1. समुद्र किस प्रकार की भाषा में बात करता है?
उत्तर: समुद्र अपनी “अबूझ भाषा” में यह कहता है कि मनुष्य जितना चाहें, उससे ले सकता है, फिर भी उसके पास देने के लिए बहुत कुछ रहेगा। उसकी देने की इच्छा कभी खत्म नहीं होती।
2. कविता में समुद्र की किस विशेषता पर जोर दिया गया है?
उत्तर: कविता में समुद्र की अक्षयता और उसकी असीम देने की प्रवृत्ति पर जोर दिया गया है। चाहे मनुष्य कितना भी ले ले, फिर भी समुद्र के पास देने के लिए बहुत कुछ शेष रहता है।
3. कवि समुद्र के माध्यम से क्या संदेश देना चाहता है?
उत्तर: कवि समुद्र के माध्यम से यह संदेश देता है कि प्रकृति देने में कभी संकोच नहीं करती, परंतु मनुष्य की उपभोक्तावादी प्रवृत्तियाँ उसे प्रकृति से दूर कर रही हैं। मनुष्य को प्रकृति से सीख लेनी चाहिए।
4. “सोता रहूँगा छोटे से फ्रेम में बँधा” का क्या अर्थ है?
उत्तर: इस पंक्ति का अर्थ है कि समुद्र की तस्वीर या चित्र फ्रेम में बंधकर एक स्थिर वस्तु बन जाता है, जिसमें उसकी असली गरज, नाच और ऊर्जा नहीं दिखती। वह असली समुद्र का केवल एक सीमित हिस्सा होता है।
5. “नन्हे-नन्हे सहस्र गड्ढों” से कवि का क्या अभिप्राय है?
उत्तर: कवि का अभिप्राय उन छोटे-छोटे गड्ढों से है, जो केंकड़े समुद्र के किनारे बनाते हैं। कवि यह कहता है कि अगर मनुष्य केंकड़ों को पकड़ भी ले, तो उनके गड्ढों के लिए उतनी बड़ी पृथ्वी नहीं दे सकता।
6. कविता में ‘चिर तृषित’ किसे कहा गया है?
उत्तर: कविता में ‘चिर तृषित’ सूर्य को कहा गया है, जो हमेशा प्यासा रहता है और समुद्र की छाती से पानी पीता रहता है। फिर भी समुद्र कभी सूखता नहीं है।
7. समुद्र की प्रकृति कैसी है?
उत्तर: समुद्र की प्रकृति असीम और देने वाली है। वह मनुष्य की सभी जरूरतें पूरी कर सकता है, परंतु उसकी उदारता को कभी समझा नहीं जाता। समुद्र शांत रहता है और सब कुछ सह लेता है।
8. समुद्र में लेने और देने का क्या संबंध है?
उत्तर: समुद्र में लेने और देने का संबंध यह है कि वह हमेशा देने के लिए तैयार रहता है। मनुष्य चाहे कितना भी ले ले, उसकी देने की क्षमता कभी खत्म नहीं होती। यह उसकी उदारता को दर्शाता है।
9. ‘अस्थिर पदचिह्नों’ का क्या अर्थ है?
उत्तर: ‘अस्थिर पदचिह्नों’ का अर्थ है वह अस्थायी निशान, जो मनुष्य समुद्र किनारे अपने पैरों से बनाता है। समुद्र इन्हें अपने स्वाभाविक लहरों से मिटा देता है, जैसे वह मनुष्य की उपस्थिति को भी समय के साथ समाप्त कर देता है।
10. “जितना चाहो ले जाओ, फिर भी रहेगी बची देने की अभिलाषा” का क्या अर्थ है?
उत्तर: इस पंक्ति का अर्थ है कि समुद्र इतना विशाल और उदार है कि मनुष्य चाहे जितना भी ले ले, उसकी देने की इच्छा कभी खत्म नहीं होगी। यह समुद्र की असीम उदारता को दर्शाता है।
11. कविता के माध्यम से समुद्र के बारे में क्या जानकारी मिलती है?
