Important Questions For All Chapters – हिंदी Class 9
1. बिरजू की माँ को “लाल पान की बेगम” क्यों कहा गया है?
उत्तर: बिरजू की माँ को “लाल पान की बेगम” इसलिए कहा गया है क्योंकि वह अपने स्वाभिमान और आत्मसम्मान को बनाए रखती है। गाँव की गरीबी और कठिन परिस्थितियों के बावजूद वह अपने आपको एक उच्च स्थान पर मानती है। उसकी यह मानसिक स्थिति और उसकी जीवन शैली उसके इस नामकरण को सार्थक बनाती है।
2. कहानी में बिरजू की माँ बैठी मन-ही-मन क्यों कुढ़ रही थी?
उत्तर: बिरजू की माँ इसलिए कुढ़ रही थी क्योंकि उसका पति वादा करने के बावजूद समय पर बैलगाड़ी नहीं ला पाया था, जिससे वह बलरामपुर का नाच नहीं देख सकी। वह अपने स्वाभिमान और इच्छाओं की पूर्ति न होने के कारण नाराज थी।
3. “नवान्न के पहले ही नया धान जुठा दिया”—इस कथन से बिरजू की माँ का कौन-सा मनोभाव प्रकट हो रहा है?
उत्तर: इस कथन से बिरजू की माँ की धार्मिक आस्था और परंपरागत विचारधारा का पता चलता है। वह इस बात को लेकर सजग है कि नवान्न (नई फसल) का अन्न पहली बार देवी-देवताओं को अर्पण किए बिना खाना अनुचित है।
4. ‘लाल पान की बेगम’ कहानी की सार्थकता स्पष्ट करें।
उत्तर: ‘लाल पान की बेगम’ कहानी ग्रामीण परिवेश की सजीव तस्वीर प्रस्तुत करती है। इसमें गरीबी, ईर्ष्या, सामाजिक द्वेष, और साथ ही ग्रामीण समाज की खुशियों और उम्मीदों का गहरा चित्रण है। कहानी का शीर्षक बिरजू की माँ के चरित्र की विशिष्टता को दर्शाता है, जो अपनी कठिनाइयों के बीच भी आत्मसम्मान बनाए रखती है।
5. रेणु के साहित्य में आंचलिकता का क्या महत्व है?
उत्तर: रेणु के साहित्य में आंचलिकता का महत्व बहुत अधिक है। वे अपने लेखन के माध्यम से गाँव के परिवेश, वहाँ की भाषा, रीति-रिवाज, और लोक-संस्कृति का सजीव चित्रण करते हैं। उनकी रचनाओं में ग्रामीण जीवन की सरलता और उसकी जटिलताओं का बहुत ही जीवंत वर्णन मिलता है।
6. “चार मन पाट (जूट) का पैसा क्या हुआ है, धरती पर पाँव ही नहीं पड़ते”—इस कथन का सप्रसंग व्याख्या करें।
उत्तर: यह कथन गाँव में धन-सम्पन्नता आने पर लोगों के स्वभाव में बदलाव का संकेत देता है। बिरजू की माँ के प्रति दूसरों की ईर्ष्या और ताने इस बात का संकेत हैं कि जरा-सा धन मिलने पर लोग किस प्रकार घमंड महसूस करने लगते हैं। यह कथन ग्रामीण समाज की मानसिकता पर व्यंग्य है।
7. बिरजू की माँ और पिता के संबंधों में कड़वाहट स्थाई है या अस्थाई? इसके कारणों पर विचार कीजिए।
उत्तर: बिरजू की माँ और पिता के संबंधों में कड़वाहट अस्थाई है। उनकी कड़वाहट गरीबी और अपूर्ण इच्छाओं का परिणाम है। कहानी के अंत में बिरजू के पिता का धान लाना और बिरजू की माँ का गुस्सा कम होना इस बात का संकेत देता है कि उनके संबंधों में प्यार और समझ का भी भाव है।
8. गाँव की गरीबी और आपसी क्रोध के बावजूद वहाँ एक प्राकृतिक प्रसन्नता कैसे निवास करती है?
