1. कृषक मजदूर किसे कहा जाता है?
उत्तर: कृषक मजदूर वे लोग हैं जो कृषि कार्य में मजदूरी करते हैं। उनके पास खुद की भूमि नहीं होती और वे दूसरों के खेतों में काम करके जीवन-यापन करते हैं। कृषि कार्य में शामिल होते हुए, वे वर्ष में आधे से अधिक समय मजदूरी पर निर्भर रहते हैं।
2. बिहार में कृषक मजदूरों की संख्या कितनी है?
उत्तर: 2001 में बिहार में कृषक मजदूरों की संख्या 48% थी, जबकि पूरे भारत में यह 26.5% थी। यह दर 1991 में बिहार में 37.1% थी। इससे पता चलता है कि बिहार में कृषि मजदूरों की समस्या गंभीर है।
3. कृषक मजदूरों की मुख्य समस्याएँ क्या हैं?
उत्तर: बिहार में कृषक मजदूरों की समस्याओं में कम मजदूरी, मौसमी रोजगार, लंबे काम के घंटे, ऋणग्रस्तता, और आवास की कमी प्रमुख हैं। इनके कारण उनका जीवन स्तर बहुत निम्न रहता है और वे गरीबी में जीवन जीते हैं।
4. मौसमी रोजगार का क्या अर्थ है?
उत्तर: मौसमी रोजगार का अर्थ है कि कृषक मजदूरों को पूरे साल रोजगार नहीं मिलता। उन्हें केवल कुछ समय के लिए ही कृषि कार्य मिल पाता है, जिसके कारण वे साल के 4-5 महीने बिना काम के रहते हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो जाती है।
5. बिहार में कृषक मजदूरों का पलायन क्यों होता है?
उत्तर: बिहार में रोजगार की कमी, प्राकृतिक आपदाएँ, और आर्थिक अस्थिरता के कारण कृषक मजदूर अन्य राज्यों में पलायन करते हैं। वे बेहतर अवसरों की तलाश में पंजाब, हरियाणा, और अन्य राज्यों की ओर रुख करते हैं।
6. बंधुआ मजदूरी क्या है?
उत्तर: बंधुआ मजदूरी उस स्थिति को कहते हैं जब मजदूर ऋण के कारण मालिक के यहाँ काम करने के लिए बाध्य होते हैं। वे अपने ऋण की अदायगी तक या आजीवन बिना वेतन के काम करते हैं।
7. कृषक मजदूरों की समस्या का समाधान कैसे किया जा सकता है?
उत्तर: समस्या का समाधान कृषि आधारित उद्योगों का विकास, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम का उचित क्रियान्वयन, और शिक्षा का प्रसार करके किया जा सकता है। साथ ही, उन्हें संगठन बनाने के लिए प्रेरित करना भी जरूरी है।
8. कृषक मजदूरों के जीवन स्तर में सुधार के लिए कौन-सी योजनाएँ चल रही हैं?
उत्तर: सरकार ने न्यूनतम मजदूरी अधिनियम लागू किया है, बंधुआ मजदूरी प्रथा को समाप्त किया है, और पंचवर्षीय योजनाओं के तहत मकान निर्माण जैसी योजनाएँ चलाई हैं। इसके अलावा, कृषि सेवा समितियाँ भी स्थापित की गई हैं।
9. कृषि में मशीनीकरण से कृषक मजदूरों पर क्या प्रभाव पड़ा है?
उत्तर: मशीनीकरण के कारण कृषक मजदूरों को रोजगार के अवसर कम मिलते हैं। मशीनों के उपयोग से हाथ से काम करने वालों की मांग घट गई है, जिससे उनकी बेरोजगारी बढ़ गई है।
10. कृषक मजदूरों के संगठन का क्या महत्व है?
