ग्रामीण जीवन-यापन के स्वरूप
प्रश्न 1. भारत के गाँवों में जीवन-यापन की विविधता के क्या कारण हैं?
उत्तर: भारत के गाँवों में जीवन-यापन की विविधता का मुख्य कारण विभिन्न प्रकार के काम और आजीविका के साधन हैं। कुछ लोग खेती करते हैं, जबकि अन्य लोहे के सामान बनाते हैं, मछली पालन, मुर्गी पालन, बागवानी आदि करते हैं। इस प्रकार के भिन्न कार्यों के कारण आजीविका के तरीकों में विविधता पाई जाती है।
प्रश्न 2. राजपुर गाँव की मुख्य आर्थिक गतिविधियाँ क्या हैं?
उत्तर: राजपुर गाँव में मुख्य आर्थिक गतिविधियाँ खेती और बागवानी हैं। यहाँ गेहूँ, चना, अरहर, मसूर जैसी फसलों की खेती होती है। इसके अलावा, यहाँ के लोग आम और अन्य मौसमी फलों की बागवानी करते हैं और उन्हें बाजार में बेचकर आय प्राप्त करते हैं। मछली पालन, मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन और दुग्ध उत्पादन भी आजीविका के अन्य स्रोत हैं।
प्रश्न 3. ललन के पास कितनी जमीन है और वह किन फसलों की खेती करता है?
उत्तर: ललन के पास 5 एकड़ जमीन है, और वह साल में दो फसलें उगाता है। बरसात के समय धान और ठंड में गेहूँ, चना, तथा दलहनी फसलों की खेती करता है। सिंचाई और रासायनिक खाद का प्रयोग कर वह अपनी फसल की उपज को बढ़ाता है।
प्रश्न 4. कृपाशंकर अपनी फसल जल्दी क्यों बेचता है?
उत्तर: कृपाशंकर अपनी फसल जल्दी इसलिए बेचता है क्योंकि उसे नगद पैसों की आवश्यकता होती है। उसे घरेलू खर्चों और कर्जों की अदायगी करनी होती है, इसलिए वह बाजार में फसल के भाव बढ़ने का इंतजार नहीं कर सकता। उसके पास 1 एकड़ जमीन है और खेती के लिए उसे खाद, बीज, और कीटनाशक उधार लेना पड़ता है।
प्रश्न 5. बड़े और छोटे किसानों के बीच जीवन-यापन की स्थिति में क्या अंतर है?
उत्तर: बड़े किसानों के पास अधिक जमीन और सिंचाई की सुविधाएँ होती हैं, जिससे वे अधिक उपज प्राप्त करते हैं। उनके पास खेती के लिए आधुनिक उपकरण और संसाधन होते हैं, जैसे ट्रैक्टर, थ्रेशर आदि। वे अपनी फसल को ऊँचे दाम पर बेचने का इंतजार कर सकते हैं। दूसरी ओर, छोटे किसान सीमित जमीन और संसाधनों के कारण तुरंत फसल बेचने के लिए मजबूर होते हैं और उन्हें कर्ज लेने की जरूरत पड़ती है।
प्रश्न 6. संतोष जैसे कृषक मजदूरों की स्थिति क्या है?
उत्तर: संतोष जैसे कृषक मजदूरों के पास अपनी जमीन नहीं होती, और वे पूरी तरह से दूसरों के खेतों में मजदूरी करके जीवन-यापन करते हैं। उन्हें साल के कुछ महीनों में काम मिलता है, जैसे बुआई और कटाई के समय, लेकिन बाकी समय उन्हें काम के लिए शहरों में जाना पड़ता है। उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर होती है और उन्हें अक्सर कर्ज लेना पड़ता है।
प्रश्न 7. ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के क्या अन्य स्रोत होते हैं?
