स्थानीय सरकार
प्रश्न 1. नवहट्टा पूर्वी में लोग क्यों इकट्ठा हो रहे थे, और इस सभा का क्या महत्व है?
उत्तर: नवहट्टा पूर्वी में लोग अपनी टोलों और गाँवों की समस्याओं पर विचार-विमर्श करने के लिए इकट्ठा हो रहे थे। इस सभा को आम सभा कहा जाता है, जिसमें पंचायत क्षेत्र के सभी वयस्क व्यक्ति शामिल होते हैं। इस सभा में गाँव की समस्याओं पर चर्चा की जाती है, जैसे सड़क निर्माण और पेयजल समस्याएँ। आम सभा का महत्व इसलिए है क्योंकि यह ग्राम पंचायत के निर्णय लेने की प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहाँ लोग अपनी समस्याओं को उठाकर उनके समाधान के लिए आवाज़ उठाते हैं।
प्रश्न 2. सार्वजनिक चीजों की देखभाल और मरम्मत किसके जिम्मे होती है, और इसे सुनिश्चित करने के लिए क्या व्यवस्था की गई है?
उत्तर: सार्वजनिक चीजों की देखभाल, मरम्मत, और सुरक्षा ग्राम पंचायत के जिम्मे होती है। चूँकि ये चीजें किसी खास व्यक्ति की नहीं होतीं, इसलिए ग्राम पंचायत की स्थापना की गई है ताकि इन समस्याओं का समाधान सामूहिक रूप से किया जा सके। ग्राम पंचायत सार्वजनिक संपत्तियों जैसे चापाकल, सड़क, नाली आदि की देखभाल करती है और जब ये खराब हो जाते हैं, तो उन्हें ठीक करवाती है। इस प्रकार की समस्याओं के समाधान के लिए ग्राम पंचायत में मुखिया और वार्ड सदस्य होते हैं, जो इन मुद्दों पर चर्चा करके निर्णय लेते हैं।
प्रश्न 3. मतदाता सूची क्या है, और इसे बनाने का क्या महत्व है?
उत्तर: मतदाता सूची वह सूची है जिसमें उन व्यक्तियों के नाम दर्ज होते हैं जो चुनावों में वोट देने के योग्य होते हैं। इसे वोटरलिस्ट भी कहा जाता है। बी.एल.ओ. (Booth Level Officer) द्वारा यह सूची बनाई जाती है, जिसमें 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के सभी व्यक्तियों के नाम शामिल होते हैं। मतदाता सूची का महत्व इसलिए है क्योंकि यह सुनिश्चित करती है कि केवल योग्य और पंजीकृत मतदाता ही पंचायत के चुनावों में भाग लें, जिससे चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष हो सके।
प्रश्न 4. ग्राम पंचायत का क्षेत्र कैसे निर्धारित किया जाता है, और इसके प्रमुख तत्व कौन-कौन से होते हैं?
उत्तर: ग्राम पंचायत का क्षेत्र गाँव की आबादी के आधार पर निर्धारित किया जाता है। बिहार राज्य में एक ग्राम पंचायत के लिए न्यूनतम जनसंख्या 7000 या उससे अधिक होनी चाहिए। यदि किसी क्षेत्र में छोटे-छोटे गाँव हैं, तो उन्हें मिलाकर एक ग्राम पंचायत बनाई जाती है। ग्राम पंचायत के प्रमुख तत्वों में वार्ड, वार्ड सदस्य, मुखिया, और उप मुखिया शामिल होते हैं। प्रत्येक वार्ड का एक प्रतिनिधि वार्ड सदस्य कहलाता है, और पूरे पंचायत क्षेत्र के लोग मिलकर मुखिया का चुनाव करते हैं। पंचायत सचिव भी ग्राम पंचायत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, जो सरकारी अधिकारी द्वारा नियुक्त किया जाता है।
प्रश्न 5. पंचायती राज व्यवस्था में आरक्षण व्यवस्था का क्या महत्व है, और इसमें किन वर्गों को लाभ दिया गया है?