उत्तर: गाँव के लोग अपनी कठिनाइयों के बीच भी छोटी-छोटी खुशियों को ढूंढ लेते हैं। नाच देखने की तैयारी, बच्चों की चंचलता, और एक-दूसरे के साथ मिलकर बिताए गए पल गाँव की उस प्राकृतिक प्रसन्नता को दर्शाते हैं, जो जीवन की कठिनाइयों को भी सुंदर बना देती है।
9. बिरजू और चंपिया की चंचलता और बालमन के कुछ उदाहरण प्रस्तुत करें।
उत्तर: बिरजू और चंपिया की चंचलता का उदाहरण उस समय मिलता है जब बिरजू अपनी माँ से गुड़ मांगता है और चंपिया उसे चुपके से शकरकंद दे देती है। इसके अलावा, बिरजू का ‘मलेटरी टोपी’ बनाना और चंपिया का नाच में जाने की इच्छा भी उनकी बालसुलभ चंचलता को दिखाते हैं।
10. कहानी ‘लाल पान की बेगम’ का सारांश लिखें।
उत्तर: कहानी ‘लाल पान की बेगम’ में बिरजू की माँ के संघर्ष, उसके स्वाभिमान और ग्रामीण जीवन की सजीव तस्वीर दिखाई गई है। कहानी में नाच देखने की इच्छा और उसकी तैयारियों के माध्यम से गाँव की गरीबी, ईर्ष्या, परंपराएं, और लोगों की सरलता का वर्णन मिलता है।
11. कहानी के मुख्य पात्रों का परिचय दीजिए।
उत्तर:
- बिरजू की माँ: स्वाभिमानी और संघर्षशील महिला, जो अपने परिवार के लिए समर्पित है।
- बिरजू: एक चंचल और मासूम बच्चा, जो अपनी बहन के साथ नाच देखने की उम्मीद में रहता है।
- चंपिया: बिरजू की बहन, जो अपने भाई के साथ मिलकर माँ के गुस्से से बचने की कोशिश करती है।
- बिरजू के पिता: मेहनती किसान, जो परिवार के लिए अपनी क्षमताओं से बढ़कर प्रयास करता है।
12. फणीश्वरनाथ रेणु के लेखन में दृश्य चित्रण की विशेषता बताइए।
उत्तर: रेणु के लेखन में दृश्य चित्रण की विशेषता यह है कि वे शब्दों के माध्यम से एक जीवंत दृश्य प्रस्तुत करते हैं। उनके वर्णनों में गाँव के खेत-खलिहान, मौसम, और वहाँ के लोक-जीवन का सजीव चित्रण मिलता है, जो पाठक को उस परिवेश का हिस्सा बना देता है।
13. बिरजू की माँ की मनोदशा में परिवर्तन कब और कैसे होता है?
उत्तर: बिरजू की माँ की मनोदशा में परिवर्तन तब होता है जब उसका पति बैलगाड़ी और धान की पँचसीस लेकर घर आता है। इससे उसे अपनी स्थिति पर गर्व महसूस होता है और उसका गुस्सा शांत हो जाता है।
14. कहानी में ईर्ष्या और द्वेष के क्या कारण हैं?
उत्तर: गाँव की आर्थिक असमानता, जमीन के बँटवारे और छोटे-छोटे संपत्ति विवाद गाँव में ईर्ष्या और द्वेष के प्रमुख कारण हैं। बिरजू की माँ के पास थोड़ी संपत्ति आने से उसे दूसरे लोगों की आलोचनाओं और तानों का सामना करना पड़ता है।
15. ‘लाल पान की बेगम’ कहानी का संदेश क्या है?
उत्तर: ‘लाल पान की बेगम’ कहानी का संदेश यह है कि कठिनाइयों और अभावों के बावजूद जीवन में छोटी-छोटी खुशियों और आत्मसम्मान की अपनी जगह होती है। यह कहानी हमें बताती है कि ग्रामीण जीवन की सादगी में भी गरिमा और संघर्ष की कहानी छिपी होती है।
16. बिरजू की माँ के चरित्र की क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर: बिरजू की माँ एक आत्मसम्मानी और स्वाभिमानी महिला है। वह कठिनाइयों का सामना करते हुए भी अपने स्वाभिमान को बनाए रखती है। उसका अपने बच्चों के प्रति स्नेह है, लेकिन वह अनुशासन में विश्वास रखती है। उसे अपनी आर्थिक स्थिति का एहसास है, लेकिन वह अपनी इच्छाओं का दम नहीं घुटने देती।
17. कहानी में बिरजू की माँ का बैलगाड़ी को लेकर इतना उत्साहित होना किस बात का संकेत है?
उत्तर: बैलगाड़ी पर नाच देखने जाने का सपना बिरजू की माँ के लिए एक खास अनुभव का प्रतीक है। यह उसके लिए सामाजिक प्रतिष्ठा और अपने सपनों को पूरा करने का माध्यम है। यह उसे अपनी गरीबी से ऊपर उठने का एक अवसर लगता है, जिससे वह अपने गांव वालों के सामने गर्व महसूस कर सके।
18. फणीश्वरनाथ रेणु की भाषा-शैली की क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर: फणीश्वरनाथ रेणु की भाषा-शैली में आंचलिकता की विशेषता है। वे ग्रामीण परिवेश की भाषा और बोलचाल को अपनी रचनाओं में कुशलता से प्रस्तुत करते हैं। उनके लेखन में सरलता, सजीवता, और गाँव की मिट्टी की महक झलकती है, जो पाठक को ग्रामीण जीवन की सजीव तस्वीर देती है।
19. बिरजू की माँ और मखनी फुआ के संवाद से गाँव की किस मानसिकता का पता चलता है?
