प्रचल्यतां प्रचल्यतां स्वमातृभूः सुरक्ष्यताम् । स्वराष्ट्रवीरसैनिकाः स्वराष्ट्रभूः सुरक्ष्यताम् ।।
आगे बढ़ो, आगे बढ़ो, अपनी मातृभूमि की रक्षा करो। राष्ट्र के वीर सैनिकों, अपने देश की सुरक्षा करो।
स्ववक्षसां पराक्रमैः प्रबुद्धयुद्धसङ्क्रमैः । वामदक्षवामदक्ष- पूर्वकं पदक्रमैः ।।
अपने सीने के बल से, बुद्धिमान युद्ध रणनीतियों से, बाएँ-दाएँ कदम मिलाते हुए आगे बढ़ो।
पदं पदं सहैव नैव कर्हिचित् पृथग्भवेत् । प्रचण्डशत्रुमण्डलेऽपि साहसं न वः विटं ।।
हर कदम साथ में उठाओ, कभी अलग न हो, भयंकर शत्रु के सामने भी साहस मत खोओ।
सुसङ्कटं च नैव मानसं धमेत् । सुत्राराशिवीरतापि वः पुरः स्वयं नमेत् ॥
कठिनाई में भी मनोबल न गिरे, सच्ची वीरता आपके सामने खुद झुक जाएगी।
न लोभतो न मारुतोऽपि मार्गभ्रष्टता भवेत् । समस्तविश्वमण्डले बले बलिष्ठता भवेत् ।।
न लोभ के कारण, न ही हवा के झोंके से मार्ग से भटकें। पूरी दुनिया में आपका बल ही सबसे बलवान हो।
स्वमार्गमध्य उत्थितः स पर्वतो निपात्यताम् । सुगर्जतो रिपो रदावली क्षणे निशात्यताम् ।।
अगर आपके मार्ग में कोई पर्वत उठ खड़ा हो, तो उसे गिरा दो। गर्जना करते शत्रु की दाँतों की पंक्ति को पल भर में नष्ट कर दो।
सुगर्जितोर्जितेन वो रिपुः पराजितो भवेत् । स्वरक्षणं न लक्षयन् स्वयं व आश्रितो भवेत् ॥
आपकी जोरदार गर्जना से शत्रु पराजित हो जाए। अपनी सुरक्षा न देखते हुए शत्रु खुद आश्रित हो जाए।
स्थले जले नभस्तले रिपुर्न कोऽपि मुच्यताम् । अरे, भुशुण्डिमण्डिता पुरोऽन्तकोऽपि भक्ष्यताम् ।।
जमीन पर, पानी में, आकाश में कोई भी शत्रु न बचे। अरे, भुशुण्डी (अस्त्र) से सुसज्जित होकर मृत्यु के दूत (यमराज) को भी निगल लो।
प्रदायतप्तलोहितानि मातृभूः सुरक्ष्यताम् । स्वमातृदुग्धगौरवं समुज्ज्वलं विधीयताम् ॥
अपने खून से मातृभूमि की रक्षा करो। अपनी मातृभूमि के दूध का गौरव उज्ज्वल बनाओ।
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