प्रश्न 1 : विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना कब और किसके संरक्षण में हुई?
उत्तर: विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना आठवीं शताब्दी के मध्य पालवंश के प्रतापी राजा धर्मपाल के संरक्षण में हुई थी। यह शिक्षा का एक प्रमुख केन्द्र था।
प्रश्न 2 : विक्रमशिला का नामकरण कैसे हुआ?
उत्तर: कहा जाता है कि विक्रम नामक यक्ष को वश में करके इस स्थान पर विहार बनाया गया, इसलिए इसका नाम विक्रमशिला पड़ा। यह किंवदंति के आधार पर प्रसिद्ध है।
प्रश्न 3 : विक्रमशिला विश्वविद्यालय में कितने महाविद्यालय थे और प्रवेश की प्रक्रिया क्या थी?
उत्तर: विक्रमशिला में छह महाविद्यालय थे, जहाँ द्वारपंडितों द्वारा छात्रों की मौखिक परीक्षा ली जाती थी। परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर ही छात्रों को प्रवेश मिलता था।
प्रश्न 4 : विक्रमशिला विश्वविद्यालय के प्रथम आचार्य कौन थे?
उत्तर: विक्रमशिला विश्वविद्यालय के प्रथम आचार्य हरिभद्र थे, जिन्हें कहीं-कहीं शांतिभद्र भी कहा जाता है। वे नालंदा विश्वविद्यालय के आचार्य शांतिरक्षित के शिष्य थे।
प्रश्न 5 : विक्रमशिला के पुस्तकालय की विशेषता क्या थी?
उत्तर: विक्रमशिला का पुस्तकालय समृद्ध था, जिसमें तंत्र, तर्क, बौद्ध दर्शन और प्रारंभिक दर्शन से संबंधित ग्रंथों का विशाल संग्रह था। यहाँ पाण्डुलिपियाँ भी तैयार की जाती थीं।
प्रश्न 6 : विक्रमशिला विश्वविद्यालय में छात्रों को किस प्रकार की शिक्षा दी जाती थी?
उत्तर: यहाँ तंत्र विद्या, व्याकरण, न्याय, सृष्टि-विज्ञान, शिल्प-विद्या, चिकित्सा, सांख्य, अध्यात्मविद्या जैसी अनेक विद्याओं की शिक्षा दी जाती थी। संस्कृत भाषा में अध्यापन होता था।
प्रश्न 7 : विक्रमशिला विश्वविद्यालय में अध्ययन का माध्यम कौन सी भाषा थी?
उत्तर: विक्रमशिला विश्वविद्यालय में अध्ययन का माध्यम संस्कृत भाषा थी। यही भाषा शिक्षण और शोध के लिए प्रयुक्त होती थी।
प्रश्न 8 : विक्रमशिला विश्वविद्यालय के खंडहरों की खुदाई में कौन-कौन सी मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं?
उत्तर: खुदाई में भगवान बुद्ध की 4.5 फीट ऊँची भूमि स्पर्श मुद्रा में प्रतिमा, पद्मासन पर बैठे अवलोकितेश्वर की कांस्य प्रतिमा, पद्मपाणि और मैत्रेय की प्रतिमा प्राप्त हुई हैं।
प्रश्न 9 : विक्रमशिला के पतन का कारण क्या था?
उत्तर: तेरहवीं सदी में तुर्कों के आक्रमण के कारण विक्रमशिला का पतन हो गया। तुर्कों ने इसे किला समझकर आक्रमण किया और विध्वंस कर दिया।
प्रश्न 10 : विक्रमशिला विश्वविद्यालय में छात्र होने का क्या महत्व था?
उत्तर: विक्रमशिला के छात्र होना अपने आप में गौरव की बात थी। यहाँ के छात्रों और आचार्यों को देश-विदेश के राजदरबारों में सम्मान प्राप्त होता था।
प्रश्न 11 : विक्रमशिला के छात्रों को किस वर्ग में रहना पड़ता था?
