यक्ष-युधिष्ठिरसंवादः
लिखित:
1. एकपदेन उत्तरत –
(क) किंस्विद्गुरुतरं भूमे : ?
पृथ्वी पर सबसे भारी क्या है?
(ख) किंस्विद्बहुतरं तृणात् ?
घास से अधिक क्या होता है?
(ग) किं हित्वा मानवः प्रियो भवति ?
किस चीज़ को छोड़ने के बाद मनुष्य प्रिय होता है?
(घ) मानवः किं हित्वार्थवान्भवति ?
मनुष्य किस चीज़ को छोड़ने के बाद विद्वान् बनता है?
(ङ) कथं पुरुषः मृतः स्यात् ?
मनुष्य किस स्थिति में मृत होता है?
उत्तर-
(क) माता
(ख) चिन्ता
(ग) मानं
(घ) लोभं
(ङ) दरिद्रः
2. कोष्ठकात् उचितं पदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत-
(क) _____ शीघ्रतरं वायोः । (मनः / चिन्ताया:)
(ख) मानवः ____ हित्वा प्रियो भवति । (मानं / लोभं)
(ग) मानवः …….हित्वा न शोचति । (कामं / लोभं)
(घ) ____ पुरुषः मृतः स्यात् । ( दरिद्रः / नीचः )
(ङ) ………. श्राद्धं मृतम् । ( अदक्षिणः / अश्रोत्रियम्)
उत्तर-
(क) मनः शीघ्रतरं वायोः।
मन वायु से भी तेज होता है (अर्थात मन बहुत तेजी से चलता है)।
(ख) मानवः मानं हित्वा प्रियो भवति।
मानव अपना मान- अपमान छोड़कर प्रिय होता है (अर्थात मानव अपने अहंकार को छोड़कर प्रिय होता है)।
(ग) मानवः लोभं हित्वा न शोचति।
मानव लोभ को छोड़कर नहीं शोक करता (अर्थात मानव लोभ को छोड़कर दुखी नहीं होता है)।
(घ) दरिद्रः पुरुषः मृतः स्यात्।
गरीब पुरुष मृत होता है (अर्थात गरीबी मृत्यु के समान है)।
(ङ) अश्रोत्रियम् श्राद्धं मृतम्।
जिसे कोई नहीं सुनता, उसका श्राद्ध मृत होता है (अर्थात जिसकी कोई परवाह नहीं करता, उसकी पूजा या श्राद्ध व्यर्थ होता है)।
3. सुमेलनं कुरुत
उत्तर-
(क) तृणात् बहुतरी – चिन्ता
(ख) मित्रं प्रवसतो – विद्या
(ग) आतुरस्य मित्रम् – भिषक्
(घ) गृहे मित्रम् – भार्या
(ङ) मानरहितः पुरुषः – सुखी भवति
(च) लोभरहितः पुरुषः – प्रियो भवति
4. सत्यम् असत्यं वा लिखत:
उत्तर-
(क) माता गुरुतरा भूमेः। (सत्यं)
माता भूमि से अधिक गुरुत्वपूर्ण है (अर्थात माता बहुत महत्वपूर्ण है)। (सत्य)
(ख) मनः वातात् शीघ्रतरम्। (सत्यं)
मन वायु से भी तेज होता है (अर्थात मन बहुत तेजी से चलता है)। (सत्य)
(ग) सुराजकं राष्ट्रं मृतम्। (असत्यं)
सुराजक राष्ट्र मृत होता है (अर्थात अच्छे शासन वाला राष्ट्र मृत होता है)। (असत्य – अच्छे शासन वाला राष्ट्र जीवित रहता है)
(घ) सदक्षिणः यज्ञः मृतः। (असत्यं)
सदक्षिण यज्ञ मृत होता है (अर्थात अच्छे दान वाला यज्ञ मृत होता है)। (असत्य – अच्छे दान वाला यज्ञ जीवित रहता है)
(ङ) मानवः लोभं हित्वा दुःखी भवति। (असत्यं)
मानव लोभ को छोड़कर दुखी होता है (अर्थात मानव लोभ को छोड़कर दुखी होता है)। (असत्य – मानव लोभ को छोड़कर दुखी नहीं होता है)
5. उदाहरणानुसारं लिखत रेखाङ्कितपदे का विभक्तः प्रयुक्ता:
यथा . – मोहनः “जनकेन” सह गच्छति । तृतीयाविभक्तिः)
उत्तर-
(क) गृहे भार्या मित्रम् अस्ति | ____ | – प्रथमा
(ख) “आतुरस्य” भिषक् मित्रम् अस्ति | ____ | – तृतीया
(ग) “माता” भूमेः गुरुतरा भवति | ____ | – प्रथमा
(घ) सः “चौरात्” बिभेति | ____ | – द्वितीया
(ङ) रामः “गृहम्” गच्छति | ____ | – द्वितीया
6. सुमेलनं कुरुत:
(क) मरिष्यतः मित्रम् – दानम्
(ख) आतुरस्य मित्रम् – भिषक्
(ग) प्रवसतः मित्रम् – विद्या
(घ) गृहे मित्रम् – भार्या
(ङ) लोभं हित्वा – सुखी भवेत्
(च) मृतं राष्ट्रम् – अराजकम्
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