BSEB Solutions For All Chapters Vigyan Class 7
(क) पौधों का जनन अंग है –
(i) तना
(ii) जड़
(iii) फूल
(iv) पत्ती
उत्तर:
(iii) फूल
(ख) परागकण का वर्तिकान पर स्थानान्तरण कहलाता है –
(i) निषेचन
(ii) परागण
(iii) जनन
(iv) फल का बनना
उत्तर:
(ii) परागण
(ग) परिपक्व होने पर भ्रूण विकसित होकर बदल जाता है –
(i) फल में
(ii) बीज में
(iii) पुंकेसर में
(iv) जड़ में
उत्तर:
(i) फल में
(घ) नर एवं मादा युग्मक का मिलना कहलाता है –
(i) परागकण
(ii) निषेचन
(ii) जनन
(iv) बीज निर्माण
उत्तर:
(ii) निषेचन
प्रश्न 2.
रिक्त स्थनों को भरें –
(क) जनन पौधों के कायिक भागों से नए पौधों का उत्पन्न होना ………………. कहलाता है।
(ख) जिन फूलों में केवल नर या मादा जनन अंग होते हैं वे ………………. फूल कहे जाते हैं।
(ग) पराग कोष से परागकणों का वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरण की क्रिया ………………. कहलाती है।
(घ) नर एवं मादा युग्मकों के मिलने से ………………. का निर्माण होता है।
उत्तर:
(क) अलैंगिक
(ख) एकलिंगी
(ग) परागण
(घ) युग्मनज ।
प्रश्न 3.
पौधों में अलैंगिक जनन की विधियों की चर्चा करें।
उत्तर:
पौधों के जड़, तना, पत्तियाँ, कली आदि कायिक भागों से नए पौधे की उत्पत्ति होती है। कायिक प्रवर्धन एक प्रकार का अलैंगिक जनन है। आलू, गन्ना, ब्रायोफाइलम, गुलाब, चमेली अलैंगिक जनन प्रक्रिया करते हैं। अलैंगिक जनन की विधि इस प्रकार होता है।
(1) लेयरिंग विधि – इस विधि में पौधों की तना को मिट्टी में दबा दिया -जाता है। वहाँ पानी देते रहना चाहिए ताकि नमी रहे। 10-15 दिनों में वहाँ से जड़ें निकलने लगती हैं। काड़ेंकर दूसरी जगह लगा देते हैं।
(2) मुकुलन – यीस्ट एककोशिकीय जीव है। जब पावरोटी या बिस्कुट को छोड़ दिया जाए और उसे पोषण उपलब्ध हो तो तेजी से जनन करने लगता है। यीस्ट कोशिकाओं से छोटी-छोटी बल्ब जैली संरचना करने लगता है इसे मुकुल संरचना कहते हैं। वृद्धि के फलस्वरूप जनक कोशिका से बदलकर यीस्ट कोशिका में बदल जाता है और फिर नई कोशिकाएँ उत्पन्न करता है।
खंडन – शैवाल को जब जल और पोषक तत्व प्राप्त होते हैं तो खंडन द्वारा तेजी से बढ़ते हैं। शैवाल दो या दो से अधिक भागों में खंडित हो जाते हैं जो कुछ दिनों में अपने जनकों के समान हो जाते हैं।
बीजाणु – अनुकूल परिस्थिति में बीजाणु अंकुरित होते हैं और नये जीव में विकसित होते हैं। माँस तथा फर्न निम्न स्तरीय पौधों में भी जनन बीजाणुओं द्वारा ही होता है।
प्रश्न 4.
बीजों के बनने के लिए लैंगिक जनन आवश्यक है। क्यों ?
उत्तर:
लैंगिक जनन में नर युग्मक मादा युग्मक से बीजाण्ड में मिलते हैं। मिलन के फलस्वरूप निषेचन होता है। निषेचन के कारण युग्मनक भ्रूण में विकसित होता है और भ्रूण विकसि होकर बीज बनते हैं। अण्डाशय का आकार बढ़ता है और फल के रूप में विकसित होता है। निषेचन के लिए लैंगिक जनन आवश्यक है।
प्रश्न 5.
स्व-परागण तथा पर परागण में अन्तर बताएँ ?
उत्तर:
परागकण का वर्तिकाग्र तक जाने की क्रिया को परागण कहते हैं। जब परागकण अपने ही फूल के वर्तिकाग्र तक जाता है तो इसे स्व-परागण कहते हैं और यदि परागकणों का अपने ही पौधों के दूसरे फूलों के वर्तिकाग्र तक अपने जाति या दूसरे फूलों के वर्तिकाग्र तक ले जाने की क्रिया को पर – परागण कहते हैं।
प्रश्न 6.
बीजों के प्रकीर्णन से क्या समझते हैं ? ये किस प्रकार होते हैं, चर्चा करें।
उत्तर:
अधिकांश पौधे बीजों के कारण नये पौधे उगते हैं। पौधों के विकास के लिए पर्याप्त मात्रा में धूप, जल खनिज एवं स्थान की आवश्यकता होती है। एक स्थान पर ज्यादा पौधे विकसित नहीं हो पाते हैं। बीजों का दूर-दूर तक विभिन्न स्थानों तक पहुँचना बीजों का प्रकीर्णन कहलाता है। बीज हवा, पानी से बहकर तथा जन्तुओं द्वारा बीजों का प्रकीर्णन होता है। सूर्यमुखी, घास, नारियल के बीज पानी में बहकर । काँटेदार एवं हुक जैसी आकृति वाले बीज जन्तुओं के माध्यम से पीपल, बरगद के बीज पक्षियों द्वारा प्रकीर्णन होता है।
प्रश्न 7.
फूल का चित्र बनाकर उनके प्रमुख अंगों को नामांकित करें।
उत्तर:
प्रश्न 8.
जिन पौधों में कायिक प्रवर्धन होता है उनकी एक सूची बनाएँ ?
उत्तर:
प्रश्न 9.
यदि पौधों में बीजों का निर्माण न हो तो क्या होगा? कक्षा में चर्चा करें।
उत्तर:
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