1. बिहार के लोकनृत्यों की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर
बिहार के लोकनृत्य सामूहिक होते हैं, जिनमें कथानक और नाटकीयता होती है। ये नृत्य गायन और वादन से युक्त होते हैं, और इनमें सामाजिक, धार्मिक, और सांस्कृतिक विषयों को व्यक्त किया जाता है।
2. जट-जटिन नृत्य का क्या महत्त्व है, और इसे किस उद्देश्य से किया जाता है?
उत्तर
जट-जटिन नृत्य मिथिला का प्रमुख नृत्य है, जिसे वर्षा की कामना के लिए किया जाता है। इसमें महिलाएँ पुरुषों की भूमिकाएँ निभाती हैं और संवादात्मक गायन होता है।
3. झिझिया नृत्य किस प्रकार का नृत्य है, और इसका क्या उद्देश्य है?
उत्तर
झिझिया नृत्य पूरी तरह से नारी प्रधान नृत्य है, जिसमें महिलाएँ गोल घेरा बनाकर नाचती हैं, और इस नृत्य का अनुष्ठानिक महत्त्व भी है। यह नृत्य विशेष रूप से वर्षा के लिए किया जाता है।
4. करिया-झूमर नृत्य की विशेषता क्या है?
उत्तर
करिया-झूमर नृत्य में लड़कियाँ एक-दूसरे का हाथ पकड़कर गोलाकार में नाचती हैं। यह नृत्य सामान्यत: साँझ या रात में किया जाता है, और इसका उल्लासपूर्ण माहौल होता है।
5. बिदापत नाच किस वर्ग में अधिक प्रचलित है, और इसमें कौन से वाद्य यंत्र उपयोग होते हैं?
उत्तर
बिदापत नाच विशेष रूप से दलित वर्ग में प्रचलित है, और इसमें मृदंग और खोल जैसे वाद्ययंत्रों का प्रयोग होता है। यह नृत्य सामूहिक गायन से युक्त होता है।
6. सामा-चकेवा नृत्य की क्या विशेषता है?
उत्तर
सामा-चकेवा नृत्य मिथिला का विशेष नृत्य है, जिसमें मूर्तियों का उपयोग होता है। इसमें लड़कियाँ भगवान कृष्ण और अन्य पात्रों की मूर्तियों के चारों ओर नाचती हैं।
7. डोमकच नृत्य कब किया जाता है, और इसमें पुरुषों की भूमिका क्या होती है?
उत्तर
डोमकच नृत्य बारात की रात को किया जाता है, और इसमें केवल नारियाँ भाग लेती हैं। पुरुषों का इसमें प्रवेश वर्जित होता है, जिससे महिलाओं की उन्मुक्तता पूरी तरह प्रकट होती है।
8. खेलड़िन नृत्य का प्रचलन कहाँ था, और इसमें कौन-कौन भाग लेते थे?
उत्तर
खेलड़िन नृत्य नवादा जिले के रजौली गाँव में प्रचलित था। इसे पेशेवर नाचने वाली महिलाएँ विशेष मांगलिक अवसरों पर प्रस्तुत करती थीं।
9. नेटुआ नृत्य क्या है, और इसे किस जाति के लोग करते हैं?
उत्तर
नेटुआ नृत्य घुमक्कड़ जाति के नट लोग करते हैं। यह पारंपरिक लोकनृत्य है, जिसमें विशेष वाद्ययंत्र हुडुक का प्रयोग होता है।
10. लौंडा नाच की परंपरा कहाँ विकसित हुई, और इसका क्या महत्त्व है?
उत्तर
लौंडा नाच भोजपुर क्षेत्र में विकसित हुआ। इसमें पुरुष नर्तक नारी का वेश धारण कर नाचते हैं, और यह नृत्य पारंपरिक थिएटर मंडलियों का हिस्सा रहा है।
11. भिखारी ठाकुर का बिहार के नृत्य जगत में क्या योगदान रहा है?
उत्तर
भिखारी ठाकुर ने लौंडा नाच को विशेष पहचान दिलाई। उनकी मंडली ने विदेसिया जैसे नाटकों को प्रस्तुत किया, जिसमें सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों को नृत्य के माध्यम से उठाया गया।
12. गोंड़ नृत्य का क्या महत्त्व है, और इसमें कौन-से वाद्ययंत्र बजाए जाते हैं?
उत्तर
गोंड़ नृत्य भोजपुरी संस्कृति में महत्त्वपूर्ण रहा है, जिसमें अश्लीलता के बावजूद इसे प्रमुखता मिली। इसमें हुडुक वाद्ययंत्र बजाया जाता है, जो विशेष ध्वनि उत्पन्न करता है।
13. गुड़िया नृत्य क्या है, और इसे किसने लोकप्रिय बनाया?
उत्तर
गुड़िया नृत्य मुखौटा नृत्य का एक रूप है, जिसमें एक नर्तक एक तरफ पुरुष और दूसरी तरफ नारी का मुखौटा धारण करता है। इसे मोथा सिंह ने विकसित किया था, और यह नृत्य बिहार की अनोखी देन है।
14. नलिन गांगुली का बिहार के नृत्य में क्या योगदान है?
उत्तर
नलिन गांगुली बिहार के प्रसिद्ध नर्तक थे, जिन्होंने कथक में विशेष पहचान बनाई। वे नगेन्द्र मोहिनी के गुरु थे और भारतीय नृत्यकला मंदिर से जुड़े थे।
15. नगेन्द्र मोहिनी कौन थे, और उनकी कौन-कौन सी प्रमुख उपलब्धियाँ थीं?