उत्तर: ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के अन्य स्रोतों में कारीगर के रूप में काम करना, जैसे बढ़ईगिरी, लोहारगिरी, मिट्टी के बर्तन बनाना, टोकरी और सूप बनाना आदि शामिल हैं। इसके अलावा, कुछ लोग साइकिल मरम्मत, राशन की दुकान, और अनाज के व्यापार से भी आजीविका चलाते हैं। इसके साथ ही कुछ ग्रामीण शिक्षक, डॉक्टर, डाकिया और आंगनवाड़ी सेविका के रूप में भी कार्य करते हैं।
प्रश्न 8. कृपाशंकर और प्रमोद के जीवन-यापन में क्या प्रमुख अंतर हैं?
उत्तर: कृपाशंकर एक सीमांत किसान है जिसके पास केवल 1 एकड़ जमीन है, और वह फसल की उचित कीमत का इंतजार नहीं कर सकता। उसे कर्ज की अदायगी के लिए जल्दी फसल बेचनी पड़ती है। दूसरी ओर, प्रमोद एक बड़ा किसान है जिसके पास 15 एकड़ जमीन है। वह अपने पास फसल को लंबे समय तक रख सकता है और बेहतर दाम मिलने का इंतजार कर सकता है। प्रमोद के पास खेती के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध होते हैं, जबकि कृपाशंकर को कर्ज पर निर्भर रहना पड़ता है।
प्रश्न 9. शुकुलपुरा गाँव में सिंचाई के लिए किस प्रकार की व्यवस्था है, और इससे फसलों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: शुकुलपुरा गाँव में सिंचाई मुख्यतः नहरों से की जाती है। इससे फसलों को समय पर पानी मिल जाता है, जो कि फसल की अच्छी उपज के लिए आवश्यक है। नहरों से सिंचाई होने के कारण यहाँ के किसान दो फसलों की खेती कर पाते हैं, और फसल की गुणवत्ता भी अच्छी रहती है।
प्रश्न 10. प्रमोद जैसे बड़े किसानों के पास खेती के लिए कौन-कौन से साधन और सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं?
उत्तर: प्रमोद जैसे बड़े किसानों के पास खेती के लिए आधुनिक उपकरण और सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं, जैसे कि मोटरपंप, थ्रेसर, ट्रैक्टर-ट्राली, आदि। उनके पास पर्याप्त जमीन और फसल को स्टोर करने के लिए जगह होती है। वे फसल को बेचने के लिए उचित समय का इंतजार कर सकते हैं और बैंक से लोन लेकर खेती में निवेश कर सकते हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि होती है।
प्रश्न 11. संतोष के परिवार को अपने जीवन-यापन के लिए किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है?
उत्तर: संतोष के परिवार को जीवन-यापन के लिए कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उनके पास अपनी जमीन नहीं है, इसलिए वे पूरी तरह से दूसरे के खेतों पर मजदूरी करने पर निर्भर हैं। साल के कुछ महीनों में ही उन्हें काम मिलता है, बाकी समय उन्हें शहर जाकर मजदूरी करनी पड़ती है। आर्थिक तंगी के कारण उन्हें कर्ज भी लेना पड़ता है, और समय पर कर्ज न चुका पाने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो जाती है।
प्रश्न 12. ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे किसानों के सामने क्या मुख्य चुनौतियाँ होती हैं?