उत्तर: संगठन के अभाव में कृषक मजदूर अपनी समस्याओं को आवाज नहीं दे पाते। संगठन के माध्यम से वे अपनी मजदूरी बढ़ाने, काम के घंटे तय कराने, और अन्य सुविधाओं की माँग कर सकते हैं।
11. बिहार में कृषक मजदूरों की सामाजिक स्थिति कैसी है?
उत्तर: बिहार में कृषक मजदूरों की सामाजिक स्थिति बहुत निम्न है। अधिकांश कृषक मजदूर अनुसूचित जातियों और पिछड़ी जातियों के हैं, जो लंबे समय से शोषित रहे हैं।
12. कम मजदूरी का कृषक मजदूरों पर क्या असर पड़ता है?
उत्तर: कम मजदूरी के कारण कृषक मजदूर गरीबी में जीवन बिताते हैं। उनकी दैनिक आवश्यकताएँ पूरी नहीं हो पातीं, जिससे वे हमेशा आर्थिक तंगी में रहते हैं और कई बार कर्ज में भी डूब जाते हैं।
13. कृषक मजदूरों के लिए सरकार ने कौन से रोजगार कार्यक्रम चलाए हैं?
उत्तर: सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम (NREGA) और ग्रामीण भूमिहीन रोजगार गारंटी कार्यक्रम जैसे रोजगार कार्यक्रम शुरू किए हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरों को रोजगार उपलब्ध हो सके।
14. कृषक मजदूरों की ऋणग्रस्तता का कारण क्या है?
उत्तर: मजदूरी कम होने के कारण कृषक मजदूरों की आय कम होती है, जिससे वे अक्सर उधार लेने पर मजबूर हो जाते हैं। उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वे इस ऋण को चुका नहीं पाते और ऋणग्रस्त हो जाते हैं।
15. कृषक मजदूरों की आवास समस्या का समाधान कैसे किया जा सकता है?
उत्तर: सरकार द्वारा मकान निर्माण योजनाएँ शुरू की जानी चाहिए और उन्हें सस्ते प्लॉट मुहैया कराए जाने चाहिए। इससे वे स्थायी रूप से एक सुरक्षित आवास में रह सकते हैं।
16. भूदान आंदोलन से कृषक मजदूरों को क्या लाभ हुआ?
उत्तर: आचार्य विनोबा भावे के नेतृत्व में हुए भूदान आंदोलन में बड़ी जमींदारों से अतिरिक्त भूमि प्राप्त कर भूमिहीन कृषक मजदूरों में वितरित की गई। इससे उन्हें खेती करने का अवसर मिला और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ।
17. कृषक मजदूरों का पलायन बिहार के लिए कैसे हानिकारक है?
उत्तर: पलायन के कारण बिहार में कृषि मजदूरों की कमी हो जाती है, जिससे खेती के काम में कठिनाई होती है। इसके अलावा, बाहर जाकर भी मजदूरों का शोषण होता है, जिससे उनकी स्थिति और खराब हो जाती है।
18. कृषक मजदूरों के बच्चों की शिक्षा के लिए क्या प्रयास किए जाने चाहिए?
उत्तर: उनके बच्चों को मुफ्त शिक्षा और भोजन की सुविधा दी जानी चाहिए। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों की स्थापना और शिक्षा का प्रसार आवश्यक है।
19. सरकार द्वारा लागू न्यूनतम मजदूरी अधिनियम का उद्देश्य क्या है?
उत्तर: इस अधिनियम का उद्देश्य मजदूरों को उनके कार्य के लिए न्यूनतम वेतन सुनिश्चित करना है। इससे उन्हें उचित मजदूरी मिल सके और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो।
20. कृषक मजदूरों की स्थिति सुधारने के लिए सरकार को क्या कदम उठाने चाहिए?
उत्तर: सरकार को रोजगार के अवसर बढ़ाने, शिक्षा और कौशल विकास के कार्यक्रमों को लागू करने, और श्रम कल्याण केंद्र स्थापित करने जैसे कदम उठाने चाहिए। इससे उनकी जीवन स्थितियों में सुधार हो सकेगा।
Long Questions
प्रश्न 1: बिहार में कृषक मजदूर किसे कहा जाता है और उनके प्रमुख प्रकार कौन-कौन से हैं?
