RBSE Solutions For All Chapters Vigyan Class 7
सही विकल्प का चयन कीजिए
प्रश्न 1.
मछली के हृदय में होते हैं|
(अ) एक आलिन्द एक निलय
(ब) एक आलिन्द दो निलय
(स) दो आलिन्द एक निलय
(द) दो आलिन्द दो निलय
उत्तर:
(अ) एक आलिन्द एक निलय
प्रश्न 2.
आर्कियोप्टेरिक्स योजक कड़ी है
(अ) पीसीज व एम्फिबिया के मध्य
(ब) रेप्टीलिया व ऐवीज के मध्य
(स) ऐवीज व मेमेलिया के मध्य
(द) एम्फिबिया व रेप्टीलिया के मध्य ।
उत्तर:
(ब) रेप्टीलिया व ऐवीज के मध्य
प्रश्न 3.
उत्परिवर्तन का सिद्धान्त किस वैज्ञानिक ने दिया ? |
(अ) लैमार्क
(ब) डार्विन
(स) ह्युगो डी ब्रीज
(द) मेण्डल
उत्तर:
(स) ह्युगो डी ब्रीज
प्रश्न 4.
व्हेल के अग्रपाद क्या कहलाते हैं ?
(अ) फ्लिपर
(ब) हाथ
(स) पंख
(द) पैर ।
उत्तर:
(अ) फ्लिपर
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. पक्षी व चमगादड़ के पंख ……………. अंग हैं।
2. रीढ़ की हड्डी छोटी-छोटी ……….. से बनी होती है।
3. प्रत्येक जन्तु का भ्रूणीय विकास उसके ………… के इतिहास को दोहराता है।
4. जैव विकास ……….. व………. प्रक्रिया है।
5. डार्विन ने ………….. का सिद्धान्त दिया।
उत्तर:
1. समवृत्ति
2. कशेरुकाओं
3. जातीय विकास
4. सतत्, मन्द
5. प्राकृतिक वरण।
लघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
समजात व समवर्ती अंगों में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
समजात व समवृत्ति अंगों में अन्तर
प्रश्न 2.
जीवाश्म निर्माण की प्रक्रिया लिखिए।
उत्तर:
जीवधारियों के मृत शरीर चट्टानों विशेषकर अवसादी चट्टानों में दब जाते हैं तो कालान्तर में इनके अवशेष या चिन्ह चट्टानों में बच जाते हैं। यही जीवाश्म कहलाते हैं। कभी-कभी जीवधारियों के सम्पूर्ण शरीर जीवाश्म के रूप में परिरक्षित रहते हैं।
प्रश्न 3.
जैव विकास के क्रम को दर्शाते हुए विभिन्न जन्तुओं के हृदय की संरचनाएँ बनाइए।
उत्तर:
प्रश्न 4.
लैमार्क के विकासवाद सिद्धान्त को उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लैमार्क के अनुसार वातावरण में हुए परिवर्तनों के कारण अधिक प्रयोग में आने वाले अंग अधिक विकसित तथा कम प्रयोग में आने वाले अंग लुप्त हो जाते हैं। उदाहरण के लिए, अफ्रीकी जिराफ की अगली टाँगों और गर्दन के अधिक प्रयोग होने के कारण इनका लम्बा होना।
प्रश्न 5.
उत्परिवर्तन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
कुछ जीवधारियों में अकस्मात् कुछ भिन्न लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं। ये लक्षण वंशागत होकर पीढ़ी-दर-पीढ़ी स्थानान्तरित होते हैं। इन्हीं अकस्मात् वंशागत लक्षणों के विकसित होने की प्रक्रिया को उत्परिवर्तन (Mutation) कहते हैं।
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भ्रूणीय प्रमाण के आधार पर जैव विकास को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भ्रूणीय प्रमाण (Evidences from Embryology) – बहुकोशिकीय जीवों में लैंगिक प्रजनन द्वारा एक कोशिकीय युग्मनज (zygote) बनता है जो कि विभाजन द्वारा भ्रूण बनता है।
जब हम मछली, कछुआ, चूजा तथा मनुष्य के भ्रूणों के चित्रों का तुलनात्मक अध्ययन करते हैं तो इनकी आरम्भिक अवस्थाएँ लगभग समान दिखाई देती हैं। इससे सिद्ध होता है कि सभी पृष्ठवंशियों के पूर्वज मछली सदृश रहे होंगे तथा इनका विकास निश्चित क्रम में हुआ है। प्रत्येक जन्तु का भ्रूणीय विकास उसके जातीय विकास के इतिहास को दोहराता है। इसे पुनरावर्तन सिद्धान्त कहते हैं। इसे हेकेल नामक जर्मन वैज्ञानिक ने प्रतिपादित किया था।
प्रश्न 2.
