1. प्रश्न: शिवपूजन सहाय का जन्म कब और कहां हुआ था ?
उत्तर: शिवपूजन सहाय का जन्म 1893 ई. में बिहार के बक्सर जिले के उनवास गाँव में हुआ था। उनके बचपन का नाम भोलानाथ था। वे हिंदी साहित्य के प्रतिष्ठित लेखक थे जिन्होंने अनेक पत्रिकाओं का संपादन किया और हिंदी साहित्य को समृद्ध किया।
2. प्रश्न: शिवपूजन सहाय ने सरकारी नौकरी क्यों छोड़ी ?
उत्तर: शिवपूजन सहाय असहयोग आंदोलन से बहुत प्रभावित थे। इसलिए उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर समाज सेवा और हिंदी साहित्य की ओर रुख किया। वे स्वतंत्रता संग्राम में भी सक्रिय रूप से भाग लेने लगे, जिससे उनका रचनात्मक जीवन और समृद्ध हुआ।
3. प्रश्न: शिवपूजन सहाय की कौन-सी रचनाएं प्रसिद्ध हैं ?
उत्तर: शिवपूजन सहाय की प्रमुख रचनाओं में ‘देहाती दुनिया’, ‘विभूति’, ‘दो घड़ी’, ‘वे दिन वे लोग’, और ‘कहानी का प्लॉट’ शामिल हैं। विशेष रूप से ‘देहाती दुनिया’ उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति है जो ग्रामीण जीवन की वास्तविकता को चित्रित करती है।
4. प्रश्न: ‘देहाती दुनिया’ किस प्रकार का उपन्यास है ?
उत्तर: ‘देहाती दुनिया’ एक आंचलिक उपन्यास है जिसमें ग्रामीण जीवन के ठेठ रूप का चित्रण किया गया है। यह उपन्यास ग्रामीण समाज की समस्याओं, परंपराओं, और लोगों के संघर्षों को बेहद सरल और मार्मिक भाषा में प्रस्तुत करता है।
5. प्रश्न: कहानी ‘भगजोगनी’ का केंद्रीय विचार क्या है ?
उत्तर: कहानी ‘भगजोगनी’ तिलक और दहेज प्रथा के सामाजिक अन्याय और नारी की दयनीय स्थिति को उजागर करती है। कहानी में नायिका भगजोगनी का विवाह एक वृद्ध व्यक्ति से होता है और उसकी कठिनाइयाँ उसकी पूरी जिंदगी में बनी रहती हैं।
6. प्रश्न: लेखक ने ‘भगजोगनी’ नाम ही क्यों चुना ?
उत्तर: ‘भगजोगनी’ नाम एक देहाती नाम है, जिसे ग्रामीण परिवेश में एक प्रतीकात्मक नाम के रूप में चुना गया है। यह नाम नारी की पीड़ा, संघर्ष और सामाजिक अन्याय को दर्शाता है।
7. प्रश्न: मुंशीजी के बड़े भाई क्या करते थे ?
उत्तर: मुंशीजी के बड़े भाई पुलिस दारोगा थे। वे अंग्रेजों के समय में काम करते थे, जब उर्दू जानने वाले लोग ऊँचे पदों पर नियुक्त होते थे।
8. प्रश्न: दारोगाजी की तरक्की रुकने की क्या वजह थी ?
उत्तर: दारोगाजी की तरक्की इस कारण रुकी रही क्योंकि वे अपनी घोड़ी से अत्यधिक मोह रखते थे। उनके इस प्रेम के कारण वे अफसरों के दबाव में नहीं आए और अंत तक दारोगा ही बने रहे।
9. प्रश्न: मुंशीजी अपने बड़े भाई से कैसे उऋण हुए ?
उत्तर: मुंशीजी अपने बड़े भाई दारोगाजी की मृत्यु के बाद उनकी घोड़ी बेचकर उऋण हुए। घोड़ी को बेचने से मिली राशि से उन्होंने अपने भाई का श्राद्ध धूमधाम से किया।
10. प्रश्न: ‘थानेदार की कमाई और फूस का तापना दोनों बराबर हैं’ – लेखक ने ऐसा क्यों कहा ?
उत्तर: यह कथन समाज में भ्रष्टाचार और उसकी क्षणभंगुरता पर व्यंग्य करता है। लेखक का मतलब यह है कि पुलिस की अवैध कमाई और अस्थायी सुख दोनों अंततः किसी के काम नहीं आते।
11. प्रश्न: मुंशीजी गल-फांसी लगाकर क्यों मरना चाहते थे?
