शांति के प्रयास
राष्ट्रसंघ (League of Nation):
i) प्रथम विश्व युद्ध 1918 में समाप्त हुआ, लेकिन युद्ध के बाद उत्पन्न समस्याएँ पूरी दुनिया के लिए चुनौती बन गईं।
ii) युद्ध के बाद सभी नेताओं की इच्छा थी कि विश्व में शांति स्थापित हो।
iii) यूरोप में इस समय तक कोई ऐसी प्रभावशाली संस्था नहीं थी, जो विभिन्न राष्ट्रों के झगड़ों का समाधान कर युद्ध को टाल सके।
iv) इंग्लैंड, फ्रांस, अमेरिका आदि देशों ने शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था की आवश्यकता पर जोर दिया।
v) 1919 में पेरिस शांति सम्मेलन में राष्ट्रसंघ की स्थापना की नींव रखी गई।
vi) इसका मुख्य श्रेय अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ‘वुड्रो विल्सन’ को जाता है, जिन्होंने अपने ’14 सूत्री’ प्रस्तावों में इस पर जोर दिया।
vii) अंततः 10 जून 1920 को राष्ट्रसंघ (League of Nations) अस्तित्व में आया।
राष्ट्रसंघ के उद्देश्य:
i) राष्ट्रसंघ का मुख्य उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय शांति की स्थापना और युद्ध से उत्पन्न समस्याओं का शांतिपूर्ण समाधान करना था।
ii) अंतर्राष्ट्रीयता के प्रति विश्वास पैदा करना और संधियों को लागू करवाना इसके प्रमुख कार्य थे।
iii) युद्धजनित आर्थिक और सामाजिक समस्याओं को दूर करना भी राष्ट्रसंघ की प्राथमिकताओं में शामिल था।
राष्ट्रसंघ के सदस्य राष्ट्र:
i) राष्ट्रसंघ की स्थापना युद्ध के बाद हुई, इसलिए प्रारंभ में इसमें मित्र राष्ट्र (फ्रांस, इंग्लैंड, रूस आदि) और तटस्थ रहने वाले कुछ राष्ट्र शामिल थे।
ii) प्रारंभिक सदस्य देशों की संख्या लगभग 31 थी, जो बाद में बढ़कर 60 हो गई।
iii) सदस्यता प्राप्त करने के लिए आवश्यक था कि देश स्वतंत्र और प्रभुत्वसम्पन्न हो, और राष्ट्रसंघ के दो-तिहाई सदस्य उसे संघ में शामिल करने पर सहमत हों।
राष्ट्रसंघ के अंग
i) राष्ट्रसंघ की प्रथम धारा में सदस्य राष्ट्रों की सूची और दूसरी धारा में तीन प्रमुख अंगों का उल्लेख था:
a) व्यवस्थापिका सभा (असेम्बली)
b) परिषद् (काउन्सिल)
c) सचिवालय (सेक्रेटेरियट)
ii) अन्य प्रमुख अंगों में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन शामिल थे।
iii) राष्ट्रसंघ के अंतर्गत विभिन्न कार्यों के लिए संरक्षण आयोग, सैनिक आयोग आदि जैसे विविध आयोग थे।
व्यवस्थापिका सभा (असेम्बली)
i) यह राष्ट्रसंघ की प्रतिनिधि सभा थी, जिसमें सदस्य देशों के प्रतिनिधि शामिल होते थे।
ii) प्रत्येक राष्ट्र को एक वोट देने का अधिकार था।
iii) कार्य करने की भाषाएँ फ्रेंच और इंग्लिश थीं।
iv) इसके मुख्य कार्यों में नए राष्ट्रों को सदस्यता प्रदान करना, राष्ट्रसंघ के विधान की समीक्षा और संशोधन, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों और महासचिव की नियुक्ति पर अंतिम अनुमोदन शामिल थे।
v) असेम्बली किसी भी राष्ट्र के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करती थी, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श और वाद-विवाद करती थी।