डार्विन के सिद्धान्त के विभिन्न चरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
डार्विन का सिद्धान्त- चार्ल्स डार्विन ने जैव विकास हेतु प्राकृतिक वरण का सिद्धान्त दिया। डार्विन के सिद्धान्त के विभिन्न चरण निम्नानुसार हैं
1. सजीवों में सन्तानोत्पादन- प्रत्येक जीव अपनी जाति को बनाए रखने के लिए सन्तानोत्पादन करता है। हाथी अपने जीवनकाल में लगभग 8 सन्तानें उत्पन्न करता है। यह एक धीमा प्रजनक है। एक जोड़ी हाथी नियमित रूप से जनन करने लगे तथा इनसे उत्पन्न सभी सन्ताने नियमित रूप से जनन करती रहें तो 750 वर्ष में इस एक जोड़ी से लगभग 1900000 हाथी उत्पन्न हो जायेंगे और हाथियों की संख्या बहुत अधिक हो जाएगी। परन्तु ऐसा नहीं होता है।
2. जीवन संघर्ष- अधिक जीवों की सन्तानोत्पत्ति से जीवों की संख्या बढ़ने से जीवों में आवास और भोजन के लिए
आपस में संघर्ष होने लगता है। इसे जीवन संघर्ष कहते हैं। | यह संघर्ष अपनी जाति के जन्तुओं व अन्य जाति के जन्तुओं | से भी होता है, जो सक्षम है वही जीएगा। संघर्षों के कारण विनाश होने से प्रकृति में जीवों की संख्या सन्तुलित एवं नियमित रह जाती है।
3. प्राकृतिक वरण- जीवन संघर्ष में वे जन्तु ही जीवित रहते हैं जो अपने आपको प्रकृति अर्थात् वातावरण के अनुसार ढाल लेते हैं। यदि वे इसमें सक्षम नहीं होते हैं, तो वे नष्ट हो जाते हैं।
4. नई जातियों की उत्पत्ति- लाभदायक लक्षणों की वंशागति पीढ़ी-दर-पीढ़ी होती रहती है व हानिकारक एवं अनावश्यक लक्षण धीरे-धीरे विलुप्त या अवशेषित हो जाते हैं। कई बार विभिन्नताएँ इतनी बढ़ जाती हैं कि हजारों-लाखों वर्षों के बाद नई पीढ़ी पुरानी पीढ़ी से अत्यधिक भिन्न हो जाती है। और एक नई जाति का विकास हो जाता है। उदाहरण के लिए, आरम्भ में कुत्ता, गीदड़ व भेड़िया तीनों एक ही जाति के सदस्य थे परन्तु वातावरण परिवर्तन के कारण स्वयं को वातावरण के अनुसार बनाने के लिए इनके आकार व शारीरिक लक्षणों में अन्तर आ गया और हजारों वर्षों के बाद अन्त में कुत्ता, गीदड़ व भेड़िया तीन नई जातियाँ विकसित हो गईं।
प्रश्न 3.
जीवाश्म निर्माण प्रक्रिया समझाइए।
उत्तर:
जीवाश्म निर्माण की प्रक्रिया-किसी भी मृत जीवधारी के जीवाश्म का निर्माण तब होता है जबकि उसके
शरीर (या अंग) का क्षय होने से पूर्व मिट्टी, रेत, कीचड़ | आदि में धंस जाता है। धंसने के बावजूद विघटन की प्रक्रिया | जारी रहती है और शरीर के कोमल भाग विघटित हो जाते हैं। परन्तु शरीर के सख्त भाग ज्यों के त्यों बने रहते हैं तथा जीवाश्म कहलाते हैं। जब ये कीचड़ और रेत इत्यादि सूखकर चट्टानों में परिवर्तित होते हैं तो ये विघटित अवशेष जीवाश्मों के रूप में परिरक्षित रहते हैं। सभी जीवधारियों के जीवाश्म नहीं बन पाते हैं। केवल उन्हीं जीवधारियों के जीवाश्म बन | पाते हैं जिनकी मृत्यु उस जगह होती है, जहाँ उनके मृत शरीरों को परिरक्षण हो सके।
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