उत्तर: मुंशीजी अपनी बेटी भगजोगनी की दयनीय स्थिति को देखकर आत्महत्या करने की सोचते थे। उनकी बेटी के लिए उपयुक्त विवाह न कर पाने की असफलता और गरीबी ने उन्हें अंदर से तोड़ दिया था।
12. प्रश्न: भगजोगनी का सौंदर्य क्यों नहीं खिल सका?
उत्तर: भगजोगनी का सौंदर्य गरीबी और कष्टों की वजह से नहीं खिल सका। उसका पोषण सही ढंग से नहीं हो पाया, और जीवन की कठिनाइयों ने उसकी सुंदरता को मुरझा दिया।
13. प्रश्न: भगजोगनी का दूसरा विवाह किससे हुआ?
उत्तर: भगजोगनी का दूसरा विवाह उसके सौतेले बेटे से हुआ था। यह घटना समाज में व्याप्त नैतिक और सांस्कृतिक अव्यवस्था को दर्शाती है।
14. प्रश्न: भगजोगनी की कथा किस सामाजिक समस्या पर प्रकाश डालती है?
उत्तर: भगजोगनी की कथा तिलक-दहेज प्रथा और नारी की दयनीय स्थिति को उजागर करती है। यह दिखाती है कि कैसे इन प्रथाओं ने महिलाओं की जिंदगी को दुखमय बना दिया है।
15. प्रश्न: लेखक ने मुंशीजी के चरित्र को कैसे चित्रित किया है?
उत्तर: लेखक ने मुंशीजी के चरित्र को एक सशक्त लेकिन त्रासद व्यक्ति के रूप में चित्रित किया है, जो अपने परिवार के लिए संघर्ष करता है लेकिन अंततः गरीबी और सामाजिक अन्याय के सामने हार मान लेता है।
16. प्रश्न: दारोगाजी का घोड़ी के प्रति प्रेम किस प्रकार का था?
उत्तर: दारोगाजी अपनी घोड़ी से अत्यधिक प्रेम करते थे, और इस प्रेम ने उन्हें तरक्की से रोक दिया। घोड़ी के प्रति उनका प्रेम उनकी व्यक्तिगत और व्यावसायिक जिंदगी पर भारी पड़ा।
17. प्रश्न: कहानी में तिलक-दहेज प्रथा का वर्णन कैसे किया गया है?
उत्तर: कहानी में तिलक-दहेज प्रथा का क्रूरतम रूप प्रस्तुत किया गया है। भगजोगनी का विवाह दहेज न देने के कारण एक वृद्ध व्यक्ति से कर दिया जाता है, जो उसकी जिंदगी को दु:खद बना देता है।
18. प्रश्न: लेखक ने गरीबी के क्या प्रभाव बताए हैं?
उत्तर: लेखक ने गरीबी को जीवन की सभी समस्याओं की जड़ बताया है। गरीबी न केवल आर्थिक समस्याओं को जन्म देती है, बल्कि व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक स्थिति को भी बुरी तरह प्रभावित करती है।
19. प्रश्न: भगजोगनी के जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी क्या थी?
उत्तर: भगजोगनी की सबसे बड़ी त्रासदी यह थी कि वह अपनी जवानी में ही विधवा हो गई और बाद में उसका विवाह उसके सौतेले बेटे से हुआ, जिससे उसकी पूरी जिंदगी सामाजिक अपमान और दुखों में बीत गई।
20. प्रश्न: इस कहानी का सामाजिक संदेश क्या है?
उत्तर: इस कहानी का सामाजिक संदेश यह है कि तिलक-दहेज प्रथा जैसी कुप्रथाएं समाज में नारी को प्रताड़ित करती हैं और उसकी जिंदगी को बर्बाद करती हैं। समाज को इन कुप्रथाओं का विरोध करना चाहिए।
21. प्रश्न: लेखक ने मुंशीजी के सुख-दुख का वर्णन कैसे किया है?
उत्तर: लेखक ने मुंशीजी के जीवन के दो विपरीत पहलुओं को चित्रित किया है। एक समय था जब मुंशीजी अपने भाई की धन-संपत्ति के कारण विलासिता का जीवन जीते थे, लेकिन उनके भाई की मृत्यु और संपत्ति की कमी के बाद उनका जीवन गरीबी में डूब गया। उनका दुख उनके बच्चों के निधन और बेटी भगजोगनी की दयनीय स्थिति के कारण और गहरा हो गया।
22. प्रश्न: मुंशीजी के जीवन में घोड़ी का क्या महत्व था?
