जैव-अणु
प्रश्न 1: कार्बोहाइड्रेट क्या हैं? उनकी संरचना और वर्गीकरण की व्याख्या करें।
उत्तर:
कार्बोहाइड्रेट्स वे जैविक यौगिक हैं जो मुख्यतः पौधों द्वारा उत्पादित होते हैं और ये बड़े समूह के प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले जैविक यौगिक होते हैं। सामान्यतः, इनके अणु सूत्र, Cx(H2O)y होते हैं, और इन्हें कार्बन के हाइड्रेट्स के रूप में माना जाता था, जिससे कार्बोहाइड्रेट नाम आया। हालाँकि, सभी यौगिक जो इस सूत्र में आते हैं, उन्हें कार्बोहाइड्रेट नहीं कहा जा सकता। उदाहरण के लिए, एसिटिक एसिड (CH3COOH) इस सामान्य सूत्र में आता है, लेकिन यह कार्बोहाइड्रेट नहीं है।
कार्बोहाइड्रेट्स का रासायनिक वर्गीकरण निम्नलिखित तीन समूहों में किया गया है:
मोनोसैक्राइड्स: ऐसे कार्बोहाइड्रेट जो और सरल इकाइयों में हाइड्रोलाइसिस नहीं कर सकते, इन्हें मोनोसैक्राइड्स कहते हैं।
उदाहरण: ग्लूकोज, फ्रक्टोज।
ओलिगोसैक्राइड्स: ऐसे कार्बोहाइड्रेट जो हाइड्रोलाइसिस पर दो से दस मोनोसैक्राइड इकाइयाँ देते हैं। इन्हें और आगे उपवर्गों जैसे डिसैक्राइड्स, ट्राइसैक्राइड्स, इत्यादि में विभाजित किया जाता है।
उदाहरण: सुक्रोज, माल्टोज।
पॉलीसैक्राइड्स: ऐसे कार्बोहाइड्रेट जो हाइड्रोलाइसिस पर बड़ी संख्या में मोनोसैक्राइड इकाइयाँ देते हैं।
उदाहरण: स्टार्च, सेल्युलोज।
कार्बोहाइड्रेट्स को हाइड्रोलाइसिस के आधार पर भी वर्गीकृत किया जा सकता है जैसे कि रिड्यूसिंग और नॉन-रिड्यूसिंग शुगर्स। सभी मोनोसैक्राइड्स रिड्यूसिंग शुगर्स होते हैं।
प्रश्न 2: प्रोटीन की संरचना के विभिन्न स्तरों का वर्णन करें।
उत्तर:
प्रोटीन की संरचना को चार स्तरों पर अध्ययन किया जा सकता है:
प्राथमिक संरचना: इसमें अमीनो अम्लों की शृंखला में आपस में जुड़े होने की विशिष्ट अनुक्रमता होती है। यह संरचना उस प्रोटीन की पहचान होती है।
माध्यमिक संरचना: यह उस आकार को संदर्भित करती है जिसमें प्रोटीन की लंबी शृंखला अस्तित्व में होती है। दो प्रकार की माध्यमिक संरचनाएँ होती हैं – α-हेलिक्स और β-प्लीटेड शीट।
तृतीयक संरचना: यह संरचना प्रोटीन की शृंखला के संपूर्ण मोड़ और घुमाव का प्रतिनिधित्व करती है। यह प्रोटीन को एक विशिष्ट त्रि-आयामी आकार प्रदान करती है।
चतुर्थक संरचना: कुछ प्रोटीन दो या दो से अधिक पॉलीपेप्टाइड शृंखलाओं से बने होते हैं। इन शृंखलाओं के आपसी स्थानिक व्यवस्था को चतुर्थक संरचना कहते हैं।
प्रोटीन की इन संरचनाओं में हाइड्रोजन बांड्स, वैंडर वाल्स बल, और इलेक्ट्रोस्टैटिक बल जैसी आपसी आकर्षण शक्तियाँ होती हैं जो इन्हें स्थिर करती हैं।
प्रश्न 3: न्यूक्लिक अम्ल क्या हैं? उनके रासायनिक संघटन और कार्यों की व्याख्या करें।
उत्तर:
न्यूक्लिक अम्ल लंबे चेन पॉलीमर होते हैं जो न्यूक्लियोटाइड्स से बने होते हैं। न्यूक्लियोटाइड्स एक शर्करा, फॉस्फोरिक अम्ल, और नाइट्रोजनयुक्त यौगिक होते हैं जिन्हें बेस कहा जाता है। डीएनए और आरएनए दो प्रकार के न्यूक्लिक अम्ल हैं।
