Short Questions with Answers
1. सूती कपड़े गर्मियों में क्यों पहने जाते हैं?
- सूती कपड़े हल्के और आरामदायक होते हैं तथा गर्मियों में ठंडक का एहसास कराते हैं।
2. रेशम के कपड़े किस मौसम में उपयुक्त होते हैं?
- रेशम ताप का कुचालक होने के कारण सर्दियों में अधिक उपयुक्त होता है।
3. रेयॉन को किस नाम से भी जाना जाता है?
- रेयॉन को नकली रेशम के नाम से भी जाना जाता है।
4. नाइलॉन का निर्माण किससे किया जाता है?
- नाइलॉन का निर्माण कोयला, जल और वायु से किया जाता है।
5. ऊनी कपड़े में सिलवट पड़ने का कारण क्या है?
- ऊनी कपड़े में लचकदार गुण होने के कारण सिलवट नहीं पड़ती है।
6. कपड़ा निर्माण में कौन-सा पहला संश्लेषित रेशा बना था?
- नाइलॉन पहला पूरी तरह संश्लेषित रेशा है।
7. पटसन का उपयोग किस प्रकार किया जाता है?
- पटसन का उपयोग बोरियों, फर्श पर बिछाने, और अन्य घरेलू वस्तुओं में किया जाता है।
8. रेशम का उपयोग प्राचीन काल से किसके लिए होता रहा है?
- रेशम का उपयोग वस्त्र निर्माण में होता रहा है।
9. रेशमी कपड़े में कौन सी समस्या आती है?
- रेशमी कपड़ों में नमी से फफूँद लगने का खतरा रहता है।
10. पॉलिएस्टर का एक प्रमुख उपयोग क्या है?
- पॉलिएस्टर का उपयोग बोतलें और बर्तन बनाने में किया जाता है।
11. ऐक्रिलिक रेशे का उपयोग किसमें होता है?
- ऐक्रिलिक रेशे का उपयोग स्वेटर, शाल और कंबलों में होता है।
12. प्राकृतिक रेशों की तुलना में संश्लेषित रेशों का एक लाभ क्या है?
- संश्लेषित रेशे टिकाऊ और सस्ते होते हैं।
13. रेशम किसकी प्रतिक्रिया से बनता है?
- रेशम रेशम कीट से प्राप्त होता है।
14. नाइलॉन का एक गुण क्या है जो इसे मजबूत बनाता है?
- नाइलॉन का तार इस्पात से भी अधिक मजबूत होता है।
15. कृत्रिम रेशों का एक प्रमुख लाभ क्या है?
- कृत्रिम रेशे जल्दी सूखते हैं और रखरखाव में आसान होते हैं।
16. रेयॉन का निर्माण किससे होता है?
- रेयॉन का निर्माण लकड़ी या बाँस की लुगदी से होता है।
17. रेशम का सबसे पहले कहाँ उपयोग हुआ?
- रेशम का सबसे पहले उपयोग चीन में हुआ।
18. ऊनी कपड़े में फफूँद क्यों नहीं लगती है?
- ऊनी कपड़ा प्राकृतिक रूप से फफूँद-प्रतिरोधी होता है।
19. रेशा मुख्यतः कितने प्रकार का होता है?
- रेशा मुख्यतः दो प्रकार का होता है: प्राकृतिक और संश्लेषित।
20. रेशम का जलने पर कौन-सा गंध आता है?
- रेशम के जलने पर पंखों या बालों के जलने जैसा गंध आता है।
Medium Questions with Answers
1. सूती और रेशमी कपड़ों की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- सूती कपड़े हल्के, आरामदायक और गर्मियों में ठंडक प्रदान करते हैं, लेकिन इनमें धूल आसानी से लग जाती है और फफूँद का खतरा रहता है। रेशम ताप का कुचालक है, सर्दियों में उपयुक्त है और आसानी से सिकुड़ता नहीं है।
2. नाइलॉन रेशा कैसे बनाया जाता है और इसके क्या गुण हैं?