उत्तर: घोड़ी मुंशीजी के बड़े भाई की आखिरी विरासत थी। यह घोड़ी उनके जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बनी रही। उनके बड़े भाई ने इस घोड़ी के प्रति प्रेम के कारण अपनी तरक्की खो दी, और मुंशीजी ने इसे बेचकर श्राद्ध का आयोजन किया।
23. प्रश्न: लेखक ने ‘शकुंतला’ और ‘भगजोगनी’ की तुलना क्यों की है?
उत्तर: लेखक ने प्रकृति के सौंदर्य की तुलना भगजोगनी से की है। शकुंतला का सौंदर्य स्वाभाविक था, जबकि भगजोगनी गरीबी और कष्टों में पली-बढ़ी थी। इसके कारण उसका सौंदर्य खिल नहीं सका, जबकि शकुंतला शांति और संतोष में पली थी, जिससे उसका सौंदर्य निखर सका।
24. प्रश्न: कहानी ‘भगजोगनी’ के माध्यम से लेखक ने किस सामाजिक कुरीति पर प्रहार किया है?
उत्तर: कहानी ‘भगजोगनी’ के माध्यम से लेखक ने तिलक और दहेज प्रथा पर करारा प्रहार किया है। इस प्रथा के कारण महिलाओं को अपने जीवन में अत्यधिक कष्ट और अपमान का सामना करना पड़ता था। भगजोगनी का विवाह एक वृद्ध से कर दिया गया, जिससे उसकी पूरी जिंदगी दुखद बन गई।
25. प्रश्न: लेखक ने मुंशीजी के जीवन में गरीबी के क्या प्रभाव दिखाए हैं?
उत्तर: लेखक ने दिखाया है कि कैसे मुंशीजी के जीवन में गरीबी ने उन्हें हर खुशी से वंचित कर दिया। पहले वे विलासिता का जीवन जीते थे, लेकिन गरीबी आने के बाद उनका जीवन संघर्ष और अभाव में बदल गया। उनके जीवन की सबसे बड़ी चिंता उनकी बेटी भगजोगनी का विवाह था, जिसे गरीबी के कारण सही समय पर नहीं कर पाए।
26. प्रश्न: दारोगाजी और मुंशीजी के जीवन में क्या समानता थी?
उत्तर: दारोगाजी और मुंशीजी दोनों का जीवन एक समय वैभवशाली था, लेकिन दारोगाजी के निधन के बाद मुंशीजी का जीवन गरीबी में बदल गया। दोनों भाइयों ने जीवन में काफी संघर्ष किया, लेकिन गरीबी ने उनके सारे सपनों को तोड़ दिया।
27. प्रश्न: ‘कलेजा टूक-टूक हो जाना’ मुहावरे का अर्थ क्या है?
उत्तर: ‘कलेजा टूक-टूक हो जाना’ का अर्थ है अत्यधिक दुख या पीड़ा का अनुभव करना। कहानी में मुंशीजी जब अपनी बेटी भगजोगनी की हालत देखते हैं, तो उनके कलेजे में गहरा दुख उत्पन्न होता है।
28. प्रश्न: कहानी में लेखक ने तिलक-दहेज प्रथा को किस प्रकार दर्शाया है?
उत्तर: कहानी में तिलक-दहेज प्रथा को बहुत ही क्रूर और असंवेदनशील प्रथा के रूप में दर्शाया गया है। भगजोगनी का विवाह एक वृद्ध व्यक्ति से इसलिए कर दिया जाता है क्योंकि उसका परिवार तिलक-दहेज नहीं दे सकता था, जिससे उसके जीवन में बहुत सारी त्रासदियाँ उत्पन्न होती हैं।
29. प्रश्न: भगजोगनी की सौतेले बेटे से शादी होने की घटना का क्या सामाजिक संदेश है?
उत्तर: भगजोगनी की सौतेले बेटे से शादी होना एक गंभीर सामाजिक समस्या की ओर संकेत करता है, जो समाज में नैतिक मूल्यों के पतन को दर्शाता है। यह घटना दिखाती है कि सामाजिक कुरीतियों के कारण महिलाओं को कैसे असंवेदनशील परिस्थितियों में जीना पड़ता था।
30. प्रश्न: इस कहानी का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: इस कहानी का मुख्य उद्देश्य समाज में व्याप्त तिलक-दहेज प्रथा, गरीबी, और महिलाओं की दुर्दशा को उजागर करना है। लेखक ने समाज के उन क्रूर पक्षों को दिखाने का प्रयास किया है, जहां महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित किया जाता है और उन्हें अमानवीय परिस्थितियों में जीने के लिए मजबूर किया जाता है।
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