Short Questions (with Answers)
1. कविता “पुष्प की अभिलाषा” में कवि ने किसकी अभिलाषा व्यक्त की है?
- कवि ने एक पुष्प की इच्छा को व्यक्त किया है, जो मातृभूमि के प्रति समर्पित है।
2. ‘चाह नहीं’ से कवि की किस भावना का पता चलता है?
- ‘चाह नहीं’ से कवि की त्याग और विनम्रता की भावना व्यक्त होती है।
3. “चढूँ, भाग्य पर इठलाऊँ” का क्या अर्थ है?
- इसका अर्थ है अपने सौभाग्य पर गर्व करना।
4. कवि ने पुष्प को किस पथ पर फेंकने की इच्छा जताई है?
- उस पथ पर जहाँ से वीर अपने देश के लिए बलिदान देने जाते हैं।
5. ‘सुरबाला’ शब्द का अर्थ क्या है?
- ‘सुरबाला’ का अर्थ देवकन्या है।
6. कवि किस प्रकार के सम्मान को अस्वीकार करता है?
- कवि देवों और सम्राटों द्वारा मिले सम्मान को अस्वीकार करता है।
7. ‘मातृभूमि’ के प्रति कवि की भावना कैसी है?
- कवि की मातृभूमि के प्रति गहरी प्रेम और भक्ति की भावना है।
8. कवि ‘प्रेमी-माला’ में क्यों नहीं बिंधना चाहता?
- क्योंकि वह अपनी इच्छाओं से परे देशभक्ति का प्रतीक बनना चाहता है।
9. कविता में कवि किसे संबोधित करता है?
- कवि वनमाली को संबोधित करता है।
10. कविता का शीर्षक “पुष्प की अभिलाषा” किसके प्रतीक के रूप में है?
- यह देशभक्ति और बलिदान की अभिलाषा का प्रतीक है।
Medium Questions (with Answers)
1. कवि ने ‘सम्राटों के शव’ पर न जाने की इच्छा क्यों व्यक्त की है?
- कवि ने यह इच्छा इसलिए व्यक्त की है क्योंकि वह अपने जीवन को भव्यता के बजाय देशभक्ति के मार्ग में अर्पित करना चाहता है।
2. ‘मैं’ शब्द का प्रयोग कविता में किसके लिए किया गया है?
- ‘मैं’ शब्द का प्रयोग एक पुष्प के लिए किया गया है, जो देशभक्ति का प्रतीक बनकर अपनी अभिलाषा व्यक्त कर रहा है।
3. “चढ़ूँ, भाग्य पर इठलाऊँ” का सही अर्थ क्या है?
- इसका सही अर्थ है कि कवि को अपने सौभाग्य पर गर्व नहीं है, बल्कि वह विनम्रता से अपने देश के लिए समर्पण चाहता है।
4. कवि को ‘देवों के सिर पर चढ़ने’ की चाह क्यों नहीं है?
- क्योंकि वह दिखावे के सम्मान से ऊपर उठकर मातृभूमि के लिए न्यौछावर होना चाहता है।
5. कविता के अनुसार, पुष्प का आदर्श क्या है?
- पुष्प का आदर्श अपने जीवन को मातृभूमि के लिए समर्पित करना और वीरों के बलिदान के मार्ग का हिस्सा बनना है।
6. कवि ‘प्रेमी माला’ में क्यों नहीं बिंधना चाहता?
- क्योंकि वह अपने प्रेम को निजी सुख-सुविधा से ऊपर उठाकर मातृभूमि के प्रति समर्पित करना चाहता है।
7. ‘वनमाली’ कौन है, जिसे कवि ने संबोधित किया है?
- ‘वनमाली’ वह व्यक्ति है जो वन के पुष्पों का पालन-पोषण करता है और कवि उसे अपने उद्देश्य के लिए पुष्प को तोड़ने की प्रार्थना करता है।
8. ‘मातृभूमि पर शीश चढ़ाने’ का क्या अर्थ है?
