यो जानाति सः पण्डितः
संस्कृत साहित्य में पहेलियों का एक विशिष्ट स्थान है। ये पहेलियाँ बच्चों से लेकर वृद्धों तक सभी के मानसिक उल्लास को बढ़ाती हैं, बुद्धि की तार्किक शक्ति का विकास करती हैं और चिंतन क्षमता को प्रगाढ़ करती हैं। ये पहेलियाँ प्राचीन कवियों की बुद्धिमत्ता और कल्पनाशक्ति को भी दर्शाती हैं।
पहेली 1:
भोजन के अंत में क्या पीना चाहिए?
(उत्तर: तक्र, यानी छाछ)
जयंत किसका पुत्र है?
(उत्तर: इन्द्र का)
विष्णु के चरणों का उल्लेख किस प्रकार हुआ है?
(उत्तर: दुर्लभम् )
पहेली 2:
न उसका आदि है, न अंत, पर वह बीच में स्थित है। यह तुम्हारे पास भी है, मेरे पास भी है। यदि तुम जानते हो, तो बताओ।
(उत्तर: नयन)
पहेली 3:
पेड़ के आगे फल दिखाई देता है, और फल के आगे पेड़।
जो “अ” से शुरू होकर “स” पर खत्म होता है, उसे जो जानता है, वह पंडित है।
(अनानास)
पहेली 4:
मनुष्य काशी में क्या चाहता है?
(उत्तर: मृत्यु)
युद्ध में राजाओं के लिए क्या शुभ होता है?
(उत्तर: विजय)
सभी देवताओं में कौन वंदनीय है?
(उत्तर: मृत्युंजय)
एक शब्द में उत्तर दें।
(शिव:)
पहेली 5:
कुम्हार के घर में एक आधा क्या है?
(उत्तर: कुम्भ, यानी घड़ा)
हस्तिनापुर में दूसरा आधा क्या है?
(उत्तर: कर्ण)
दोनों को मिलाकर लंका में क्या है?
(उत्तर: कुम्भकर्ण)
Leave a Reply