1. भगवान बुद्ध ने संगीत के बारे में क्या उपदेश दिया था?
उत्तर
भगवान बुद्ध ने कहा था कि वीणा के तारों को न तो इतना कसो कि वह टूट जाए और न ही इतना ढीला रखो कि उससे संगीत न निकले। यह संगीत के संतुलन की सीख थी।
2. समुद्रगुप्त को किस वाद्ययंत्र में महारत हासिल थी?
उत्तर
समुद्रगुप्त वीणा बजाने में इतने प्रवीण थे कि उन्हें ‘संगीत मार्तण्ड’ कहा जाता था।
3. बिहार के किन क्षेत्रों में ध्रुपद गायन का विशेष विकास हुआ?
उत्तर
बिहार में ध्रुपद गायन का विशेष विकास दरभंगा, बेतिया, और डुमराँव घरानों में हुआ था।
4. बेतिया घराने में ध्रुपद गायन के प्रमुख गायक कौन थे?
उत्तर
बेतिया घराने में कुंज बिहारी मलिक, श्याम मलिक, उमाचरण मलिक, और गोरख मिश्र प्रमुख ध्रुपद गायक थे।
5. पं. रामचतुर मलिक को किस गायन में महारत हासिल थी?
उत्तर
पं. रामचतुर मलिक को ध्रुपद, ठुमरी, और दादरा गायन में महारत हासिल थी।
6. दरभंगा घराने के किस गायक को ध्रुपद का ध्रुव कहा जाता है?
उत्तर
पं. रामचतुर मलिक को ध्रुपद का ध्रुव कहा जाता है।
7. बिहार के किस जिले से दरभंगा और डुमराँव घरानों का संबंध था?
उत्तर
दरभंगा और डुमराँव घरानों का संबंध रोहतास जिले के धनगाँई गाँव से था।
8. पं. सियाराम तिवारी किस घराने के ध्रुपद गायक थे?
उत्तर
पं. सियाराम तिवारी दरभंगा घराने के प्रसिद्ध ध्रुपद गायक थे।
9. बिहार में ख्याल गायन के प्रसिद्ध गायक कौन थे?
उत्तर
बिहार में ख्याल गायन के प्रसिद्ध गायक पं. चंद्रशेखर खाँ और श्यामानंद सिंह थे।
10. ठुमरी का उद्भव कहाँ हुआ?
उत्तर
ठुमरी का उद्भव बिहार और उत्तर प्रदेश की धरती से हुआ था।
11. बिहार के प्रसिद्ध ठुमरी गायक कौन थे?
उत्तर
रामप्रसाद मिश्र (रामूजी), गोवर्धन मिश्र, और मांगन खवास बिहार के प्रसिद्ध ठुमरी गायक थे।
12. शहनाई वादन में बिहार का योगदान किसने दिया?
उत्तर
बिहार का योगदान उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ ने शहनाई वादन में दिया, जो डुमराँव से थे।
13. वीणा का संगीत बुद्ध के समय से क्यों महत्वपूर्ण था?
उत्तर
बुद्ध के समय से वीणा का संगीत महत्वपूर्ण था क्योंकि यह आध्यात्मिक और मानसिक संतुलन का प्रतीक था, जैसा कि बुद्ध ने सिखाया था।
14. दरभंगा घराने के ध्रुपद गायकों में कौन प्रमुख थे?
उत्तर
दरभंगा घराने के पं. रघुवीर मलिक और पं. विदुर मलिक प्रमुख ध्रुपद गायक थे।
15. डुमराँव घराने के किस गायक को कवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने सराहा था?
उत्तर
पं. रामप्रसाद पाण्डेय के गायन से कवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर गहरे प्रभावित हुए थे और उनकी सराहना की थी।
16. बिहार के शास्त्रीय संगीत में ठुमरी का क्या महत्व है?
