लेन – देन का बदलता स्वरूप
प्रश्न 1. अभिषेक और अंकिता अपने गाँव चकरी पहुँचने पर किस बात से सबसे अधिक प्रभावित हुए?
उत्तर: अभिषेक और अंकिता अपने गाँव चकरी पहुँचने पर वस्तुओं के विनिमय (बarter system) से सबसे अधिक प्रभावित हुए। उन्होंने देखा कि लोग सामान के बदले पैसे की जगह अनाज देकर वस्तुएँ खरीद रहे थे, जैसे आइसक्रीम, मूँगफली, और सोनपापड़ी। यह तरीका उनके लिए नया और रोचक था, क्योंकि उन्होंने पहले केवल पैसे से ही सामान खरीदते देखा था।
प्रश्न 2. वस्तु विनिमय प्रणाली (Barter System) क्या है, और इसमें क्या कठिनाइयाँ होती हैं?
उत्तर: वस्तु विनिमय प्रणाली एक पुरानी प्रणाली है जिसमें वस्तुओं या सेवाओं का आदान-प्रदान बिना पैसे के किया जाता था। इसमें लोग अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सामान को सीधे दूसरी वस्तुओं के साथ बदलते थे। इस प्रणाली की मुख्य कठिनाइयाँ थीं:
i) दोहरे संयोग का अभाव: कोई व्यक्ति जिस वस्तु की तलाश कर रहा है, वह दूसरे व्यक्ति के पास होना चाहिए और उस दूसरे व्यक्ति को उस वस्तु की आवश्यकता होनी चाहिए जो पहले व्यक्ति के पास है।
ii) मूल्य निर्धारण में कठिनाई: वस्तुओं के बीच उचित मूल्य का निर्धारण करना मुश्किल होता था।
iii) वस्तु का विभाजन: कुछ वस्तुएँ, जैसे बकरी या गाय, विभाजित नहीं की जा सकतीं, जिससे विनिमय मुश्किल हो जाता था।
iv) संचय में कठिनाई: वस्तुओं को लंबे समय तक संग्रहित करना मुश्किल होता था, और वे सड़ सकती थीं या नष्ट हो सकती थीं।
v) मूल्य का स्थानांतरण: वस्तुओं का एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना मुश्किल होता था, जैसे मकान का मूल्य वस्तुओं के रूप में प्राप्त करना और उसे दूसरी जगह ले जाना।
प्रश्न 3. मुद्रा प्रणाली का विकास क्यों और कैसे हुआ?
उत्तर: मुद्रा प्रणाली का विकास वस्तु विनिमय प्रणाली में आने वाली कठिनाइयों को दूर करने के लिए हुआ। प्रारंभ में, वस्तु मुद्रा (commodity money) का प्रयोग किया जाता था, जिसमें जानवरों की खाल, चमड़ा, अनाज आदि का उपयोग होता था। धीरे-धीरे धातु मुद्रा (metal currency) का चलन शुरू हुआ, जिसमें तांबा, सोना, चाँदी आदि का उपयोग किया गया। धातु मुद्रा में भी कई कठिनाइयाँ थीं, जैसे कि इसका भारी होना और शुद्धता की जांच की आवश्यकता। इसके बाद सिक्कों का चलन शुरू हुआ, जो लेन-देन के लिए अधिक सुविधाजनक थे। अंततः, कागजी मुद्रा (paper money) का आविष्कार हुआ, जिससे मुद्रा का लेन-देन और अधिक आसान और सुरक्षित हो गया। इस प्रक्रिया ने व्यापार और बाजार की गतिविधियों को बढ़ावा दिया।
प्रश्न 4. वस्तु विनिमय प्रणाली से मुद्रा प्रणाली की ओर परिवर्तन के मुख्य कारण क्या थे?