उत्तर: बिरजू की माँ और मखनी फुआ के संवाद से गाँव की लोगों की ईर्ष्या और आपसी मतभेद का पता चलता है। उनके बीच की तकरार से स्पष्ट होता है कि गाँव में लोग एक-दूसरे की छोटी-छोटी सफलताओं और संपत्ति पर ध्यान देते हैं और ईर्ष्या करते हैं। इससे ग्रामीण समाज की आपसी प्रतिस्पर्धा और एक-दूसरे की खुशियों में कड़वाहट की भावना झलकती है।
20. बिरजू की माँ का अपने पति से असंतोष क्या दर्शाता है?
उत्तर: बिरजू की माँ का अपने पति से असंतोष उनके जीवन की कठिनाइयों और अधूरी इच्छाओं का प्रतीक है। वह अपने पति को कोल्हू के बैल की तरह खटने वाला समझती है, जिससे उसे जीवन में कोई विशेष खुशी नहीं मिली। यह असंतोष गरीबी और संघर्षपूर्ण जीवन के प्रति उसकी नाराजगी को दर्शाता है।
21. रेणु ने ‘लाल पान की बेगम’ कहानी में किस प्रकार गाँव की स्त्रियों का चित्रण किया है?
उत्तर: रेणु ने गाँव की स्त्रियों का चित्रण उनकी छोटी-छोटी खुशियों, आपसी ईर्ष्या, पारिवारिक प्रेम, और संघर्षों के माध्यम से किया है। वे गाँव की सामाजिक सीमाओं में रहते हुए भी अपनी इच्छाओं और सपनों को संजोए रखती हैं। कहानी में स्त्रियों के बीच आपसी बातचीत और उनकी रोजमर्रा की जिंदगी का सजीव चित्रण है।
22. कहानी में बिरजू की माँ के स्वाभिमान और समाज की मानसिकता के बीच क्या संघर्ष है?
उत्तर: बिरजू की माँ का स्वाभिमान उसे हमेशा अपने आत्मसम्मान के लिए लड़ने की प्रेरणा देता है, जबकि समाज की मानसिकता उसे नीचा दिखाने की कोशिश करती है। गाँव के लोग उसकी छोटी-छोटी खुशियों और संपत्ति पर कटाक्ष करते हैं, लेकिन वह अपने स्वाभिमान को बनाए रखती है और उनकी बातों को नजरअंदाज करती है।
23. “बिरजू की माँ का भाग ही खराब है जो ऐसा गोबर गणेश घरवाला उसे मिला”—इस कथन से बिरजू की माँ की किस मानसिक स्थिति का पता चलता है?
उत्तर: इस कथन से पता चलता है कि बिरजू की माँ अपने पति की कमजोरियों और उनके जीवन में आई कठिनाइयों के लिए उन्हें दोषी मानती है। वह सोचती है कि अगर उसका पति अधिक समझदार और मेहनती होता, तो उनके जीवन में अधिक सुख होता। यह उनके जीवन के प्रति निराशा और हताशा को दर्शाता है।
24. रेणु के साहित्य में गाँव के सामाजिक और आर्थिक बदलावों का क्या प्रभाव दिखता है?
उत्तर: रेणु के साहित्य में स्वतंत्रता के बाद गाँवों में आए सामाजिक और आर्थिक बदलावों का गहरा प्रभाव दिखता है। उनकी कहानियों में गाँव की पुरानी परंपराओं और नए बदलावों के बीच संघर्ष को दिखाया गया है। सर्वे और जमीन का बँटवारा जैसे बदलाव ग्रामीण समाज की सामाजिक संरचना और व्यक्तिगत संबंधों को प्रभावित करते हैं।
25. कहानी के अंत में बिरजू की माँ का मन कैसे बदलता है और इसका क्या महत्व है?
उत्तर: कहानी के अंत में, जब बिरजू के पिता गाड़ी लेकर आते हैं और धान की पँचसीस लाते हैं, तो बिरजू की माँ का गुस्सा शांत हो जाता है। उसे संतोष होता है कि उसकी इच्छाएँ पूरी हो रही हैं। इस बदलाव का महत्व यह है कि वह अपने परिवार के साथ उन छोटी-छोटी खुशियों को साझा करना चाहती है, जो उसके कठिन जीवन में एक नई उम्मीद लाती हैं।
Leave a Reply