1. लोकगीत किसे कहते हैं?
उत्तर
लोकगीत वे गीत होते हैं, जो सामान्य जन-समाज द्वारा गाये जाते हैं और लोकजीवन की भावनाओं को प्रकट करते हैं। ये गीत परंपरागत होते हैं और पीढ़ी दर पीढ़ी गाये जाते हैं।
2. बिहार के लोकगीतों के प्रमुख भेद क्या हैं?
उत्तर
बिहार के लोकगीतों के पाँच प्रमुख भेद हैं: संस्कार गीत, पर्वगीत, श्रमगीत, प्रेम-मनोरंजन के गीत, और गाथा गीत।
3. संस्कार गीत किसे कहते हैं?
उत्तर
संस्कार गीत वे गीत होते हैं जो जन्म, जनेऊ, तिलक, विवाह आदि के विभिन्न अवसरों पर गाये जाते हैं। ये गीत जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों से जुड़े होते हैं।
4. पर्वगीतों में कौन सा गीत सबसे महत्वपूर्ण है?
उत्तर
पर्वगीतों में छठगीत सबसे महत्वपूर्ण है, जो सूर्य देवता की पूजा के अवसर पर गाया जाता है और इसकी विशेष धुन व लय होती है।
5. श्रमगीत किस प्रकार के होते हैं?
उत्तर
श्रमगीत वे गीत होते हैं जो श्रम करते समय गाये जाते हैं, जैसे जँतसार और रोपनी के गीत। ये गीत श्रमिकों की थकान को मिटाते हैं और उन्हें लय में रखते हैं।
6. प्रेम-मनोरंजन के गीतों का प्रचलन किस वर्ग में अधिक होता है?
उत्तर
प्रेम-मनोरंजन के गीतों का प्रचलन मुख्य रूप से श्रमशील पुरुषों जैसे चरवाहे, हलवाहे, और गाड़ीवानों में अधिक होता है।
7. गाथा गीतों के नायक कौन रहे हैं?
उत्तर
गाथा गीतों के नायक लोरिका, भरथरी, और नैका रहे हैं, जो वीरता और साहस की कहानियों पर आधारित होते हैं।
8. ऋतुगीत किसे कहते हैं?
उत्तर
ऋतुगीत वे गीत होते हैं जो ऋतुओं के परिवर्तन के साथ गाये जाते हैं, जैसे होली और चैता के गीत।
9. बिहार के लोकगीतों पर किन कवियों का प्रभाव है?
उत्तर
बिहार के लोकगीतों पर कबीरदास, सूरदास, और तुलसीदास जैसे कवियों का गहरा प्रभाव है, जिनके निर्गुण और भक्ति पद लोकगीतों में घुले-मिले हैं।
10. लोकगीतों में किस वाद्य का विशेष महत्व है?
उत्तर
ढोलक का लोकगीतों में विशेष महत्व है। इसे होली, चैता, और अन्य गीतों में प्रमुख रूप से बजाया जाता है।
11. बिहार के होली गीतों की एक विशेषता क्या है?
उत्तर
बिहार के होली गीतों में पुरुषों की भागीदारी प्रमुख होती है, और इनमें पौरुष भाव के साथ उल्लास और उत्साह प्रकट किया जाता है।
12. लोकगीतों में किस देवी के भक्तिमूलक गीत प्रमुख हैं?
उत्तर
देवी के भक्तिमूलक गीतों में ग्रामदेवी, शंकर-पार्वती, और गंगा की पूजा के गीत प्रमुख रूप से गाये जाते हैं।
13. छठ के गीतों की क्या विशेषता है?
उत्तर
छठ के गीतों की विशेषता यह है कि इनकी धुन और लय बिहार की कृषि संस्कृति से जुड़ी होती है और सूर्यभक्ति की निष्कलुष व्यंजना करती है।
14. जँतसार गीत किस अवसर पर गाये जाते हैं?
उत्तर
जँतसार गीत उस समय गाये जाते हैं जब महिलाएँ जाँते में अन्न पीसती हैं। ये गीत श्रम में लय और मस्ती लाते हैं।
15. बिहार के लोकगायकों का क्या योगदान रहा है?
उत्तर
बिहार के लोकगायकों जैसे विंध्यवासिनी देवी, शारदा सिन्हा ने लोकगीतों को रेडियो और दूरदर्शन के माध्यम से व्यापक रूप दिया है।
16. होली और चैता के गीतों में क्या अंतर है?