- नाइलॉन कोयला, जल और वायु से बनाया जाता है और यह मजबूत, लचीला, और हल्का होता है। इसे पैराशूट, रस्सी और जुराबें बनाने में उपयोग किया जाता है क्योंकि यह टिकाऊ होता है।
3. रेशम और रेयॉन में क्या अंतर है?
- रेशम एक प्राकृतिक रेशा है जो रेशम कीट से प्राप्त होता है, जबकि रेयॉन लकड़ी की लुगदी से रासायनिक रूप से बनाया गया कृत्रिम रेशा है। रेशम महंगा होता है जबकि रेयॉन सस्ता और आमतौर पर सुलभ होता है।
4. पॉलिएस्टर रेशे का क्या उपयोग है?
- पॉलिएस्टर टिकाऊ, चमकदार और सफाई में आसान होता है। इसे बोतलें, फिल्में, बर्तन और कपड़े बनाने में उपयोग किया जाता है।
5. रेयॉन को नकली रेशम क्यों कहा जाता है?
- रेयॉन के गुण रेशम जैसे होते हैं लेकिन यह सस्ता और कृत्रिम रूप से निर्मित होता है, इसलिए इसे नकली रेशम कहा जाता है।
6. संश्लेषित रेशे अधिक लोकप्रिय क्यों होते हैं?
- संश्लेषित रेशे टिकाऊ, सस्ते, विविध रंगों में उपलब्ध होते हैं और रखरखाव में आसान होते हैं। इनसे बने वस्त्र जल्दी सूखते हैं और साफ करना भी आसान होता है।
7. ऊनी और ऐक्रिलिक कपड़ों में क्या अंतर है?
- ऊनी कपड़े प्राकृतिक होते हैं और महँगे होते हैं, जबकि ऐक्रिलिक कृत्रिम होता है और सस्ता होने के साथ-साथ ऊन जैसा दिखता है। ऐक्रिलिक अधिक रंगों में उपलब्ध और टिकाऊ भी होता है।
8. रेशम का निर्माण कैसे होता है?
- रेशम कीट के कोकून से रेशा निकाला जाता है, जिसे बाद में धागे में तब्दील किया जाता है। यह रेशा कोमल, चमकीला और ठंडक का एहसास देता है।
9. रेयॉन के निर्माण में कौन-सी रासायनिक प्रक्रिया होती है?
- लकड़ी की लुगदी को कास्टिक सोडा और कार्बन डाइऑक्साइड के साथ रासायनिक प्रतिक्रिया कराकर रेयॉन का निर्माण किया जाता है, जिससे रेशम जैसे गुणों वाला रेशा प्राप्त होता है।
10. कृत्रिम रेशों का औद्योगिक महत्व क्या है?
- कृत्रिम रेशों का उपयोग वस्त्र उद्योग में बड़े पैमाने पर किया जाता है। वे टिकाऊ होते हैं और प्राकृतिक रेशों की तुलना में सस्ते होने के कारण पर्यावरण संरक्षण में भी सहायक होते हैं।
11. लिनन रेशा का इतिहास बताइए।
- लिनन का सबसे पहले उपयोग स्विस लेक निवासियों ने मछली पकड़ने के जाल और वंशी के लिए किया था। मिस्र में इसकी कताई और बुनाई 3400 ईसा पूर्व में विकसित हो चुकी थी।
12. कपड़े की सफाई और रखरखाव में किस प्रकार की कठिनाइयाँ आती हैं?
- सूती कपड़े जल्दी गंदे हो जाते हैं, रेशम पसीने से धूमिल हो जाता है, और ऊनी कपड़े धूप में रखने से हल्के पड़ जाते हैं। इन्हें फफूँद से बचाने के लिए नमी से दूर रखना पड़ता है।
13. रेशम के कपड़े अन्य कपड़ों से महंगे क्यों होते हैं?
- रेशम का उत्पादन जटिल और समय-साध्य है, क्योंकि यह रेशम कीट के कोकून से प्राप्त होता है। इसकी चमक, कोमलता और टिकाऊपन इसे महंगा बनाते हैं।
14. रेयॉन और नाइलॉन में क्या मुख्य अंतर है?
