नीतिनवनीतम्
Solutions For All Chapters Sanskrit Class 8
अभ्यासः
प्रश्न 1.
अधोलिखितानि प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखत-(निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक पद में लिखिए)
उत्तरम्:
(क) मातापितरौ
(ख) वस्त्रपूतम्
(ग) मनुस्मृतेः
(घ) सत्यपूताम्
(ङ) मृगगणद्विजैः
(च) परवशम्
(छ) सुखम्
(ज) मन:पूतम्
Hindi Translation
- माता-पिता
- वस्त्र से शुद्ध
- मनुस्मृति का
- सत्य से शुद्ध
- पशुओं और पक्षियों से
- पराधीनता
- सुख
- मन से शुद्ध
प्रश्न 2.
अधोलिखितानि प्रश्नानाम् उत्तराणि पूर्णवाक्येन लिखत-(निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पूर्ण वाक्य में लिखिए)
उत्तरम्:
(क) पाठेऽस्मिन् सुखदु:खयोः लक्षणमस्ति-परवशं सर्वं दु:खम् आत्मवशं च सर्वं सुखम्।
(ख) वर्षशतैः अपि मातापितरौ नृणां सम्भवे यं क्लेशं सहेते तस्य निष्कृतिः कर्तुं न शक्या।
(ग) “त्रिषु तुष्टेषु तपः समाप्यते- वाक्येऽस्मिन त्रयः माता-पिता-आचार्याः सन्ति।
(घ) यत् कर्म कुर्वतः अस्य आत्मनः परितोष: स्यात् तत् कर्म अस्माभिः कर्तव्यम्।
(ङ) अभिवादशीलस्य आयुः, विद्या, यशः बलञ्च एतानि चत्वारि वर्धन्ते।
(च) सर्वदा माता-पिता-आचार्याणां प्रियं कुर्यात्।
Hindi Translation
- पाठ में सुख और दुख का लक्षण है – “पराधीनता सब दुख है, आत्मनिर्भरता सब सुख है।”
- माता-पिता को जो कष्ट अपने बच्चों के जन्म में सहना पड़ता है, उसका प्रतिकार सौ वर्षों में भी नहीं हो सकता।
- “तीन लोगों के संतुष्ट होने पर तपस्या पूरी होती है” – इस वाक्य में तीन लोग माता, पिता और आचार्य हैं।
- वह कार्य करना चाहिए जिससे आत्मा को संतुष्टि हो।
- अभिवादनशील व्यक्ति की आयु, विद्या, यश और बल ये चारों बढ़ते हैं।
- हमेशा माता-पिता और आचार्य का प्रिय करना चाहिए।
प्रश्न 3.
स्थूलपदान्यवलम्बय प्रश्ननिर्माणं कुरुत-(स्थूल पद का अवलम्बन करते हुए प्रश्न निर्माण कीजिए-)
उत्तरम्:
(क) कस्य आयुर्विद्या यशो बलं न वर्धन्ते?
(ख) मनुष्यः कीदृशीम् वाचे वदेत्?
(ग) त्रिषु तुष्टेषु सर्वं किम् समाप्यते?
(घ) कौ नृणां सम्भवे भाषया क्लेशं सहेते?
(ङ) कयोः नित्यं प्रियं कुर्यात्?
Hindi Translation
- किसकी आयु, विद्या, यश और बल नहीं बढ़ते?
- मनुष्य किस प्रकार की वाणी बोले?
- तीन के संतुष्ट होने पर क्या समाप्त होता है?
- माता-पिता किस कष्ट को सहते हैं?
- किनके लिए सदैव प्रिय कार्य करना चाहिए?
प्रश्न 4.
संस्कृतभाषयां वाक्यप्रयोगं कुरुत-(संस्कृत भाषा में वाक्य प्रयोग कीजिए-)
उत्तरम्:
(क) अभिवादनशीलस्य विद्या वर्धते।।
(ख) मातापितरौ स्वपुत्रस्य पालने तपः कुरुतः।
(ग) मनसा विचार्य एवं कर्म समाचरेत्।
(घ) शुद्धाचरणेन परितोषः भवति।
(ङ) जनैः नित्यं शुद्धाचरणं कर्तव्यम्।।
Hindi Translation
- अभिवादनशील व्यक्ति की विद्या बढ़ती है।
- माता-पिता अपने पुत्र का पालन-पोषण करते हुए तप करते हैं।
- मन से विचार कर ही कार्य करना चाहिए।
- शुद्ध आचरण से संतोष प्राप्त होता है।
- लोगों को हमेशा शुद्ध आचरण करना चाहिए।
प्रश्न 5.
