RBSE Solutions For All Chapters Vigyan Class 7
सही विकल्प का चयन कीजिए
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से किसके नष्ट होने की अवधि अधिक
(अ) केले का छिलका
(ब) लकड़ी का टुकड़ा
(स) प्लास्टिक की थैली
(द) अखबार की थैली (कागज की थैली)
उत्तर:
(स) प्लास्टिक की थैली
प्रश्न 2.
अपशिष्ट को खुले में फेंक देने से होता है
(अ) मृदा प्रदूषण
(ब) जल प्रदूषण
(स) वायु प्रदूषण
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. जैविक अपशिष्ट जीवाणु की सहायता से कम समय में ………. हो जाते हैं।
2. हम दैनिक कार्यों के दौरान जो अनावश्यक वस्तुएँ फेंक देते हैं वे …………. हैं।
3. अपशिष्ट पदार्थों को ठोस, ………… व …………. के रूप में विभाजित किया जा सकता है।
4. प्लास्टिक से बनी अनावश्यक वस्तुओं का लम्बे समय तक ………… नहीं होती है।
उत्तर:
1. अपघटित
2. कचरा
3. द्रव, गैस
4. विघटन।
लघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
रद्दी कागज को पुनः उपयोगी किस प्रकार बनाया जा सकता है ?
उत्तर:
रद्दी कागज को पुनः चक्रण द्वारा पुनः उपयोगी कागज में परिवर्तित किया जा सकता है। रद्दी के कागज का पुन: चक्रण कागज की फैक्ट्रियों में किया जाता है तथा पुनः चक्रण से प्राप्त कागज का पुनः विविध प्रकार से उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 2.
पॉलीथीन या प्लास्टिक के कारण पर्यावरण को होने वाली हानियाँ बताइए।
उत्तर:
पॉलीथीन तथा प्लास्टिक अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट हैं तथा कई वर्षों में भी अपघटित नहीं होते हैं। ये प्रदूषक पर्यावरण की सुन्दरता नष्ट करते हैं तथा पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। पशुओं द्वारा कचरे के साथ-साथ कभी-कभी पॉलीथीन की थैलियाँ खा लेने से उनकी असमय मृत्यु हो जाती है। नालों के निकास द्वार पर पॉलीथीन हँसने से नाले अवरुद्ध हो जाते हैं तथा शहर में जगह-जगह जल भराव हो जाता है। जल भराव के कारण मच्छर तथा अनेक हानिकारक सूक्ष्म जीव पनपकर मानव समुदाय को रोगी बनाते हैं।
प्रश्न 3.
अपशिष्ट पदार्थ हमारे स्वास्थ्य को किस प्रकार प्रभावित करते हैं ?
उत्तर:
अपशिष्ट पदार्थों के कारण हम विभिन्न रोगों; जैसे-अस्थमा, डेंगू, वायरल बुखार, दस्त, मलेरिया, हैजा आदि से संक्रमित हो जाते हैं, क्योंकि इनके रोगकारक अपशिष्ट पदार्थों में पनपते हैं। अतः हमें यह स्मरण रखना चाहिए कि कचरा (अपशिष्ट पदार्थों) का निपटान व्यवस्थित रूप से किया जाये।
प्रश्न 4.
घरेलू कचरे को अलग-अलग डिब्बों में एकत्रित करने से क्या लाभ है ?
उत्तर:
घरेलू कचरे को उसकी प्रकृति के अनुसार जैव निम्नीकरणीय व अजैवनिम्नीकरणीय अपशिष्टों के रूप में वर्गीकृत करके अलग-अलग डिब्बों में एकत्रित किया जा सकता है तथा इनका उचित निस्तारण किया जा सकता है। उदाहरणार्थ-घरेलू कचरे में उपस्थित फल-सब्जी के छिलकों, मल-गोबर, पेड़-पौधों की पत्तियाँ, सड़ी-गली वस्तुओं से खाद प्राप्त की जाती है जिसका प्रयोग हम खेतों में कर सकते हैं। अतः घरेलू कचरे का निस्तारण भी हो जाता है। तथा हमें उपयोगी पदार्थ भी प्राप्त हो जाते हैं।
प्रश्न 5.
पुनः चक्रण विधि द्वारा किन-किन अपशिष्ट पदार्थों का निपटान किया जाता है ?
उत्तर:
पुनः चक्रण विधि द्वारा प्लास्टिक एवं काँच की अपशिष्ट सामग्री का निपटान किया जाता है। इनका फैक्ट्रियों में पुनः चक्रण करके उपयोगी वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। पुनः चक्रण के समय इनमें कुछ रंग प्रदान करने वाले अभिकर्मक मिला दिए जाते हैं। विशेष रूप से ऐसी सामग्री का उपयोग खाद्य सामग्री के संरक्षण हेतु बैग, पैकिंग बोरी, डिब्बा आदि में किया जाता है।
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
घर के कचरे का प्रबन्धन कैसे किया जा सकता है ? विस्तार से समझाइए।
उत्तर:
घर के कचरे का प्रबन्धन करने के लिए तीन डिब्बे रखे जाने चाहिए-एक हरा डिब्बा जिसमें पत्ते, फल एवं सब्जी के छिलके, खराब भोजन सामग्री आदि जैविक अपशिष्ट एकत्र करें। दूसरा डिब्बा नीला जिसमें अपशिष्ट सामग्री; जैसे-प्लास्टिक की सामग्री, काँच के टुकड़े व चीनी के बर्तन एकत्र करें। तीसरा काला डिब्बा, जिसमें विषैले पदार्थ, दवाइयों के अपशिष्ट, बैटरी सेल, अनुपयोगी दवाई, पेण्ट, तेल, सीरिंज, सौन्दर्य प्रसाधन सामग्री को एकत्रित करें। उपर्युक्त विधि के अनुसार कचरे का प्रबन्धन करके उनका समुचित निस्तारण किया जा सकता है।
प्रश्न 2.