उत्तर
बिहार के शास्त्रीय संगीत में ठुमरी का महत्व इस रूप में है कि यह संवेदना और कल्पना का सुंदर मिश्रण है, जिसे रामूजी और अन्य गायकों ने प्रतिष्ठित किया।
17. बिहार के ध्रुपद गायकों के प्रशिक्षण की परंपरा क्या थी?
उत्तर
बिहार के ध्रुपद गायक अपने राज्य के राजदरबारों से प्रशिक्षण प्राप्त करते थे और कई अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त कलाकार बनते थे।
18. गया के कौन से वादक इसराज बजाने में प्रसिद्ध थे?
उत्तर
गया के पं. चंद्रिका दुबे इसराज वादन में प्रसिद्ध थे, और उनके वादन की प्रशंसा रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने की थी।
19. उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ का जन्म कहाँ हुआ था?
उत्तर
उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ का जन्म डुमराँव में हुआ था, जो बिहार के बक्सर जिले में स्थित है।
20. बिहार में किस प्रकार के संगीत वाद्य प्रमुख रहे हैं?
उत्तर
बिहार में पखावज, सारंगी, इसराज, सितार, सरोद, शहनाई, और तबला प्रमुख संगीत वाद्य रहे हैं।
21. गया के सारंगीवादकों में प्रमुख नाम कौन थे?
उत्तर
गया के प्रमुख सारंगीवादक मियाँ बहादुर खाँ और किशोरी प्रसाद मिश्र थे।
22. बिहार के किस वाद्य को ‘पूरब की गायकी’ कहा जाता है?
उत्तर
ठुमरी गायन को ‘पूरब की गायकी’ कहा जाता है, जिसका विशेष विकास गया, वाराणसी, और अवध में हुआ।
23. डुमराँव घराने का बिहार के संगीत में क्या योगदान है?
उत्तर
डुमराँव घराने ने ध्रुपद और शहनाई वादन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ और पं. रामप्रसाद पाण्डेय जैसे कलाकार इस घराने से निकले।
24. बिहार के पखावजवादक विष्णुदेव पाठक किसके गुरु थे?
उत्तर
पं. सियाराम तिवारी के पखावज गुरु विष्णुदेव पाठक थे, जो ध्रुपद गायकों के प्रमुख वादक थे।
25. बिहार के ध्रुपद गायन में किस प्रकार की तन्मयता होती है?
उत्तर
बिहार के ध्रुपद गायन में गायक की तन्मयता और गहरे ध्यान की स्थिति होती है, जो शास्त्रीय संगीत के उच्चतम स्तर को दर्शाती है।
26. बिहार में सारंगी वादन की परंपरा किस समय प्रचलित थी?
उत्तर
बिहार में सारंगी वादन की परंपरा पिछली शताब्दी के पूर्वार्द्ध तक प्रचलित थी, और इस वाद्य को संगीत जगत में मान्यता प्राप्त थी।
27. पं. सियाराम तिवारी ने किन वादकों की देखरेख में ध्रुपद गायन सीखा?
उत्तर
पं. सियाराम तिवारी ने विष्णुदेव पाठक और जमीरा (भोजपुर) के लल्लन सिंह जैसे पखावज वादकों की देखरेख में ध्रुपद गायन सीखा।
28. ठुमरी गायन में रामूजी का क्या योगदान है?
उत्तर
रामूजी ने ठुमरी गायन में संवेदना और कल्पना का ऐसा समावेश किया जो बिहार के संगीत में महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है।
29. बिहार के किस वादक ने वायलिन वादन में ख्याति प्राप्त की?
उत्तर
बिहार के संतोष कुमार नाहर ने वायलिन वादन में ख्याति प्राप्त की है और इस वाद्य में विशिष्टता हासिल की है।
30. बिहार के कौन से सितारवादक ने सुदीन पाठक के बिना शिष्य बने ही कला में निपुणता पाई?
उत्तर
पं. रामेश्वर पाठक ने सुदीन पाठक के बिना शिष्य बने ही उनके सितारवादन को सुनकर कला में निपुणता पाई, जो उनके संगीत की अनूठी उपलब्धि थी।
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