शुद्धवाक्यानां समक्षम् ‘आम्’ अशुद्धवाक्यानां समक्षं च नैव’ इति लिखत-(शुद्ध वाक्य के सामने ‘आम्’ और अशुद्ध वाक्य के सामने ‘नैव’ लिखिए-)
उत्तरम्:
(क) नैव
(ख) आम्
(ग) नैव
(घ) आम्
(ङ) आम्
(च) आम्
प्रश्न 6.
समुचितपदेन रिक्तस्थानानि पूरयत-(समुचित पदों से रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-)
उत्तरम्:
(क) वर्षशतैरपि
(ख) चत्वारि
(ग) तप
(घ) समासेन
(ङ) पादम्
(च) प्रियम्
Hindi Translation
- सौ वर्षों तक भी
- चार
- तप
- संक्षेप में
- चरण
- प्रिय
प्रश्न 7.
मञ्जूषातः चित्वा उचिताव्ययेन वाक्यपूर्ति कुरुत-(मंजूषा से उचित अव्यय चुनकर वाक्य की पूर्ति कीजिए-)
तावत्, अपि, एव, यथा, नित्यं, यादृशम्
उत्तरम्:
(क) नित्यं
(ख) यादृशम्
(ग) अपि
(घ) एवं
(ङ) यथा
(च) तावत्
Hindi Translation
- नित्य
- जैसा
- भी
- इस प्रकार
- जैसा
- तब तक
अतिरिक्तः अभ्यासः
प्रश्न 1.
निम्न श्लोकं पठित्वा तदाधारिताना प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत- (निम्न श्लोक को पढ़कर उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए-)
(क) अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्॥
I. एकपदेन उत्तरत-(एक शब्द में उत्तर दीजिए-)
1. कस्य चत्वारि वर्धन्ते?
2. नित्यं केषां सेवा कर्तव्या?
उत्तरम्:
1. अभिवादनशीलस्य
2. वृद्धाणाम्
II. पूर्णवाक्येन उत्तरत-(पूर्ण वाक्य में उत्तर दीजिए-)
1. अभिवादनशीलस्य कानि चत्वारि वर्धन्ते?
2. वृद्धोपसेविन: चतुर्थः कः गुणः वर्धते?
उत्तरम्:
1. अभिवादनशीलस्य आयुः, विद्या, यशः बलञ्च एतानि चत्वारि वर्धन्ते।
2. वृद्धोपसेविन: चतुर्थः गुणः बलं वर्धते।
III. निर्देशानुसारम् उत्तरत-(निर्देश के अनुसार उत्तर दीजिए-)
प्रश्न 1.
श्लोके ‘सदा’ इत्यस्य पदस्य कः पर्यायः आगतः?
(क) तस्य
(ख) यशः
(ग) नित्यम्
(घ) बलम्
प्रश्न 2.
चत्वारि तस्य वर्धन्ते।’ अत्र क्रियापदं किम्?
(क) वर्धन्ते
(ख) तस्य
(ग) चत्वारि
(घ) वर्धते
उत्तरम्:
(1) (ग) नित्यम्
(2) (क) वर्धन्ते।
Hindi Translation
I. एक शब्द में उत्तर दीजिए:
- किसके चार बढ़ते हैं?
उत्तर: अभिवादनशील व्यक्ति के - किसकी सेवा सदैव करनी चाहिए?
उत्तर: वृद्धों की
II. पूर्ण वाक्य में उत्तर दीजिए:
- अभिवादनशील व्यक्ति के कौन-कौन से चार गुण बढ़ते हैं?
उत्तर: अभिवादनशील व्यक्ति की आयु, विद्या, यश और बल ये चार गुण बढ़ते हैं। - वृद्धोपसेवी का चौथा गुण कौन सा बढ़ता है?
उत्तर: वृद्धोपसेवी का चौथा गुण बल बढ़ता है।
III. निर्देशानुसार उत्तर दीजिए:
- श्लोक में ‘सदा’ का पर्यायवाची क्या है?
उत्तर: नित्य - ‘चत्वारि तस्य वर्धन्ते’ में क्रियापद क्या है?