उत्तर: ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे किसानों के सामने मुख्य चुनौतियाँ हैं – सीमित जमीन, सिंचाई और खाद-बीज के लिए समय पर पैसे की कमी, और बाजार में फसल का उचित मूल्य न मिल पाना। उन्हें कई बार महाजन या साहूकार से ऊँची ब्याज दर पर कर्ज लेना पड़ता है, और फसल बेचकर तुरंत कर्ज चुकाना पड़ता है। इन कठिनाइयों के कारण वे खेती के नए तरीकों और तकनीकों का उपयोग नहीं कर पाते।
प्रश्न 13. कृपाशंकर के पास आधुनिक कृषि उपकरण क्यों नहीं हैं, और इसका उसकी खेती पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: कृपाशंकर के पास सीमित जमीन और आर्थिक संसाधनों की कमी के कारण आधुनिक कृषि उपकरण नहीं हैं। उसे खाद, बीज, और कीटनाशक उधार पर लेना पड़ता है, जिससे उसकी खेती पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके कारण उसकी उपज कम होती है और उसे फसल जल्दी बेचनी पड़ती है, जिससे उसे बाजार में उचित मूल्य नहीं मिल पाता।
प्रश्न 14. छोटे और सीमांत किसानों के पास अधिक जमीन न होने से उनके जीवन-यापन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: छोटे और सीमांत किसानों के पास जमीन कम होने के कारण उनकी आमदनी भी सीमित रहती है। उन्हें खेती के लिए आवश्यक संसाधन उधार पर लेना पड़ता है, और फसल की बिक्री से मिलने वाला पैसा अक्सर कर्ज चुकाने में चला जाता है। इस कारण वे अपनी जमीन से साल भर के लिए पर्याप्त अनाज भी नहीं उगा पाते, और उन्हें अन्य मजदूरी के काम करने पड़ते हैं। इससे उनका जीवन-यापन कठिन हो जाता है।
प्रश्न 15. ग्रामीण क्षेत्रों में गैर-कृषि कार्यों के उदाहरण दें, और बताएं कि ये कार्य किस प्रकार से आजीविका का स्रोत बनते हैं?
उत्तर: ग्रामीण क्षेत्रों में गैर-कृषि कार्यों में बढ़ईगिरी, लोहारगिरी, राजमिस्त्री का काम, मिट्टी के बर्तन बनाना, टोकरी और सूप बनाना, साइकिल मरम्मत, और छोटे स्तर पर दुकानों का संचालन शामिल है। ये कार्य उन परिवारों के लिए आजीविका का स्रोत बनते हैं जो खेती पर पूरी तरह निर्भर नहीं हैं। हस्त निर्मित सामानों को गाँव में बेचकर या बाजार में ले जाकर ये लोग अपनी आजीविका चलाते हैं।
प्रश्न 16. प्रमोद जैसे बड़े किसानों के पास फसल को स्टोर करने की सुविधा का क्या लाभ होता है?
उत्तर: प्रमोद जैसे बड़े किसानों के पास फसल को स्टोर करने की सुविधा होती है, जिससे वे फसल को लंबे समय तक रख सकते हैं और बाजार में उचित समय पर बेच सकते हैं। इससे उन्हें बेहतर मूल्य मिलता है, और वे बाजार में भाव गिरने का नुकसान नहीं उठाते। इस प्रकार, उनकी आय में वृद्धि होती है और वे अपने जीवन-यापन के स्तर को ऊँचा बनाए रख सकते हैं।
प्रश्न 17. राजपुर और शुकुलपुरा गाँव के कृषि कार्यों में क्या समानताएँ और असमानताएँ हैं?
उत्तर: समानताएँ: दोनों गाँवों के किसान मुख्य रूप से खेती पर निर्भर हैं और वे गेहूँ, चना, और अन्य दलहनी फसलों की खेती करते हैं।
असमानताएँ: राजपुर गाँव में बागवानी, मछली पालन, मुर्गी पालन आदि भी होते हैं, जबकि शुकुलपुरा गाँव में नहरों से सिंचाई की जाती है। राजपुर के किसान लोहे के सामान बनाने का काम भी करते हैं, जबकि शुकुलपुरा के किसान आधुनिक उपकरणों का उपयोग करके खेती को अधिक प्रभावी बनाते हैं।
प्रश्न 18. ललन को खेती में किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है, और वह इन्हें कैसे हल करता है?
उत्तर: ललन को खेती में मजदूरों की कमी, कर्ज की अदायगी, और फसल की कटाई जैसे समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वह इन समस्याओं को हल करने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) से कर्ज लेकर खाद-बीज और कीटनाशक खरीदता है। कटाई के समय मजदूरों की कमी के कारण उसे कम मजदूरों से काम चलाना पड़ता है, और वह थ्रेसर मशीन किराए पर लेकर फसल की दवनी कराता है। कर्ज चुकाने के लिए उसे फसल जल्दी बेचनी पड़ती है।
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