उत्तर: विक्रमशिला में नए छात्रों को कुछ समय के लिए ‘भिक्षु वर्ग’ में रहना पड़ता था, ताकि वे बौद्ध सिद्धांतों को अच्छी तरह समझ सकें।
प्रश्न 12 : ‘अष्टशाहस्रिका – प्रज्ञापारमिता’ ग्रंथ की क्या विशेषता है?
उत्तर: ‘अष्टशाहस्रिका – प्रज्ञापारमिता’ विक्रमशिला में तैयार की गई एक प्रसिद्ध पाण्डुलिपि है। यह ग्रंथ ब्रिटिश म्यूजियम, लंदन में आज भी संरक्षित है।
प्रश्न 13 : विक्रमशिला में कितने शिक्षक और छात्र रहते थे?
उत्तर: विक्रमशिला विश्वविद्यालय में लगभग एक हजार अध्यापक और दस हजार छात्र रहते थे, जो इसकी विशालता और गरिमा को दर्शाते हैं।
प्रश्न 14 : विक्रमशिला में अध्ययन के लिए किन विद्याओं का अध्ययन कराया जाता था?
उत्तर: यहाँ तंत्र विद्या, योग, न्याय, काव्य, व्याकरण, विज्ञान, चिकित्सा, और बौद्ध दर्शन की विभिन्न शाखाओं का अध्ययन कराया जाता था।
प्रश्न 15 : विक्रमशिला विश्वविद्यालय के पतन का वर्णन किसने किया?
उत्तर: विक्रमशिला के पतन का वर्णन तिब्बती लामा धर्मस्वामी ने अत्यंत मार्मिक तरीके से किया है। उनके विवरण में इस विश्वविद्यालय की गौरवशाली अतीत का जीवंत चित्रण मिलता है।
Long Questions
प्रश्न 1 : विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना कैसे हुई और इसका नामकरण कैसे हुआ?
उत्तर: विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना 8वीं शताब्दी के मध्य पालवंश के राजा धर्मपाल के संरक्षण में हुई थी। किंवदंति के अनुसार, इस स्थान पर विक्रम नामक यक्ष को वश में करने के कारण इसका नाम विक्रमशिला पड़ा। यह विश्वविद्यालय बौद्ध शिक्षा का महत्वपूर्ण केंद्र बन गया था।
प्रश्न 2 : विक्रमशिला विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में किन-किन विषयों को पढ़ाया जाता था?
उत्तर: विक्रमशिला विश्वविद्यालय में तंत्र विद्या, योग, न्याय, काव्य, व्याकरण, चिकित्सा, सांख्य और अध्यात्म विद्या जैसे विषयों को पढ़ाया जाता था। यह विश्वविद्यालय व्याकरण और तंत्र विद्या के अध्ययन के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध था, और संस्कृत इसका मुख्य शिक्षण माध्यम था।
प्रश्न 3 : विक्रमशिला के पतन के कारण क्या थे?
उत्तर: विक्रमशिला का पतन तेरहवीं सदी की शुरुआत में तुर्कों के आक्रमण के कारण हुआ। तुर्कों ने इसे किला समझकर विध्वंस किया, जिससे यह विश्वविद्यालय समाप्त हो गया। इस घटना का उल्लेख ‘तबकात-ए-नासिरी’ ग्रंथ में किया गया है।
प्रश्न 4 : विक्रमशिला विश्वविद्यालय का पुस्तकालय कितना समृद्ध था?
उत्तर: विक्रमशिला का पुस्तकालय अत्यंत समृद्ध था, जिसमें तंत्र, तर्क, बौद्ध दर्शन और प्रारंभिक दर्शन के ग्रंथों का विशाल संग्रह था। यहाँ पाण्डुलिपियाँ तैयार की जाती थीं, जिनमें ‘अष्टशाहस्रिका – प्रज्ञापारमिता’ जैसी प्रसिद्ध पाण्डुलिपि शामिल है, जो ब्रिटिश म्यूजियम में संरक्षित है।
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