उत्तर: वर्धन्ते
(ख) यं मातापितरौ क्लेशं सहेते सम्भवे नृणाम्।
न तस्य निष्कृतिः शक्या कर्तुं वर्षशतैरपि।
(माता-पिता जो कष्ट मनुष्यों की उत्पत्ति के समय सहते हैं,
उसकी भरपाई सैकड़ों वर्षों में भी नहीं की जा सकती।)
I. एकपदेन उत्तरत-(एक पद में उत्तर दीजिए-)
1. कौ क्लेशं सहेते?
2. कथं मातापितरौ क्लेशं सहेते?
उत्तरम्:
1. मातापितरौ
2. सम्भवे नृणाम्
Hindi Translation
- कौन क्लेश सहते हैं?
- मातापितरौ (माता-पिता)
- कैसे माता-पिता क्लेश सहते हैं?
- सम्भवे नृणाम् (मनुष्यों की उत्पत्ति के समय)
II. पूर्णवाक्येन उत्तरत-(पूर्ण वाक्य में उत्तर दीजिए-)
1. मातापित्रोः क्लेशस्य निष्कृतिः कैः अपि कर्तुं न शक्यते? (माता-पिता के कष्ट का प्रतिकार कौन नहीं कर सकता?)
उत्तरम्:
1. मातापित्रोः क्लेशस्य निष्कृतिः वर्षशतैः अपि कर्तुं न शक्यते। (माता-पिता के कष्ट का प्रतिकार वर्षशतों तक भी नहीं किया जा सकता।)
III. भाषिक कार्यम् (भाषा-कार्य)
प्रश्न 1.
श्लोके मातापितरौ’ इति कर्तृपदस्य क्रियापदं किम्?
(क) सहेते
(ख) शक्या
(ग) निष्कृतिः
(घ) सम्भवे
प्रश्न 2.
‘न तस्य निष्कृतिः।’ अत्र ‘तस्य’ पदं कस्मै आगतम्?
(क) सम्भवाय
(ख) क्लेशाय
(ग) निष्कृत्यै
(घ) वर्षेभ्चः
उत्तरम्:
(1) (क) सहेते
(2) (ख) क्लेशाय
Hindi Translation
- श्लोक में “मातापितरौ” शब्द का क्रियापद क्या है?
- सहेते (सहन करते हैं)
- “न तस्य निष्कृतिः” में “तस्य” शब्द किसके लिए आया है?
- क्लेशाय (कष्ट के लिए)
(ग) दृष्टिपूतं न्यसेत्पादं वस्त्रपूतं जलं पिबेत्।
सत्यपूतां वदेद्वाचं मनः पूतं समाचरेत्॥
(दृष्टि से शुद्ध किया हुआ पैर रखें, वस्त्र से छाना हुआ पानी पिएं,
सत्य से शुद्ध की हुई वाणी बोलें, और मन से शुद्ध आचरण करें।)
I. एकपदेन उत्तरत-(एक पद में उत्तर दीजिए-)
1. कीदृशं जलं पिबेत्?
2. मनः पूतं किं कुर्यात्?
उत्तरम्:
1. वस्त्रपूतम् ।
2. समाचरेत् ।
II. पूर्णवाक्येन उत्तरत-(पूर्ण वाक्य में उत्तर दीजिए-)
1. कीदृशीं वाचे वदेत्?
2. दृष्टिपूतं किं कुर्यात्?
उत्तरम्:
1. सत्यपूतां वाचे वदेत्।
2. दृष्टिपूतं पादं न्यसेत्।
III. भाषिक कार्यम् (भाषा-कार्य-)
प्रश्न 1.
‘पिबेत्’ इत्यास्मिन् पदे कः लकार:?
(क) लट्
(ख) लोट्
(ग) लङ।
(घ) विधिलिङ
प्रश्न 2.
श्लोके ‘सत्यपूताम्’ इत्यस्य विशेषणस्य विशेष्यपदं किम् अस्ति?
(क) वाचम्
(ख) वदेत्
(ग) मनः
(घ) पूतम्
उत्तरम्:
(1) (घ) विधिलिङ
(2) (क) वाचम्
Hindi Translation
I. एकपदेन उत्तर दीजिए (एक शब्द में उत्तर दीजिए):
- कैसा पानी पिएं?
- वस्त्रपूतम् (वस्त्र से छाना हुआ)
- मन को शुद्ध करके क्या करें?
- समाचरेत् (आचरण करें)
II. पूर्णवाक्य में उत्तर दीजिए:
- कैसी वाणी बोलें?
- सत्यपूतां वाणी बोलें।
- दृष्टि से शुद्ध करके क्या करना चाहिए?
