सुरक्षा
सुरक्षा का बुनियादी अर्थ होता है खतरे से आज़ादी ।
पर हर प्रकार के खतरे से सुरक्षित रहना संभव नहीं है क्योकि हर इंसान हर समय किसी न किसी खतरे के दायरे में होता ही है ।
उदहारण के लिए –
गाड़ी चलते समय दुर्घटना होने का खतरा ।
सब्ज़ी काटते समय हाथ कटने का खतरा ।
खेलते समय गिरने और चोट लगने का खतरा ।
अगर इन सब खतरों से बचाव की कोशिश की जाये कोई भी इंसान सामान्य तरीके से ज़िंदगी नहीं जी सकता ।
इसी वजह से सिर्फ उन्ही खतरों को एक व्यक्ति की सुरक्षा के लिए खतरा मन जाता है, जिनसे उस व्यक्ति के केंद्रीय मूल्यों को नुक्सान पहुंचे । दूसरे शब्दों में उस व्यक्ति के जीवन या स्वतंत्रता को खतरा हो ।
सुरक्षा की धारणाएँ
अगर सुरक्षा के बारे में बात की जाए तो सुरक्षा की मुख्य रूप से दो धारणाएं हैं यानी कि इसे दो मुख्य भागों में बांटा जाता है ।
पारंपरिक धारणा
बाहरी सुरक्षा
आंतरिक सुरक्षा
अपारम्परिक धारणा
सुरक्षा की पारंपरिक सुरक्षा
सुरक्षा की पारंपरिक धारणा के अंदर उन खतरों को शामिल किया जाता है जो एक देश के लिए खतरनाक होते हैं यानी वह खतरे जिनसे कोई देश या उसमें रहने वाले लोगों को नुकसान पहुंचे ।
पारंपरिक सुरक्षा को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जाता है
बाहरी सुरक्षा
ऐसे सभी खतरे जो एक देश को उसकी सीमा के बाहर से होते हैं उन्हें बाहरी सुरक्षा के दायरे में रखा जाता है । इसमें सबसे बड़ा खतरा आसपास के देशों से होता है जो युद्ध करके उस देश की सुरक्षा को प्रभावित कर सकते हैं ।
आंतरिक सुरक्षा
आंतरिक सुरक्षा के अंदर उन सभी खतरों को शामिल किया जाता है जो एक देश को उसकी सीमा के अंदर से होते हैं यानी कि उसी के यहां रहने वाले लोगों से, इसके अंदर जातिवाद के वजह से होने वाले दंगे, गृह युद्ध या इसी तरह के अन्य खतरों को शामिल किया जाता है ।
सुरक्षा की अपारम्परिक धारणा
सुरक्षा की अपारम्परिक धारणा के अंदर उन खतरों को शामिल किया जाता है जो किसी एक देश नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए खतरनाक है और इनका समाधान कोई एक देश अकेले नहीं कर सकता । दूसरे शब्दों में कहें तो ऐसे खतरे जो कि पूरी मानव जाति के लिए खतरनाक हो ।
जैसे कि:-
ग्लोबल वार्मिंग
प्रदूषण
प्राकृतिक आपदाएं
निर्धनता
महामारी
आतंकवाद
शरणार्थियों की समस्या
बढ़ती हुई जनसंख्या आदि
खतरों से बचाव
बाहरी खतरों से कैसे बचा जाए
सैन्य शक्ति को मजबूत बनाकर
एक देश के लिए उसकी सेना सबसे जरूरी होती है क्योंकि वह उसे उन सभी खतरों से बचाती है जो उसे उसके आसपास के देशों से हो सकते हैं ।
ऐसे में अपनी सेना को मजबूत रखना बाहरी खतरों से बचने का सबसे अच्छा तरीका है ।
शक्ति संतुलन स्थापित करके
शक्ति संतुलन का मतलब होता है अपने आसपास के देशों पर नजर रखना और अपनी शक्ति को हमेशा उनकी शक्ति के बराबर रखना यानी अगर वह सैन्य रूप में आप से ज्यादा शक्तिशाली हो रहे हैं तो खुद भी प्रयास करना और अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ाना ताकि दोनों देश हमेशा बराबर शक्तिशाली रहे जिससे कोई भी देश एक दूसरे पर हमला करने की हिम्मत ना करें ।
गठबंधन की नीति अपनाकर
गठबंधन बनाना भी युद्ध रोकने का एक अच्छा तरीका है । इसके अंदर वह सभी देश जिन्हें ऐसा लगता है कि वे एक दूसरे के लिए खतरा बन सकते हैं आपस में गठबंधन बना लेते हैं और एक विश्वास कायम करने की कोशिश करते हैं कि हम एक दूसरे पर हमला नहीं करेंगे और सहयोग स्थापित करेंगे ।
निशस्त्रीकरण द्वारा
निशस्त्रीकरण का मतलब होता है बनाए गए शस्त्रों को कम करना । इसके अंदर दो या दो से ज़्यादा देशों के बीच बातचीत के द्वारा ऐसे हथियारों को खत्म करने का फैसला लिया जाता है जो कि भविष्य में जाकर उन दोनों के लिए खतरनाक हो सकते हैं । इसमें दोनों देश अपने अपने खतरनाक हथियारों को खत्म करते हैं ।
अस्त्र नियंत्रण द्वारा
अस्त्र नियंत्रण का मतलब होता है ऐसे खतरनाक हथियारों को बनाना कम करना या उन पर रोक लगाना जिनसे बहुत ज्यादा नुकसान हो सकता है ।
उदाहरण के लिए
परमाणु हथियार
आंतरिक खतरों से कैसे बचा जाये?