उत्तर: वस्तु विनिमय प्रणाली से मुद्रा प्रणाली की ओर परिवर्तन के मुख्य कारण निम्नलिखित थे:
i) दोहरे संयोग की कठिनाई: किसी विशेष वस्तु की प्राप्ति के लिए उपयुक्त विनिमय साथी का मिलना कठिन था।
ii) मूल्य निर्धारण की जटिलता: विभिन्न वस्तुओं के बीच उचित मूल्य तय करना मुश्किल होता था।
iii) वस्तु का विभाजन और स्थानांतरण में कठिनाई: कुछ वस्तुओं को विभाजित करना या एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना मुश्किल था।
iv) संचय की समस्याएँ: वस्तुओं को लंबे समय तक संग्रहित करना जोखिमपूर्ण था, क्योंकि वे खराब हो सकती थीं।
इन समस्याओं को दूर करने के लिए एक ऐसी वस्तु की आवश्यकता महसूस हुई जो सभी के लिए स्वीकार्य हो और जिसे संग्रहित और स्थानांतरित करना आसान हो। इसी के परिणामस्वरूप मुद्रा प्रणाली का विकास हुआ।
प्रश्न 5. दादाजी ने अभिषेक को वस्तु विनिमय प्रणाली के बारे में क्या बताया?
उत्तर: दादाजी ने अभिषेक को बताया कि बहुत पहले, रुपये या सिक्कों का चलन नहीं था और लोग अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति वस्तु विनिमय प्रणाली के माध्यम से करते थे। इस प्रणाली में एक व्यक्ति अपनी वस्तु या सेवा के बदले में दूसरी वस्तु या सेवा लेता था। जैसे, लोहार खेती के लिए कुदाल बनाता था और किसान उसे अनाज देकर वह कुदाल लेता था। यह प्रणाली परम्परा या आपसी बातचीत के माध्यम से चलती थी, लेकिन इसमें कई कठिनाइयाँ थीं। इसलिए, मुद्रा का चलन शुरू हुआ, जिससे वस्तुओं की खरीद-बिक्री और व्यापार में सहूलियत होने लगी।
प्रश्न 6. सिक्कों के चलन से पहले किस प्रकार की मुद्रा का प्रयोग किया जाता था?
उत्तर: सिक्कों के चलन से पहले वस्तु मुद्रा का प्रयोग किया जाता था। प्रारंभिक दौर में, पशुओं की खाल, चमड़ा, अनाज आदि का प्रयोग मुद्रा के रूप में किया जाता था। इसके बाद, धातु मुद्रा का प्रचलन हुआ, जिसमें तांबा, सोना, चाँदी, और लोहे का प्रयोग किया गया। हालांकि, धातु मुद्रा में वजन और शुद्धता की जाँच कठिन होती थी, इसलिए बाद में सिक्कों का चलन शुरू हुआ, जिससे मुद्रा प्रणाली में अधिक स्थिरता और सुविधा आई।
प्रश्न 7. सिक्कों और कागजी मुद्रा के बीच मुख्य अंतर क्या हैं?
उत्तर: सिक्कों और कागजी मुद्रा के बीच मुख्य अंतर निम्नलिखित हैं:
i) सिक्के: सिक्के धातु से बने होते हैं, जैसे तांबा, चाँदी, सोना आदि। इन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना भारी और मुश्किल हो सकता है। सिक्कों के रूप में मुद्रा स्थायी होती है, लेकिन इसे लेन-देन में हर बार वजन और शुद्धता की जाँच की आवश्यकता हो सकती है।
ii) कागजी मुद्रा: कागजी मुद्रा, जिसे पत्र मुद्रा भी कहा जाता है, कागज के नोटों के रूप में होती है। यह हल्की और आसानी से ले जाने योग्य होती है। कागजी मुद्रा का प्रयोग अधिक सुविधाजनक होता है, और इसे किसी भी मूल्य की वस्तुओं के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। कागजी मुद्रा को अधिकृत बैंक, जैसे भारतीय रिजर्व बैंक, द्वारा जारी किया जाता है।
प्रश्न 8. आधुनिक बैंकिंग प्रणाली में मुद्रा के कौन-कौन से रूप प्रचलित हैं?
