RBSE Solutions For All Chapters Vigyan Class 7
सही विकल्प का चयन कीजिए
प्रश्न 1.
वनों से हमें क्या लाभ हैं
(अ) भूजलस्तर बढ़ता है।
(ब) वातावरणीय तापमान को नियन्त्रित करते हैं।
(स) भूमि का उपजाऊपन बढ़ाते हैं
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 2.
वनोन्मूलन का दुष्परिणाम है
(अ) मृदा अपरदन में वृद्धि
(ब) मृदा अपरदन में कमी
(स) वन्यजीव जन्तुओं की संख्या में वृद्धि
(द) वर्षा में वृद्धि
उत्तर:
(अ) मृदा अपरदन में वृद्धि
प्रश्न 3.
राजस्थान का राज्य पुष्प व वृक्ष है
(अ) रोहिड़ा व खेजड़ी
(ब) जाल व रोहिड़ा
(स) रोहिड़ा व नीम
(द) कमल व बरगद
उत्तर:
(अ) रोहिड़ा व खेजड़ी
प्रश्न 4.
राजस्थान का राज्य-पक्षी है
(अ) कबूतर
(ब) मोर
(स) गोडावण
(द) तोता
उत्तर:
(स) गोडावण
उत्तर:
(अ) (iv)
(ब) (iii)
(स) (i)
(द) (ii)
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. भूमि का वह बड़ा क्षेत्र, जो पेड़-पौधों से ढका हो, वन्य जीव-जन्तु पाये जाते हैं, ………… कहलाता है।
2. वन ……….. अपरदन रोकते हैं।
3. वन ……………. का आवास है।
4. वन्य जीव संरक्षण हेतु राष्ट्रीय उद्यान एवं ……………. की स्थापना की गई।
उत्तर:
1. वन
2. मृदा
3. वन्य जीवों
4. अभयारण्यों।
लघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
वनोन्मूलन के कारण लिखिए।
उत्तर:
वनोन्मूलन के कारण
- तेजी से बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण एवं औद्योगीकरण हेतु आवास, कृषि एवं कल-कारखानों के लिए अतिरिक्त भूमि की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु वनों की अनियोजित एवं अंधाधुंध कटाई करना।
- बाँध, सड़क निर्माण, खनन, नदी-घाटी परियोजनाओं आदि के लिए भी वन क्षेत्रों में पेड़-पौधों की कटाई की जा रही है।
- जलाने के लिए औद्योगिक माँग एवं इमारती लकड़ी की आपूर्ति हेतु वनों की अंधाधुंध कटाई वनोन्मूलन का प्रमुख कारण हैं।
प्रश्न 2.
वनोन्मूलन के दुष्परिणाम लिखिए।
उत्तर:
वन, सम्पदा के आवश्यकता से अधिक दोहन के प्रमुख दुष्परिणाम निम्नलिखित हैं |
- पर्यावरण का सन्तुलन बिगड़ना।
- वर्षा में कमी।
- मृदा अपरदन में वृद्धि।
- वातावरणीय तापमान में वृद्धि।
- भू-जलस्तर में कमी।
- वन्य जीव-जन्तुओं की संख्या एवं प्रजातियों में कमी से जैव विविधता क्षरण में वृद्धि।
- वनोपज में कमी।
- बाढ़, सूखा, प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि एवं रेगिस्तानी क्षेत्र में वृद्धि आदि प्रमुख हैं।
प्रश्न 3.
वनों से होने वाले लाभों को लिखिए।
उत्तर:
वनों से होने वाले लाभ-
- वनों से अनेक प्रकार के घरेलू, व्यावसायिक तथा उद्योगों के उपयोगों के लिए लकड़ी प्राप्त होती है।
- वनों से हमें जड़ी-बूटियों के रूप में औषधियाँ तथा महत्वपूर्ण व्यावसायिक उत्पाद; जैसे-रबड़, मोम, बाँस, घास, चारा, कत्था, रेजिन आदि ‘प्राप्त होते हैं।
- वन ध्वनि तथा अन्य प्रकार के प्रदूषण को कम करते हैं।
- पशु-पक्षियों व जीव-जन्तुओं के लिए वन श्रेष्ठतम | आवास हैं।
- ये प्राकृतिक सौन्दर्य में वृद्धि करते हैं।
- वायु की आर्द्रता बनाए रखते हैं।
- भूमि के उपजाऊपन को बढ़ाते हैं।
- भू-जल स्तर एवं मृदा-जल स्तर की वृद्धि में सहायक हैं।
- मृदा अपरदन व भूमि कटाव को रोकते हैं।
- प्राणवायु के रूप में वन हमें ऑक्सीजन देते हैं, इससे हमारा वातावरण शुद्ध होता है।
- यह वर्षा में सहायक होते हैं।
प्रश्न 4.
