1. बेरोजगारी क्या होती है?
उत्तर: बेरोजगारी वह स्थिति है जब काम की इच्छा और योग्यता रखने के बावजूद किसी व्यक्ति को रोजगार नहीं मिल पाता। यह एक आर्थिक समस्या है, जो गरीबों को सबसे अधिक प्रभावित करती है। इसके कई प्रकार होते हैं, जैसे मौसमी, छिपी हुई, और शिक्षित बेरोजगारी।
2. मौसमी बेरोजगारी क्या है?
उत्तर: मौसमी बेरोजगारी कृषि और अन्य मौसमी कार्यों में देखने को मिलती है, जहाँ काम केवल कुछ महीनों तक ही उपलब्ध होता है। इसके बाद कामगारों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ता है। यह समस्या कृषि-प्रधान क्षेत्रों में अधिक पाई जाती है।
3. छिपी हुई बेरोजगारी से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: छिपी हुई बेरोजगारी तब होती है जब किसी कार्य में जितने श्रमिकों की आवश्यकता होती है, उससे अधिक लोग लगे होते हैं। ऐसे में अतिरिक्त लोग उत्पादकता में कोई योगदान नहीं कर पाते। यह प्रायः कृषि में देखा जाता है, जहाँ सीमांत उत्पादकता शून्य होती है।
4. शिक्षित बेरोजगारी किसे कहते हैं?
उत्तर: शिक्षित बेरोजगारी उस स्थिति को दर्शाती है जब शिक्षित लोग रोजगार पाने में असमर्थ होते हैं। यह समस्या शिक्षा प्रणाली में खामियों और नौकरी के अवसरों की कमी के कारण उत्पन्न होती है। बिहार जैसे राज्यों में यह समस्या अधिक गंभीर है।
5. भारत में बेरोजगारी के प्रमुख कारण क्या हैं?
उत्तर: भारत में बेरोजगारी के प्रमुख कारणों में जनसंख्या वृद्धि, कृषि का पिछड़ापन, औद्योगिकीकरण का अभाव, अशिक्षा, और पूँजी की कमी शामिल हैं। इन समस्याओं के चलते रोजगार के पर्याप्त अवसर उत्पन्न नहीं हो पाते हैं।
6. औद्योगिक बेरोजगारी क्या है?
उत्तर: औद्योगिक बेरोजगारी तब होती है जब उद्योगों में आधुनिक तकनीकों के कारण कामगारों की छँटाई की जाती है। इससे लोग बेरोजगार हो जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों में रोजगार की तलाश में आने वाले लोगों को भी इस बेरोजगारी का सामना करना पड़ता है।
7. तकनीकी बेरोजगारी किसे कहते हैं?
उत्तर: तकनीकी बेरोजगारी तब होती है जब नई तकनीकों और मशीनों के आगमन से पुराने कार्यकर्ता रोजगार खो देते हैं। जैसे कपड़ा उद्योगों में हैंडलूम की जगह मशीनों के इस्तेमाल से कई बुनकर बेरोजगार हो गए हैं।
8. बिहार में बेरोजगारी की समस्या कितनी गंभीर है?
उत्तर: बिहार में बेरोजगारी की समस्या अत्यधिक गंभीर है, जहाँ ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर लोग कृषि पर निर्भर हैं। यहाँ पर मौसमी, छिपी हुई, और शिक्षित बेरोजगारी अधिक पाई जाती है। औद्योगिकीकरण का अभाव इस समस्या को और जटिल बनाता है।
9. जनसंख्या वृद्धि से बेरोजगारी कैसे बढ़ती है?
उत्तर: बढ़ती जनसंख्या रोजगार के अवसरों पर भारी दबाव डालती है। ज्यादा लोग कम संसाधनों में रोजगार पाने की कोशिश करते हैं, जिससे बेरोजगारी बढ़ती है। भारत में तीव्र जनसंख्या वृद्धि बेरोजगारी के प्रमुख कारणों में से एक है।
10. बेरोजगारी के सामाजिक प्रभाव क्या हैं?
उत्तर: बेरोजगारी से समाज में हीन भावना, अपराधों का बढ़ना, और पलायन की प्रवृत्ति जन्म लेती है। बेरोजगार लोग आत्मसम्मान खो देते हैं और आर्थिक तंगी के कारण उनके जीवन स्तर में गिरावट आती है। इससे सामाजिक कुरीतियाँ भी बढ़ती हैं।
11. ग्रामीण और शहरी बेरोजगारी में क्या अंतर है?