डीएनए (डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल): यह कोशिका के नाभिक में पाया जाता है और अनुवांशिक जानकारी के संरक्षण और हस्तांतरण के लिए उत्तरदायी होता है। डीएनए की संरचना डबल हेलिक्स के रूप में होती है, जहाँ दो न्यूक्लिक अम्ल चेनें हाइड्रोजन बांड्स द्वारा एक दूसरे से जुड़ी होती हैं।
आरएनए (राइबोन्यूक्लिक अम्ल): यह एकल स्ट्रैंड होता है और प्रोटीन संश्लेषण में सहायता करता है।
मुख्य कार्य:
अनुवांशिक जानकारी का संरक्षण: डीएनए माता-पिता से संतानों को अनुवांशिक जानकारी के हस्तांतरण के लिए जिम्मेदार है।
प्रोटीन संश्लेषण: आरएनए कोशिका के अंदर प्रोटीन के निर्माण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
प्रश्न 4: विटामिन क्या हैं? विटामिनों के वर्गीकरण और उनके कार्यों की चर्चा करें।
उत्तर:
विटामिन वे जैविक यौगिक हैं जो हमारे आहार में अल्प मात्रा में आवश्यक होते हैं, लेकिन इनकी कमी से विशिष्ट रोग हो सकते हैं। विटामिनों का वर्गीकरण उनकी घुलनशीलता के आधार पर किया गया है:
वसा-घुलनशील विटामिन: ये विटामिन वसा और तेल में घुलनशील होते हैं लेकिन पानी में नहीं घुलते। इनमें विटामिन A, D, E, और K शामिल हैं। ये विटामिन लीवर और वसा ऊतक में संग्रहीत होते हैं।
जल-घुलनशील विटामिन: इनमें B समूह के विटामिन और विटामिन C शामिल हैं। ये पानी में घुलनशील होते हैं और इन्हें नियमित रूप से आहार में शामिल करना आवश्यक होता है क्योंकि ये शरीर में संग्रहीत नहीं होते हैं और मूत्र के माध्यम से बाहर निकल जाते हैं।
कार्य:
विटामिन A दृष्टि के लिए आवश्यक है।
विटामिन D हड्डियों के विकास में सहायक है।
विटामिन C प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है।
विटामिन K रक्त के थक्के जमाने में सहायक होता है।
प्रश्न 5: ग्लूकोज के रासायनिक संरचना और उसके विभिन्न गुणों का वर्णन करें।
उत्तर:
ग्लूकोज एक महत्वपूर्ण मोनोसैक्राइड है और यह एक एल्डोहेक्सोस (अल्डीहाइड और हेक्सोस) है। इसका अणुसूत्र \(C_6H_{12O_6}\) है। ग्लूकोज का संरचनात्मक सूत्र निम्नलिखित तथ्यों पर आधारित है:
रासायनिक संरचना: ग्लूकोज एक सीधी श्रृंखला वाला यौगिक है जिसमें छह कार्बन परमाणु होते हैं। इसमें चार हाइड्रॉक्सिल (–OH) समूह और एक एल्डीहाइड (–CHO) समूह होता है। इसकी संरचना निम्नलिखित होती है:
\(CHO-CH(OH)-CH(OH)-CH(OH)-CH(OH)-CH_2OH\)गुण:
ग्लूकोज का ऑक्सीकरण: जब ग्लूकोज का ऑक्सीकरण ब्रोमीन जल के साथ किया जाता है, तो यह ग्लुकोनिक अम्ल बनाता है, जो दर्शाता है कि इसमें एल्डीहाइड समूह उपस्थित होता है।
ग्लूकोज का पेंटासेटेट: ग्लूकोज का पेंटासेटेट बनता है, जिससे यह प्रमाणित होता है कि इसमें पाँच हाइड्रॉक्सिल समूह होते हैं।
मुक्त एल्डीहाइड समूह की अनुपस्थिति: ग्लूकोज के पेंटासेटेट की संरचना में यह पाया गया कि यह हाइड्रॉक्सिलामाइन के साथ प्रतिक्रिया नहीं करता, जो यह दर्शाता है कि मुक्त एल्डीहाइड समूह मौजूद नहीं है। यह ग्लूकोज के छल्लेदार संरचना (साइक्लिक स्ट्रक्चर) के कारण होता है।
