मौखिकः
2. निम्नलिखितानां पदानाम् अर्थं वदत-
अहोरात्रम्, ऊर्जस: सङ्क्रान्तिहेतुना, मासानृतूंश्च, सर्वैर्भिषग्भिश्च, भास्करस्योर्जसा, रूपदः, ज्ञानदः ।
उत्तर-
अहोरात्रम् – दिन और रात
ऊर्जस: सङ्क्रान्तिहेतुना – ऊर्जा के संक्रमण के कारण
मासानृतूंश्च – महीनों और ऋतुओं को
सर्वैर्भिषग्भिश्च – सभी चिकित्सकों द्वारा
भास्करस्योर्जसा – भास्कर (सूर्य) की ऊर्जा से
रूपदः – रूप प्रदान करने वाला
ज्ञानदः – ज्ञान देने वाला
लिखित:
2. निम्नलिखितानां पदानां सन्धिं सन्धिविच्छेदं वा कुरुत
उत्तर-
(क) सूर्योऽयम् – सूर्यः + अयम्
(ख) मासानृतूंश्च – मासान् + ऋतून् + च
(ग) सर्वैर्भिषग्भिश्च – सर्वैः + भिषग्भिः + च
(घ) भास्करस्योर्जसा – भास्करस्य + ऊर्जसा
(ङ) यत्त्वक्रोगस्य – यत् + त्वक् + रोगस्य
3. अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तरम् एकपदेन लिखत-
(क) नक्षत्ररूपः स्वप्रकाशेन दीप्तिमान् कः?
स्वयं प्रकाश से जो चमकता है, वह कौन है?
उत्तर: सूर्य:
(ख) कः अहोरात्रं विभजते?
दिन और रात को कौन विभाजित करता है?
उत्तर: सूर्य:
(ग) सूर्यः कथं मासानृतूंश्च तनुते?
सूर्य मासों और ऋतुओं को कैसे नियंत्रित करता है?
उत्तर: सङ्क्रान्तिहेतुना (संक्रांति के कारण)
(घ) सूर्यः कस्य महास्रोतः?
सूर्य किसका महान स्रोत है?
उत्तर: ओर्जसः (ऊर्जा का)
(ङ) कस्य प्रकाशे पादपाः विकसन्ति?
किसके प्रकाश में पौधे विकसित होते हैं?
उत्तर: सूर्य:
4. अधोलिखितेषु कोष्ठपदेन उचितं पदं चित्वा रिक्तस्थानं पूरयतः
उत्तर-
(क) ग्रहाणां प्रकाशक: सूर्यः ।
(सूर्य ग्रहों का प्रकाशक है।)
(ख) वसन्तः ग्रीष्मः वर्षाः च भवन्ति सूर्यस्य पृथिव्याः समीपत्वाद् ।
(वसंत, ग्रीष्म और वर्षा सूर्य और पृथ्वी की निकटता के कारण होते हैं।)
(ग) रोगादिशमने मुख्यतः भानोर्भानवः अपेक्षितः।
(रोगों के नाश के लिए मुख्य रूप से सूर्य की किरणों की आवश्यकता होती है।)
(घ) पुराकाले प्रभाकरः देवः व्रताय कल्पते स्म।
(पुराने समय में सूर्य को देव माना जाता था और उसकी पूजा की जाती थी।)
(ङ) अरूपाय रूपदः रविः ।
(सूर्य अरूप को रूप देता है।)
5. वाक्यनिर्माणं कुरुत – सूर्य: अहोरात्रम्, फलानि, कथ्यते, भवति|
उत्तर-
i) सूर्यः अहोरात्रं विभजति।
सूर्य दिन और रात को विभाजित करता है।
ii) पादपेषु सूर्यस्य प्रकाशे फलानि जायन्ते।
पौधों में सूर्य के प्रकाश से फल लगते हैं।
iii) सूर्यस्नानं देहस्थिरक्षार्थं कथ्यते ।
सूर्य स्नान करना शरीर की स्थिरता के लिए कहा जाता है।
iv) सूर्यस्य किरणाः प्राणिनां स्वास्थ्यलाभाय लाभदायकाः भवति ।
सूर्य की किरणें प्राणियों के स्वास्थ्य लाभ के लिए लाभदायक होती हैं।
6. सूर्य का जीव – जगत् में क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
सूर्यस्य महत्त्वं विविधमस्ति। तेन पृथ्वी पर ऋतुपरिवर्तनं भवति। सूर्यकिरणैः पादपाः विकसन्ति। सूर्यात् सौरऊर्जा उत्पाद्यते। सूर्यस्नानं देहास्थि-रक्षणार्थं विहितम्। सूर्यः प्राणिनां स्वास्थ्यलाभाय कल्पितः। सूर्यस्य उर्जसा वैज्ञानिकी क्रान्तिर्भवति। सूर्यः सर्वेषां जीवनं प्रोक्तः।
अर्थात्: सूर्य का महत्व विविध है। उससे पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन होता है। सूर्य किरणों से पौधे विकसित होते हैं। सूर्य से सौर ऊर्जा उत्पादित होती है। सूर्य स्नान देहास्थि-रक्षणार्थं विहित है। सूर्य प्राणियों के स्वास्थ्य लाभ के लिए कल्पित है। सूर्य की ऊर्जा से वैज्ञानिक क्रांति होती है। सूर्य सभी के जीवन का आधार है।
Hindi Translation
सूर्य का महत्व विविध है और इसके कई पहलू हैं। सूर्य के कारण पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन होता है। सूर्य की किरणों से पौधे विकसित होते हैं और बढ़ते हैं। सूर्य से सौर ऊर्जा उत्पादित होती है, जो हमारी ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करती है। सूर्य स्नान करना हमारे शरीर की स्थिरता और स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। सूर्य प्राणियों के स्वास्थ्य लाभ के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसकी किरणें हमारे शरीर को ऊर्जा और जीवन देती हैं। सूर्य की ऊर्जा से वैज्ञानिक क्रांति होती है, जो हमारे जीवन को बेहतर बनाती है। अंत में, सूर्य सभी के जीवन का आधार है और इसके बिना जीवन संभव नहीं है।
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