उत्तर: पंचायती राज व्यवस्था में आरक्षण व्यवस्था का महत्व यह है कि इससे सामाजिक न्याय सुनिश्चित किया जा सके और कमजोर वर्गों को पंचायत में प्रतिनिधित्व मिल सके। बिहार राज्य में पंचायती राज व्यवस्था में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अति पिछड़ा वर्ग, और पिछड़ा वर्ग के लिए कुछ सीटें आरक्षित की गई हैं। इसके साथ ही, महिलाओं के लिए सभी पदों की आधी सीटें (50%) आरक्षित की गई हैं। इस व्यवस्था से पंचायत में विविधता और समावेशिता बढ़ती है और सभी वर्गों के लोग अपनी समस्याओं को पंचायत में उठाने और समाधान के लिए काम करने के लिए सशक्त होते हैं।
प्रश्न 6. ग्राम पंचायत के कार्य क्या होते हैं, और उनका महत्व क्या है?
उत्तर: ग्राम पंचायत के कार्यों में ग्रामीण विकास योजनाओं का क्रियान्वयन, कृषि, पशुपालन, सिंचाई, मछली पालन को बढ़ावा देना, ग्रामीण आवास, पेयजल, सड़क, स्वास्थ्य सेवा, और विकलांग कल्याण की योजनाओं में मदद करना शामिल है। इसके अलावा, कुआँ, तालाब, पोखर आदि का निर्माण, सहकारिता, कृषि भंडारण, और बिक्री की व्यवस्था करना भी ग्राम पंचायत के कार्यों में शामिल है। इन कार्यों का महत्व इसलिए है क्योंकि ये ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं और सेवाओं को सुनिश्चित करते हैं, जिससे गाँवों का समग्र विकास हो सके और लोगों का जीवन स्तर बेहतर हो सके।
प्रश्न 7. ग्राम पंचायत के आय के साधन क्या होते हैं, और इनका प्रयोग कैसे किया जाता है?
उत्तर: ग्राम पंचायत के आय के दो प्रमुख साधन होते हैं: एक कर के रूप में, जो पंचायत खुद लगाती है, और दूसरा अनुदान के रूप में, जो सरकार द्वारा मिलता है। उदाहरण के लिए, पंचायत अपने क्षेत्र की दुकानों से कर वसूल करती है, जो उसका खुद का स्रोत होता है और इसे किसी भी जरूरी काम पर खर्च किया जा सकता है। इसके अलावा, ग्रामीण रोज़गार कार्यक्रम या आवास योजना के लिए पंचायत को सरकार से पैसे मिलते हैं, जिसे उसी योजना के अनुसार खर्च किया जाता है। इन साधनों का प्रयोग पंचायत द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्यों को पूरा करने, सार्वजनिक सुविधाओं को बनाए रखने, और अन्य आवश्यक सेवाओं को प्रदान करने के लिए किया जाता है।
प्रश्न 8. हलका कर्मचारी का क्या काम होता है, और वह किस प्रकार गाँव की समस्याओं को सुलझा सकता है?
उत्तर: हलका कर्मचारी, जिसे पटवारी या लेखापाल भी कहा जाता है, का काम गाँव की जमीन का नाप-जोख करना, उसका रिकॉर्ड रखना, और भूमि कर संग्रहित करना होता है। वह जमीन के नक्शे और खसरे पंजी के अनुसार भूमि का लेखा-जोखा रखता है। जमीन विवादों के मामले में, हलका कर्मचारी दोनों पक्षों की जमीन को नापकर और रिकॉर्ड की जाँच कर यह पता लगा सकता है कि कौन किसकी जमीन पर बढ़ रहा है। इस प्रकार वह बिना मुकदमे के जमीन से जुड़े विवादों को सुलझा सकता है, जिससे समय और पैसे की बचत होती है।
प्रश्न 9. हिंदू अधिनियम धारा 2005 का क्या महत्व है, और इसने महिलाओं के लिए क्या अधिकार सुनिश्चित किए हैं?