- इसका अर्थ है देश के लिए बलिदान देना।
9. कवि के अनुसार, पुष्प के लिए सर्वोच्च सम्मान क्या है?
- वीरों के बलिदान पथ पर पड़ा रहना उसके लिए सर्वोच्च सम्मान है।
10. कवि ने सम्मान प्राप्त करने की बजाय कौन-सी इच्छा प्रकट की है?
- कवि ने समर्पण और त्याग के साथ वीरों के मार्ग पर बिछने की इच्छा प्रकट की है।
Long Questions (with Answers)
1. बड़े-बड़े सम्मान पाने की बजाय पुष्प उस पथ पर फेंका जाना क्यों पसंद करता है, जिस पर मातृभूमि के लिए अपना सर्वस्व अर्पण करने वाले वीर जाते हैं?
- पुष्प बड़े-बड़े सम्मान पाने की बजाय उस पथ पर फेंका जाना पसंद करता है, जहाँ से देश के वीर अपने प्राणों की आहुति देने जाते हैं। यह उसकी मातृभूमि के प्रति सच्ची श्रद्धा और समर्पण को दर्शाता है। कवि के अनुसार, पुष्प के लिए यही सबसे बड़ा सम्मान है।
2. पुष्प की भांति आपकी भी कोई अभिलाषा होगी। उन्हें दस वाक्यों में लिखिए।
- मेरी अभिलाषा है कि मैं अपने देश और समाज के लिए उपयोगी बनूँ। मैं चाहती/चाहता हूँ कि मेरे कार्यों से लोगों का भला हो। मैं शिक्षा प्राप्त कर, जरूरतमंदों की मदद करना चाहता हूँ। मेरी इच्छा है कि मैं अपने माता-पिता का नाम रोशन करूँ और अपनी मातृभूमि के प्रति सच्चा नागरिक बनूँ।
3. “हे वनमाली, मुझे तोड़कर उस रास्ते पर फेंक देना, जिस रास्ते से होकर अपनी मातृभूमि पर शीश चढ़ाने वाले वीर जाते हैं” – उपर्युक्त भाव पाठ की किन पंक्तियों द्वारा अभिव्यक्ति होती है? उन पंक्तियों को लिखिए।
- उपर्युक्त भाव की अभिव्यक्ति इन पंक्तियों में होती है:
“मुझे तोड़ लेना वनमाली,
उस पथ पर देना तुम फेंक
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
जिस पथ जाएँ वीर अनेक।”
4. ‘चाह नहीं’ पद कवि की किस तरह की भावना को व्यक्त कर रहा है?
- ‘चाह नहीं’ पद कवि की त्याग और बलिदान की भावना को व्यक्त करता है। कवि भौतिक वस्तुओं और बड़े-बड़े सम्मानों की इच्छा नहीं रखते; उनकी अभिलाषा मातृभूमि के प्रति समर्पण है, जो सच्चे देशप्रेम का प्रतीक है।
5. इस कविता में कवि ने किस प्रकार के पुष्प का वर्णन किया है और उसकी इच्छा क्या है?
- कवि ने एक ऐसे पुष्प का वर्णन किया है जो देवों, सम्राटों या प्रेमियों के श्रृंगार का हिस्सा बनने की इच्छा नहीं रखता। उसकी इच्छा है कि वह उस रास्ते पर फेंका जाए, जहाँ से वीर देश के लिए बलिदान देने जाते हैं।
6. ‘चढूँ, भाग्य पर इठलाऊँ’ में ‘भाग्य पर इठलाने’ से कवि क्या अभिप्राय देता है?
- ‘भाग्य पर इठलाने’ का अर्थ है अपने भाग्य पर गर्व करना। कवि इस बात का विरोध करता है कि वह देवताओं या सम्राटों की शोभा बढ़ाकर भाग्य पर इठलाए, क्योंकि उसकी अभिलाषा तो केवल मातृभूमि के लिए समर्पण है।
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