1. ‘ठेस’ कहानी में किसकी लोकसंस्कृति का वर्णन है?
उत्तर: ‘ठेस’ कहानी में मिथिलांचल की लोकसंस्कृति का प्रभावी वर्णन किया गया है। फणीश्वरनाथ रेणु ने इस कहानी के माध्यम से ग्रामीण जीवन, कारीगरों की स्थिति, और मानवीय संवेदनाओं को चित्रित किया है।
2. गाँव के किसान सिरचन को क्या समझते थे?
उत्तर: गाँव के किसान सिरचन को कामचोर और बेकार मानते थे। वे उसे खेती-बारी के लिए नहीं बुलाते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि वह धीरे-धीरे काम करता है और मजदूरी के बदले मुफ्त खाना चाहता है।
3. सिरचन को क्यों बुलाया जाता था, और उसका क्या महत्व था?
उत्तर: सिरचन एक कुशल कारीगर था जो गाँव में मोथी, शीतलपाटी, और चिक बनाने का काम करता था। इन कलात्मक चीजों को बनाने में उसका कोई मुकाबला नहीं था, और लोग विशेष अवसरों के लिए ही उसे बुलाते थे।
4. सिरचन का महत्व कैसे कम हो गया?
उत्तर: सिरचन का महत्व इसलिए कम हो गया क्योंकि गाँव के लोग उसके पारंपरिक काम को बेकाम का काम समझने लगे थे। उसकी कला का महत्व घटने लगा और लोग उसे मुफ्त में काम करने के लिए बुलाने लगे।
5. सिरचन को पान का बीड़ा किसने दिया था?
उत्तर: सिरचन को पान का बीड़ा मानू ने दिया था। मानू ने उसे समझाया कि लोग कई तरह की बातें करेंगे, लेकिन उसे उनकी बातों की चिंता नहीं करनी चाहिए।
6. सिरचन के काम के प्रति समर्पण का क्या प्रमाण मिलता है?
उत्तर: सिरचन अपने काम में अत्यधिक समर्पित था। वह कुशलता और मेहनत से मोथी और चिक बनाता था, और उसका काम देखकर लोग उसकी कारीगरी की प्रशंसा करते थे।
7. सिरचन को मुफ्तखोर और चटोर क्यों कहा जाता था?
उत्तर: सिरचन को मुफ्तखोर और चटोर इसलिए कहा जाता था क्योंकि वह स्वादिष्ट भोजन का शौकीन था। अगर खाने-पीने में कमी होती, तो वह काम अधूरा छोड़ देता था।
8. सिरचन ने काम के बदले क्या चाहा था?
उत्तर: सिरचन ने काम के बदले कभी धन या वस्त्र की माँग नहीं की, बल्कि वह अच्छे भोजन की अपेक्षा रखता था। उसे स्नेह और सम्मान की अधिक आवश्यकता थी।
9. सिरचन की कारीगरी का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर: सिरचन ने मोहर छापवाली धोती के बदले बेहद खूबसूरत चिक तैयार की थी, जिसमें उसने सात रंगों के तारों का प्रयोग किया था। उसकी कारीगरी में बारीकी और सुंदरता झलकती थी।
10. सिरचन ने मानू को क्या दिया और क्यों?
उत्तर: सिरचन ने स्टेशन पर मानू को शीतलपाटी, चिक, और एक जोड़ी आसनी दी। यह उसकी समर्पण और कला के प्रति प्रेम का प्रतीक था, जिससे उसकी महानता प्रकट होती है।
11. सिरचन का काम अधूरा छोड़कर जाने का कारण क्या था?
उत्तर: सिरचन को जब उसके सम्मान में कमी दिखाई दी या अपमानित किया गया, तब वह काम अधूरा छोड़कर चला गया। वह अपने आत्म-सम्मान से कभी समझौता नहीं करता था।
12. कहानी में सिरचन के आत्म-सम्मान की झलक कैसे मिलती है?
उत्तर: कहानी में सिरचन का आत्म-सम्मान तब प्रकट होता है जब वह मँझली भाभी की बातें सुनकर आहत हो जाता है। इसके बावजूद वह अंत में अपने वादे को निभाता है और स्टेशन पर मानू को सामग्री देने पहुँचता है।
13. सिरचन की कौन सी कला गाँव में प्रसिद्ध थी?
उत्तर: सिरचन की मोथी, शीतलपाटी, और चिक बनाने की कला गाँव में प्रसिद्ध थी। उसकी कला इतनी सुंदर थी कि लोग विशेष अवसरों पर उसे बुलाकर उसके हाथों बने सामान की माँग करते थे।
14. सिरचन के कार्य करने की शैली कैसी थी?
उत्तर: सिरचन अपने काम में पूर्ण तन्मयता और समर्पण से लगा रहता था। यदि कोई उसका ध्यान भटकाता, तो वह अपना काम छोड़ देता था, जिससे उसकी आत्म-सम्मान की भावना झलकती है।
15. कहानी के अंत में सिरचन की क्या विशेषता उजागर होती है?
उत्तर: कहानी के अंत में सिरचन की उदारता और कारीगरी की उत्कृष्टता उजागर होती है। उसने बिना किसी लोभ के मानू के लिए खूबसूरत चीजें तैयार कीं, जो उसके सच्चे कलाकार होने का प्रमाण है।
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