उत्तर: हिंदू अधिनियम धारा 2005 का महत्व यह है कि इसने महिलाओं को पारिवारिक संपत्ति में बराबर का अधिकार दिया है। इस कानून के लागू होने से पहले, कई राज्यों में हिंदू औरतों को परिवार की जमीन में हिस्सा नहीं मिलता था, और पिता की मृत्यु के बाद जमीन केवल बेटों में बाँट दी जाती थी। नए कानून के मुताबिक, बेटों, बेटियों, और उनकी माँ को जमीन में बराबर हिस्सा मिलता है। इस कानून का महत्व इसलिए है क्योंकि इससे महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त होने का अवसर मिला है, और वे भी जमीन की मालिक बन सकती हैं, जिससे उनकी सामाजिक स्थिति में सुधार हुआ है।
प्रश्न 10. नगर निगम के कार्य क्या होते हैं, और इन कार्यों का शहर के विकास में क्या योगदान है?
उत्तर: नगर निगम के कार्यों में जल, स्वास्थ्य, और चिकित्सा से संबंधित कार्य, जैसे पानी की व्यवस्था, कचरा उठाने और नालियों की सफाई, सार्वजनिक शौचालय की व्यवस्था, सड़क निर्माण, नालियों का निर्माण, सड़कों पर प्रकाश व्यवस्था, वृक्षारोपण और उसकी देखभाल, प्रशासनिक कार्य जैसे जन्म-मृत्यु पंजीकरण, आग लगने पर आपातकालीन सेवाएँ, और पर्यावरण सुरक्षा शामिल हैं। इन कार्यों का शहर के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है क्योंकि यह शहर की बुनियादी सुविधाओं को सुनिश्चित करता है, स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाता है, और शहर की संरचना को व्यवस्थित और सुरक्षित बनाता है। नगर निगम के ये कार्य शहर को रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाने में सहायक होते हैं।
प्रश्न 11. सूरत शहर में 1994 में प्लेग फैलने के बाद शहर की स्वच्छता व्यवस्था में क्या बदलाव आए?
उत्तर: 1994 में सूरत शहर में प्लेग फैलने के बाद स्वच्छता व्यवस्था में व्यापक बदलाव आए। पहले सूरत भारत के सबसे गंदे शहरों में से एक था, जहाँ लोग कूड़ा-कचरा सड़कों और नालियों में फेंक देते थे, और नगर निगम नियमित रूप से सफाई का काम नहीं कर रही थी। प्लेग की महामारी के बाद नगर निगम को मजबूरन अपने कार्यों में मुस्तैदी दिखानी पड़ी, जिसके परिणामस्वरूप पूरे शहर की सफाई की गई और कूड़ा-कचरा उठाने की व्यवस्था बेहतर की गई। आज, सूरत भारत के सबसे साफ शहरों में से एक है, और यह बदलाव शहर के स्वास्थ्य और स्वच्छता में सुधार लाने में अत्यधिक महत्वपूर्ण रहा है।
प्रश्न 12. नगर निगम के आय के साधन क्या हैं, और इनका प्रयोग किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर: नगर निगम के आय के प्रमुख साधन निम्नलिखित हैं:
i) कर (Tax): नगर निगम द्वारा मकान, दुकान, पेशा, जल, मल आदि कर वसूले जाते हैं।
ii) अनुदान (Grants): सरकार द्वारा नगर निगम को विभिन्न योजनाओं और कार्यों के लिए अनुदान दिया जाता है।
iii) शुल्क (Fees): होर्डिंग, मोबाइल टॉवर, और अन्य स्रोतों पर शुल्क लगाकर आय प्राप्त की जाती है।
iv) कर्ज (Loans): नगर निगम आवश्यकता पड़ने पर कर्ज भी ले सकता है।
इन आय के साधनों का प्रयोग शहर की बुनियादी सुविधाओं को सुधारने, स्वच्छता, स्वास्थ्य सेवाओं, विकास कार्यों, और सार्वजनिक सेवाओं की व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है। नगर निगम इन साधनों से प्राप्त धनराशि का प्रयोग शहर के समग्र विकास और नागरिकों की जीवनशैली में सुधार लाने के लिए करता है।
प्रश्न 13. रामजी और प्रकाश मोहन के बीच के विवाद को हलका कर्मचारी कैसे सुलझा सकता था?