उत्तर: आधुनिक बैंकिंग प्रणाली में निम्नलिखित मुद्रा के रूप प्रचलित हैं:
i) कागजी मुद्रा (Paper Money): यह नोट्स के रूप में होती है, जिन्हें बैंक जारी करता है। जैसे, 10, 20, 50, 100, 500 रुपये के नोट।
ii) सिक्के (Coins): धातु से बने होते हैं और छोटे लेन-देन के लिए प्रयोग होते हैं। जैसे, 1, 2, 5, 10 रुपये के सिक्के।
iii) एटीएम-डेबिट कार्ड (ATM-Debit Cards): इसे प्लास्टिक मुद्रा भी कहा जाता है। इससे बिना नकद रुपये रखे बैंक में जमा राशि के आधार पर वस्तुओं की खरीद की जा सकती है।
iv) चेक (Cheque): बैंक द्वारा जारी किया गया एक दस्तावेज, जिसके माध्यम से किसी भी लेन-देन को पूरा किया जा सकता है।
प्रश्न 9. वस्तु विनिमय प्रणाली में वस्तुओं के संचय में क्या कठिनाइयाँ होती थीं?
उत्तर: वस्तु विनिमय प्रणाली में वस्तुओं का संचय करना कठिन था क्योंकि:
i) वस्तुएँ खराब हो सकती थीं: वस्तुओं को लंबे समय तक संग्रहित करने पर सड़ने-गलने का भय होता था।
ii) बीमारियाँ और मृत्यु: यदि संचय पशुओं के रूप में किया जाता था, तो बीमारी या सामान्य मृत्यु के कारण सारा संचित धन समाप्त हो सकता था।
iii) स्थानांतरण में कठिनाई: संचय की गई वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना मुश्किल था, जैसे मकान या पशुओं को दूर ले जाना।
iv) मूल्य की हानि: कुछ वस्तुओं की कीमत समय के साथ घट सकती थी, जिससे संचय का उद्देश्य विफल हो जाता था।
प्रश्न 10. कागजी मुद्रा के चलन से व्यापार और बाजार में क्या परिवर्तन आए?
उत्तर: कागजी मुद्रा के चलन से व्यापार और बाजार में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन आए:
i) सुविधा में वृद्धि: कागजी मुद्रा हल्की होती है और इसे ले जाना आसान होता है, जिससे व्यापारियों और ग्राहकों दोनों के लिए लेन-देन में सुविधा हुई।
ii) विश्वास का निर्माण: कागजी मुद्रा सरकारी बैंक द्वारा जारी की जाती है, जिससे इसका मूल्य निश्चित होता है और लेन-देन में विश्वास बढ़ता है।
iii) वाणिज्यिक विस्तार: कागजी मुद्रा के चलन से व्यापार को बढ़ावा मिला, क्योंकि इससे वस्तुओं की खरीद-बिक्री सरल और तेज़ हो गई।
iv) बचत और निवेश: कागजी मुद्रा ने लोगों को बचत और निवेश करने के लिए प्रेरित किया, जिससे आर्थिक विकास में तेजी आई।
प्रश्न 11. अभिषेक के गाँव चकरी में वस्तु विनिमय प्रणाली का क्या प्रभाव देखा गया, और यह प्रणाली आज के समय में कहाँ तक प्रचलित है?
उत्तर: अभिषेक के गाँव चकरी में वस्तु विनिमय प्रणाली का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा गया जब बच्चों ने आइसक्रीम और अन्य वस्तुएँ अनाज के बदले खरीदीं। इस प्रणाली ने बच्चों को बिना पैसे के सामान प्राप्त करने की स्वतंत्रता दी। हालांकि, यह प्रणाली आधुनिक समय में बड़े पैमाने पर प्रचलित नहीं है। अधिकांश लेन-देन अब मुद्रा के माध्यम से होते हैं, क्योंकि यह अधिक सुविधाजनक और व्यावहारिक है। फिर भी, ग्रामीण क्षेत्रों में या छोटे पैमानों पर कहीं-कहीं यह प्रणाली अभी भी देखी जा सकती है, खासकर जहाँ लोगों के पास नगद रुपये कम हों और अनाज जैसी वस्तुएँ अधिक हों।
प्रश्न 12. अभिषेक ने दादाजी से पूछा कि वस्तु विनिमय प्रणाली में और कौन-कौन सी कठिनाइयाँ होती थीं? दादाजी ने उसे क्या उत्तर दिया?