vi) सभी निर्णय बहुमत से प्रस्ताव पारित कर लिए जाते थे।
परिषद् (काउन्सिल)
i) परिषद् की भूमिका कार्यकारिणी परिषद् के रूप में थी।
ii) इसमें दो तरह के सदस्य होते थे: स्थाई और अस्थाई।
iii) स्थाई सदस्य: इंग्लैंड, फ्रांस, जापान, इटली (बाद में जर्मनी और रूस को भी स्थाई सदस्यता मिली)।
iv) अस्थाई सदस्य: 9 छोटे-छोटे राज्य।
v) परिषद् को राष्ट्रसंघ के उद्देश्यों के अंतर्गत सभी विषयों पर विचार करने और ठोस कदम उठाने का अधिकार था।
vi) इसकी भूमिका असेम्बली से भी अधिक प्रभावशाली थी।
प्रमुख कार्य:
i) जर्मनी के सार और डानजिंग क्षेत्रों के प्रशासन का कार्य
ii) युद्ध और शांति से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर निर्णय लेना
iii) सदस्यों को आदेश देना
iv) महासचिव को मनोनीत करना।
सचिवालय
i) राष्ट्रसंघ के प्रशासकीय कार्यों के लिए सचिवालय स्थापित किया गया।
ii) इसका प्रधान कार्यालय जेनेवा में था।
iii) सचिवालय के अंतर्गत 12 विभाग थे, जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर के आर्थिक, राजनैतिक और कूटनीतिक मसलों पर कार्य करते थे।
iv) यह सभी संधियों का पंजीकरण और मसविदा तैयार करता था, जिनका संबंध राष्ट्रसंघ के सदस्य राष्ट्रों से होता था।
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय
i) उद्देश्य: अंतर्राष्ट्रीय राजनैतिक और कूटनीतिक झगड़ों एवं विवादों का निपटारा करना।
ii) मुख्यालय: हेग, हॉलैंड (आधुनिक नीदरलैंड)।
iii) इसके निर्णय बाध्यकारी नहीं थे।
कार्य:
i) असेम्बली को महत्वपूर्ण मसलों पर राय देना।
ii) राष्ट्रसंघ के विभिन्न विधानों की व्याख्या करना।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन
i) प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) के दौरान समाजवादी और मजदूर आंदोलन का विकास हुआ।
ii) युद्ध में अधिशेष उत्पादन की आवश्यकता ने औद्योगिक श्रमिकों की महत्ता बढ़ा दी।
iii) 1917 की रूसी क्रांति (बॉल्शेविक क्रांति) ने इस आंदोलन को और बल दिया।
iv) यूरोपीय देशों में मजदूरों की दयनीय आर्थिक और सामाजिक स्थिति को बेहतर बनाने की आवश्यकता महसूस की गई।
v) युद्ध के बाद राष्ट्रसंघ के तत्वावधान में मजदूरों के हितों की देखरेख और उनकी दशा सुधारने के लिए अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की स्थापना की गई।
vi) मुख्यालय: जेनेवा।
राष्ट्रसंघ द्वारा शांति
i) उद्देश्य: अंतर्राष्ट्रीय शांति और परस्पर सहयोग।
ii) कार्य:
a) अंतर्राष्ट्रीय विवादों को हल करना।
b) निःशस्त्रीकरण और आक्रमणकारी राष्ट्रों पर अंकुश लगाना।
ii) राजनैतिक गतिविधियों में असफलता के बावजूद युद्धजनित समस्याओं को समाप्त करने में सराहनीय भूमिका।
iii) प्रारंभिक छोटे-मोटे झगड़ों को सुलझाने में सफलता।
iv) 10-15 वर्षों की अवधि में लगभग 40 छोटे-बड़े राजनीतिक झगड़ों की जाँच और निर्णय।
v) नीतियाँ: समझौता, मध्यस्थता, और अनुरोध।
अंतर्राष्ट्रीय विवादों को सुलझाने में भूमिका
सफलताएँ:
i) 1920: स्वीडेन और फिनलैंड के बीच ऑकैंड द्वीप विवाद।