जैविक अपशिष्ट पदार्थ व अजैविक अपशिष्ट पदार्थ में क्या अन्तर है ? उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
(i) जैविक अपशिष्ट पदार्थ- ये अपशिष्ट पदार्थ जीवधारियों से प्राप्त होते हैं तथा जीवाणुओं द्वारा अपघटित होकर खाद बनाते हैं। ये पदार्थ जल्दी अपघटित होकर एवं सड़कर मृदा में लि जाते हैं। जैसे-पेड़-पौधों की पत्तियाँ, फल-सब्जी के छिलके, माँस, रद्दी कागज, कपड़ा, मल, गोबर आदि ऐसे पदार्थ जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थ कहलाते हैं।
(ii) अजैविक अपशिष्ट पदार्थ- ये अपशिष्ट पदार्थ सामान्यतः मनुष्य द्वारा उद्योगों में निर्मित पदार्थ होते हैं। ये अपशिष्ट जीवाणुओं द्वारा अपघटित नहीं होकर मृदा में नहीं मिलते हैं। एवं चारों ओर पर्यावरणीय प्रदूषण उत्पन्न करते हैं।
उदाहरणार्थ- पेण्ट, काँच, धातु के टुकड़े, प्लास्टिक की वस्तुएँ आदि ऐसे पदार्थ अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थ कहलाते हैं।
प्रश्न 3.
अजैविक पदार्थों के निपटान की कौन-कौन सी विधियाँ हैं ? समझाइए।
उत्तर:
अजैविक अपशिष्ट पदार्थों के निस्तारण की निम्न विधियाँ हैं
(1) उपयोग की मात्रा कम करना (Reduce)- अनुपयोगी पदार्थों की मात्रा कम करना; जैसे-टूटा टिन का डिब्बा, प्लास्टिक की बोतल, डिब्बा, टूटी मटकी आदि अनुपयोगी सामग्री का उपयोग छोटे-छोटे फूल, सब्जी के पौधे लगाकर घरेलू उपयोग में ले सकते हैं। ऐसी अन्य सामग्री को कचरे से अलग करने से अनुपयोगी सामग्री की मात्रा कम की जा सकती है।
(2) पुनः उपयोग में लेना (Reuse)- घरेलू अनुपयोगी सामग्री में से ऐसी सामग्री को पृथक् करें जिनको पुनः उपयोग में लिया जा सकता है; जैसे-बैटरी, धातु के बर्तन, लोहे की छड़े, टूटे डिब्बे, काँच की बोतल, जूट की सामग्री आदि को दूसरे घरेलू कार्यों हेतु उपयोग में लिया जा सकता है।
(3) पुनः चक्रण (Recycle)- प्लास्टिक एवं काँच की अपशिष्ट सामग्री को अनुपयोगी सामग्री से अलग कर इनको फैक्ट्रियों में पुनः चक्रण के लिए भेज दिया जाता है। तथा इनसे उपयोगी वस्तुएँ बनायी जाती हैं। पुनः चक्रण के समय इनमें कुछ रंग प्रदान करने के लिए अभिकर्मक मिला दिए जाते हैं। विशेष रूप से ऐसी सामग्री का उपयोग खाद्य सामग्री के संरक्षण हेतु बैग, पैकिंग बोरी, डिब्बा आदि बनाने में किया जाता है।
प्रश्न 4.
जैविक अपशिष्ट पदार्थों के निपटान की कौन-कौन सी विधियाँ हैं ? समझाइए।
उत्तर:
जैविक अपशिष्ट पदार्थों के निपटान की निम्न विधियाँ हैं
1. कम्पोस्टिंग- इस विधि द्वारा जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थों; जैसे-फल-सब्जी के छिलकों, मल-गोबर, पेड़-पौधों की पत्तियाँ, घास-फूस, सड़ी-गली वस्तुओं का निस्तारण करके खाद बनायी जाती है। इस प्रकार की सामग्री को एक गड़े में डाल देते हैं। गड़ा किसी छायादार कोने में बनाया जाता है तत्पश्चात् इस गड्डे को इस प्रकार हँकते हैं कि उसमें नमी बनी रहे और हवा मिलती रहे। कुछ समय बाद यह सामग्री जीवाणु द्वारा अपघटित होकर खाद में बदल जाती है। जिसका उपयोग खेतों में कर सकते हैं, इसे कम्पोस्ट कहते हैं। गोबर गैस प्लाण्ट में प्रयुक्त गाय व भैंस का गोबर कुछ समय बाद खाद में बदल जाता है तथा इससे ईंधन गैस प्राप्त होती है।
2. वर्मी कम्पोस्टिंग- इस विधि में जैविक अपशिष्ट पदार्थों में लाल केंचुए (Red Earthworm) मिलाते हैं। ये केंचुए कार्बनिक पदार्थ खाते हैं। इनसे निकलने वाला अपशिष्ट पदार्थ उच्च गुणवत्ता युक्त खाद होता है जिसे वर्मी कम्पोस्ट खाद कहते हैं। यह प्रक्रिया वर्मी कम्पोस्टिंग कहलाती है।
3. लैंडफिलिंग- इस विधि में ठोस अपशिष्ट पदार्थ को शहर या कस्बे के बाहर गड़े में एकत्रित करके मिट्टी की परत से ढंक देते हैं। कुछ समय बाद ये अपशिष्ट अपघटित हो जाते हैं।
Leave a Reply