आंतरिक सुरक्षा के अंदर वह सभी खतरे आते हैं जो देश की सीमा के अंदर से देश को नुकसान पहुंचाते हैं ।
जैसे कि:-
सांप्रदायिक हिंसा
अलगाववाद
नक्सलवाद
जातीय हिंसा
राजनीतिक अस्थिरता
हिंसा की घटनाएं
उपाएँ
निष्पक्ष राजनीतिक व्यवस्था
सामान विकास
भेदभाव की समाप्ति
सामान अधिकार
अपरम्पारिक खतरों से कैसे बचे?
जैसा कि हमने ऊपर देखा कि जो खतरे अपरम्पारिक सुरक्षा के अंतर्गत आते हैं उनका समाधान कोई एक देश अकेले नहीं कर सकता इसी वजह से विश्व में सहयोग मूलक सुरक्षा की विचारधारा पैदा हुई ।
सहयोग मूलक सुरक्षा
विश्व में बहुत सारे ऐसे खतरे हैं जिनका समाधान कोई एक देश अकेला नहीं कर सकता इन्हीं खतरों से निपटने के लिए सभी देशों को एक साथ काम करने की जरूरत है खतरों से लड़ने के इसी तरीके को सहयोग मुल्क सुरक्षा कहा जाता है । दूसरे शब्दों में जब विश्व के सभी देश एक साथ मिलकर खतरों से लड़ने का प्रयास करें तो वह ही सहयोग मुल्क सुरक्षा कहलाता है ।
भारत की सुरक्षा नीतियां
सैन्य क्षमता को मजबूत करना
आज़ादी के बाद से ही भारत और उसके आस पास देशो के रिश्तो में समस्याएँ रही है। इसी वजह से भारत ने शुरू से ही अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ाने की कोशिश की है। इसी वजह से भारत ने अपना परमाणु परिक्षण 1974 में पोखरण में किया जो असफल रहा पर 1998 में उसी में जगह पर दूसरा परमाणु परिक्षण सफल रहा और भारत परमाणु संपन्न देश बन गया।
अंदरूनी समस्याओं से निपटना
भारत के अंदर अनेको अंदरूनी समस्याएँ मौजूद है।
जैसे की:-
गरीबी
अलगाववाद
नक्सलवाद
असमान विकास
भ्रष्टाचार
इस सभी समस्याओ का समाधान करना भारत के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।
सामाजिक और आर्थिक विकास करना
आर्थिक और सामाजिक विकास हर देश के लिए बहुत जरूरी होता है क्योंकि जब कोई देश आर्थिक रूप से मजबूत नहीं होता तो इसके लिए उसे दूसरे देशों पर निर्भर होना पड़ता है जिस वजह से उसके गुलाम बनने का खतरा बढ़ जाता है । तो इन्हीं सब चीजों को देखते हुए भारत ने शुरू से ही कोशिश की है कि देश आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें ।
अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं को मजबूत बनाना
आजादी के बाद से ही भारत विश्व में शांति स्थापित करने और अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं को मजबूत करने की कोशिश करता आ रहा है
अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं को मजबूत करने और विश्व में शांति स्थापित करने के लिए भारत ने
गुटनिरपेक्षता की नीति अपनाई
एशियाई एकता पर बल दिया
औपनिवेशिकरण का विरोध किया
एशियाई एकता पर जोर दिया
आतंकवाद
आतंकवाद क्या है?
आतंकवाद उस स्थिति को कहते हैं जब कोई व्यक्ति अपनी अनुचित मांगों को पूरा कराने के लिए हिंसा का सहारा ले
आतंकवाद और विश्व
अफगानिस्तान संकट के दौरान अमेरिका द्वारा तालिबान और अलकायदा को पोषित किया गया
बाद में इन्हीं आतंकवादी संगठनों ने अमेरिका में कई हमले किए
जैसे कि 9/11
साथ-साथ विश्व के कई देशों में धर्म और जिहाद(धर्म युद्ध) के नाम पर आतंकवादियों को पोषित किया जा रहा है
आतंकवाद संगठन
एक सामान विचारधारा वाले आतंकवादियों के गुट को आतंकवादी संगठन कहते है
आज विश्व में अनेकों आतंकवादी संगठन सक्रिय हैं
आईएसआईएस
तालिबान
अलकायदा
लश्कर-ए-तैयबा
हिजबुल मुजाहिद्दीन आदि
भारत और आतंकवाद
भारत में आतंकवाद का स्वरूप
धार्मिक आतंकवाद
पंजाब और कश्मीर में
पृथकतावादी आतंकवाद
पंजाब में खालिस्तान की मांग को लेकर फैला आतंकवाद और जम्मू कश्मीर में कश्मीर को आजाद कराने की मांग को लेकर फैला आतंकवाद पृथक वादी आतंकवाद कहलाता है
विदेशी आतंकवाद
जम्मू कश्मीर और भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में चल रहा पाकिस्तान द्वारा समर्थित आतंकवाद इसका एक उदाहरण है
क्षेत्रीय आतंकवाद
आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, और महाराष्ट्र के कई क्षेत्रों में फैला नक्सलवाद क्षेत्रीय आतंकवाद का उदाहरण है यह मुख्य रूप से गरीब और आदिवासियों से संबंधित है और यह जमीदारों का विरोध करता है
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