उत्तर: ग्रामीण बेरोजगारी मुख्य रूप से कृषि आधारित होती है और मौसमी तथा छिपी हुई बेरोजगारी अधिक होती है। शहरी क्षेत्रों में औद्योगिक और तकनीकी बेरोजगारी अधिक देखने को मिलती है, जहाँ मशीनीकरण के कारण कामगार अपनी नौकरियाँ खो देते हैं।
12. बेरोजगारी का आर्थिक प्रभाव क्या होता है?
उत्तर: बेरोजगारी के कारण व्यक्ति की आय कम हो जाती है, जिससे उसका जीवन-स्तर गिर जाता है। इससे देश की अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, क्योंकि उत्पादक संसाधनों का सही उपयोग नहीं हो पाता। कर्ज का बोझ भी बढ़ जाता है।
13. छठी पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत बेरोजगारी दूर करने के लिए कौन से प्रयास किए गए थे?
उत्तर: छठी पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम, ग्रामीण भूमिहीन रोजगार कार्यक्रम, और जवाहर रोजगार योजना जैसे कार्यक्रम शुरू किए गए। इनसे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करने का प्रयास किया गया, जिससे बेरोजगारी में कमी आई।
14. कुटीर उद्योगों से बेरोजगारी कैसे कम की जा सकती है?
उत्तर: कुटीर उद्योगों के माध्यम से ग्रामीण बेरोजगारी को कम किया जा सकता है, क्योंकि इसमें कम पूँजी और श्रम की जरूरत होती है। परिवार के सभी सदस्यों को काम उपलब्ध करवा कर छिपी हुई बेरोजगारी को कम किया जा सकता है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार के अवसर बढ़ते हैं।
15. स्वरोजगार बेरोजगारी कम करने में कैसे सहायक है?
उत्तर: स्वरोजगार से लोग खुद के लिए रोजगार के साधन उत्पन्न कर सकते हैं, जिससे बेरोजगारी की समस्या में कमी आती है। सरकार भी स्वरोजगार को प्रोत्साहित करने के लिए ऋण और प्रशिक्षण योजनाएँ चलाती है, जिससे लोग नए व्यवसाय शुरू कर सकते हैं।
16. बिहार में अशिक्षा के कारण बेरोजगारी पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: बिहार में अशिक्षा की उच्च दर के कारण लोग तकनीकी और औद्योगिक क्षेत्रों में काम करने के योग्य नहीं बन पाते, जिससे बेरोजगारी बढ़ती है। अशिक्षित लोग कम कुशल होते हैं और केवल पारंपरिक कामों पर निर्भर रहते हैं, जिससे रोजगार के अवसर सीमित हो जाते हैं।
17. रोजगार सृजन के लिए सरकारी योजनाओं का क्या योगदान है?
उत्तर: सरकारी योजनाओं जैसे राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (NAREGA) और स्वरोजगार योजनाओं के माध्यम से रोजगार के अवसर पैदा किए जा रहे हैं। इन योजनाओं से गरीबों को काम मिल रहा है और उनकी आय में वृद्धि हो रही है, जिससे उनकी जीवन-शैली में सुधार हो रहा है।
18. बिहार में मौसमी बेरोजगारी का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर: बिहार में कृषि मुख्यतः मानसून पर निर्भर है, जिससे केवल कुछ महीनों तक ही काम उपलब्ध होता है। शेष समय में मजदूरों को काम नहीं मिल पाता, जिससे मौसमी बेरोजगारी उत्पन्न होती है। सिंचाई के साधनों की कमी इस समस्या को और गंभीर बनाती है।
19. पलायन की प्रवृत्ति बेरोजगारी से कैसे जुड़ी है?
उत्तर: बेरोजगारी के कारण लोग रोजगार की तलाश में अपने गाँव से शहरों की ओर पलायन करते हैं। हालाँकि, शहरों में भी उन्हें स्थायी रोजगार नहीं मिल पाता, जिससे वे अस्थायी नौकरियों में कम वेतन पर काम करने को मजबूर हो जाते हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन बढ़ता है।
20. बेरोजगारी को दूर करने के लिए कौन से गैर-सरकारी उपाय हो सकते हैं?