उत्तर: कविता के माध्यम से हमें यह पता चलता है कि समुद्र असीम और अक्षय है। वह निरंतर देता रहता है और कभी समाप्त नहीं होता। उसकी शक्तिशाली गरज और उदारता मनुष्य की सीमाओं से परे है।
12. कविता में समुद्र मनुष्य से क्या प्रश्न करता है?
उत्तर: समुद्र मनुष्य से पूछता है कि वह घोंघे लेकर क्या करेगा, और उनसे क्या बनाएगा। वह मनुष्य की उपभोक्तावादी सोच पर सवाल उठाता है और उसे सोचने पर मजबूर करता है कि उसकी इच्छाएँ सीमित क्यों नहीं होतीं।
13. कविता का मुख्य संदेश क्या है?
उत्तर: कविता का मुख्य संदेश यह है कि प्रकृति असीम और उदार है, लेकिन मनुष्य की उपभोक्तावादी प्रवृत्तियाँ उसे समझ नहीं पातीं। हमें प्रकृति से लेना ही नहीं, बल्कि उसे बचाना और उसकी कद्र करना भी सीखना चाहिए।
14. समुद्र का ‘लीप-पोंछकर मिटाना’ क्या दर्शाता है?
उत्तर: समुद्र का ‘लीप-पोंछकर मिटाना’ यह दर्शाता है कि समुद्र उन अस्थायी निशानों को मिटा देता है, जो मनुष्य ने बनाए हैं। यह प्रकृति के स्वाभाविक रूप से सब कुछ वापस सामान्य करने की क्षमता को दर्शाता है।
15. कविता के अनुसार मनुष्य और समुद्र की प्रकृति में क्या अंतर है?
उत्तर: मनुष्य स्वार्थी और उपभोक्तावादी है, जबकि समुद्र उदार और देने वाला है। मनुष्य केवल लेना जानता है, जबकि समुद्र हमेशा देने के लिए तत्पर रहता है, भले ही उसे कुछ न मिले।
16. कविता में समुद्र को किसका प्रतीक माना गया है?
उत्तर: कविता में समुद्र को समाज और प्रकृति का प्रतीक माना गया है। यह दिखाता है कि प्रकृति बिना किसी शिकायत के देती रहती है, जबकि मनुष्य केवल अपने लाभ के बारे में सोचता है।
17. समुद्र की उदारता से कवि हमें क्या सिखाना चाहता है?
उत्तर: समुद्र की उदारता से कवि हमें यह सिखाना चाहता है कि हमें भी समुद्र की तरह उदार और दयालु होना चाहिए। हमें अपनी जरूरतों से ज्यादा लेने की आदत छोड़नी चाहिए और दूसरों के लिए भी सोचना चाहिए।
18. समुद्र मनुष्य की कौन सी प्रवृत्ति की आलोचना करता है?
उत्तर: समुद्र मनुष्य की उपभोक्तावादी प्रवृत्ति की आलोचना करता है, जो केवल लेने पर ध्यान देती है। मनुष्य प्रकृति का दोहन तो करता है, लेकिन उसे बचाने की जिम्मेदारी नहीं उठाता।
19. ‘तुम्हारी आतुर वापसी’ से कवि का क्या अभिप्राय है?
उत्तर: ‘तुम्हारी आतुर वापसी’ से कवि का अभिप्राय मनुष्य की जल्दबाजी से है, जो कुछ समय के लिए समुद्र के पास आता है, लेकिन फिर अपनी ही दुनिया में लौट जाता है। यह मनुष्य के अस्थिर स्वभाव को दिखाता है।
20. समुद्र के पास लौटने वाले ‘अस्थिर आलोड़न’ का क्या मतलब है?
उत्तर: ‘अस्थिर आलोड़न’ समुद्र की लहरों का प्रतीक है, जो लगातार हिलती रहती हैं। यह दर्शाता है कि समुद्र का काम है मनुष्य के पदचिह्नों को मिटाना और हर चीज को वापस अपनी स्थिर स्थिति में लाना।
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