साइक्लिक संरचना: ग्लूकोज की साइक्लिक संरचना में C1 और C5 कार्बन के बीच अर्ध-असेटाल (हेमिएसिटाल) बंध का निर्माण होता है, जिससे यह साइक्लिक हेलिक्स संरचना ग्रहण करता है। इस संरचना में दो रूप होते हैं – α और β, जो ऐनोमर्स कहलाते हैं।
प्रश्न 6: डीएनए और आरएनए के संरचनात्मक और क्रियात्मक अंतर की तुलना करें।
उत्तर:
डीएनए (डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल) और आरएनए (राइबोन्यूक्लिक अम्ल) दोनों ही न्यूक्लिक अम्ल हैं जो जीवों की अनुवांशिक जानकारी और प्रोटीन संश्लेषण के लिए जिम्मेदार होते हैं। इन दोनों के बीच मुख्य अंतर निम्नलिखित हैं:
शर्करा का प्रकार:
डीएनए: इसमें 2-डिऑक्सी-डी-राइबोज शर्करा होती है।
आरएनए: इसमें डी-राइबोज शर्करा होती है।
नाइट्रोजनी बेस:
डीएनए: इसमें चार नाइट्रोजनी बेस होते हैं – एडेनिन (A), ग्वानिन (G), साइटोसिन (C), और थाइमिन (T)।
आरएनए: इसमें भी चार नाइट्रोजनी बेस होते हैं – एडेनिन (A), ग्वानिन (G), साइटोसिन (C), और यूरैसिल (U)।
संरचना:
डीएनए: इसकी संरचना द्वि-स्तरीय (डबल स्ट्रैंडेड) होती है, जिसमें दो पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखलाएँ हाइड्रोजन बांड के माध्यम से एक-दूसरे से जुड़ी होती हैं। इसकी संरचना डबल हेलिक्स कहलाती है।
आरएनए: इसकी संरचना एकल-स्तरीय (सिंगल स्ट्रैंडेड) होती है, जो कभी-कभी स्वयंपर आत्मीयता के कारण लूप्स का निर्माण करती है।
कार्य:
डीएनए: यह अनुवांशिक जानकारी का भंडारण और संतानों में उसका हस्तांतरण करता है।
आरएनए: यह प्रोटीन संश्लेषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आरएनए के तीन प्रमुख प्रकार होते हैं – संदेशवाहक आरएनए (mRNA), राइबोसोमल आरएनए (rRNA), और ट्रांसफर आरएनए (tRNA)।
प्रश्न 7: प्रोटीन में पेप्टाइड बंध और प्रोटीन संरचना के स्तरों की व्याख्या करें।
उत्तर:
पेप्टाइड बंध: यह बंध दो अमीनो अम्लों के बीच -COOH (कार्बोक्सिल समूह) और -NH₂ (अमीनो समूह) के बीच जल अणु के हटने से बनता है। यह बंध प्रोटीन की संरचना का मूल आधार है।
प्रोटीन संरचना के स्तर:
प्राथमिक संरचना: यह प्रोटीन में अमीनो अम्लों की विशिष्ट अनुक्रमता होती है जो पेप्टाइड बंध द्वारा जुड़ी होती है।
माध्यमिक संरचना: इसमें प्रोटीन की शृंखला α-हेलिक्स या β-प्लीटेड शीट के रूप में होती है, जो हाइड्रोजन बांड द्वारा स्थिर होती है।
तृतीयक संरचना: यह प्रोटीन की शृंखला की त्रि-आयामी मोड़ और घुमाव का प्रतिनिधित्व करती है, जिसमें वैंडर वाल्स बल, हाइड्रोजन बांड, और डिसल्फाइड बंध मुख्य भूमिका निभाते हैं।
चतुर्थक संरचना: यह कुछ प्रोटीनों में पाई जाती है, जिसमें दो या दो से अधिक पॉलीपेप्टाइड शृंखलाएँ आपस में जुड़ी होती हैं।
प्रोटीन की संरचना और पेप्टाइड बंधों का ज्ञान उनके कार्यों को समझने के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
प्रश्न 8: विटामिन की परिभाषा दें और वसा-घुलनशील और जल-घुलनशील विटामिनों के बीच अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
विटामिन ऐसे जैविक यौगिक हैं जो आहार में अल्प मात्रा में आवश्यक होते हैं और शरीर में विभिन्न जैविक प्रक्रियाओं को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए आवश्यक होते हैं।