उत्तर: रामजी और प्रकाश मोहन के बीच जमीन को लेकर जो विवाद था, उसे हलका कर्मचारी शांतिपूर्वक सुलझा सकता था। हलका कर्मचारी नक्शे और खसरे पंजी के आधार पर जमीन को नाप सकता था और यह तय कर सकता था कि कौन किसकी जमीन पर अतिक्रमण कर रहा है। इस नाप-जोख के बाद यह साफ हो जाता कि चहारदीवारी कहाँ बननी चाहिए और विवाद सुलझ जाता। इस प्रकार हलका कर्मचारी की भूमिका विवादों के समाधान में अहम होती है, क्योंकि वह कानूनी मुकदमे के बिना विवाद को सुलझा सकता है।
प्रश्न 14. नगर निगम और नगर परिषद् के कार्यों में क्या अंतर होता है, और ये संस्थाएँ कैसे कार्य करती हैं?
उत्तर: नगर निगम और नगर परिषद् दोनों ही शहरों में प्रशासनिक और विकास कार्यों के लिए जिम्मेदार होती हैं, लेकिन उनके कार्यक्षेत्र और जिम्मेदारियों में अंतर होता है:
i) नगर निगम बड़े शहरों में कार्य करता है, जहाँ जनसंख्या अधिक होती है। इसका कार्यक्षेत्र व्यापक होता है, जिसमें जल आपूर्ति, स्वच्छता, स्वास्थ्य, शिक्षा, और आपातकालीन सेवाएँ शामिल हैं।
ii) नगर परिषद् मध्यम और छोटे शहरों में कार्य करती है, जहाँ जनसंख्या कम होती है। इसके कार्य नगर निगम जैसे ही होते हैं, लेकिन छोटे पैमाने पर।
iii) नगर निगम के अंतर्गत महापौर और नगर आयुक्त होते हैं, जो शहर की प्रशासनिक और विकास गतिविधियों को संचालित करते हैं।
iv) नगर परिषद् के अंतर्गत अध्यक्ष और सचिव होते हैं, जो परिषद् के कार्यों का प्रबंधन करते हैं।
v) ये दोनों संस्थाएँ अपने-अपने क्षेत्रों में नागरिकों के लिए आवश्यक सुविधाएँ और सेवाएँ सुनिश्चित करने के लिए काम करती हैं, जिससे शहर का समग्र विकास हो सके।
प्रश्न 15. पटना नगर निगम की स्थापना कब हुई थी, और इसके प्रमुख कार्य क्या हैं?
उत्तर: पटना नगर निगम की स्थापना 1952 में हुई थी। इसके प्रमुख कार्यों में जल, स्वास्थ्य, और चिकित्सा संबंधी कार्य जैसे पानी की व्यवस्था, सार्वजनिक सुविधाओं की देखभाल, स्वच्छता, कचरा उठाने की व्यवस्था, सड़क निर्माण, नालियों की सफाई, सार्वजनिक शौचालय की व्यवस्था, वृक्षारोपण और उसकी देखभाल, जन्म-मृत्यु पंजीकरण, और आपातकालीन सेवाएँ जैसे आग लगने पर उसे बुझाना, बाढ़ से बचाव के प्रयास आदि शामिल हैं। पटना नगर निगम शहर की सार्वजनिक सुविधाओं और सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए काम करता है, जिससे शहर में रहने वाले लोगों को एक सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण मिल सके।
प्रश्न 16. ग्राम पंचायत के सचिव की भूमिका क्या होती है, और वह पंचायत की कार्यवाही को कैसे संचालित करता है?
उत्तर: ग्राम पंचायत के सचिव की भूमिका महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि वह पंचायत की कार्यवाही का संचालन करता है। सचिव का मुख्य कार्य ग्राम सभा और ग्राम पंचायत की बैठकें बुलाना, उन बैठकों में उठाए गए मुद्दों को रजिस्टर पर अंकित करना, और उनका रिकॉर्ड रखना होता है। सचिव का चुनाव नहीं होता; इसे सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है। सचिव पंचायत के सभी कार्यों का प्रशासनिक प्रबंधन करता है, जिससे पंचायत की कार्यवाही पारदर्शी और प्रभावी ढंग से चलती है।
प्रश्न 17. पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं के लिए आरक्षण का क्या महत्व है, और इससे क्या बदलाव आए हैं?