उत्तर
नगेन्द्र मोहिनी कथक और भरतनाट्यम के प्रसिद्ध नर्तक थे। वे नर्तक के साथ-साथ नृत्य शिक्षक और लेखक भी थे, और उन्होंने नृत्यशास्त्र पर कई पुस्तकें लिखी हैं।
16. मधुकर आनंद कौन थे, और उनकी नृत्य यात्रा कैसी रही?
उत्तर
मधुकर आनंद अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त नर्तक थे। उन्होंने अपने पिता बलराम लालजी से नृत्य सीखा और बाद में बिरजू महाराज के मार्गदर्शन में कथक में विशिष्टता प्राप्त की।
17. भारतीय नृत्यकला मंदिर की स्थापना किसने की थी, और इसका क्या महत्त्व है?
उत्तर
भारतीय नृत्यकला मंदिर की स्थापना हरि उप्पल ने की थी। यह संस्थान बिहार में शास्त्रीय नृत्य की पहली ज्योति थी, और आज यह नृत्य प्रशिक्षण के लिए प्रसिद्ध है।
18. हरि उप्पल का भारतीय नृत्य जगत में क्या योगदान रहा है?
उत्तर
हरि उप्पल ने मणिपुरी और कथकली जैसे नृत्यों में दक्षता प्राप्त की और बिहार में शास्त्रीय नृत्य की नींव रखी। उन्होंने भारतीय नृत्यकला मंदिर की स्थापना की और नृत्य साधकों को प्रेरित किया।
19. बिहार में शास्त्रीय नृत्य की परंपरा कब से आरंभ हुई?
उत्तर
बिहार में शास्त्रीय नृत्य की परंपरा 12वीं शताब्दी से ही आरंभ हो गई थी, जब नृत्य-संगीत पर कई ग्रंथ लिखे गए थे। हालाँकि, आधुनिक काल में इसे फिर से पुनर्जीवित किया गया।
20. लौंडा नाच और धोबिया नाच में क्या अंतर है?
उत्तर
लौंडा नाच में पुरुष नर्तक नारी का वेश धारण कर नाचते हैं, जबकि धोबिया नाच में पुरुष ही नारी का वेश धारण करता है और इसमें ढोलक तथा हुडुक बजाया जाता है।
21. बिहार के नर्तक बलराम लालजी का क्या योगदान रहा है?
उत्तर
बलराम लालजी ने बिहार के नृत्य जगत में अपनी स्वतंत्र पहचान बनाई। वे नोकनर्तक के रूप में प्रसिद्ध थे और नृत्य की विविध शैलियों में निपुण थे।
22. बिरजू महाराज ने बिहार के किस नर्तक को निखारा था?
उत्तर
बिरजू महाराज ने मधुकर आनंद और शोभना नारायण जैसे बिहार के प्रतिभाशाली नर्तकों को निखारा। उनके मार्गदर्शन में इन नर्तकों ने अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की।
23. शोभना नारायण का नृत्य क्षेत्र में क्या योगदान है?
उत्तर
शोभना नारायण बिहार की प्रसिद्ध नृत्यांगना हैं। वे सरकारी पदाधिकारी भी हैं और कथक नृत्य में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कर चुकी हैं।
24. पटना के नृत्य गुरुओं में पं. शिवजी मिश्र का क्या योगदान है?
उत्तर
पं. शिवजी मिश्र भारतीय नृत्यकला मंदिर के आदरणीय आचार्य हैं। उन्होंने बिहार के नृत्य क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया और कई नर्तकों को प्रशिक्षित किया।
25. मिथिला के बिदापत नाच का प्रमुख उद्देश्य क्या है?
उत्तर
बिदापत नाच मिथिला का सामूहिक नृत्य है, जिसमें मृदंग और खोल बजाए जाते हैं। इसका उद्देश्य धार्मिक और सामाजिक भावनाओं को प्रकट करना है।
26. धोबिया नाच किस क्षेत्र में प्रचलित है, और इसमें कौन भाग लेते हैं?
उत्तर
धोबिया नाच भोजपुर क्षेत्र में प्रचलित है, और इसमें पुरुष ही नारी का वेश धारण करके नृत्य करता है। इसमें ढोलक और हुडुक का प्रमुख वादन होता है।
27. बिहार के पारंपरिक नृत्यों में ढोलक का क्या महत्त्व है?
उत्तर
बिहार के अधिकांश पारंपरिक नृत्यों में ढोलक का विशेष महत्त्व है। यह वाद्ययंत्र नृत्य को लयबद्ध बनाता है और नृत्य की ऊर्जा को बढ़ाता है।
28. पटना सिटी में मोथा सिंह ने कौन सा नृत्य विकसित किया था?
उत्तर
पटना सिटी के मोथा सिंह ने गुड़िया नृत्य (मुखौटा नृत्य) का विकास किया था। इसमें नर्तक नर और नारी दोनों का परिधान धारण करके नृत्य करता है।
29. खेलड़िन नाच किस समुदाय से जुड़ा हुआ है?
उत्तर
खेलड़िन नाच नवादा जिले के एक पेशेवर नाचने वाली जाति से जुड़ा हुआ है, जो मांगलिक अवसरों पर यह नृत्य प्रस्तुत करती थी।
30. पँवरिया नृत्य किस वर्ग का नृत्य है, और इसका क्या उद्देश्य होता है?
उत्तर
पँवरिया नृत्य मल्लाहों का नृत्य है, जो गंगा पूजा के लिए भिक्षाटन करते समय किया जाता है। इसमें उछल-कूद और वादन का अनूठा संगम होता है।
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