ii) जर्मनी और पोलैंड के बीच साइलेशिया विवाद।
iii) पोलैंड और लिथुआनिया के बीच विलना विवाद।
iv) 1995: यूनान और बुल्गारिया के बीच युद्ध रोकना।
v) पेरू और कोलम्बिया विवाद में कोलम्बिया को क्षेत्र वापस मिला।
असफलताएँ:
i) 1931: जापान द्वारा चीन के मंचूरिया प्रांत पर कब्जा, राष्ट्रसंघ की असफलता।
ii) इटली द्वारा अबीसीनिया पर आक्रमण, राष्ट्रसंघ के आर्थिक प्रतिबंधों का कोई प्रभाव नहीं।
iii) हिटलर की वर्साय संधि की अवहेलना और चेकोस्लोवाकिया पर कब्जा।
iv) 1936: स्पेनिश गृहयुद्ध में हिटलर और मुसोलिनी का हस्तक्षेप।
v) इंग्लैंड और फ्रांस द्वारा इटली का समर्थन, राष्ट्रसंघ की प्रासंगिकता पर प्रश्नचिह्न।
vi) निःशस्त्रीकरण सम्मेलन (1932): जर्मनी और फ्रांस की सैन्य प्रतिस्पर्धा और राष्ट्रसंघ की असफलता।
vii) परिणाम: राष्ट्रसंघ की असफलताओं ने द्वितीय विश्व युद्ध की परिस्थितियाँ उत्पन्न कीं।
अन्य क्षेत्रों में राष्ट्रसंघ की सफलता
जनकल्याण:
i) युद्धबंदियों की समस्या और उनकी मुक्ति।
ii) युद्ध के बाद विस्थापितों और शरणार्थियों के पुनर्वास।
iii) महामारियों और संक्रामक रोगों को रोकने में सफलता।
iv) युद्ध-प्रभावित यूरोपीय देशों की आर्थिक स्थिति सुधारने में सहायता।
सामाजिक समस्याएँ:
i) दासप्रथा और स्त्री के क्रय-विक्रय को समाप्त करना।
ii) अफीम के अनुचित प्रयोग को कम करना।
iii) अल्पसंख्यकों की रक्षा।
iv) आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन:
i) मजदूरों के लिए सुविधाएँ सुनिश्चित करना।
ii) काम के घंटों और पारिश्रमिक को निश्चित करना।
अंतर्राष्ट्रीय विधि:
i) अंतर्राष्ट्रीय विधि को नियमबद्ध करने में योगदान।
राष्ट्रसंघ की असफलता के कारण
i) अल्पकालिक प्रभाव: राष्ट्रसंघ का शांति और सहयोग का प्रयास 21 वर्षों में समाप्त हो गया, द्वितीय विश्वयुद्ध के आरंभ के साथ।
ii) सहयोग की कमी: राष्ट्रसंघ की सफलता बड़े और शक्तिशाली राष्ट्रों के सहयोग पर निर्भर थी, लेकिन प्रारंभ से ही यह सहयोग नहीं मिला।
iii) अमेरिका का अलगाव: अमेरिका, जो राष्ट्रसंघ की स्थापना के लिए प्रयासरत था, बाद में इसका सदस्य नहीं रहा।
iv) शक्तिशाली राष्ट्रों का अलगाव: शक्तिशाली राष्ट्रों का राष्ट्रसंघ से अलगाव इसके असफलता के प्रमुख कारणों में से एक था।
राष्ट्रसंघ की असफलता के कारण
i) अल्पकालिक प्रभाव: 21 वर्षों में द्वितीय विश्वयुद्ध काआरंभ, राष्ट्रसंघ का प्रयास अल्पकालिक रहा।
ii) सहयोग की कमी: राष्ट्रसंघ की सफलता बड़े और शक्तिशाली राष्ट्रों के सहयोग पर निर्भर थी, लेकिन इसे सहयोग नहीं मिला।
iii) अमेरिका का अलगाव: अमेरिका, जो राष्ट्रसंघ की स्थापना के लिए प्रेरित था, बाद में सदस्य नहीं रहा।
iv) शक्तिशाली राष्ट्रों का अलगाव:
a) सोवियत रूस और जर्मनी को राष्ट्रसंघ में शामिल किया गया, लेकिन यह प्रभावहीन हो गया।
b) इटली और मुसोलिनी की फासिस्टवादी नीतियों ने भी राष्ट्रसंघ को कमजोर किया।
v) ब्रिटेन और फ्रांस की भूमिका: इन शक्तियों ने राष्ट्रसंघ की नीतियों की बजाय अपने साम्राज्यवादी हितों को प्राथमिकता दी।