वसा-घुलनशील विटामिन:
ये विटामिन वसा और तेल में घुलनशील होते हैं और शरीर में संग्रहीत हो सकते हैं।
प्रमुख वसा-घुलनशील विटामिन: विटामिन A, D, E, K।
कार्य: विटामिन A दृष्टि के लिए, विटामिन D हड्डियों के विकास के लिए, विटामिन E एंटीऑक्सिडेंट के रूप में, और विटामिन K रक्त के थक्के जमाने के लिए आवश्यक होता है।
जल-घुलनशील विटामिन:
ये विटामिन पानी में घुलनशील होते हैं और शरीर में संग्रहित नहीं हो पाते, इसलिए इन्हें नियमित रूप से आहार में शामिल करना आवश्यक होता है।
प्रमुख जल-घुलनशील विटामिन: विटामिन C और B समूह के विटामिन (B1, B2, B6, B12 आदि)।
कार्य: विटामिन C प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और B समूह के विटामिन ऊर्जा उत्पादन में सहायक होते हैं।
प्रश्न 9: प्रोटीन का डिनैचुरेशन क्या है? इसके प्रभाव और उदाहरणों की व्याख्या करें।
उत्तर:
प्रोटीन का डिनैचुरेशन वह प्रक्रिया है जिसमें प्रोटीन अपनी प्राकृतिक संरचना और जैविक गतिविधि खो देता है। डिनैचुरेशन तब होता है जब प्रोटीन को किसी भौतिक या रासायनिक परिवर्तन जैसे तापमान में वृद्धि या pH में परिवर्तन के संपर्क में लाया जाता है। डिनैचुरेशन के दौरान, प्रोटीन की द्वितीयक और तृतीयक संरचनाएँ नष्ट हो जाती हैं, लेकिन प्राथमिक संरचना (अमीनो अम्लों का अनुक्रम) अक्षुण्ण रहती है।
प्रभाव:
जैविक गतिविधि की हानि: डिनैचुरेशन के परिणामस्वरूप प्रोटीन अपनी जैविक गतिविधि खो देता है। उदाहरण के लिए, एंजाइम के रूप में कार्य करने वाले प्रोटीन डिनैचुरेशन के बाद अपने कार्यों को पूरा नहीं कर पाते।
भौतिक गुणों में परिवर्तन: प्रोटीन की घुलनशीलता और शारीरिक गुण बदल जाते हैं। उदाहरण के लिए, अंडे के सफेद भाग का उबालने पर ठोस और अपारदर्शी हो जाना डिनैचुरेशन का परिणाम है।
उदाहरण:
अंडे का सफेद भाग: अंडे के सफेद भाग में प्रोटीन होते हैं जो उबालने पर डिनैचुरेशन के कारण जम जाते हैं।
दूध का फटना: दूध में उपस्थित प्रोटीन (कैसिन) का pH में परिवर्तन (जैसे नींबू का रस मिलाने पर) से डिनैचुरेशन होता है और दूध फट जाता है।
प्रोटीन के जैविक नमूनों का उपचार: उच्च तापमान पर, या अम्लीय या क्षारीय स्थितियों में रखे जाने पर प्रोटीन डिनैचुरेट हो सकते हैं।
प्रश्न 10: एंजाइम क्या हैं? उनकी क्रियावली और महत्व की व्याख्या करें।
उत्तर:
एंजाइम जैविक उत्प्रेरक (बायोकैटालिस्ट) होते हैं जो जैव रासायनिक प्रतिक्रियाओं की दर को बढ़ाते हैं। एंजाइम मुख्यतः प्रोटीन होते हैं और ये बहुत ही विशिष्ट होते हैं, यानी ये केवल एक विशेष प्रकार की प्रतिक्रिया को उत्प्रेरित करते हैं।
क्रियावली: एंजाइम जिस पदार्थ पर कार्य करते हैं उसे सब्सट्रेट कहते हैं। एंजाइम और सब्सट्रेट के बीच क्रिया के दौरान, एंजाइम के सक्रिय स्थल (Active Site) पर सब्सट्रेट बंधता है, जिससे एक एंजाइम-सब्सट्रेट परिसर (Enzyme-Substrate Complex) का निर्माण होता है। इस परिसर के निर्माण से सब्सट्रेट में रासायनिक परिवर्तन होते हैं, और प्रतिक्रिया के अंत में उत्पाद (Product) का निर्माण होता है, जबकि एंजाइम अपरिवर्तित रहता है।