उत्तर: पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं के लिए 50% सीटें आरक्षित की गई हैं, जिससे उन्हें ग्राम पंचायत के विभिन्न पदों पर प्रतिनिधित्व मिलता है। इस आरक्षण का महत्व इसलिए है कि यह महिलाओं को राजनीतिक भागीदारी में सशक्त बनाता है और उन्हें निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल होने का अवसर देता है। इससे गाँव के विकास और समाज में महिलाओं की स्थिति में सुधार हुआ है, और वे अधिक स्वतंत्र और सशक्त महसूस करती हैं। महिलाओं के आरक्षण से पंचायती राज संस्थानों में लिंग संतुलन बढ़ा है, जिससे अधिक समावेशी और संवेदनशील प्रशासन सुनिश्चित हुआ है।
प्रश्न 18. गाँव में पुलिस थाने का क्या महत्व है, और यह किस प्रकार से गाँव की शांति और सुरक्षा बनाए रखने में सहायक होता है?
उत्तर: गाँव में पुलिस थाने का महत्व यह है कि यह कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होता है। पुलिस थाना गाँव में होने वाले अपराधों, जैसे चोरी, मारपीट, झगड़े आदि की रपट दर्ज करता है और उस पर कार्रवाई करता है। थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गाँवों में पुलिस प्रशासन सुनिश्चित करता है कि कानून का पालन हो और शांति बनी रहे। जब कोई विवाद होता है, जैसे रामजी और प्रकाश मोहन का झगड़ा, तो पुलिस थाना मामले की जांच-पड़ताल करता है और कानूनी प्रक्रिया के अनुसार समस्या का समाधान करता है। इस प्रकार, पुलिस थाना गाँव की शांति और सुरक्षा बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
प्रश्न 19. हलका कर्मचारी (पटवारी) किस प्रकार गाँव की भूमि व्यवस्था को बनाए रखता है, और उसके कार्यों का गाँव के विकास में क्या योगदान होता है?
उत्तर: हलका कर्मचारी, जिसे पटवारी भी कहा जाता है, गाँव की भूमि व्यवस्था को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उसका कार्य गाँव की भूमि का नाप-जोख करना, उसका रिकॉर्ड रखना, और भूमि कर वसूलना होता है। वह जमीन के नक्शे और खसरे पंजी के आधार पर भूमि का लेखा-जोखा रखता है और भूमि विवादों को सुलझाने में मदद करता है। हलका कर्मचारी किसानों की फसलों, कुएँ, और नलकूपों का भी रिकॉर्ड रखता है। उसके कार्यों से भूमि की स्पष्टता बनी रहती है, जिससे गाँव में विकास कार्य, जैसे सड़क निर्माण और सिंचाई व्यवस्था, सुचारू रूप से किए जा सकते हैं। उसकी जिम्मेदारियाँ गाँव की आर्थिक और भौतिक संरचना को मजबूत करने में सहायक होती हैं।
प्रश्न 20. हिंदू अधिनियम धारा 2005 के लागू होने से जया जैसे महिलाओं की स्थिति में क्या बदलाव आया है?
उत्तर: हिंदू अधिनियम धारा 2005 के लागू होने से जया जैसे महिलाओं की स्थिति में महत्वपूर्ण बदलाव आया है। इस कानून के तहत महिलाओं को पारिवारिक संपत्ति में बराबर का अधिकार मिला है, जो पहले केवल पुरुषों को मिलता था। जया की माँ ने अपने बच्चों के साथ-साथ बेटियों का भी नाम जमीन के रिकॉर्ड में दर्ज कराया, जिससे जया को अपने हिस्से की जमीन पर अधिकार मिला। इस बदलाव से महिलाओं को आर्थिक सुरक्षा मिली है और वे अधिक आत्मविश्वास और स्वतंत्रता के साथ अपनी जिंदगी जी सकती हैं। इस कानून ने महिलाओं को समाज में बराबरी का स्थान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
प्रश्न 21. नगर निगम के आय के स्रोतों में होल्डिंग कर, पेशा कर, और अन्य शुल्क का क्या महत्व है?