vi) आक्रामक नीतियाँ:
a) इटली का आक्रमण और आर्थिक प्रतिबंध की मांग पर फ्रांस और इंग्लैंड की प्रतिक्रिया की कमी।
b)हिटलर की आक्रमणकारी नीति पर राष्ट्रसंघ का विरोध न होना।
vi) आर्थिक मंदी: 1929-30 की विश्व आर्थिक मंदी ने राष्ट्रों को आर्थिक हितों की ओर मोड़ा, जिससे राष्ट्रसंघ के सिद्धांत अप्रासंगिक हो गए।
vii) संविधान और सेना की कमी: राष्ट्रसंघ की सेना का अभाव और दोषपूर्ण संविधान उसके प्रतिबंधों को प्रभावी नहीं बना पाए।
viii) सकारात्मक पहलु:
a) अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सौहार्द्र की नई परंपरा की शुरुआत।
b) गुप्त कूटनीति को दूर करके एक नया मार्ग दिखाया।
c) द्वितीय विश्व युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना का आधार।
संयुक्त राष्ट्रसंघ [United Nation Organization (U.NO.)] :
स्थापना की पृष्ठभूमि:
i) द्वितीय विश्वयुद्ध की भयंकरता के कारण शांति की अधिक आवश्यकता महसूस की गई।
ii) मित्र राष्ट्रों ने एक प्रभावशाली अंतर्राष्ट्रीय संगठन की आवश्यकता पर जोर दिया।
iii) विभिन्न घोषणाएँ और सम्मेलनों ने संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना की पृष्ठभूमि तैयार की:
a) जेम्स पैलेस घोषणा (12 जून 1941)
b) एटलांटिक चार्टर (14 अगस्त 1941)
c) संयुक्त राष्ट्र घोषणा (1 जनवरी 1942)
d) मास्को घोषणा (अक्टूबर 1943)
e) तेहरान घोषणा (दिसंबर 1943)
f) याल्टा सम्मेलन (फरवरी 1944)
स्थापना प्रक्रिया:
i) 1944 में ‘डाम्बस्टन ओक्स’ बैठक में संगठन की कल्पना की गई।
ii) सेनफ्रांसिस्को सम्मेलन (25 अप्रैल 1945) में चार्टर को स्वीकार किया गया।
iii) 26 जून 1945 को 50 देशों ने हस्ताक्षर किए।
iv) 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्रसंघ अस्तित्व में आया।
v) नामकरण राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट द्वारा किया गया।
उद्देश्य:
i) शांति और विवाद समाधान: शांति स्थापित करना, आक्रमण को रोकना, और अंतर्राष्ट्रीय विवादों का शांतिपूर्ण समाधान।
ii) मैत्रीपूर्ण संबंध: आत्मनिर्णय और समानता के आधार पर राष्ट्रों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को सुदृढ़ करना।
iii) अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: आर्थिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक समस्याओं का समाधान, मानवीय अधिकारों और स्वतंत्रता का सम्मान।
iv) केंद्र बिंदु: सभी उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए तालमेल और सामंजस्य स्थापित करना।
चार्टर: संयुक्त राष्ट्रसंघ का संचालन 111 धाराओं वाले चार्टर के अनुसार होता है।
संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रमुख अंग
आमसभा:
i) सबसे प्रमुख अंग, जिसमें सभी सदस्य देशों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।
ii) हर सदस्य राष्ट्र को मत देने और वाद-विवाद में भाग लेने का अधिकार।
iii) वार्षिक बैठक में सदस्यता, निष्कासन, महासचिव का निर्वाचन, और आर्थिक मुद्दों पर निर्णय।