महत्व:
रासायनिक प्रतिक्रियाओं की दर में वृद्धि: एंजाइम बिना अधिक तापमान या दबाव के रासायनिक प्रतिक्रियाओं को तेज करते हैं। उदाहरण के लिए, पेप्सिन एंजाइम पेट में प्रोटीन को पाचन योग्य रूप में तोड़ता है।
विशिष्टता: एंजाइम की विशिष्टता उनके कार्य को अत्यंत प्रभावी बनाती है। वे केवल एक विशेष प्रतिक्रिया को उत्प्रेरित करते हैं, जो जैव रासायनिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करने में सहायक होता है।
आवश्यकता: एंजाइम बहुत कम मात्रा में ही कार्य कर सकते हैं और कई जैविक प्रक्रियाओं के लिए अनिवार्य होते हैं। बिना एंजाइम के, हमारे शरीर में आवश्यक रासायनिक प्रतिक्रियाएँ बहुत धीमी गति से होतीं, जिससे जीवन संभव नहीं हो पाता।
प्रश्न 11: विटामिन की भूमिका और उनके विभिन्न प्रकार के बारे में विस्तार से लिखें।
उत्तर:
विटामिन वे आवश्यक कार्बनिक यौगिक हैं जो शरीर में विभिन्न जैविक क्रियाओं के लिए आवश्यक होते हैं। ये शरीर में ऊर्जा नहीं देते लेकिन जैविक क्रियाओं के लिए सहायक होते हैं। विटामिन की भूमिका और उनके विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं:
भूमिका:
शरीर की वृद्धि और विकास में सहायक: विटामिन शरीर के विकास और कोशिकाओं की मरम्मत में सहायक होते हैं।
रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि: विटामिन C और विटामिन E एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करते हैं और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।
मेटाबोलिज्म में सहायक: B समूह के विटामिन शरीर में ऊर्जा उत्पादन और मेटाबोलिज्म में सहायक होते हैं।
विभिन्न प्रकार:
वसा-घुलनशील विटामिन:
विटामिन A: यह दृष्टि और प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए आवश्यक है। मुख्य स्रोत: गाजर, पालक, अंडे।
विटामिन D: यह हड्डियों के विकास और कैल्शियम के अवशोषण में सहायक है। मुख्य स्रोत: सूर्य की रोशनी, मछली का तेल।
विटामिन E: यह त्वचा और कोशिकाओं की सुरक्षा में मदद करता है। मुख्य स्रोत: बादाम, सूरजमुखी का तेल।
विटामिन K: यह रक्त के थक्के जमाने के लिए आवश्यक है। मुख्य स्रोत: हरी पत्तेदार सब्जियाँ, गोभी।
जल-घुलनशील विटामिन:
विटामिन C: यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और त्वचा के लिए आवश्यक है। मुख्य स्रोत: संतरा, नींबू, आंवला।
विटामिन B1 (थायमिन): यह ऊर्जा उत्पादन में सहायक होता है। मुख्य स्रोत: साबुत अनाज, नट्स।
विटामिन B2 (राइबोफ्लेविन): यह ऊर्जा उत्पादन और त्वचा की स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। मुख्य स्रोत: दूध, अंडे।
विटामिन B6 (पाइरिडॉक्सिन): यह प्रोटीन मेटाबोलिज्म और नर्व फंक्शन में सहायक है। मुख्य स्रोत: मछली, केला।
विटामिन B12: यह रक्त के लाल कणों के निर्माण और नर्व फंक्शन के लिए आवश्यक है। मुख्य स्रोत: मांस, डेयरी उत्पाद।
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