उत्तर: दादाजी ने अभिषेक को बताया कि वस्तु विनिमय प्रणाली में कई कठिनाइयाँ होती थीं, जैसे:
i) दोहरा संयोग का अभाव: लेन-देन के लिए जरूरी होता था कि दोनों पक्षों को एक-दूसरे की वस्तु की आवश्यकता हो, जो हमेशा संभव नहीं होता था।
ii) मूल्य निर्धारण में जटिलता: वस्तुओं के बीच उचित मूल्य का निर्धारण करना कठिन था, जिससे बहस और असहमति उत्पन्न होती थी।
iii) वस्तु विभाजन की कठिनाई: कुछ वस्तुओं, जैसे बकरी या गाय, को विभाजित करना संभव नहीं था, जिससे विनिमय मुश्किल हो जाता था।
iv) संचय में कठिनाई: वस्तुओं को लंबे समय तक संग्रहित करने में कठिनाइयाँ होती थीं, जैसे कि सड़ने या खराब होने का डर।
v) मूल्य का स्थानांतरण: बड़ी वस्तुओं या संपत्ति का एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना मुश्किल होता था, जिससे स्थानांतरण कठिन हो जाता था।
प्रश्न 13. सिक्कों के चलन से पहले धातु मुद्रा का क्या महत्व था, और इसमें कौन-कौन सी कठिनाइयाँ थीं?
उत्तर: सिक्कों के चलन से पहले, धातु मुद्रा का महत्वपूर्ण स्थान था। धातु मुद्रा के रूप में लोहा, तांबा, पीतल, सोना, और चाँदी का उपयोग किया जाता था। धातु मुद्रा में मुख्य कठिनाइयाँ थीं:
i) वजन का भारी होना: धातु मुद्रा भारी होती थी, जिससे इसे ले जाना और एक स्थान से दूसरे स्थान पर परिवहन करना मुश्किल था।
ii) शुद्धता की जाँच: हर लेन-देन में धातु की शुद्धता और वजन की जाँच की आवश्यकता होती थी, जो समय लेने वाला और जटिल था।
iii) नकली सिक्कों का चलन: धातु मुद्रा में नकली सिक्कों के चलन का खतरा होता था, जिससे लेन-देन में अविश्वास उत्पन्न हो सकता था।
प्रश्न 14. चकरी गाँव के बच्चों ने आइसक्रीम और मूँगफली के बदले अनाज देकर खरीदारी की। इस प्रकार के विनिमय में कौन सी चुनौतियाँ हो सकती हैं?
उत्तर: चकरी गाँव में बच्चों ने आइसक्रीम और मूँगफली के बदले अनाज देकर सामान खरीदा, जो वस्तु विनिमय प्रणाली का उदाहरण है। इस प्रकार के विनिमय में निम्नलिखित चुनौतियाँ हो सकती हैं:
i) मूल्य का सही आकलन: अनाज और आइसक्रीम या मूँगफली के बीच उचित मूल्य का निर्धारण करना कठिन हो सकता है, जिससे लेन-देन में असमानता उत्पन्न हो सकती है।
ii) भंडारण की समस्या: अनाज जैसी वस्तुएँ जल्दी खराब हो सकती हैं, इसलिए उन्हें लंबे समय तक संग्रहित करना कठिन होता है।
iii) मांग और आपूर्ति का संतुलन: यह आवश्यक है कि दोनों पक्षों की मांग और आपूर्ति मेल खाती हो, अन्यथा विनिमय असफल हो सकता है।
iv) लेन-देन की सुविधा: अनाज जैसी वस्तुओं का आदान-प्रदान शहरी या बड़े बाजारों में संभव नहीं है, जहाँ पैसे का उपयोग अधिक प्रचलित है।
प्रश्न 15. मुद्रा प्रणाली के विकास ने व्यापार और बाजार पर क्या प्रभाव डाला?