राजस्थान के वन्य जीवों की प्रमुख प्रजातियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
(1) बाघ
(2) तेन्दुआ (बघेरा)
(3) जरख
(4) भेड़िया
(5) लोमड़ी
(6) सियार
(7) जंगली सुअर
(8) हिरण और मृग
(9) काला हिरण (कृष्णसार)
(10) नील गाय
(11) चीतल
(12) सांभर
(13) खरगोश
(14) सेही।
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
वन संरक्षण के लिए अपने सुझाव लिखिए।
उत्तर:
वनों के संरक्षण के लिए हमें निम्नलिखित प्रयास करने चाहिए
- अधिकाधिक वृक्षारोपण करना चाहिए।
- वनों की आग से सुरक्षा के समुचित प्रबन्ध होने चाहिए।
- वृक्षों का विभिन्न बीमारियों से बचाव किया जाना चाहिए।
- जनजागरण कार्यक्रमों से वृक्षारोपण को प्रेरित करना चाहिए।
- अवैधानिक तरीकों से वनों की कटाई करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए।
- वनों को बचाने व पर्यावरण संरक्षण हेतु हम सभी की भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए।
- सरकार, न्यायालयों एवं संवैधानिक संस्थाओं द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करना चाहिए।
- उत्साह व उमंग के साथ वन्य-जीव एवं वन संरक्षण सप्ताह का आयोजन करना चाहिए।
प्रश्न 2.
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान व रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान के बारे में लिखिए।
उत्तर:
(i) केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान- यह विश्वविख्यात राष्ट्रीय उद्यान भरतपुर के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। यह विश्व के सबसे अधिक आकर्षित करने वाले जले पक्षियों की शरणस्थली है। यह उद्यान भरतपुर जिले की गम्भीरी व बाणगंगा नदियों के संगम पर स्थित है। पूर्व में इसे ‘घना बर्ड सेंचुरी’ के नाम से जाना जाता था। यहाँ भारतीय पक्षियों की अनेक जातियाँ पायी जाती हैं तथा विशेष ऋतु में यहाँ प्रवासी पक्षी यथा-साइबेरियन सारस, जल मुर्गियाँ आदि आते हैं।
(ii) रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान- यह उद्यान सवाई माधोपुर के निकट ऐतिहासिक दुर्ग रणथम्भौर के चारों ओर कई वर्ग | किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यहाँ बाघों की गिरती संख्या रोकने हेतु बाघ परियोजना प्रारम्भ की गई। यहाँ बाघ, सियार, तेन्दुआ, नीलगाय, हिरण, जंगली सुअर, सांभर आदि बहुतायत में पाए जाते हैं। यह बाघ संरक्षण हेतु भारत सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना है।
प्रश्न 4.
यदि वन नहीं होते तो क्या प्रभाव पड़ता है ? विस्तार से समझाइए।
उत्तर:
वनों के न होने पर निम्न दुष्प्रभाव पड़ते हैं
(i) हमें घरेलू, व्यावसायिक तथा उद्योगों के लिए लकड़ी प्राप्त नहीं होती। साथ ही हमें विभिन्न जड़ी-बूटियाँ, औषधियाँ तथा महत्वपूर्ण व्यावसायिक उत्पाद; जैसे-रबड़, मोम, बाँस, घास, चारा, कत्था, रेजिन आदि प्राप्त नहीं हो पाते।
(ii) वन प्राकृतिक सौन्दर्य में वृद्धि करते हैं तथा पशु-पक्षियों तथा वन्य जीवों के लिए श्रेष्ठतम आवास हैं। अतः वन न होने पर जीव-जन्तुओं के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
(iii) वन जलवायु नियन्त्रक के रूप में कार्य करते हैं तथा वनों से तापमान में कमी आती है। वृक्षों के रन्ध्रों से वाष्पित जल वायु की आर्द्रता (humidity) बनाए रखता है। वनों के न होने पर वायु की आर्द्रता कम हो जाती है तथा तापमान में वृद्धि होती है।
(iv) वन में पेड़ पानी के तेज बहाव को कम करते हैं जिससे पानी रिस-रिस कर भूमि में पहुँचता रहता है, जिससे भू-जलस्तर में वृद्धि होती है। वनों के न होने पर भू-जलस्तर में कमी आ जाती है।
(v) वनों के न होने पर मृदा अपरदन बढ़ जाता है।
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