RBSE Solutions For All Chapters Vigyan Class 7
सही विकल्प का चयन कीजिए
प्रश्न 1.
गेहूँ से कंकड़ को अलग कौन-सी विधि द्वारा किया जाता है ?
(अ) फटकना
(ब) चुम्बक
(स) बीनना
(द) श्रेशिंग
उत्तर:
(स) बीनना
प्रश्न 2.
दही से मक्खन को कौन-सी विधि से अलग किया जाता है ?
(अ) आसवन
(ब) अपकेन्द्रण
(स) छानना
(द) वाष्पन
उत्तर:
(ब) अपकेन्द्रण
प्रश्न 3.
समांगी मिश्रण का उदाहरण है
(अ) शक्कर व दूध का मिश्रण
(ब) रेत व लोहे का मिश्रण।
(स) मिट्टी व पानी का मिश्रण
(द) तेल व पानी का मिश्रण
उत्तर:
(अ) शक्कर व दूध का मिश्रण
प्रश्न 4.
भाप को द्रव में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को कहते है
(अ) वाष्पन
(ब) संघनन
(स) आसवन
(द) श्रेशिंग।
उत्तर:
(ब) संघनन
रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए|
1. चने व गेहूँ के मिश्रण से चने को …………. द्वारा पृथक् किया जाता है।
2. किसी द्रव का वाष्प में बदलना ………… कहलाता है।
3. शर्बत …………का उदाहरण है।
4.दवाइयाँ बनाने में ……………. जल का प्रयोग किया जाता है।
उत्तर:
1. बीनने
2. वाष्पन
3. समांगी मिश्राण
4. आसुत
लघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
लैगून किसे कहते हैं ?
उत्तर:
समुद्र के पानी से नमक बनाने के लिए समुद्री जल को छोटी-छोटी क्यारियों में इकट्ठा किया जाता है, जिन्हें लैगून कहते हैं।
प्रश्न 2.
समांगी मिश्रण को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
समांगी मिश्रण (Homogenous Mix-ture)ऐसा मिश्रण जिसमें दो या दो से अधिक अवयव उपस्थित रहते हैं, किन्तु उन्हें अलग-अलग नहीं देखा जा सकता, समांगी मिश्रण कहलाता है; जैसे-शर्बत, नमक का जलीय विलयन, वायु आदि।।
प्रश्न 3.
नियंदन से क्या अभिप्राय है ? इसे चित्र द्वारा समझाइए।
उत्तर:
नियंदन (Filtration)-ठोस तथा द्रव के किसी मिश्रण में से अवयवों को पृथक् करना नियंदन कहलाता हैं।
प्रश्न 4.
समांगी मिश्रण तथा विषमांगी मिश्रण में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ऐसे मिश्रण जिनमें दो या दो से अधिक अवयव उपस्थित रहते हैं। किन्तु इन्हें अलग-अलग नहीं देख सकते हैं, समांगी मिश्रण कहलाते हैं; जैसे-चीनी का पानी में घोल। इसके विपरीत ऐसे मिश्रण जिनमें उनके अवयवी पदार्थों को सामान्यतः अलग-अलग देखा जा सकता है, विषमांगी मिश्रण कहलाते हैं; जैसे-पानी में तेल का मिश्रण।
प्रश्न 5.
अशुद्ध नमक से शुद्ध नमक प्राप्त करने की विधि का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अशुद्ध नमक से शुद्ध नमक को सबसे पहले पानी में घोल लिया जाती है। नमक पानी में घुल जाता है|
चाइना जबकि इसकी अशुद्धियाँ पानी में ए डिश तैरने लगती हैं। इन्हें छानकर अलग कर लिया जाता है। अब नमक के। शेष घोल को गर्म करते हैं जब तक
पूरा पानी न उड़ जाए। अब बर्तन में चित्र : वाष्पीकरण शुद्ध नमक शेष बचती है
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
रेत, नमक व लोहे की छीलन के मिश्रण में से इसके अवयवों को पृथक् करने की विधि लिखिए।
उत्तर:
रेत, नमक व लोहे की छीलन के मिश्रण में से इसके अवयवों को निम्न पदों में पृथक् किया जा सकता है|
चरण I. चुम्बकीय पृथक्करण-सबसे पहले मिश्रण को किसी कागज पर फैलाकर इसमें चुम्बक को बार-बार गुजारते हैं, जिससे लोहे की छीलन चुम्बक पर चिपक जाती है। चुम्बक से लोहे की छीलन को अलग कर लेते हैं।
चरण II. अवसादन-अब मिश्रण में रेत और नमक बचता है। मिश्रण को पानी में घोल लेते हैं और इसे थोड़ी देर के लिए छोड़ देते हैं। रेत बर्तन की तली में जमा हो जाता है। अब ऊपर के साफ दिखाई देने वाले जल को सावधानीपूर्वक दूसरे बर्तन में निथारते हुए उड़ेल लेते हैं।
चरण III. वाष्पन-विलयन में अब नमक और पानी | बचता है। विलयन को किसी चौड़े बर्तन में लेकर गर्म करते हैं। बर्तन का सारा पानी वाष्प बनकर उड़ जाता है और नमक शेष बचता है। | इस प्रकार मिश्रण के तीनों अवयव पृथक् हो जाते हैं।
प्रश्न 2.