- दृष्टिपूतं पैर रखना चाहिए।
III. भाषा कार्य (भाषा का अभ्यास):
- “पिबेत्” में कौन सा लकार है?
- विधिलिङ (विधेयार्थक लिंग)
- “सत्यपूतां” शब्द का विशेष्यपद क्या है?
- वाचम् (वाणी)
प्रश्न 2.
निम्नलिखितानि श्लोकानि पठित्वा मञ्जूषायाः सहायतया रिक्तस्थानानि पूरयन् अन्वयं
लिखत- (नीचे लिखे श्लोकों को पढ़कर मञ्जूषा की सहायता से रिक्त स्थानों को भरते हुए अन्वये लिखिए-)
(1) अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः।।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्॥
अन्वय : (i) …………………. नित्यं वृद्धपसेविनः (ii) …………………. आयुः (ii) …………………. यशः बलं (च) (iv) …………………. वर्धन्ते।
मञ्जूषा- तस्य, चत्वारि, अभिवादनशीलस्य, विद्या
उत्तरम्:
(i) अभिवादनशीलस्य
(ii) तस्य
(iii) विद्या
(iv) चत्वारि
Hindi Translation
(1) अभिवादनशीलता वाले व्यक्ति का नित्य वृद्धों की सेवा करने से।
चार गुण उस व्यक्ति के बढ़ते हैं: आयु, विद्या, यश और बल।
अन्वय:
(i) …………………. नित्यं वृद्धोपसेविनः
(ii) …………………. आयुः
(iii) …………………. यशः बलं
(iv) …………………. वर्धन्ते।
मञ्जूषा: तस्य, चार, अभिवादनशीलता, विद्या
उत्तर:
(i) अभिवादनशीलता
(ii) तस्य
(iii) विद्या
(iv) चार
(2) यं मातापितरौ क्लेशं सहेते सम्भवे नृणाम्।
न तस्य निष्कृतिः शक्या कर्तुं वर्षशतैरपि।
अन्वय : मातापितरौ (i) …………………. सम्भवे यं (ii) …………………. सहेते, तस्य वर्षशतैः अपि (iii) …………………. कर्तुं (iv) …………………. शक्या ( भवन्ति)।
मञ्जूषा- क्लेश, न, नृणाम्, निष्कृतिः
उत्तरम्:
(i) नृणाम्
(ii) क्लेशं
(iii) निष्कृतिः
(iv) न
Hindi Translation
(2) जिसे मातापिता कठिनाई सहन करते हैं, वह मनुष्य।
उसका निष्कृत करना भी संभव नहीं है, यहां तक कि सौ सालों तक।
अन्वय:
(i) मातापितरौ …………………. सम्भवे यं
(ii) …………………. सहते,
(iii) तस्य वर्षशतैः अपि …………………. कर्तुं
(iv) …………………. शक्य है।
मञ्जूषा: कठिनाई, नहीं, मनुष्य, निष्कृत करना
(3) तयोर्नित्यं प्रियं कुर्यादाचार्यस्य च सर्वदा।
तेष्वेव त्रिषु तुष्टेषु तपः सर्वं समाप्यते॥
अन्वय : तयोः (i) …………………. च सर्वदा नित्यं (ii) …………………. कुर्यात्, तेषु (ii) …………………. एव तुष्टेषु (iv) …………………. तपः समाप्यते।।
मञ्जूषा- आचार्यस्य, सर्व, प्रियम्, त्रिषु
उत्तरम्:
(i) आचार्यस्य
(ii) प्रियम्
(iii) त्रिक्षु
(iv) सर्वं
Hindi Translation
(3) वे हमेशा प्रिय कार्य करें, और शिक्षक का सम्मान करें।
उन्हीं के तीन संतुष्ट होने पर तप सब कुछ समाप्त हो जाता है।
अन्वय:
(i) वे …………………. शिक्षक का सम्मान करें,
