RBSE Solutions For All Chapters Vigyan Class 7
सही विकल्प का चयन कीजिए।
प्रश्न 1.
ह्यूमरस के लम्बे मध्य भाग को क्या कहते हैं ?
(अ) शाफ्ट
(ब) मेखला
(स) सन्धि
(द) कार्पल।
उत्तर:
(अ) शाफ्ट
प्रश्न 2.
हाथ के अंगूठे में अस्थियों की संख्या होती है
(अ) 1
(ब) 2
(स) 3
(द) 4.
उत्तर:
(ब) 2
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए|
(i) हथेली में अस्थियों की संख्या ………… होती है।
(ii) कंधे की अस्थि को ………… कहते हैं।
(iii) हाथ और पैर की प्रत्येक अंगुली में ……….. अस्थियाँ होती हैं।
(iv) माँसपेशियों में ……एवं ……. की क्षमता होती है जो कि गति में सहायक है।
उत्तर:
(i) 5
(ii) अंशमेखला
(iii) तीन
(iv) सिकुड़ने, फैलने
लघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
रेडियो अल्ना अस्थि के बारे में बताइए।
उत्तर:
रेडियो एवं अल्ना हमारे हाथ की कलाई की दो अस्थियाँ होती हैं। पहली हाथ के अन्दर की ओर तथा दूसरी हाथ के बाहर की ओर स्थित होती है। इनका कोहनी की तरफ का सिरा ह्यूमरस से एवं निचला सिरा कलाई की
अस्थियों से जुड़ा रहता है।
प्रश्न 2.
फीमर अस्थि का अग्र एवं पश्च सिरा कौन-सी अस्थि से जुड़ा होता है ?
उत्तर:
फीमर अस्थि का अग्र सिरा कूल्हे की अस्थि से तथा पश्च सिरा टिबिया फिबुला से जुड़ा होता है।
प्रश्न 3.
अंस मेखला एवं श्रोणि मेखला के बारे में बताइए।
उत्तर:
कंधे की अस्थि को अंस मेखला कहते हैं। अंस मेखला से हमारे हाथ की अस्थि जुड़ी होती है। कूल्हे की अस्थि को श्रोणि मेखला कहते हैं। पैर की फीमर अस्थि श्रोणि मेखला से जुड़ी होती है। ये दोनों मेखलाएँ हमारे कंकाल तन्त्र का आधार हैं।
प्रश्न 4.
रीढ़ की हड्डी में कितनी कशेरुकाएँ पायी जाती हैं ?
उत्तर:
रीढ़ की हड्डी में 33 कशेरुकाएँ पायी जाती हैं।
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कंकाल तन्त्र किसे कहते हैं ? नामांकित चित्र बनाइए एवं कंकाल तन्त्र के कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कंकाल तन्त्र (Skeleton system)- अस्थियों व उपास्थियों से मिलकर बने शरीर के ढाँचे को कंकाल तन्त्र कहते हैं। कंकाल तन्त्र के कार्य
(i) यह शरीर को निश्चित आकृति एवं आधार प्रदान करता है।
(ii) शरीर के आन्तरिक कोमल अंगों की बाह्य आधातों से रक्षा करता है।
(iii) कंकाल तन्त्र पेशियों की सहायता से सम्पूर्ण शरीर एवं शरीर के अंगों को गति प्रदान करता
(iv) शरीर को मजबूती प्रदान करता है।
प्रश्न 2.
सन्धियाँ किसे कहते हैं ? किन्हीं दो सन्धियों का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सन्धियाँ (Joints)- कंकाल तन्त्र की अस्थियाँ आपस में जिन स्थानों पर जुड़ती हैं, इन्हें सन्धियाँ कहते हैं।
1. कन्दुक खल्लिका संधि-इस प्रकार की सन्धि की रचना में एक अस्थि का सिरा गुहार्नुमा एवं दूसरी अस्थि का सिरा गोल होता है। गुहा को खल्लिका एवं गोल सिरे को कन्दुक (गेंद) कहते हैं। इस विशेष संरचना के कारण इस सन्धि को कन्दुक-खल्लिका सन्धि कहते हैं।
इस सन्धि पर गोल सिरे वाली अस्थि आसानी से सभी दिशाओं में घूम सकती है। उदाहरण
(i) अंस मेखला में हाथ की अस्थि-यूमरस ।
(ii) श्रोणि मेखला से पैर की अस्थि- फीमर ।।
2. कोर सन्धि– इस प्रकार की सन्धि में एक अस्थि का गोल सिरा दूसरी अस्थि के अवतल भाग से जुड़ा रहता है। उदाहरण-कोहनी एवं घुटने की सन्धि।
प्रश्न 3.
माँसपेशियाँ क्या होती हैं ? ये शरीर की गति में किस प्रकार सहायक होती हैं ? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
माँसपेशियाँ (Muscles)- माँसपेशियाँ संकुचनशील पेशियों से बनी होती हैं जिनमें सिकुड़ने एवं फैलने की क्षमता होती है।
किसी अस्थि को गतिमान करने के लिए दो प्रकार की पेशियाँ मिलकर कार्य करती हैं। जब एक पेशी सिकुड़ती है तो अस्थि उस दिशा में खिंच जाती है एवं दूसरी पेशी शिथिल अवस्था में आ जाती है। अस्थि को विपरीत दिशा में गति देने के लिए पूर्व में सिकुड़ी हुई पेशियाँ शिथिल एवं शिथिल हुई पेशियाँ सिकुड़ती हैं। शरीर को गति प्रदान करने के लिए दोनों प्रकार की पेशियाँ संयुक्त रूप से कार्य करती हैं। अस्थियों में गति माँसपेशियों के सिकुड़ने एवं फैलने से होती हैं।
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