उत्तर
होली के गीत उल्लास और उमंग से भरे होते हैं जबकि चैता के गीत में ऋतु के बदलने के साथ शांति और समर्पण का भाव होता है।
17. लोकगीतों में गाये जाने वाले वाद्य कौन-कौन से हैं?
उत्तर
लोकगीतों में प्रमुख वाद्य ढोलक, झाल, डुग्गी, और हुड़ुक हैं, जिनका प्रयोग विभिन्न गीतों में किया जाता है।
18. सिन्दूरदान के गीत किस भाव को प्रकट करते हैं?
उत्तर
सिन्दूरदान के गीत करुणा और ममता का भाव प्रकट करते हैं, जिसमें विदाई का दर्द और पवित्रता जुड़ी होती है।
19. बिहार में प्रचलित भाषा-भेद का लोकगीतों पर क्या प्रभाव है?
उत्तर
भाषा चाहे जो भी हो, संस्कार गीतों में राम, कृष्ण, और भगवान शंकर के पारिवारिक प्रसंगों की समानता मिलती है, जो एक आंतरिक एकता प्रकट करती है।
20. लोकगीतों की परंपरा आज भी किसमें जीवित है?
उत्तर
लोकगीतों की परंपरा आज भी ग्रामीण नारियों और पुरुषों के कंठ से फूटते गीतों में जीवित है, जो लोकजीवन की आत्मा को व्यक्त करते हैं।
21. बिहार के पर्वगीतों का धार्मिक और सामाजिक महत्त्व क्या है?
उत्तर
बिहार के पर्वगीतों में धार्मिक और सामाजिक महत्त्व होता है क्योंकि वे देवी-देवताओं की पूजा और समाज की समर्पण भावना को व्यक्त करते हैं। छठ पर्व के गीत इस संदर्भ में विशेष हैं, जो सूर्य देवता की पूजा का महत्त्व दर्शाते हैं।
22. बिहार के लोकगीतों में किस प्रकार की भावनाएँ व्यक्त होती हैं?
उत्तर
बिहार के लोकगीतों में उल्लास, भक्ति, प्रेम, करुणा, परिहास, स्वागत, विदाई जैसी विभिन्न भावनाएँ स्वाभाविक रूप से व्यक्त होती हैं।
23. भोजपुरी क्षेत्र में लोकगीतों का क्या महत्त्व है?
उत्तर
भोजपुरी क्षेत्र में लोकगीतों का विशेष महत्त्व है। यहाँ के लोग विवाह, तिलक, छठ, होली, और श्रम के अवसरों पर लोकगीतों का गायन करते हैं। ये गीत उनकी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं।
24. संस्कार गीतों में कौन से प्रसंग प्रमुख होते हैं?
उत्तर
संस्कार गीतों में जन्म, जनेऊ, तिलक, विवाह, और बेटी की विदाई जैसे प्रसंग प्रमुख होते हैं। इन प्रसंगों पर गाये जाने वाले गीत परंपरागत और भावनात्मक होते हैं।
25. ग्रामदेवी के गीत बिहार के लोकगायन में क्या भूमिका निभाते हैं?
उत्तर
ग्रामदेवी के गीत बिहार के लोकगायन में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। इन गीतों में ग्रामदेवी की पूजा, उनकी कृपा, और उनसे जुड़ी धार्मिक मान्यताओं का वर्णन होता है।
26. बिहार के कौन-कौन से लोक वाद्य प्रचलित हैं?
उत्तर
बिहार के लोक वाद्यों में ढोलक, झाल, हुड़ुक, डंका, और करताल प्रमुख हैं। ये वाद्य लोकगीतों के साथ बजाए जाते हैं और इनकी धुन से लोकगीत और भी आकर्षक बन जाते हैं।
27. बिहार के लोकगीतों में कौन से सामाजिक प्रसंग उभरकर आते हैं?
उत्तर
बिहार के लोकगीतों में सामाजिक प्रसंग जैसे विवाह, जन्म, तिलक, खेती-बाड़ी, और पर्व-त्योहारों से जुड़े विभिन्न अवसर उभरकर आते हैं। इन गीतों के माध्यम से समाज की भावनाएँ और सांस्कृतिक परंपराएँ प्रकट होती हैं।
28. विरहा और लोरिका गीत किस प्रकार के होते हैं?