(ii) …………………. संतुष्ट होने पर,
(iii) उन तीनों के …………………. तप सब कुछ समाप्त हो जाता है।
मञ्जूषा: शिक्षक, सब, प्रिय
उत्तर:
(i) शिक्षक
(ii) संतुष्ट
(iii) सब
(4) सर्वं परवशं दुःखं सर्वमात्मवशं सुखम्।।
एतद्विद्यात्समासेन लक्षणं सुखदुःखयोः॥
अन्वय : परवंश (i) …………………. दु:खम् आत्मवशं (च) सर्वम् (ii) …………………. (भवति), एतत् (iii) ………………….” सुखदु:खयोः (iv) …………………. विद्यात्।।
मञ्जूषा-लक्षणं, सुखम्, सर्वं, समासेन
Hindi Translation
उत्तरम्:
(i) सर्वं
(ii) सुखम्
(iii) समासेन
(iv) लक्षणं
(4) सब दुखी होते हैं जो पराधीन होते हैं। सब सुखी होते हैं जो आत्मनिर्भर होते हैं।
इसका संक्षेप में ज्ञान होना चाहिए।
अन्वय:
(i) पराधीन …………………. दुखी होते हैं।
(ii) आत्मनिर्भर …………………. सुखी होते हैं।
(iii) इसे …………………. ज्ञान होना चाहिए।
मञ्जूषा: सुख, दुख, संक्षेप में
(5) यत्कर्म कुर्वतोऽस्य स्यात्परितोषोऽन्तरात्मनः।
तत्प्रयत्नेन कुर्वीत विपरीतं तु वर्जयेत्॥
अन्वय : यत् (i) …………………. कुर्वतः अस्य (ii) …………………. परितोष: स्यात्, तत् (कर्म) (iii) …………………. कुर्वीत (iv) …………………. तु वर्जयेत्।
मञ्जूषा- विपरीतं, कर्म, आत्मनः, प्रयत्नेन
उत्तरम्:
(i) कर्म
(ii) आत्मनः
(iii) प्रयत्नेन
(iv) विपरीत
Hindi Translation
(5) जो कर्म करते हैं, उसे मनुष्य के मन में संतोष होना चाहिए।
उस कर्म को बहुत प्रयास से करें। लेकिन जिस कार्य में संतोष न हो, वह।
अन्वय:
(i) जो …………………. कर्म करते हैं,
(ii) …………………. मन में संतोष होना चाहिए।
(iii) उस कर्म को …………………. प्रयास से करें।
(iv) परंतु जिस कार्य में …………………. संतोष न हो।
मञ्जूषा: करते हैं, कर्म, प्रयास, मन
उत्तर:
(i) करते हैं
(ii) मन
(iii) प्रयास
(iv) संतोष
(6) दृष्टिपूतं न्यसेत्पादं वस्त्रपूतं जलं पिबेत्।
सत्यपूतां वदेद्वाचं मनः पूतं समाचरेत्॥
अन्वय : (i) …………………. पादं न्यसेत् वस्त्रपूतं (ii) …………………. पिबेत्, (iii) …………………. वाचं वदेत् (iv) …………………. पूतं समाचरेत्।
मञ्जूषा-जलं, मनः दृष्टिपूतं, सत्यपूतां
उत्तरम्:
(i) दृष्टिपूतं
(ii) जलं
(iii) सत्यपूतां
(iv) मनः
Hindi Translation
(6) शुद्ध दृष्टि वाले व्यक्ति को पाँव रखकर वस्त्र शुद्ध जल पीना चाहिए।
सत्यता से शुद्ध बोलना चाहिए और मन को शुद्ध रखना चाहिए।
अन्वय:
(i) …………………. दृष्टि वाले पाँव रखकर
(ii) …………………. वस्त्र शुद्ध जल पीना चाहिए।
(iii) सत्यता से …………………. बोलना चाहिए।
(iv) और …………………. शुद्ध रखना चाहिए।
मञ्जूषा: जल, सत्यता, मन, दृष्टि
उत्तर:
(i) दृष्टि
(ii) जल
(iii) सत्यता
(iv) मन
प्रश्न 3.
