Notes For All Chapters Hindi Kritika Class 10 CBSE
‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ में लेखक ने अपने लिखने के कारणों के साथ-साथ एक लेखक के प्रेरणा-स्रोतों पर भी प्रकाश डाला है। लेखक के अनुसार लिखे बिना लिखने के कारणों को नहीं जाना जा सकता। वह अपनी आंतरिक व्याकुलता से मुक्ति पाने तथा तटस्थ होकर उसे देखने और पहचानने के लिए लिखता है।
प्रायः प्रत्येक रचनाकार की आत्मानुभूति ही उसे लेखन कार्य के लिए प्रेरित करती है, किंतु कुछ बाहरी दबाव भी होते हैं। ये बाहरी दबाव भी कई बार रचनाकार को लिखने के लिए बाध्य करते हैं। इन बाहरी दबावों में संपादकों का आग्रह, प्रकाशक का तकाजा तथा आर्थिक आवश्यकता आदि प्रमुख हैं। लेखक का मत है कि वह बाहरी दबावों से कम प्रभावित होता है। उसे तो उसकी भीतरी विवशता ही लिखने की ओर प्रेरित करती है। उसका मानना है कि प्रत्यक्ष अनुभव से अनुभूति गहरी चीज है।
एक रचनाकार को अनुभव सामने घटित घटना को देखकर होता है, किंतु अनुभूति संवेदना और कल्पना के द्वारा उस सत्य को भी ग्रहण कर लेती है जो रचनाकार के सामने घटित नहीं हुआ। फिर वह सत्य आत्मा के सामने ज्वलंत प्रकाश में आ जाता है और रचनाकार उसका वर्णन करता है।
लेखक बताता है कि उसके द्वारा लिखी ‘हिरोशिमा’ नामक कविता भी ऐसी ही है। एक बार जब वह जापान गया, तो वहाँ हिरोशिमा में उसने देखा कि एक पत्थर बुरी तरह झुलसा हुआ है और उस पर एक व्यक्ति की लंबी उजली छाया है। विज्ञान का विद्यार्थी होने के कारण उसे रेडियोधर्मी प्रभावों की जानकारी थी। उसे देखकर उसने अनुमान लगाया कि जब हिरोशिमा पर अणु-बम गिराया गया होगा, तो उस समय वह व्यक्ति इस पत्थर के पास खड़ा होगा। अणु-बम के प्रभाव से वह भाप बनकर उड़ गया, किंतु उसकी छाया उस पत्थर पर ही रह गई।
लेखक को उस झुलसे हुए पत्थर ने झकझोर कर रख दिया। वह हिरोशिमा पर गिराए गए अणु-बम की भयानकता की कल्पना करके बहुत दुखी हुआ। उस समय उसे ऐसे लगा, मानो वह उस दु:खद घटना के समय वहाँ मौजूद रहा हो। इस त्रासदी से उसके भीतर जो व्याकुलता पैदा हुई, उसी का परिणाम उसके द्वारा हिरोशिमा पर लिखी कविता थी। लेखक कहता है कि यह कविता ‘हिरोशिमा’ जैसी भी हो, वह उसकी अनुभूति से पैदा हुई थी। यही उसके लिए महत्वपूर्ण था।
Leave a Reply