1. भारत में आदिवासी समाज का जंगलों से क्या संबंध था?
उत्तर: आदिवासी समाज और जंगलों का गहरा संबंध था। उनकी आर्थिक और सांस्कृतिक जीवनशैली जंगलों पर आधारित थी। भोजन, ईंधन, लकड़ी, औषधियाँ और कृषि उपकरण जंगलों से प्राप्त होते थे। उनकी धार्मिक मान्यताएँ भी पेड़ों और प्रकृति से जुड़ी थीं।
2. भारत की सबसे बड़ी जनजाति कौन सी है और कहाँ निवास करती है?
उत्तर: भारत की सबसे बड़ी जनजाति ‘भील’ है। यह मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान और त्रिपुरा राज्यों में पाई जाती है।
3. अठारहवीं शताब्दी में वन्य समाज की राजनैतिक संरचना कैसी थी?
उत्तर: अठारहवीं शताब्दी में वन्य समाज कबीलों में बँटा था। प्रत्येक कबीला एक मुखिया के अधीन था, जो सुरक्षा और न्याय का काम देखता था। इन मुखियाओं के पास विशेषाधिकार थे और वे अपनी जनजातियों पर अधिकार जमाते थे।
4. अंग्रेजों द्वारा वन्य समाज पर शोषण कैसे हुआ?
उत्तर: अंग्रेजों ने वन्य समाज के मुखियाओं को जमींदार बना दिया और उनसे राजस्व वसूल करवाया। साथ ही, जंगल की संपदा को नियंत्रित किया, जिससे आदिवासियों का जीवन प्रभावित हुआ और वे विद्रोह करने को मजबूर हो गए।
5. ‘भारतीय वन अधिनियम’ का क्या उद्देश्य था?
उत्तर: 1865 में पारित ‘भारतीय वन अधिनियम’ का उद्देश्य जंगलों का संरक्षण और अंग्रेजों के लाभ के लिए लकड़ी का उत्पादन सुनिश्चित करना था। इस अधिनियम के तहत आदिवासियों के जंगल पर अधिकार सीमित कर दिए गए।
6. संथाल विद्रोह कब और क्यों हुआ?
उत्तर: संथाल विद्रोह 1855 में हुआ। इसका मुख्य कारण अंग्रेजों और जमींदारों द्वारा संथाल जनजाति पर अत्यधिक शोषण था। इस विद्रोह का नेतृत्व सिद्धू और कान्हू ने किया था।
7. तिलका मांझी कौन थे और उनका योगदान क्या था?
उत्तर:
तिलका मांझी संथाल जनजाति के पहले नेता थे जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया। उन्होंने भागलपुर के अंग्रेज कलेक्टर पर हमला किया और बाद में उन्हें फांसी दे दी गई।
8. मुंडा विद्रोह का मुख्य नेता कौन था?
उत्तर: मुंडा विद्रोह का मुख्य नेता बिरसा मुंडा था। उन्होंने 1899-1900 में अंग्रेजों के शोषण के खिलाफ आदिवासियों को संगठित किया और धार्मिक आंदोलनों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया।
9. अंग्रेजों द्वारा आदिवासी विद्रोहों का दमन कैसे किया गया?
उत्तर: अंग्रेजों ने आदिवासी विद्रोहों का दमन क्रूरता से किया। उन्होंने आदिवासियों के गाँवों पर हमला किया, कई विद्रोही नेताओं को गिरफ्तार किया, और मार्शल लॉ लागू किया।
10. वन्य समाज में नृत्य और संगीत का क्या महत्व था?
उत्तर: आदिवासी समाज में नृत्य और संगीत का महत्वपूर्ण स्थान था। कृषि और अन्य सामाजिक कार्यों के दौरान यह मनोरंजन और सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा था। ‘सरहुल’ उनका प्रमुख पर्व था, जिसे नृत्य और गीतों के साथ मनाया जाता था।
11. ‘झूम खेती’ क्या थी और इस पर अंग्रेजों ने क्यों प्रतिबंध लगाया?
उत्तर: ‘झूम खेती’ एक घुमंतू खेती की प्रणाली थी जिसमें आदिवासी लोग जमीन बदलते रहते थे। अंग्रेजों ने इस पर प्रतिबंध इसलिए लगाया क्योंकि इससे राजस्व वसूली में कठिनाई होती थी।
12. किस जनजाति का ‘मानकी’ और ‘माझी’ प्रणाली से शासन चलता था?