अधोलिखितानि श्लोकानि पठित्वा तदाधारितं भावार्थी मञ्जूषायाः सहायतया सम्पूर्य लिखत-(नीचे लिखे श्लोकों को पढ़कर उन पर आधारित भावार्थ को मञ्जूषा की सहायता से पूरा करके लिखिए-)
(1) अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्॥
भावार्थ : ये जनाः सदैव अन्यान् (i) ………………… वृद्धाणाञ्च (ii) ………………… कुर्वन्ति। तेषां सदैव (iii) ………………… विद्या (iv) ………………… बलञ्च एतानि चत्वारि गुणानि वर्धन्ते।
मञ्जूषा- आयुः, यशः, प्रणमन्ति, सेवाम्
उत्तरम्:
(i) प्रणमन्ति
(ii) सेवाम्,
(iii) आयुः
(iv) यशः
Hindi Translation
(1) अभिवादनशीलता वाले व्यक्ति का नित्य वृद्धों की सेवा करने से।
चार गुण उस व्यक्ति के बढ़ते हैं: आयु, विद्या, यश और बल।
भावार्थ:
जो लोग हमेशा दूसरों (i) ………………… और वृद्धों (ii) ………………… करते हैं। उनके पास हमेशा (iii) ………………… विद्या (iv) ………………… और बल होते हैं।
मञ्जूषा: आयु, यश, प्रणाम, सेवा
उत्तर:
(i) प्रणाम
(ii) सेवा
(iii) आयु
(iv) यश
(2) यं मातापितरौ क्लेशं सहेते सम्भवे नृणाम्।
न तस्य निष्कृतिः शक्या कर्तुं वर्षशतैरपि।
भावार्थ : माता च पिता च स्व (i) ………………… उत्पत्तौ पालने-पोषणे च यत् (ii) ………………… सहेते। तस्य क्ले शस्य (iii) ………………… अवतारयितुं (iv) ………………… शतं वर्षाणि पर्यन्तमपि न शक्यन्ते।
मञ्जूषा-ऋणम्, सन्तानानाम्, सन्ततयः, कष्टम्
उत्तरम्:
(i) सन्तानानाम्
(ii) कष्टम्
(iii) ऋणम्
(iv) सन्ततयः
Hindi Translation
(2) जिसे मातापिता कठिनाई सहन करते हैं, वह मनुष्य।
उसका निष्कृत करना भी संभव नहीं है, यहां तक कि सौ सालों तक।
भावार्थ:
माता और पिता अपने (i) ………………… उत्पत्ति में पालन-पोषण में जो (ii) ………………… सहन करते हैं। उसकी कठिनाई (iii) ………………… उतारने के लिए (iv) ………………… सौ साल तक भी नहीं हो सकता।
मञ्जूषा: ऋण, संतानों, कठिनाई, संभव नहीं
उत्तर:
(i) संतानों
(ii) कठिनाई
(iii) ऋण
(iv) संभव नहीं
(3) तयोर्नित्यं प्रियं कुर्यादाचार्यस्य च सर्वदा।।
तेष्वेव त्रिषु तुष्टेषु तपः सर्वं समाप्यते॥
भावार्थ : सन्तानैः छात्रैश्च सर्वदा (i) ………………… माता-पिता-आचार्याणाम् (ii) ………………… कुर्यात्, यतः तेषु त्रिषु एव (iii) ………………… सन्तानानां शिष्याणाञ्च सर्वं (iv) …………………समाप्तं भवति।
मञ्जूषा-तपः, प्रतिदिनं, प्रियं, सन्तुष्टेषु
उत्तरम्:
(i) प्रतिदिनं
(ii) प्रियं
(iii) सन्तुष्टेषु
(iv) तपः
Hindi Translation
(3) वे हमेशा प्रिय कार्य करें, और शिक्षक का सम्मान करें।
उन्हीं के तीन संतुष्ट होने पर तप सब कुछ समाप्त हो जाता है।
भावार्थ:
छात्र हमेशा (i) ………………… माता-पिता और शिक्षक का (ii) ………………… करें, क्योंकि उन तीनों के (iii) ………………… संतुष्ट होने पर (iv) ………………… तप समाप्त हो जाता है।
मञ्जूषा: प्रिय, सम्मान, संतुष्ट, तप
उत्तर:
(i) प्रिय
(ii) सम्मान
(iii) संतुष्ट
(iv) तप
(4) सर्वं परवशं दुःखं सर्वमात्मवशं सुखम्।
एतद्विद्यात्समासेन लक्षणं सुखदु:खयोः॥
भावार्थ : अस्मिन् संसारे (i) ………………… सर्वं (पूर्णरूपेण) दु:ख भवति एवमेव स्वतन्त्रतायां सर्वं (ii) ………………… वर्तते। एतत् एव (iii) ………………… सुखस्य (iv) ………………… च लक्षणं जानीयात्।।
मजूषा-सुखं, परतन्त्रतायां, संक्षेपेण, दु:खस्य
उत्तरम्:
(i) परतन्त्रतायां
(ii) सुखं
(iii) संक्षेपेण
(iv) दु:खस्य
Hindi Translation
(4) सब दुखी होते हैं जो पराधीन होते हैं। सब सुखी होते हैं जो आत्मनिर्भर होते हैं।
इसका संक्षेप में ज्ञान होना चाहिए।
भावार्थ:
