1. बिहारी के दोहों में प्रेम के अलावा किन विषयों पर ध्यान दिया गया है?
उत्तर: बिहारी के दोहों में प्रेम के साथ-साथ भक्ति और नीति पर भी ध्यान दिया गया है। उनके दोहे ‘गागर में सागर’ की तरह हैं, जिनमें गहरी भावनाएँ कम शब्दों में व्यक्त की गई हैं।
2. बिहारी के दोहों में बाह्याडंबर को व्यर्थ क्यों माना गया है?
उत्तर: बिहारी का मानना है कि बाहरी दिखावे का कोई महत्व नहीं है। सच्ची भक्ति और प्रेम का अनुभव मन की सच्चाई और श्रद्धा में है, न कि बाहरी प्रतीकों में।
3. बिहारी ने नम्रता के महत्व को किस प्रकार प्रस्तुत किया है?
उत्तर: बिहारी के अनुसार, नम्रता से ही मनुष्य की महानता प्रकट होती है। जैसे जल नीचे की ओर बहकर ऊँचाई प्राप्त करता है, वैसे ही विनम्र व्यक्ति समाज में सम्मान पाता है।
4. कवि ने दुर्जनों के साथ संगति से सावधान क्यों किया है?
उत्तर: बिहारी ने दुर्जनों के साथ संगति को कुमति के साथ रहने जैसा बताया है। उन्होंने कहा है कि जैसे हींग कर्पूर के साथ रखने से सुगंधित नहीं होती, वैसे ही बुरी संगति से अच्छे गुण नहीं मिल सकते।
5. कवि के अनुसार सच्चे भक्त की पहचान क्या है?
उत्तर: सच्चा भक्त वही है जो सच्चे मन से राम में लीन हो। बाहरी आडंबर, जैसे माला, तिलक, आदि केवल दिखावा हैं; सच्ची भक्ति हृदय में होती है।
6. बिहारी ने सुख-दुख को कैसे स्वीकार करने की सलाह दी है?
उत्तर: कवि के अनुसार, सुख-दुख दोनों को समान रूप से स्वीकार करना चाहिए। यह मानवीय जीवन का एक अभिन्न अंग है, जिसमें धैर्य और सहनशीलता की आवश्यकता होती है।
7. गोपियों ने कृष्ण की मुरली क्यों छुपाई?
उत्तर: गोपियों ने कृष्ण की मुरली छुपाकर उसे अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश की। वे चाहती थीं कि कृष्ण उनसे बातचीत करें और उनकी बातों का आनंद लें।
8. ‘गुण ही व्यक्ति की वास्तविक महानता को दर्शाता है’ – इसका क्या अर्थ है?
उत्तर: बिहारी के अनुसार, व्यक्ति की महानता उसके गुणों पर आधारित होती है, न कि उसके बाहरी आभूषणों पर। बिना गुण के व्यक्ति को सच्ची प्रतिष्ठा नहीं मिल सकती।
9. बिहारी ने ‘साँचै राँचै रामु’ का क्या तात्पर्य दिया है?
उत्तर: बिहारी का कहना है कि सच्चे मन से भगवान की आराधना करने वाला ही सच्चे भक्त की पहचान रखता है। केवल बाहरी आडंबर से कोई सच्चा भक्त नहीं बन सकता।
10. कवि ने नर और नीर की समानता को कैसे बताया है?
उत्तर: कवि के अनुसार, जैसे पानी नीचे की ओर बहने पर शुद्धता और पवित्रता प्राप्त करता है, वैसे ही मनुष्य नम्रता अपनाकर उच्चता प्राप्त करता है।
11. ‘बिहारी के दोहे’ में ‘कनक’ शब्द का प्रयोग किस अर्थ में हुआ है?
उत्तर: बिहारी ने ‘कनक’ का प्रयोग सोने के लिए किया है। उन्होंने कहा है कि धतूरे का सोना कभी गहनों में नहीं ढाला जा सकता, जिससे व्यक्तित्व में गुणों की महत्ता का संकेत मिलता है।
12. बिहारी के अनुसार, लंबी साँस लेना कब उचित नहीं है?
