लौहतुला
यह पाठ विष्णुशर्मा द्वारा रचित पञ्चतन्त्र के मित्रभेद तन्त्र से लिया गया है। इसमें जीर्णधन नामक एक व्यापारी की कहानी है।
जीर्णधन नामक व्यापारी एक बार विदेश से लौटे। उन्होंने अपनी लोहे की तराजू सेठ से माँगने की कोशिश की, लेकिन सेठ ने कहा कि तराजू चूहे खा गए हैं। जीर्णधन ने सेठ से अपनी तराजू की वापसी के लिए कुछ तरीका अपनाया, जिसे इस पाठ में बताया गया है। न्यायालय में न्याय मिलने से जीर्णधन को खुशी हुई।
एकस्मिन् नगरे ———————————- मूषि भक्षिता सा|
एक नगर में जीर्णधन नामक व्यापारी रहते थे। धन की कमी के कारण वे विदेश जाने का विचार कर रहे थे और सोच रहे थे कि जहाँ उन्होंने पहले से आनंद लिया है, वहाँ अब बिना धन के कैसे रहेंगे? उनके घर में एक पुरानी लौहे की तराजू थी, जिसे उन्होंने एक सेठ के पास धरोहर के रूप में रखा था। जब जीर्णधन विदेश से लौटे, तो उन्होंने सेठ से अपनी तराजू वापस मांगी। सेठ ने जवाब दिया कि तराजू चूहे खा गए हैं।
जीर्णधनः आह-भोः ——————————— वस्त्रधारणाय त्वं गच्छ ।
जीर्णधन ने सेठ से कहा कि यदि तराजू चूहे ने खा ली है, तो इसमें आपकी कोई गलती नहीं है, क्योंकि दुनिया में कुछ भी स्थायी नहीं है। उन्होंने कहा कि वह नदी में स्नान करने जाएंगे और सेठ से आग्रह किया कि वह अपने पुत्र धनदेव को स्नान के लिए भेजे। सेठ ने अपने पुत्र को जीर्णधन के साथ भेजा ताकि वह स्नान के सामान की देखभाल कर सके।
अथ श्रेष्ठिपुत्रः स्नानोपकरणं ———————————- यालये निवेदयिष्यामि ।
सेठ का पुत्र स्नान के सामान लेकर जीर्णधन के साथ नदी की ओर गया। जीर्णधन नदी में स्नान करने के बाद धनदेव को एक गुफा में छिपाकर उसके दरवाजे को पत्थर से ढक दिया और खुद घर लौट आया। जब सेठ ने अपने पुत्र के बारे में पूछा, तो व्यापारी ने कहा कि उसका पुत्र नदी के किनारे एक गीदड़ द्वारा उठाया गया है। सेठ गुस्से में आ गया और कहा कि गीदड़ बच्चे को कैसे उठा सकता है। उसने न्यायालय में मामला दर्ज कराने की धमकी दी।
व्यापारी अकथयत् ————————————— विनिमयेन सन्तोषितौ ।
व्यापारी ने कहा कि जैसे गीदड़ बच्चे को नहीं उठा सकता, वैसे ही चूहे भी लौहे की तराजू को नहीं खा सकते। अगर सेठ को अपने पुत्र को वापस चाहिए, तो उसे तराजू वापस करनी होगी। इस प्रकार दोनों ने न्यायालय में मामला दाखिल किया। सेठ ने वहाँ शिकायत की कि व्यापारी ने उसके बेटे को चुरा लिया है। न्यायाधीश ने कहा कि ऐसा असंभव है, क्योंकि गीदड़ बच्चे को नहीं उठा सकता। व्यापारी ने जवाब दिया कि चूहे भी लौहे की तराजू को नहीं खा सकते।
चूहे जहाँ लोहे की तुला को भी खा जाते हैं,
और बाज़ बच्चे को भी उठा ले जाता है,
बुद्धिमान लोगों को इसमें कोई संदेह नहीं होता है।
जैसे ही व्यापारी ने पूरी घटना सुनाई, न्यायाधीश और सभी लोग हंस पड़े। अंत में, तराजू और बच्चे को सही तरीके से वापस कर दिया गया।
इस प्रकार, न्यायालय ने व्यापारी को सही न्याय प्रदान किया और सेठ को सच्चाई का पता चला।
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