इस संसार में (i) …………………. जो भी पराधीन होते हैं, वे (ii) …………………. दुखी होते हैं। और जो (iii) …………………. होते हैं, वे (iv) …………………. सुखी होते हैं।
मञ्जूषा: पराधीन, दुखी, आत्मनिर्भर, सुखी
उत्तर:
(i) पराधीन
(ii) दुखी
(iii) आत्मनिर्भर
(iv) सुखी
(5) यत्कर्म कुर्वतोऽस्य स्यात्परितोषोऽन्तरात्मनः।
तत्प्रयत्नेन कुर्वीत विपरीतं तु वर्जयेत्॥
भावार्थ : श्लोककारः कथयति-यत् कर्म (i) ………………… आत्मानं सन्तोषः भवेत् तत्कर्म एव (ii) ………………… प्रयत्नेन कुर्यात्। परं यस्मिन् (iii) ………………… सन्तोषः न स्यात् तत् । (iv) …………………:::: तु कदापि न कर्तव्यम्।
मञ्जूषा-कार्ये, कुर्वन्तम्, कर्म, मनुष्यः
उत्तरम्:
(i) कुर्वन्तम्
(ii) मनुष्यः
(iii) कार्ये
(iv) कर्म
Hindi Translation
(5) जो कर्म करते हैं, उसे मनुष्य के मन में संतोष होना चाहिए।
उस कर्म को बहुत प्रयास से करें। लेकिन जिस कार्य में संतोष न हो, वह।
भावार्थ:
कवि कहता है कि (i) …………………. कर्म करते हैं,
(ii) …………………. आत्मा में संतोष होना चाहिए।
(iii) उस कर्म को (iv) …………………. प्रयास से करें। लेकिन जिस कार्य में (v) …………………. संतोष न हो, वह।
मञ्जूषा: जो, कर्म, मन, प्रयास, नहीं
उत्तर:
(i) जो
(ii) मन
(iii) प्रयास
(iv) नहीं
(6) दृष्टिपूतं न्यसेत्पादं वस्त्रपूतं जलं पिबेत्।
सत्यपूतां वदेद्वाचं मनः पूतं समाचरेत्॥
भावार्थ : नीतिकारः कथयति यत् जनः सदैव मार्गे उत्तमरीत्या दृष्ट्वा एव (i) …………………: न्यसेत् एवमेव सः वस्त्रेण शुद्धं कृत्वा एव (ii) ………………… पिबेत्। तथैव सत्येन शुद्ध कृत्वा एव (iii) ………………… वदेत् एवं (iv) ………………… सुविमर्थ्य एवं आचरणं कुयात्।।
मजूषा- मनसा, स्वपादं, जलं, वाणीं
उत्तरम्:
(i) स्वपादं :
(ii) जलं
(iii) वाणी
(iv) मनसा
Hindi Translation
(6) शुद्ध दृष्टि वाले व्यक्ति को पाँव रखकर वस्त्र शुद्ध जल पीना चाहिए।
सत्यता से शुद्ध बोलना चाहिए और मन को शुद्ध रखना चाहिए।
भावार्थ:
कवि कहता है कि (i) …………………. दृष्टि वाले व्यक्ति को पाँव रखकर
(ii) …………………. वस्त्र शुद्ध जल पीना चाहिए।
(iii) सत्यता से (iv) …………………. बोलना चाहिए और मन को (v) …………………. रखना चाहिए।
मञ्जूषा: शुद्ध, जल, सत्यता, शुद्ध, रखना
उत्तर:
(i) शुद्ध
(ii) जल
(iii) सत्यता
(iv) शुद्ध
(v) रखना
प्रश्न 4.
रेखाकितानां पदानाम् आधारं कृत्वा प्रश्ननिर्माणं कुरुत
(रेखांकित पदों को आधार मानकर प्रश्ननिर्माण कीजिए-)
(1) सर्वं परवशं दु:खम्। (सब दुखी होते हैं।)
(2) मनः पूतं समाचरेत्। (मन शुद्ध होना चाहिए।)
(3) चत्वारि तस्य वर्धन्ते। (चार गुण बढ़ते हैं।)
(4) तयोः नित्यं प्रियं कुयत्। (उन्हें प्रिय कार्य करना चाहिए।)
(5) अभिवादनशीलस्य चत्वारि वर्धन्ते। (अभिवादनशीलता के चार गुण बढ़ते हैं।)
(6) आयुः विद्या यशो बलं च वर्धन्ते। (आयु, विद्या, यश और बल बढ़ते हैं।)
(7) तेषु त्रिषु तुष्टेषु सर्वं तपः समाप्यते। (उनमें संतोष होना चाहिए।)
(8) नित्यं वृद्धोपसेविन: चत्वारि वर्धन्ते। (हर दिन सेवा करनी चाहिए।)
(9) सर्वं परवशं दु:खम् वर्तते। (सभी दुखी होते हैं।)
(10) सर्वं आत्मवशं सुखम् वर्तते। (सभी सुखी होते हैं।)
(11) तत्प्रयत्नेन कुर्वीत। (इससे प्रयास करें।)
(12) अन्तरात्मनः परितोषः स्यात्। (अंतरात्मा में संतोष होना चाहिए।)
(13) एतत् सुखदु:खयोः लक्षणम् अस्ति। (यह सुख-दुख का लक्षण है।)
(14) नृणां सम्भवे मातापितरौ क्लेशं सहेते। (मातापिता कठिनाई सहन करते हैं।)
(15) वस्त्रपूतं जलं पिबेत्। (शुद्ध जल पीना चाहिए।)
उत्तरम्:
(1) सर्वं परवशं किम्?