उत्तर: कवि का मानना है कि दुःख में लंबी साँस लेना बेकार है। हमें दुखों का सामना धैर्यपूर्वक करना चाहिए और सुख में भगवान को कभी नहीं भूलना चाहिए।
13. बिहारी ने ‘बतरस-लालच’ का क्या अर्थ बताया है?
उत्तर: बिहारी के अनुसार, गोपियाँ कृष्ण के साथ बातचीत का आनंद लेना चाहती थीं, इसीलिए उन्होंने उनकी मुरली छुपा दी। यह मुरली छुपाने का एक लालच था, जिससे वे कृष्ण से संवाद कर सकें।
14. बिहारी के अनुसार, सच्चे आचरण की पहचान क्या है?
उत्तर: बिहारी ने सच्चे आचरण को सच्ची भक्ति और सत्यता से जोड़ा है। उनके अनुसार, जो मनुष्य सच्चे मन से भगवान की आराधना करता है, वही सच्चे आचरण का पालन करता है।
15. कवि ने सुमति और कुमति की तुलना कैसे की है?
उत्तर: बिहारी ने कहा है कि अच्छी संगति से ही सुमति प्राप्त होती है, जबकि बुरी संगति कुमति लाती है। उन्होंने इसे सुगंधित और दुर्गंधित पदार्थों की संगति के उदाहरण से समझाया है।
Long Questions
1. बिहारी के दोहों में भक्ति, प्रेम, और नीति का वर्णन कैसे किया गया है?
उत्तर: बिहारी के दोहों में प्रेम, भक्ति, और नीति का अनूठा संयोजन है। उनके प्रेम-दोहे राधा-कृष्ण के मिलन और गोपियों की भावनाओं को व्यक्त करते हैं। भक्ति-दोहों में उन्होंने बाह्य आडंबर की निंदा की है और सच्ची भक्ति को हृदय की सच्चाई में बताया है। नीति-दोहे जीवन में विनम्रता, सच्चाई, और अच्छाई की महत्ता को उजागर करते हैं। उन्होंने इन विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत किया है, जो आज भी प्रासंगिक हैं।
2. ‘जपमाला, छापै, तिलक सरै न एकौ कामु’ का क्या अर्थ है और इसका महत्व क्या है?
उत्तर: इस दोहे में बिहारी कहते हैं कि बाहरी आडंबर जैसे जपमाला, तिलक, आदि व्यर्थ हैं, यदि मन सच्चाई से भगवान की ओर नहीं झुका है। इस दोहे का महत्व यह है कि सच्ची भक्ति मन की शुद्धता और आत्मा की पवित्रता में निहित है। यह दोहा हमें सच्चाई के साथ धार्मिकता अपनाने की प्रेरणा देता है। इसे धार्मिकता और आडंबर के बीच अंतर को समझने के लिए रचित किया गया है।
3. बिहारी ने विनम्रता को उच्चता से कैसे जोड़ा है?
उत्तर: बिहारी का मानना है कि विनम्रता से ही मनुष्य समाज में उच्चता प्राप्त कर सकता है। जैसे जल नीचे की ओर बहता है और ऊँचाई को प्राप्त करता है, वैसे ही नम्र व्यक्ति उच्चता और आदर पाता है। उन्होंने इसे ‘नर की अरु नल नीर की गति एकैं करी जोय’ से स्पष्ट किया है। इस दृष्टिकोण से वे समाज में विनम्रता की महत्ता को समझाने का प्रयास करते हैं।
4. दुर्जन संगति से बचने की सलाह बिहारी ने किस प्रकार दी है?
उत्तर: बिहारी ने दुर्जन संगति को कुमति के समान बताया है। उन्होंने कहा है कि दुर्जनों के साथ रहने से अच्छी बुद्धि नहीं मिल सकती। इस दोहे में उन्होंने हींग और कर्पूर की तुलना दी है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि बुराई का संग अच्छे को भी खराब कर सकता है। यह हमें अच्छे समाज की ओर प्रेरित करता है।
5. बिहारी ने गुणों की महत्ता को किन शब्दों में व्यक्त किया है?