उत्तर: मुद्रा प्रणाली के विकास ने व्यापार और बाजार पर गहरा प्रभाव डाला। इससे:
i) लेन-देन में सुगमता: मुद्रा के माध्यम से लेन-देन करना आसान और तेज हो गया, जिससे व्यापारिक गतिविधियों में वृद्धि हुई।
ii) मूल्य निर्धारण में स्पष्टता: मुद्रा के प्रयोग से वस्तुओं के मूल्य निर्धारण में स्पष्टता आई, जिससे बाजार में स्थिरता बनी।
iii) संचय और निवेश में सुविधा: मुद्रा ने लोगों को आसानी से संचय और निवेश करने की सुविधा दी, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला।
iv) व्यापारिक विस्तार: मुद्रा प्रणाली के चलते व्यापार एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से फैल सका, और बाजार का दायरा व्यापक हो गया।
प्रश्न 16. अभिषेक को वस्तु विनिमय प्रणाली से संबंधित कौन से प्रमुख अंतर समझ में आए जब उसने गाँव के साप्ताहिक बाजार में पैसों का प्रयोग देखा?
उत्तर: अभिषेक को यह समझ में आया कि:
i) सुविधा का अंतर: वस्तु विनिमय प्रणाली में दोहरे संयोग की आवश्यकता होती है, जबकि पैसों के प्रयोग में किसी भी वस्तु को सीधे खरीदा जा सकता है।
ii) मूल्य निर्धारण में अंतर: पैसों के प्रयोग से वस्तुओं का मूल्य निर्धारित करना आसान हो जाता है, जबकि वस्तु विनिमय में यह कठिन होता है।
iii) विनिमय की प्रक्रिया में अंतर: वस्तु विनिमय में वस्तुओं का आदान-प्रदान किया जाता है, जबकि पैसों के प्रयोग में एक निश्चित मूल्य के बदले वस्तु खरीदी जाती है, जिससे विनिमय की प्रक्रिया सरल हो जाती है।
iv) व्यापार की व्यापकता: पैसों के प्रयोग से व्यापार का विस्तार और विकास हुआ, जबकि वस्तु विनिमय प्रणाली स्थानीय स्तर पर सीमित रह जाती है।
प्रश्न 17. रचित की कहानी से हमें मुद्रा प्रणाली के कौन-कौन से कार्य और लाभ समझ में आते हैं?
उत्तर: रचित की कहानी से मुद्रा प्रणाली के निम्नलिखित कार्य और लाभ समझ में आते हैं:
i) लेन-देन की सुविधा: रचित ने पैसे देकर कॉपी, किताब, पेंसिल और रबड़ खरीदे। इससे हमें मुद्रा के प्रयोग द्वारा लेन-देन की सरलता का पता चलता है।
ii) भुगतान की प्रक्रिया: मुद्रा का प्रयोग वस्तुओं के मूल्य को चुकाने के लिए किया जाता है, जिससे व्यापारियों को आसानी होती है।
iii) बचत की सुविधा: दुकानदार ने बिक्री से प्राप्त धन को अपने भविष्य की आवश्यकताओं के लिए बचा कर रखा। मुद्रा ने बचत की सुविधा को संभव बनाया।
iv) व्यापार में वृद्धि: मुद्रा के माध्यम से वस्तुओं की खरीद-बिक्री आसान होती है, जिससे व्यापारिक गतिविधियाँ बढ़ती हैं और अर्थव्यवस्था को बल मिलता है।
प्रश्न 18. बैंकिंग प्रणाली में आधुनिक साधनों, जैसे एटीएम-डेबिट कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग, के क्या लाभ हैं?
उत्तर: बैंकिंग प्रणाली में आधुनिक साधनों, जैसे एटीएम-डेबिट कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग, के निम्नलिखित लाभ हैं:
i) सुविधा में वृद्धि: एटीएम-डेबिट कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से बिना नकद रुपये रखे वस्तुओं की खरीद की जा सकती है, जिससे लेन-देन में सुविधा होती है।
ii) समय की बचत: इन साधनों के प्रयोग से बैंकिंग कार्यों में समय की बचत होती है, क्योंकि लेन-देन तेजी से और सुरक्षित रूप से हो सकते हैं।
iii) सुरक्षा: इंटरनेट बैंकिंग और एटीएम कार्ड के माध्यम से लेन-देन में सुरक्षा बनी रहती है, और नकद धन के स्थान पर डिजिटल माध्यम से भुगतान किया जा सकता है।
iv) व्यापक पहुंच: इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से कहीं से भी और कभी भी बैंकिंग कार्य किए जा सकते हैं, जिससे बैंकिंग की पहुँच व्यापक हो जाती है।
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