(2) किम् समाचरेत्?
(3) कति तस्य वर्धन्ते?
(4) कयोः नित्यं प्रियं कुर्यात्?
(5) कस्य चत्वारि वर्धन्ते?
(6) किम् विद्या यशो बले च वर्धन्ते?
(7) तेषु कति तुष्टेषु सर्वं किम् समाप्यते?
(8) कदा वृद्धोपसेविन: चत्वारि वर्धन्ते?
(9) सर्वं परवशं किम् अस्ति?
(10) सर्वं कीदृशम् सुखम् वर्तते?
(11) तंत् कथम्/केन कुर्वीत?
(12) कस्य परितोषः स्यात्?
(13) एतत् कयो: लक्षणम् अस्ति?
(14) केषाम् सम्भवे मातापितरौ क्लेशं सहेते?
(15) कीदृशम् जलं पिबेत्?
Hindi Translation
(1) सब दुखी क्यों होते हैं?
(2) मन शुद्ध क्यों होना चाहिए?
(3) कौन से चार गुण बढ़ते हैं?
(4) उन्हें प्रिय कार्य क्यों करना चाहिए?
(5) अभिवादनशीलता के चार गुण क्या बढ़ते हैं?
(6) कौन-कौन से गुण बढ़ते हैं: आयु, विद्या, यश और बल?
(7) उनमें संतोष क्यों होना चाहिए?
(8) हर दिन सेवा कब करनी चाहिए?
(9) सभी दुखी कैसे होते हैं?
(10) सभी सुखी क्यों होते हैं?
(11) इससे प्रयास कैसे करें?
(12) अंतरात्मा में संतोष कैसे होना चाहिए?
(13) यह सुख-दुख का लक्षण क्या है?
(14) मातापिता कठिनाई कब सहन करते हैं?
(15) किस प्रकार का जल पीना चाहिए?
प्रश्न 5.
निम्न पंक्तीन समुचितं मेलयत- (निम्न पंक्तियों को उचित रूप से मिलाइए-)
उत्तरम्:
(1) (च) आयु:विद्या यशो बलम्। (आयु, विद्या, यश और बल।)
(2) (ङ) सम्भवे नृणाम्। (मनुष्यों के उत्पन्न होने पर।)
(3) (ख) आचार्यस्य च सर्वदा। (गुरु का हमेशा।)
(4) (छ) सर्वम् आत्मवशं सुखम्। (सब आत्मानुशासन में सुख है।)
(5) (ग) लक्षणं सुखदु:खयोः। (सुख और दुख का लक्षण।)
(6) (क) स्यात् परितोषोऽन्तरात्मनः। (अंतरात्मा में संतोष होना चाहिए।)
(7) (ज). विपरीतं तु वर्जयेत्। (विपरीत को छोड़ देना चाहिए।)
(8) (घ) मनः पूतं समाचरेत्। (मन को शुद्ध रखकर आचरण करना चाहिए।)
प्रश्न 6.
पर्यायपदानि मेलयत-(पर्याय पदों को मिलाइए)
उत्तरम्:
(1) नित्यम् (सदा)
(2) दु:खम् (दुख)
(3) नृणाम् (मनुष्यों का)
(4) आचार्यस्य (गुरु का)
(5) परवशम् (दूसरों के नियंत्रण में)
(6) परितोषः (संतोष)
(7) कुर्वीत (करना चाहिए)
(8) पूतम् (शुद्ध)
(9) वाचाम् (बोलने में)
(10) कर्म (कार्य)
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