उत्तर: बिहारी ने कहा है कि बिना गुण के व्यक्ति की प्रतिष्ठा नहीं होती। उन्होंने ‘धतूरे सो कनक’ का उदाहरण देकर समझाया है कि सोने की सुंदरता और मूल्य उसके गुणों में हैं, न कि केवल उसकी चमक में। यह व्यक्ति के गुणों की महत्ता को रेखांकित करता है, जिससे हम सच्चे और अच्छे गुणों की ओर प्रेरित होते हैं।
6. ‘दई दई क्यौं करतू है, दई दई सु कबूलि’ का क्या तात्पर्य है?
उत्तर: इस दोहे में बिहारी ने यमक अलंकार का प्रयोग किया है, जहाँ ‘दई’ शब्द का अर्थ ‘ईश्वर’ और ‘दिया’ दोनों में है। कवि कहते हैं कि हम जो भी देते हैं, उसे ईश्वर को समर्पित करें। उन्होंने इस दोहे में धार्मिकता और दान की भावना को अभिव्यक्त किया है। यह दोहा हमें सच्चे समर्पण और उदारता का संदेश देता है।
7. बिहारी के दोहों में प्रकृति का क्या महत्व है?
उत्तर: बिहारी ने अपने दोहों में प्रकृति की विभिन्न छवियों का उल्लेख किया है। उनके दोहों में वृक्ष, फूल, नदियाँ, और अन्य प्राकृतिक तत्व प्रेम और भक्ति के प्रतीक के रूप में उभरते हैं। उन्होंने प्रकृति के माध्यम से प्रेम और सौंदर्य को वर्णित किया है। प्रकृति को उन्होंने मानवीय भावनाओं के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया है। उनके दोहे प्राकृतिक सौंदर्य को मानव जीवन के अनिवार्य अंग के रूप में दिखाते हैं।
8. बिहारी ने गोपियों के माध्यम से प्रेम की अभिव्यक्ति कैसे की है?
उत्तर: गोपियों के माध्यम से बिहारी ने प्रेम की मासूमियत और गहराई को व्यक्त किया है। उन्होंने दिखाया है कि गोपियों का कृष्ण के प्रति प्रेम निश्छल और निस्वार्थ है। गोपियाँ कृष्ण की मुरली छुपाकर उनसे बातचीत का आनंद लेना चाहती हैं। इस प्रेम में स्वार्थ नहीं, केवल मिलन की इच्छा है। बिहारी के प्रेम-दोहों में प्रेम की अनंतता और मासूमियत झलकती है।
9. बिहारी ने अच्छे आचरण को जीवन में क्यों आवश्यक बताया है?
उत्तर: बिहारी का मानना है कि अच्छे आचरण से ही व्यक्ति सच्ची प्रतिष्ठा और सम्मान प्राप्त करता है। उनके अनुसार, बिना सच्चे आचरण के जीवन में सफलता नहीं मिलती। उन्होंने इसे जीवन में सत्यता, सदाचार, और धार्मिकता से जोड़ा है। उनके नीति-दोहों में यह संदेश प्रमुखता से उभरता है। उन्होंने अच्छे आचरण को मानवता का आधार बताया है।
10. ‘कनक’ शब्द का प्रतीकात्मक महत्व बिहारी के दोहों में कैसे दिखाया गया है?
उत्तर: बिहारी के दोहों में ‘कनक’ सोने के लिए प्रयुक्त हुआ है, जो शुद्धता और उत्कृष्टता का प्रतीक है। उन्होंने दिखाया है कि सोना यदि अशुद्ध हो, तो उसकी सुंदरता और मूल्य समाप्त हो जाती है। इसी प्रकार, व्यक्ति के गुण उसे उत्कृष्ट बनाते हैं। ‘कनक’ का उपयोग बिहारी ने व्यक्तित्व की आंतरिक सुंदरता को दर्शाने के लिए किया है। उनके दोहे इस प्रतीक के माध्यम से सच्चे गुणों की महत्ता को रेखांकित करते हैं।
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