उत्तर: बिहार के सिंहभूम में ‘मानकी’ और ‘मुण्डा’ प्रणाली और संथाल परगना में ‘माझी’ प्रणाली के तहत जनजातीय शासन चलता था।
13. बिरसा मुंडा के धार्मिक आंदोलन का क्या महत्व था?
उत्तर: बिरसा मुंडा ने अपने आपको ईश्वर का दूत घोषित किया और आदिवासियों को संगठित किया। उन्होंने धार्मिक आधार पर अंग्रेजों के शोषण के खिलाफ मुंडा विद्रोह की अगुवाई की।
14. ‘मरियाह प्रथा’ क्या थी और इसे किसने बंद करवाने की कोशिश की?
उत्तर: ‘मरियाह प्रथा’ एक मानव बलि की प्रथा थी जो कंध आदिवासियों में प्रचलित थी। अंग्रेजों ने इसे रोकने का प्रयास किया, जिसके परिणामस्वरूप चक्र बिसोई के नेतृत्व में विद्रोह हुआ।
15. कौन सा राज्य आदिवासी बहुल क्षेत्र के रूप में गठित किया गया?
उत्तर: 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ और 15 नवंबर 2000 को झारखंड राज्य आदिवासी बहुल क्षेत्र के रूप में गठित किए गए।
दीर्घ प्रश्न (विस्तृत उत्तर)
1. संथाल विद्रोह और उसकी भूमिका पर विस्तार से चर्चा करें।
उत्तर: संथाल विद्रोह 1855 में संथाल जनजाति द्वारा शुरू किया गया था। भागलपुर और राजमहल के बीच का क्षेत्र, जिसे ‘दामन-ए-कोह’ कहा जाता था, इस विद्रोह का केंद्र था। अंग्रेजों और जमींदारों द्वारा अत्यधिक शोषण, बेगार प्रथा और उच्च राजस्व वसूली के कारण संथालों ने संगठित होकर विद्रोह किया। इस विद्रोह का नेतृत्व सिद्धू, कान्हू, चाँद और भैरव ने किया। संथालों ने अंग्रेजों और महाजनों के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह किया। यद्यपि यह विद्रोह असफल रहा, परंतु यह 1857 की क्रांति के लिए एक महत्वपूर्ण प्रेरणा बना।
2. बिरसा मुंडा का योगदान और मुंडा विद्रोह का महत्व बताएं।
उत्तर: बिरसा मुंडा छोटानागपुर के मुंडा आदिवासी समुदाय के नेता थे। उन्होंने 1899-1900 में अंग्रेजों के शोषण और धार्मिक हस्तक्षेप के खिलाफ विद्रोह किया। बिरसा ने आदिवासियों को संगठित कर उन्हें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक किया। उनका धार्मिक आंदोलन आदिवासियों में एकजुटता और जागरूकता का प्रतीक बना। बिरसा का विद्रोह असफल हुआ, लेकिन इससे आदिवासी समाज में सुधार की नींव पड़ी। उनके प्रयासों से अंग्रेजों को आदिवासियों के लिए नयी नीतियाँ बनानी पड़ीं, जिससे उनका सामाजिक और आर्थिक विकास सुनिश्चित हो सके।
3. तिलका मांझी के विद्रोह का महत्व और उसकी प्रेरणा बताएं।
उत्तर: तिलका मांझी संथाल जनजाति के प्रमुख नेता थे, जिन्होंने 1779 में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया। भागलपुर में उन्होंने अंग्रेज कलेक्टर अगस्टस क्लीवलैंड पर हमला किया और उन्हें मार डाला। इस विद्रोह का मुख्य कारण भू-राजस्व में अत्यधिक वृद्धि और आदिवासियों का शोषण था। यद्यपि तिलका मांझी को 1785 में फांसी दे दी गई, लेकिन उन्होंने आदिवासी समाज के लिए एक मिसाल कायम की, जिससे आगे के विद्रोहों के लिए मार्ग प्रशस्त हुआ।
Long Questions
1. अठारहवीं शताब्दी में भारत के वन्य समाज का राजनीतिक जीवन कैसा था?