- रेयॉन आंशिक रूप से प्राकृतिक होता है और लकड़ी की लुगदी से बनता है, जबकि नाइलॉन पूरी तरह से रासायनिक पदार्थों से बनाया गया है। नाइलॉन रेयॉन से अधिक टिकाऊ और मजबूत होता है।
15. रेशों का औद्योगिक निर्माण कैसे वनों के संरक्षण में सहायक है?
- कृत्रिम और संश्लेषित रेशों के निर्माण से प्राकृतिक रेशों पर निर्भरता कम होती है, जिससे वनों और वन्य जीवों का संरक्षण होता है।
Long Questions with Answers
1. प्रारंभिक युग में मानव ने किन साधनों से कपड़ों का निर्माण किया और यह प्रक्रिया कैसे विकसित हुई?
- प्रारंभिक युग में मानव तन ढकने के लिए घास-फूस, पेड़-पौधों के पत्तों, छाल और मृत पशुओं की खाल का प्रयोग करता था। धीरे-धीरे, उसने बुनाई की तकनीक सीखी, जिससे रस्सियाँ, डोरियाँ, और पट्टियाँ बनाई जाने लगीं। वस्त्र निर्माण की इस प्रक्रिया ने मानव सभ्यता को नए स्तर पर पहुँचाया, जिससे उसने बुनाई कला का विकास कर वस्त्रों का निर्माण शुरू किया।
2. सूती कपड़े को दैनिक जीवन में उपयोग के लिए उपयुक्त क्यों माना जाता है?
- सूती कपड़े गर्मियों में विशेष रूप से उपयोगी होते हैं, क्योंकि वे हल्के और आरामदायक होते हैं, जिससे शरीर को ठंडक का अनुभव होता है। साथ ही, सूती कपड़े स्वास्थ्य के लिए अच्छे माने जाते हैं, क्योंकि इनमें नमी को अवशोषित करने की क्षमता होती है, जो पसीने को आसानी से सूखने में मदद करता है।
3. दादाजी ने सूती कपड़ों की देखभाल में आने वाली कठिनाइयों के बारे में ऋचा को क्या बताया?
- दादाजी ने ऋचा को बताया कि सूती कपड़ों में धूलकण जल्दी फँस जाते हैं और बिना इस्तरी किए इन्हें पहनना ठीक नहीं लगता। सूती कपड़े धुलाई के बाद सिकुड़ जाते हैं और ज्यादा धोने से उनके रंग भी हल्के पड़ने लगते हैं। इसके अलावा, नमी वाली जगहों पर रखने से उनमें फफूँद भी लग जाती है।
4. रेशम के कपड़ों के उपयोग की विशेषताएँ और समस्याएँ क्या हैं?
- रेशमी कपड़े पहनने में आरामदायक और देखने में सुंदर होते हैं। इनकी चिकनाहट और कोमलता से शीतलता का अनुभव होता है। परंतु, ज्यादा दिनों तक नमी वाली जगह पर रखने से इन पर फफूँद लग सकती है। साथ ही, पसीने के कारण इनकी चमक धूमिल हो जाती है और धोने के बाद इन पर इस्तरी करनी पड़ती है।
5. ऊनी कपड़ों के गुण क्या हैं और इनके रखरखाव में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- ऊनी कपड़े शीत ऋतु में गर्म रखते हैं और इनमें सिलवट नहीं पड़ती है। अधिक समय तक नमीयुक्त जगह पर रखने से इनमें फफूँद लग जाती है, और धूप में रखने पर इनका रंग हल्का पड़ सकता है। ऊनी कपड़े को नमीयुक्त जगहों से दूर और साफ रखना चाहिए।
6. पटसन से बने कपड़े का मुख्य उपयोग कहाँ किया जाता है?
- पटसन से बने कपड़े मुख्य रूप से बोरियों और फर्श पर बिछाने के काम में आते हैं। हालाँकि, अब पटसन के रेशे को परिष्कृत करके महीन धागा तैयार किया जा रहा है, जिससे पहनने योग्य कपड़े भी बनने लगे हैं।
7. रेशम की उत्पत्ति कहाँ और कैसे हुई थी?