सुरक्षा परिषद्:
i) अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए जिम्मेदार।
ii) 5 स्थायी सदस्य (अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, चीन) और 10 अस्थायी सदस्य।
आर्थिक और सामाजिक परिषद्:
i) आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक, और स्वास्थ्य से संबंधित मामलों का अध्ययन।
ii) विभिन्न संगठनों जैसे यूनीसेफ, यूनेस्को, मानवाधिकार आयोग, और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अंतर्गत कार्य करती है।
न्यास परिषद्:
i) पूर्ण स्वायत्त शासन वाले क्षेत्रों के निवासियों के हितों की रक्षा।
ii) चार उद्देश्य: अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा, स्वशासन और स्वतंत्रता की सहायता, मानवीय अधिकारों का समर्थन, और समानता का व्यवहार।
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय:
i) प्रमुख कानूनी संस्था, अंतर्राष्ट्रीय विवादों का निर्णय।
ii) मुख्यालय हेग, नीदरलैंड में।
सचिवालय:
i) मुख्य प्रशासनिक अंग, महासचिव के नेतृत्व में।
ii) संयुक्त राष्ट्रसंघ का मुख्यालय और कर्मचारियों के प्रतिनिधि।
iii) मान्यता प्राप्त भाषाएँ: अंग्रेजी, फ्रेंच, चीनी, रूसी, अरबी, और स्पेनिश।
संयुक्त राष्ट्रसंघ की सफलता और असफलताएँ:
सफलताएँ:
i) युद्धों को टालना: विश्व को तीसरे विश्वयुद्ध के खतरे से बचाया; उग्र विवादों की तीव्रता कम की।
ii) आर्थिक और सामाजिक योगदान: अविकसित और विकासशील देशों में समस्याओं का समाधान, स्वास्थ्य, पुनर्वास और आपदा प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका।
iii) विशेष उदाहरण:
a) 1946: ईरान में रूसी सैनिकों की वापसी।
b) 1953: उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच युद्ध समाप्ति।
c) 1956: स्वेज नहर संकट में शांति स्थापना।
d) 1959: लेबानन संकट में सहायता।
e) 1988: ईरान-इराक युद्ध की समाप्ति।
f) 1990: कुवैत की स्वतंत्रता।
असफलताएँ:
i) विवादों को सुलझाने में असफलता: निःशस्त्रीकरण, अरब-इजरायल युद्ध, नामिबिया, दक्षिण अफ्रीका की रंगभेद नीति, ईराक और कश्मीर समस्याएँ।
असफलता के कारण:
i) आर्थिक आत्मनिर्भरता की कमी: सदस्य देशों से आर्थिक योगदान, अमेरिकी दबदबा।
ii) गुटबंदी: जी-8, नाटो, सीटो, वारसा के प्रभाव।
iii) सुरक्षा परिषद् में असंतुलन: अफ्रिका, दक्षिण अमेरिका, एशिया का सीमित प्रतिनिधित्व; वीटो शक्ति का दुरुपयोग।
iv) स्थायी सेना का अभाव: आक्रमण रोकने के लिए कोई अपनी सेना नहीं।
v) औद्योगिक देशों की महत्वाकांक्षा: आर्थिक दबावों के माध्यम से साम्राज्यवाद।
निष्कर्ष:
संयुक्त राष्ट्रसंघ की शांति प्रयास निरर्थक नहीं रहे हैं; कुछ मुद्दों पर असफलता के बावजूद, यह अंतर्राष्ट्रीय तनाव कम करने और गैर-राजनीतिक कार्यों में सफल रहा है। इसके उद्देश्यों को सफल बनाने के लिए सदस्य देशों की इच्छा शक्ति और दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
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