1. बालगोबिन भगत कौन थे?
उत्तर: बालगोबिन भगत एक साधु प्रवृत्ति के गृहस्थ थे, जो कबीर के अनुयायी थे और सरल जीवन जीते थे।
2. बालगोबिन भगत किस पंथ के अनुयायी थे?
उत्तर: वे कबीरपंथी थे और कबीर को ‘साहब’ मानते थे।
3. बालगोबिन भगत की वेशभूषा कैसी थी?
उत्तर: बालगोबिन भगत कम कपड़े पहनते थे। कमर में लंगोटी और सिर पर कबीरपंथी टोपी पहनते थे। सर्दियों में काली कमली ओढ़ते थे।
4. बालगोबिन भगत की दिनचर्या कैसी थी?
उत्तर: वे रोजाना सुबह स्नान करते, कबीर के पद गाते और अपनी खेती-बाड़ी संभालते थे।
5. बालगोबिन भगत की संगीत साधना का क्या महत्व था?
उत्तर: उनके गाए कबीर के पद लोगों को आध्यात्मिक जागरूकता प्रदान करते थे। उनका संगीत गाँव के लोगों को प्रेरित करता था।
6. बालगोबिन भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर कैसा व्यवहार किया?
उत्तर: बालगोबिन भगत ने बेटे की मृत्यु पर शोक नहीं किया। उन्होंने गीत गाकर आत्मा की मुक्ति का जश्न मनाया।
7. पुत्रवधू द्वारा पुत्र की मुखाग्नि दिलवाने का क्या संदेश है?
उत्तर: यह भगत के समानता के सिद्धांत और रूढ़िवादिता से दूरी का प्रतीक है।
8. बालगोबिन भगत को साधु क्यों कहा जाता है, जबकि वे गृहस्थ थे?
उत्तर: उनके आचरण और सादा जीवन शैली के कारण उन्हें साधु कहा जाता है, भले ही वे गृहस्थ थे।
9. बालगोबिन भगत के संगीत से गाँव के लोगों पर क्या प्रभाव पड़ता था?
उत्तर: उनके संगीत से लोग भावविभोर हो जाते थे। उनके गाने सुनकर लोग ध्यानमग्न हो जाते थे।
10. बालगोबिन भगत का मृत्यु के प्रति दृष्टिकोण कैसा था?
उत्तर: बालगोबिन भगत मृत्यु को आत्मा की मुक्ति मानते थे। उन्होंने बेटे की मृत्यु पर शोक नहीं किया बल्कि उत्सव मनाया।
11. बालगोबिन भगत किस प्रकार का भोजन करते थे?
उत्तर: वे बहुत साधारण भोजन करते थे और अपनी जरूरतों को न्यूनतम रखते थे।
12. बालगोबिन भगत का जीवन हमें क्या सिखाता है?
उत्तर: उनका जीवन सादगी, आचरण की शुद्धता, और आध्यात्मिकता का महत्व सिखाता है।
13. बालगोबिन भगत की मृत्यु कैसे हुई?
उत्तर: वे गंगा स्नान के बाद बीमार पड़े और धीरे-धीरे क्षीण होते गए। अंततः उन्होंने शांति से देह त्याग दी।
14. बालगोबिन भगत का निर्णय कितना अटल था?
उत्तर: उनका निर्णय बहुत अटल था। उन्होंने पतोहू की विनती के बावजूद उसे दूसरी शादी के लिए भेज दिया।
15. बालगोबिन भगत का संगीत किस समय गूंजता था?
उत्तर: उनका संगीत सुबह और शाम को गूंजता था, जिससे सारा वातावरण भक्तिमय हो जाता था।
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