- रेशम का उद्गम 2500 ईसा पूर्व में चीन में हुआ। रेशम के कीड़ों से प्राप्त इस रेशे का सबसे पहले प्रयोग चीन में किया गया और यहीं से इसके उपयोग और निर्माण का क्रमबद्ध इतिहास शुरू हुआ।
8. औद्योगिक क्रांति ने वस्त्र उद्योग को कैसे प्रभावित किया?
- औद्योगिक क्रांति के बाद वस्त्र निर्माण में करघों और भाप चालित यंत्रों का प्रयोग शुरू हुआ। इससे उत्पादन में तीव्र वृद्धि हुई और कम समय में अधिक वस्त्र बनाए जाने लगे। विज्ञान और प्रौद्योगिकी की प्रगति के कारण वस्त्र निर्माण की प्रक्रिया तेज और कुशल बन गई।
9. कृत्रिम रेशों का विकास क्यों किया गया, और इनके क्या लाभ हैं?
- कृत्रिम रेशों का विकास प्राकृतिक रेशों की सीमाओं को दूर करने के लिए किया गया। इनमें कीड़े नहीं लगते, इन्हें इस्तरी करने की जरूरत नहीं होती और ये टिकाऊ होते हैं। इनकी विशेषताएँ जैसे शीत, अग्नि, और बर्फ से रक्षा करना इन्हें “जादुई रेशे” के रूप में लोकप्रिय बनाती हैं।
10. रेयॉन को नकली रेशम क्यों कहा जाता है?
- रेयॉन का निर्माण लकड़ी के लुगदी से होता है और इसके गुण रेशम के समान होते हैं। इसे कृत्रिम रेशम इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसकी बनावट और चमक रेशम जैसी होती है, लेकिन यह सस्ता होता है और इसका उपयोग व्यापक रूप से किया जाता है।
11. नाइलॉन के निर्माण की प्रक्रिया क्या है, और इसके क्या गुण हैं?
- नाइलॉन का निर्माण कोयला, जल, और वायु से होता है। इसके रेशे मजबूत, लचीले, और हल्के होते हैं, जिससे इसका उपयोग पैराशूट, रस्सी, और कार की सीट के पट्टों के निर्माण में किया जाता है। नाइलॉन का धागा इस्पात के तार से अधिक मजबूत होता है।
12. पॉलिएस्टर के उपयोग और विशेषताओं के बारे में बताइए।
- पॉलिएस्टर एक प्रकार का संश्लेषित रेशा है, जिसमें टेरीलीन भी शामिल है। यह नाइलॉन की तरह ही मजबूत और टिकाऊ होता है। पॉलिएस्टर का उपयोग बोतलें, बर्तन, और फिल्में बनाने में होता है, और यह धुलाई और रख-रखाव में आसान होता है।
13. एक्रिलिक रेशा किस प्रकार से ऊनी रेशों के समान है?
- एक्रिलिक रेशा ऊन की तरह दिखता है, लेकिन यह ऊन की तुलना में सस्ता और टिकाऊ होता है। एक्रिलिक से बने स्वेटर और शाल सर्दियों में गर्माहट देते हैं और यह विभिन्न रंगों में उपलब्ध होता है, जिससे यह ऊनी वस्त्रों का एक विकल्प बन गया है।
14. संश्लेषित रेशों का औद्योगिक उत्पादन पर्यावरण संरक्षण में कैसे सहायक है?
- संश्लेषित रेशों के उत्पादन से प्राकृतिक संसाधनों की कम खपत होती है, जिससे वनों का संरक्षण होता है। ये रेशे पर्यावरण पर कम भार डालते हैं क्योंकि इनका उत्पादन प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर नहीं करता।
15. आप विभिन्न रेशों की पहचान कैसे कर सकते हैं?
- रेशों की पहचान जलाने के तरीके से की जा सकती है: सूती वस्त्र जलते समय कागज जैसी गंध देता है, रेशम से पंख जलने जैसी गंध आती है, और नाइलॉन पिघलता है पर जलता नहीं है।
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