उत्तर:
- कबीलों में विभाजन: वन्य समाज कबीलों में बँटा था, जहाँ हर कबीला एक मुखिया के अधीन होता था।
- मुखिया की भूमिका: मुखिया का मुख्य कर्तव्य कबीले की सुरक्षा सुनिश्चित करना और उसे संगठित रखना था।
- सत्ता का विकेंद्रीकरण: जनजातीय शासन प्रणाली में सत्ता का विकेंद्रीकरण था, जहाँ प्रत्येक मुखिया के पास वैधानिक और न्यायिक शक्तियाँ होती थीं।
- अंग्रेजों का हस्तक्षेप: अंग्रेजों ने मुखियाओं को जमींदार बना दिया और उनसे राजस्व वसूली का काम करवाया, जिससे मुखियाओं की स्थिति और अधिकार बढ़ गए।
2. अठारहवीं शताब्दी में वन्य समाज का आर्थिक जीवन किस प्रकार का था?
उत्तर:
- कृषि पर निर्भरता: आदिवासी समाज की अर्थव्यवस्था खेती पर आधारित थी, जिसमें ‘झूम खेती’ (घुमंतू खेती) प्रमुख थी।
- व्यापार: आदिवासी हाथी दाँत, बांस, रेशे, रबर, और लाह का व्यापार करते थे।
- अंग्रेजों का प्रभाव: अंग्रेजों ने झूम खेती पर रोक लगाई, जिससे आदिवासियों को भारी नुकसान हुआ और उनके जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।
- विपरीत परिस्थितियाँ: अत्यधिक लगान और अंग्रेजों के कठोर तरीके से वसूली ने आदिवासियों में अंग्रेजों के प्रति असंतोष पैदा किया।
3. संथाल विद्रोह के कारण और परिणामों की विस्तार से चर्चा करें।
उत्तर:
- कारण:
- अंग्रेजों और जमींदारों द्वारा अत्यधिक शोषण।
- राजस्व वसूली में अत्यधिक वृद्धि।
- बेगार प्रथा और अन्यायपूर्ण नीतियाँ।
- विद्रोह का नेतृत्व: सिद्धू, कान्हू, चाँद और भैरव ने 1855 में विद्रोह का नेतृत्व किया।
- संथालों का संघर्ष: संथालों ने 60,000 सशस्त्र लोगों के साथ अंग्रेजों और महाजनों पर हमला किया।
- परिणाम:
- विद्रोह असफल रहा, अंग्रेजों ने मार्शल लॉ लागू किया।
- इस विद्रोह ने 1857 की क्रांति को प्रेरित किया।
4. तिलका मांझी के विद्रोह का महत्व और उसकी प्रमुख उपलब्धियाँ क्या थीं?
उत्तर:
- प्रारंभिक विद्रोह: तिलका मांझी ने 1779 में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया, वह संथाल जनजाति के पहले नेता थे।
- राजस्व वसूली का विरोध: उन्होंने भागलपुर के अंग्रेज कलेक्टर पर हमला किया, जो अत्यधिक राजस्व वसूली का समर्थक था।
- अंग्रेजों पर प्रहार: तिलका मांझी ने भागलपुर के जंगलों से विद्रोह का नेतृत्व किया।
- फांसी: 1785 में उन्हें फांसी दी गई, लेकिन उनका विद्रोह आदिवासी समाज में जागरूकता फैलाने में सफल रहा।
5. बिरसा मुंडा द्वारा किए गए मुंडा विद्रोह का विस्तार से वर्णन करें।
उत्तर:
- प्रारंभिक जीवन: बिरसा मुंडा का जन्म 1874 में हुआ था, और उन्होंने आदिवासियों की गरीबी और शोषण पर गहरी चिंता व्यक्त की।
- धार्मिक आंदोलन: बिरसा ने अपने आपको ईश्वर का दूत घोषित किया और आदिवासियों को संगठित किया।
- विद्रोह की शुरुआत: 1899-1900 में उन्होंने अंग्रेजों और मिशनरियों के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया।
- परिणाम:
- विद्रोह असफल रहा, लेकिन इसके प्रभाव से आदिवासियों के लिए सुधारात्मक कदम उठाए गए।
- बिरसा मुंडा की गिरफ्तारी के बाद 1900 में उनकी मृत्यु हुई।
6. अंग्रेजों द्वारा वन्य समाज में हस्तक्षेप के प्रमुख कारण क्या थे?
