका मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना रहा और इस दौर में भारतीय समाज का विकास लगभग न के बराबर हुआ।
भारतीय अर्थव्यवस्था और औपनिवेशिक शासन
कृषि क्षेत्र
i. औपनिवेशिक शासन के द्वारा भारत में जमींदारी प्रथा की शुरुआत की गई। इस प्रथा के में जमीदार किसानों से मन मर्ज़ी कर वसूला करते थे, जिस वजह से कृषि क्षेत्र का विनाश हुआ।
ii. कृषको को ऐसी फसलें उगाने के लिए प्रेरित किया गया, जिससे ब्रिटेन के उद्योगों की आवश्यकता पूरी हो सके। भारतीय कृषि के विकास पर ध्यान नहीं दिया गया, जिस वजह से कृषकों का शोषण हुआ एवं भारतीय कृषि की स्थिति खराब हुई।
औद्योगिक क्षेत्र
i. भारत का शिल्प उद्योग भारत के सबसे प्राचीन उद्योगों में से एक था, परंतु ब्रिटिश शासन की विभेदकारी कर नीति के कारण धीरे – धीरे हस्तशिल्प उद्योग का पतन हो गया।
ii. साथ ही साथ ब्रिटेन में बनी वस्तुओं से प्रतिस्पर्धा होने के कारण हस्तशिल्प उद्योग को नुकसान उठाना पड़ा।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
i. अंग्रेजों के शासन के दौर में भारत को मुख्य रूप से कच्चे माल के उत्पादन क्षेत्र एवं एक बड़े बाजार के रूप में प्रयोग किया गया। जिस वजह से भारत से केवल कच्चे माल का निर्यात किया जाता था और ब्रिटेन से उत्पादित वस्तुओं को भारतीय बाजार में बेचने के लिए आयात किया जाता था।
ii. जिस वजह से भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की संरचना में परिवर्तन आया।
औपनिवेशिक शासन का भारतीय समाज पर प्रभाव
i. औपनिवेशिक शासन ने भारत के लगभग हर क्षेत्र में अपना प्रभाव छोड़ा।
ii. चाहे वह आर्थिक क्षेत्र हो राजनीति क्षेत्र या फिर सामाजिक क्षेत्र।
iii. इन सभी बदलावों का प्रभाव आज भी देखा जा सकता है।
अंग्रेजी शासन के दौरान आए मुख्य बदलाव
i. अंग्रेजी शासन पूंजीवादी व्यवस्था पर आधारित था, जिस वजह से भारत में वस्तुओं के उत्पादन की प्रणाली व वितरण के तरीकों में बदलाव आया।
ii. कई क्षेत्रों में जंगलों को काट कर चाय की खेती की शुरुआत की गई।
iii. देश में लोगों का आवागमन बड़ा।
iv. भारतीय मजदूरों और सेवा कर्मियों को जहाजों के माध्यम से काम करने के लिए अन्य देशों में भेजा गया।
v. पश्चिमी शिक्षा को बढ़ावा दिया गया, ताकि भारतीय समाज में कैसे वर्ग का उदय हो जो औपनिवेशिक शासन के विकास में सहयोग दें
vi. भारत में अंग्रेजी भाषा का प्रभाव बढ़ा।
vii. स्वतंत्रता के बाद भारत में संसदीय व्यवस्था की स्थापना की गई, जो ब्रिटेन की व्यवस्था पर आधारित थी।
viii. भारतीय कानून एवं संस्कृति में भी औपनिवेशिक शासन की छाप को बड़े स्तर पर देखा जा सकता है।
औपनिवेशिक शासन एवं संरचनात्मक परिवर्तन
औपनिवेशिक शासन के दौरान भारत में दो बड़े संरचनात्मक परिवर्तन हुए जो निम्न है: औद्योगिकरण, नगरीकरण
औद्योगिकरण
i. कारखानों में बड़े स्तर पर उत्पादन की प्रक्रिया की शुरुआत औद्योगिकरण कहलाती है।
ii. इस प्रक्रिया के अंतर्गत मुख्य रूप से उत्पादन घरेलू उद्योगों से विकसित होकर बड़े बड़े कारखानों तक पहुंच जाता है और इन कारखानों में बड़े स्तर पर उत्पादन किया जाता है।
औद्योगिकरण की विशेषताएं
i. बड़े स्तर पर उत्पादन करना औद्योगीकरण कहलाता है।
ii. औद्योगिकरण की प्रक्रिया में मुख्य रूप से मशीनों द्वारा उत्पादन किया जाता है।
iii. उत्पादन की प्रक्रिया में श्रम के उपयोग में कमी आती है।
iv. देश के विकास की गति में वृद्धि होती है।
v. समाज में नई आर्थिक वर्गों का उदय होता है।
औद्योगिकरण के सामाजिक प्रभाव
i. कुटीर उद्योगों का विनाश
ii. संयुक्त परिवारों की समाप्ति
iii. शहरीकरण में वृद्धि
iv. आर्थिक संकट
v. बेरोजगारी
vi. पूंजीवाद का बढ़ता प्रभाव
vii. श्रम विभाजन
viii. जाति प्रथा के प्रभाव में कमी
ix. यातायात के साधनों का विकास
x. समाज में नए वर्गों का उदय
स्वतंत्र भारत में औद्योगिकरण
i. स्वतंत्रता के बाद भारत में औद्योगिक विकास पर खास ध्यान दिया गया।
ii. भारी मशीनें उद्योगों को विकसित किया गया ताकि विकास की गति तीव्र हो सके और बेरोजगारी में कमी आए।
iii. छोटे उद्योगों को निजी क्षेत्र में विकसित किया गया एवं बड़े उद्योगों को सरकारी क्षेत्र में विकसित किया गया।
iv. बड़े स्तर पर औद्योगिकरण की वजह से देश की आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर हुई।
नगरीकरण
नगरीकरण वह प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र विकसित होकर धीरे – धीरे शहरी व्यवस्थाओ एवं सुविधाओं को अपनाने लगते हैं।
भारत एवं नगरीकरण
i. भारत में औद्योगिक क्षेत्र की विकास के साथ ही नगरीकरण की प्रक्रिया की शुरुआत हुई।
ii. औद्योगिक विकास के कारण भारत में कुछ शुरुआती नगरों का विकास हुआ।
iii. उदाहरण के लिए – मुंबई, कोलकाता, मद्रास आदि।
iv. इन नगरों में उच्च स्तरीय सुविधाओं एवं बेहतर जीवन स्तर के कारण लोगों ने इन नगरों की ओर पलायन करना शुरू किया जिस वजह से इन नगरों की जनसंख्या में वृद्धि हुई।
v. समय के साथ – साथ भारत में कई अन्य नगर विकसित हुए जो औद्योगिकरण की देन है।
भारतीय समाज पर नगरीकरण के प्रभाव
i. रोजगार के अवसरों में वृद्धि
ii. बढ़ता आप्रवास
iii. जनसंख्या वृद्धि
iv. स्वास्थ्य सेवाओं का विकास
v. शिक्षा सेवाओं का विकास
vi. तकनीकी सुधार
vii. आर्थिक विकास
भारत एवं आधुनिकीकरण
आधुनिकीकरण की प्रक्रिया के दौरान भारतीय समाज एवं व्यवस्था में निम्नलिखित परिवर्तन आए : –
i. प्रौद्योगिकी विकास
ii. शिक्षा का प्रसार
iii. स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार
iv. यातायात के साधनों का विकास
v. पश्चिमीकरण
vi. औद्योगिकरण
vii. शहरीकरण
Leave a Reply