उत्तर: गैर-सरकारी उपायों में स्वरोजगार को बढ़ावा देना, स्वयं सहायता समूह (SHG) बनाना, और कुटीर उद्योगों का विकास करना शामिल है। इनसे ग्रामीण स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ते हैं और लोगों को बेरोजगारी से छुटकारा मिलता है।
Long Questions
1. बेकारी क्या है? इसे परिभाषित कीजिए और इसके प्रमुख लक्षणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
- बेकारी की परिभाषा: बेकारी वह स्थिति है जब कोई व्यक्ति अपनी इच्छा और योग्यता होते हुए भी काम नहीं प्राप्त कर पाता है। यह एक गंभीर आर्थिक समस्या है जिसका गरीबी से गहरा संबंध है।
- प्रमुख लक्षण:
- कार्य की खोज: व्यक्ति काम करना चाहता है, लेकिन उसे काम नहीं मिलता।
- काम के लिए उपलब्धता: व्यक्ति काम करने के लिए पूरी तरह से उपलब्ध है, लेकिन फिर भी काम नहीं मिल पाता।
- योग्यता का उपयोग न हो पाना: व्यक्ति के पास योग्यता होते हुए भी उसकी सेवाओं का उपयोग नहीं हो पाता।
- समाज में असमानता: बेकारी के कारण समाज में आर्थिक और सामाजिक विषमता उत्पन्न होती है|
2. भारत में बेकारी के विभिन्न प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
- बेकारी के प्रकार:
- मौसमी बेकारी: यह कृषि क्षेत्र में पाई जाती है, जहाँ खेती के मौसम के बाद मजदूरों को काम नहीं मिलता।
- प्रच्छन्न बेकारी: जब किसी काम में अधिक लोग लगे होते हैं, लेकिन उनकी उपस्थिति से उत्पादन में कोई वृद्धि नहीं होती।
- शिक्षित बेकारी: जब पढ़े-लिखे लोग रोजगार नहीं प्राप्त कर पाते, इसे शिक्षित बेकारी कहते हैं।
- औद्योगिक बेकारी: औद्योगिक क्षेत्रों में मशीनीकरण के कारण लोग बेरोजगार हो जाते हैं।
- तकनीकी बेकारी: जब तकनीकी परिवर्तन के कारण पुराने श्रमिकों की जगह नई मशीनें ले लेती हैं, तो यह तकनीकी बेकारी कहलाती है|
3. बिहार में मौसमी और प्रच्छन्न बेकारी के क्या कारण हैं? इनका समाधान क्या हो सकता है?
उत्तर:
- मौसमी बेकारी के कारण:
- मौसम पर निर्भरता: बिहार की कृषि मुख्यतः मानसून पर निर्भर है, जिसके कारण किसान केवल कुछ महीनों तक ही रोजगार पाते हैं।
- सिंचाई की कमी: सिंचाई के अभाव में लोग खेती के बाद बेरोजगार हो जाते हैं।
- प्रच्छन्न बेकारी के कारण:
- कृषि पर जनसंख्या का बोझ: अधिक लोग कृषि कार्य में लगे होते हैं, लेकिन उनके काम से उत्पादन में वृद्धि नहीं होती।
- समाधान:
- सिंचाई सुविधाओं का विकास: सिंचाई की बेहतर सुविधाओं से कृषि का कार्य बढ़ाया जा सकता है।
- गैर-कृषि रोजगार: कुटीर उद्योग और अन्य छोटे रोजगार शुरू करके लोगों को वैकल्पिक रोजगार दिया जा सकता है|
4. भारत में शिक्षित बेरोजगारी क्यों बढ़ रही है? इसके समाधान के उपाय सुझाइए।
उत्तर:
- शिक्षित बेरोजगारी के कारण:
- दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली: शिक्षा प्रणाली रोजगार परक नहीं है, जिससे डिग्रीधारी बेरोजगार रह जाते हैं।
- रोजगार के अवसरों की कमी: स्नातक और स्नातकोत्तर लोगों के लिए नौकरियों की उपलब्धता कम है।
- तकनीकी कौशल का अभाव: तकनीकी क्षेत्र में कुशलता न होने के कारण लोग नौकरियों के लिए प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जाते हैं।
- समाधान:
- शिक्षा में सुधार: शिक्षा को अधिक व्यावहारिक और रोजगारपरक बनाया जाना चाहिए।
- तकनीकी प्रशिक्षण: तकनीकी कौशल बढ़ाने के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए जाएँ।
- स्वरोजगार को बढ़ावा: युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए||
5. बिहार में औद्योगिक और तकनीकी बेरोजगारी के क्या कारण हैं? इसका समाधान कैसे किया जा सकता है?