उत्तर: बिहार में कृषक मजदूर ऐसे श्रमिक होते हैं जो कृषि कार्य में मजदूर के रूप में काम करते हैं। ये मजदूर अपनी भूमि के बिना दूसरों के खेतों में काम कर जीविका चलाते हैं। राष्ट्रीय श्रम आयोग ने इन्हें दो भागों में बांटा है:
- भूमिहीन श्रमिक: इनके पास अपनी खेती के लिए कोई भूमि नहीं होती और वे पूरी तरह दूसरों पर निर्भर होते हैं।
- बहुत छोटे किसान: ये श्रमिक थोड़ी-सी जमीन के मालिक होते हैं, लेकिन उन्हें अपनी जीविका के लिए मुख्य रूप से मजदूरी पर निर्भर रहना पड़ता है।
प्रश्न 2: बिहार में कृषक मजदूरों की समस्याएँ क्या हैं?
उत्तर: बिहार में कृषक मजदूरों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है:
- कम मजदूरी: इन्हें बहुत कम वेतन मिलता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय रहती है।
- मौसमी रोजगार: पूरे वर्ष रोजगार नहीं मिल पाता, जिससे कई महीनों तक बेरोजगारी झेलनी पड़ती है।
- काम के अधिक घंटे: इन्हें लंबे समय तक काम करना पड़ता है, जिसमें कभी-कभी 24 घंटे तक का काम भी शामिल होता है।
- ऋणग्रस्तता: कम मजदूरी के कारण ये अक्सर कर्ज में डूब जाते हैं।
- आवास की समस्या: इनके पास अच्छे घर नहीं होते, जिसके कारण इनका जीवन स्तर बहुत निम्न रहता है।
प्रश्न 3: बिहार में कृषक मजदूरों के पलायन के मुख्य कारण क्या हैं?
उत्तर: बिहार में कृषक मजदूरों का पलायन मुख्यतः निम्नलिखित कारणों से होता है:
- रोजगार की कमी: राज्य में पर्याप्त रोजगार के अवसर न होने के कारण मजदूर दूसरे राज्यों की ओर पलायन करते हैं।
- प्राकृतिक आपदाएँ: बाढ़, सूखा आदि के कारण फसल बर्बाद हो जाती है, जिससे मजदूरों के पास कोई अन्य विकल्प नहीं बचता।
- बाढ़ और अकाल: कोसी जैसी नदियों में बाढ़ के कारण हजारों मजदूरों को अपने गांव छोड़कर दूसरे राज्यों में जाना पड़ता है।
प्रश्न 4: बिहार में कृषक मजदूरों की समस्या का समाधान कैसे किया जा सकता है?
उत्तर: कृषक मजदूरों की समस्याओं का समाधान निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है:
- न्यूनतम मजदूरी अधिनियम का सख्ती से पालन: मजदूरों को उनकी मेहनत के अनुरूप न्यूनतम वेतन मिलना चाहिए।
- लघु एवं कुटीर उद्योगों का विकास: इससे ग्रामीण मजदूरों को कृषि के अलावा भी रोजगार के अवसर मिल सकते हैं।
- ग्रामीण रोजगार केंद्रों की स्थापना: इससे मजदूरों को उनके कौशल के अनुसार रोजगार प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
- कृषि श्रम कल्याण केंद्रों की स्थापना: जिससे मजदूरों को चिकित्सा और अन्य सुविधाएँ प्राप्त हो सकें।
प्रश्न 5: बिहार में कृषक मजदूरों की स्थिति सुधारने के लिए सरकार द्वारा कौन-कौन से प्रयास किए गए हैं?