उत्तर: नगर निगम के आय के स्रोतों में होल्डिंग कर, पेशा कर, और अन्य शुल्क का महत्वपूर्ण स्थान है। होल्डिंग कर मकान और दुकानों पर लगाया जाता है, जबकि पेशा कर व्यापारियों और अन्य पेशेवरों से वसूला जाता है। इसके अलावा, नगर निगम अन्य शुल्क, जैसे होर्डिंग और मोबाइल टॉवर पर भी शुल्क लगाता है। इन करों और शुल्कों से प्राप्त धनराशि का उपयोग नगर निगम शहर की विभिन्न आवश्यकताओं, जैसे जल आपूर्ति, स्वच्छता, सड़क निर्माण, और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए करता है। इन आय के स्रोतों से नगर निगम को आर्थिक स्थिरता मिलती है, जिससे वह शहर के विकास और नागरिकों की सेवाओं को सुनिश्चित कर सकता है।
प्रश्न 22. सूरत शहर की सफाई व्यवस्था में 1994 में प्लेग फैलने के बाद क्या परिवर्तन आए, और इसका क्या परिणाम हुआ?
उत्तर: 1994 में सूरत शहर में प्लेग फैलने के बाद सफाई व्यवस्था में बड़े पैमाने पर परिवर्तन किए गए। पहले सूरत भारत के सबसे गंदे शहरों में से एक था, लेकिन प्लेग की महामारी के बाद नगर निगम को मजबूरन अपनी सफाई व्यवस्था में सुधार करना पड़ा। पूरे शहर की सफाई की गई, कचरा उठाने की व्यवस्था को मजबूत किया गया, और सफाई कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई गई। इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप सूरत अब भारत के सबसे साफ शहरों में गिना जाता है। यह घटना नगर निगम की भूमिका और नागरिकों के स्वास्थ्य में सफाई व्यवस्था के महत्व को रेखांकित करती है।
प्रश्न 23. नगर निगम के प्रशासनिक कार्यों में जन्म-मृत्यु पंजीकरण का क्या महत्व है, और इसे कैसे संचालित किया जाता है?
उत्तर: नगर निगम के प्रशासनिक कार्यों में जन्म-मृत्यु पंजीकरण का महत्वपूर्ण स्थान है। यह प्रक्रिया नागरिकों के व्यक्तिगत और कानूनी रिकॉर्ड को व्यवस्थित रखने में सहायक होती है। जन्म-मृत्यु पंजीकरण से सरकार को जनसंख्या के सही आंकड़े मिलते हैं, जिससे योजनाओं और नीतियों का निर्माण किया जा सकता है। यह पंजीकरण नगर निगम के कार्यालय में किया जाता है, जहाँ व्यक्ति के जन्म या मृत्यु की जानकारी दर्ज की जाती है और उसका प्रमाणपत्र जारी किया जाता है। यह प्रमाणपत्र जीवन के विभिन्न महत्वपूर्ण कार्यों, जैसे स्कूल में दाखिला, पासपोर्ट बनवाना, और संपत्ति के अधिकारों में आवश्यक होता है।
प्रश्न 24. प्रश्न नगर निगम और नगर परिषद् के बीच मुख्य अंतर क्या हैं, और ये संस्थाएँ अपने-अपने क्षेत्रों में कैसे काम करती हैं?
उत्तर: नगर निगम और नगर परिषद् के बीच मुख्य अंतर उनके कार्यक्षेत्र और जनसंख्या के आधार पर होता है।
i) नगर निगम बड़े शहरों में कार्य करती है, जहाँ जनसंख्या अधिक होती है। इसका कार्यक्षेत्र व्यापक होता है और यह जल, स्वच्छता, स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क निर्माण, और आपातकालीन सेवाओं को सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होती है।
ii) नगर परिषद् मध्यम और छोटे शहरों में कार्य करती है, जहाँ जनसंख्या कम होती है। इसके कार्य नगर निगम जैसे होते हैं, लेकिन छोटे पैमाने पर। यह शहर की बुनियादी सुविधाओं और सेवाओं की देखभाल करती है।
iii) नगर निगम के अंतर्गत महापौर और नगर आयुक्त होते हैं, जो प्रशासन और विकास कार्यों का प्रबंधन करते हैं, जबकि नगर परिषद् के अंतर्गत अध्यक्ष और सचिव होते हैं। ये संस्थाएँ अपने-अपने क्षेत्रों में नागरिकों की आवश्यकताओं को पूरा करने और शहर के समग्र विकास के लिए काम करती हैं।
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