उत्तर:
- औद्योगिक बेरोजगारी के कारण:
- मशीनीकरण: उद्योगों में मशीनों का अधिक उपयोग होने से श्रमिकों की जरूरत कम हो गई है।
- औद्योगिक विकास की कमी: बिहार में उद्योगों का विस्तार सीमित रहा है, जिससे लोगों को रोजगार नहीं मिल पाता।
- तकनीकी बेरोजगारी के कारण:
- तकनीकी कौशल की कमी: श्रमिकों को नई तकनीकों के साथ काम करने का प्रशिक्षण नहीं मिला, जिससे वे बेरोजगार हो गए।
- समाधान:
- औद्योगिक विकास: बिहार में उद्योगों का विस्तार किया जाए और नए उद्योग स्थापित किए जाएँ।
- तकनीकी प्रशिक्षण: लोगों को आधुनिक तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान किया जाए ताकि वे बदलते उद्योगों में रोजगार पा सकें|
6. भारत में ग्रामीण और शहरी बेरोजगारी में क्या अंतर है? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
- ग्रामीण बेरोजगारी:
- मौसमी बेरोजगारी: खेती के मौसम के बाद काम न मिलना।
- प्रच्छन्न बेरोजगारी: कृषि में अधिक लोग लगे होते हैं, लेकिन उत्पादकता में वृद्धि नहीं होती।
- शहरी बेरोजगारी:
- औद्योगिक बेरोजगारी: शहरों में उद्योगों में मशीनीकरण के कारण रोजगार के अवसर कम हो जाते हैं।
- शिक्षित बेरोजगारी: शहरों में शिक्षित लोगों को उनकी योग्यता के अनुसार काम नहीं मिल पाता।
- उदाहरण:
- ग्रामीण: रामधनी जैसे किसान परिवार कृषि के मौसमी चक्र में बेरोजगार रहते हैं।
- शहरी: कलकत्ता में चमड़े की फैक्टरी में काम करने वाले श्रमिक नई मशीनों के आने के बाद बेरोजगार हो गए|
7. भारत में बेकारी के कारण कौन-कौन से हैं? इन्हें विस्तृत रूप में समझाइए।
उत्तर:
- बेकारी के प्रमुख कारण:
- जनसंख्या वृद्धि: तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण रोजगार के अवसर सीमित हो जाते हैं।
- अशिक्षा: अशिक्षित लोग रोजगार के आधुनिक अवसरों से वंचित रह जाते हैं।
- कृषि का पिछड़ापन: कृषि में नए तकनीक का अभाव और मानसून पर निर्भरता से बेरोजगारी बढ़ती है।
- औद्योगिकीकरण का अभाव: औद्योगिक विस्तार की कमी से रोजगार के अवसर नहीं बढ़ रहे।
- प्रशिक्षण की कमी: तकनीकी प्रशिक्षण के अभाव में लोग नई नौकरियों के लिए योग्य नहीं हो पाते|
8. बेकारी की समस्या से उत्पन्न सामाजिक और आर्थिक समस्याएँ क्या हैं?
उत्तर:
- सामाजिक समस्याएँ:
- हीन भावना: बेरोजगार व्यक्ति समाज में अपनी तुलना में हीन महसूस करता है।
- सामाजिक कुरीतियाँ: बेकारी के कारण समाज में चोरी, डकैती, और अन्य अपराध बढ़ते हैं।
- पलायन की प्रवृत्ति: रोजगार की तलाश में लोग अपने गाँवों को छोड़कर शहरों में जाते हैं, जिससे परिवार टूट जाते हैं।
- आर्थिक समस्याएँ:
- आय में कमी: बेरोजगार होने के कारण व्यक्ति की आय घट जाती है।
- निम्न जीवन स्तर: आय कम होने से जीवन स्तर निम्न हो जाता है।
- आर्थिक मंदी: बेरोजगारी का व्यापक स्तर पर असर पूरे देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है|
9. भारत में मौजूदा बेरोजगारी दूर करने के लिए सरकारी और गैर-सरकारी उपाय क्या हैं?
उत्तर:
- सरकारी उपाय:
- राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (NAREGA): ग्रामीण क्षेत्रों में 100 दिनों का रोजगार प्रदान किया जाता है।
- जवाहर रोजगार योजना: ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक कार्यों के माध्यम से रोजगार के अवसर प्रदान किए जाते हैं।
- गैर-सरकारी उपाय:
- स्वरोजगार: लोग अपने स्तर पर छोटे व्यवसाय शुरू करके बेरोजगारी दूर कर सकते हैं।
- कुटीर उद्योग: ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे उद्योगों को बढ़ावा देकर बेरोजगारी कम की जा सकती है|
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