उत्तर:
- जंगलों का आर्थिक उपयोग: अंग्रेजों को जंगलों से लकड़ी और अन्य संसाधनों की आवश्यकता थी, जिससे उन्होंने वन्य समाज में हस्तक्षेप किया।
- राजस्व वसूली: आदिवासियों से अधिक राजस्व वसूलने के लिए अंग्रेजों ने मुखियाओं को जमींदार बना दिया।
- झूम खेती पर प्रतिबंध: अंग्रेजों ने झूम खेती पर प्रतिबंध लगाया ताकि वे निश्चित लगान वसूल सकें।
- धार्मिक हस्तक्षेप: ईसाई मिशनरियों ने आदिवासियों की धार्मिक मान्यताओं में हस्तक्षेप किया, जिससे आदिवासी समाज में असंतोष बढ़ा।
7. चेरो विद्रोह के कारण और इसके परिणामों पर चर्चा करें।
उत्तर:
- कारण: पलामू क्षेत्र के चेरो जनजाति ने अपने राजा चुड़ामन राय और अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ विद्रोह किया।
- नेतृत्व: भूषण सिंह के नेतृत्व में विद्रोह शुरू हुआ।
- अंग्रेजों की प्रतिक्रिया: अंग्रेजों ने विद्रोह को दबाने के लिए सेना भेजी और 1802 में भूषण सिंह को फांसी दी गई।
- परिणाम: विद्रोह असफल रहा, लेकिन इसने आदिवासियों में अंग्रेजों के प्रति असंतोष को और बढ़ाया।
8. कोल विद्रोह के कारण और उसके प्रभाव क्या थे?
उत्तर:
- कारण: अंग्रेजों की भूमि और लगान नीतियों के कारण कोल जनजाति ने विद्रोह किया।
- नेतृत्व: ‘मानकी’ और ‘महतो’ के खिलाफ जनजातियों ने विद्रोह किया, जो अंग्रेजों के सहयोगी बन गए थे।
- विद्रोह का विस्तार: यह विद्रोह बिहार और झारखंड के पलामू क्षेत्र में फैल गया।
- परिणाम: यद्यपि विद्रोह दबा दिया गया, लेकिन अंग्रेजों ने शोषण-विहीन शासन स्थापित करने का प्रयास किया।
9. संथाल विद्रोह के बाद अंग्रेजों ने क्या नयी नीतियाँ अपनाईं?
उत्तर:
- ‘अधिनियम 37’ का पारित होना: 1885 में ‘अधिनियम 37’ पारित किया गया, जिससे संथाल परगना को एक विशेष क्षेत्र घोषित किया गया।
- नयी प्रशासनिक नीति: इस क्षेत्र में नयी प्रशासनिक नीतियाँ लागू की गईं, जिससे आदिवासियों के अधिकार संरक्षित हुए।
- मार्शल लॉ: विद्रोह के दौरान अंग्रेजों ने मार्शल लॉ लागू किया और कई गाँवों को उजाड़ दिया।
- वृहद प्रभाव: इस विद्रोह ने आदिवासियों के अधिकारों को संरक्षित करने के लिए नयी प्रशासनिक नीतियों का मार्ग प्रशस्त किया।
10. अंग्रेजों द्वारा वन अधिनियम के पारित होने के बाद आदिवासी समाज पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
- भारतीय वन अधिनियम 1865: अंग्रेजों ने वन अधिनियम पारित किया जिससे जंगलों पर आदिवासियों का नियंत्रण सीमित हो गया।
- आर्थिक प्रभाव: आदिवासी अपनी जीविका के लिए जंगलों पर निर्भर थे, लेकिन इस अधिनियम ने उनके संसाधनों पर नियंत्रण कर दिया।
- सामाजिक प्रभाव: अंग्रेजों ने जंगलों को अपने आर्थिक लाभ के लिए आरक्षित कर लिया, जिससे आदिवासियों के सामाजिक जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा।
- असंतोष: आदिवासी समाज में अंग्रेजों के प्रति असंतोष और बढ़ गया, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने कई विद्रोह किए।
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