उत्तर: सरकार ने निम्नलिखित प्रयास किए हैं:
- न्यूनतम मजदूरी अधिनियम (1948): इसे कृषि क्षेत्र में लागू किया गया है।
- भूमिहीन मजदूरों के लिए मुफ्त प्लॉट: पंचवर्षीय योजनाओं के तहत भूमिहीन मजदूरों को मकान बनाने के लिए भूमि दी गई है।
- बंधुआ मजदूरी समाप्त करना: 1976 में बंधुआ मजदूर प्रथा को समाप्त करने के लिए अधिनियम पारित किया गया।
- राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (NREGA): ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए यह योजना शुरू की गई।
प्रश्न 6: बिहार में कृषक मजदूरों की आर्थिक दशा किस प्रकार है?
उत्तर: बिहार में कृषक मजदूरों की आर्थिक दशा अत्यधिक दयनीय है। ये मजदूर निम्न मजदूरी पर काम करते हैं और उनकी आमदनी का बड़ा हिस्सा कर्ज चुकाने में चला जाता है। इनकी मजदूरी इतनी कम है कि वे अपनी बुनियादी जरूरतों जैसे भोजन, वस्त्र, और आवास की भी पूर्ति नहीं कर पाते। इनमें से कई मजदूर ऋणग्रस्तता के कारण भूमिपति या महाजन के गुलाम बनकर काम करते हैं।
प्रश्न 7: बिहार में कृषक मजदूरों के पलायन से राज्य को किस प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है?
उत्तर: कृषक मजदूरों के पलायन के कारण बिहार में कई समस्याएँ उत्पन्न होती हैं:
- कृषि कार्य में मजदूरों की कमी: पलायन के कारण राज्य में कृषि कार्य के लिए श्रमिकों की कमी हो जाती है, जिससे फसलों की उपज पर नकारात्मक असर पड़ता है।
- राजस्व की हानि: कृषि उत्पादन में गिरावट के कारण राज्य के राजस्व में भी कमी आती है।
- सामाजिक समस्याएँ: परिवार के सदस्यों के बिछुड़ने से सामाजिक और मानसिक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
प्रश्न 8: बंधुआ मजदूरी क्या है और यह बिहार में किस प्रकार एक समस्या है?
उत्तर: बंधुआ मजदूरी वह स्थिति है जिसमें मजदूर कर्ज के बदले मालिक के यहाँ काम करता है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब मजदूर कर्ज के बोझ तले दब जाते हैं और कर्ज चुकाने के लिए जीवनभर के लिए मालिक के यहाँ मजदूरी करने के लिए मजबूर होते हैं। बिहार में यह समस्या अत्यधिक देखी जाती है, जहाँ कृषक मजदूरों को अत्यधिक शोषण का सामना करना पड़ता है।
प्रश्न 9: बिहार के कृषक मजदूरों के लिए शिक्षा का महत्व क्या है?
उत्तर: शिक्षा के प्रसार से कृषक मजदूरों की समस्याएँ काफी हद तक हल की जा सकती हैं। शिक्षित मजदूरों को बेहतर रोजगार के अवसर मिलते हैं और वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होते हैं। इसके अलावा, शिक्षा से उनके बच्चों को भी बेहतर भविष्य की उम्मीद होती है, जिससे गरीबी के दुष्चक्र को तोड़ा जा सकता है।
प्रश्न 10: बिहार में कृषक मजदूरों के लिए सहकारी संस्थाओं की क्या भूमिका हो सकती है?
उत्तर: सहकारी संस्थाएँ कृषक मजदूरों को वित्तीय सहायता प्रदान कर सकती हैं, जिससे वे कर्ज के बोझ से मुक्त हो सकते हैं। ये संस्थाएँ कम ब्याज दर पर ऋण देती हैं, जिससे मजदूरों को अपनी जरूरतें पूरी करने में मदद मिलती है। इसके अलावा, सहकारी संस्थाओं के माध्यम से कृषक मजदूरों के संगठन बनाए जा सकते हैं, जो उनके अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं।
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