उत्तर
विरहा और लोरिका गीत प्रेम और वीरता की गाथाओं पर आधारित होते हैं। इन्हें श्रमिक वर्ग जैसे हलवाहे, चरवाहे आदि गाते हैं, और ये श्रमगीत के अंतर्गत भी गिने जाते हैं।
29. बिहार के होली गीतों पर किस भाषा का प्रभाव रहा है?
उत्तर
बिहार के होली गीतों पर व्रजभाषा और अवधी का गहरा प्रभाव है। इन भाषाओं में उल्लास और उमंग का मेल होता है, जो बिहार के होली गीतों में भी झलकता है।
30. चैता गीत कब गाये जाते हैं?
उत्तर
चैता गीत चैत माह में गाये जाते हैं। होली के समाप्त होते ही चैता गायन की शुरुआत होती है, और ये ऋतु-परिवर्तन के साथ गाये जाने वाले गीत होते हैं।
31. बिहार के लोकगीतों में देवी और गंगा की भक्ति का क्या महत्व है?
उत्तर
बिहार के लोकगीतों में देवी और गंगा की भक्ति का विशेष स्थान है। इन गीतों के माध्यम से ग्रामीण समाज अपनी धार्मिक आस्था और संस्कृति का प्रदर्शन करता है।
32. गँवार और अनपढ़ लोगों में लोकवाद्य बजाने की कौन-सी विशेषता पाई जाती है?
उत्तर
गँवार और अनपढ़ लोगों में ढोलक और अन्य वाद्यों को बजाने की अद्भुत कुशलता पाई जाती है। इनके बिना किसी गुरु-शिष्य परंपरा के बावजूद, इनके हाथों की कुशलता विस्मयकारी होती है।
33. बिहार के लोकगीतों में राम और कृष्ण का क्या महत्त्व है?
उत्तर
बिहार के लोकगीतों में राम और कृष्ण प्रमुख पात्र होते हैं। प्रत्येक बालक या दूल्हे को राम या कृष्ण और प्रत्येक कन्या को सीता या पार्वती के रूप में देखा जाता है, जो गीतों की धार्मिकता को दर्शाते हैं।
34. बिहार के विवाह गीतों में कौन-सा करुण भाव प्रमुख होता है?
उत्तर
बिहार के विवाह गीतों में सिन्दूरदान और बेटी की विदाई के गीतों में करुण भाव प्रमुख होता है। ये गीत विछोह और भावनात्मक संवेदनाओं को उजागर करते हैं।
35. बिहार के लोकगीतों में कौन-से प्रमुख उत्सव मनाए जाते हैं?
उत्तर
बिहार के लोकगीतों में छठ, होली, और सोहराई जैसे प्रमुख उत्सव मनाए जाते हैं। इन गीतों में ग्रामीण समाज की सांस्कृतिक धरोहर और उनकी धार्मिक मान्यताएँ दिखाई देती हैं।
36. भक्ति गीतों में तन्मयता किस प्रकार प्रकट होती है?
उत्तर
भक्ति गीतों में तन्मयता उस गायक की होती है, जो पूरी श्रद्धा और भक्ति से देवी या देवता का गुणगान करता है। माली जाति के गीतों में यह विशेष रूप से प्रकट होती है।
37. जनेऊ के गीतों की विशेषता क्या है?
उत्तर
जनेऊ के गीतों में जनेऊ के अधिकारी कुमार को ‘बरुआ’ कहा जाता है, और गीतों में उसे गुणवान बताकर उसकी महिमा का बखान किया जाता है।
38. गायन में ‘गोड़धोआई’ गीत का क्या अर्थ है?
उत्तर
‘गोड़धोआई’ गीत का अर्थ होता है, वह गीत जिसमें समधी के पैर धोने का आग्रह किया जाता है। यह गीत विवाह के अवसर पर गाया जाता है।
39. बिहार के होली गीतों की एक प्रमुख लय क्या होती है?
उत्तर
बिहार के होली गीतों की लय विशेष होती है, जिसे ‘लहरा’ कहा जाता है। होली गायन के अंत में लहरा गाया जाता है और इसके बाद चैता गायन की शुरुआत होती है।
40. बिहार के लोकगीतों में किसने व्यापक प्रसार दिलाया?
उत्तर
विंध्यवासिनी देवी, शारदा सिन्हा, और अजीत कुमार अकेला जैसे गायकों ने बिहार के लोकगीतों को रेडियो और दूरदर्शन के माध्यम से व्यापक रूप से फैलाया है।
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