पृथक्करण की किन्हीं चार विधियों का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पृथक्करण की विधियाँ
1. बीनना (Handpicking)-गेहूँ, चावल, दाल में अनुपयोगी पदार्थ; जैसे-अनाज, कंकड़, मिट्टी व अन्य
अशुद्धियाँ मिली होती हैं। जो प्राय: बहुत कम मात्रा में होती ।
हैं। इनकी आकृति एवं रंग गेहूँ, चावल एवं दाल से भिन्न | होता है। इन अशुद्धियों को हाथ से निकालते हैं। इस प्रक्रिया
को बीनना या हस्त चयन कहते हैं।
2. छानना (Sieving)-आटा गूंधने से पहले आटे को छानते हैं। भूसा व अन्य अशुद्धियाँ छननी के ऊपर रह जाती हैं और शुद्ध आटा छननी से छनकर नीचे आ जाता है। भवन निर्माण वाले स्थानों पर चालनों की सहायता से रेत में से कंकड़ तथा पत्थर अलग किए जाते हैं। इस प्रक्रिया को छानना या चालना कहते हैं।
3. निष्पावन (Winnowing) –घरों में आपने सूप से गेहूँ एवं चावल को फटक कर साफ करते हुए देखा होगा। सूप की सहायता से अनाज में मिली। हल्की अशुद्धि को पृथक करने की प्रक्रिया को फटकना कहते हैं। खलिहानों में किसान अनाज को ऊँचाई से गिराते । हैं, अनाज भारी होने के कारण पास में | गिरता है, जबकि हल्का भूसा वायु के बुक की प्रवाह से दूरी पर अलग हो जाता है।
सहायता से इस प्रकार किसी मिश्रण से अवयवों को पृथक करने की विधि को निष्पावन कहते हैं।
4. अपकेन्द्रण (Centrifugation) –बिलौनी की सहायता से दही को पात्र में वृत्ताकार घुमाया जाता है, जिससे भारी अवयव (छाछ) नीचे रह जाती है। एवं हल्का अवयव (मक्खन) ऊपर आ | जाता है। यह क्रिया अपकेन्द्रण कहलाती |
चित्र-अपकेन्द्रण (दही को बिलौना)
प्रश्न 3.
पदार्थों का पृथक्करण क्यों आवश्यक है ? समझाइए।
उत्तर:
मिश्रण के अवयवों को पृथक (अलग) करने की आवश्यकता-कोई भी पदार्थ उसके शुद्ध रूप में होना महत्वपूर्ण होता है। कई पदार्थों में अशुद्धियाँ मिली होने के कारण उन्हें प्रयोग में नहीं लाया जा सकता है। अतः पदार्थ के शुद्ध रूप प्राप्त करने के लिए पृथक्करण किया जाता है।
मिश्रणों से अशुद्धियों को पृथक करके हम उनकी गुणवत्ता, शुद्धता, सामर्थ्य एवं उपयोगिता बढ़ा सकते हैं। साथ ही मिश्रण के घटकों का अनुपात ज्ञात कर सकते हैं। जैसे सीमेण्ट में अशुद्धि के कारण उसकी सामर्थ्य कम हो जाती है। सोने में अशुद्धियों से उसकी चमक कम हो जाती है। अशुद्ध जल को पीने से हम बीमार हो सकते हैं। अत: हम कह सकते हैं कि मिश्रण से अवयवों को पृथक करना हमारे जीवन में अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
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