प्रथम साम्राज्य
प्रश्न 1: सम्राट अशोक के साम्राज्य का विस्तार कैसे हुआ और उसमें कौन-कौन से प्रमुख क्षेत्र शामिल थे?
उत्तर: सम्राट अशोक का साम्राज्य उनके दादा चन्द्रगुप्त मौर्य द्वारा स्थापित मगध साम्राज्य के आधार पर विस्तृत हुआ। इस साम्राज्य का मूल क्षेत्र नंद साम्राज्य का क्षेत्र था, जिसमें उत्तर और मध्य भारत का मुख्य भाग शामिल था। चन्द्रगुप्त मौर्य ने पश्चिमोत्तर में गंधार और कश्मीर, पश्चिम में सौराष्ट्र और दक्षिण में कर्नाटक तक विजय प्राप्त की थी। अशोक के शासनकाल में कलिंग का क्षेत्र भी साम्राज्य में सम्मिलित हुआ। मगध साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र (आज का पटना) थी। इस विशाल साम्राज्य में तक्षशिला, उज्जैन जैसे महत्वपूर्ण नगर शामिल थे।
प्रश्न 2: अशोक के शासनकाल में प्रशासनिक व्यवस्था कैसी थी?
उत्तर: अशोक के शासनकाल में प्रशासनिक व्यवस्था बहुत सुव्यवस्थित थी। प्रशासन के लिए राजा की सहायता के लिए अमात्य और मंत्री नियुक्त किए गए थे। पुरोहित धार्मिक कार्यों में राजा की सहायता करते थे, और राज्य के खजाने की देखरेख कोषाध्यक्ष के द्वारा की जाती थी। समाहर्ता या राजस्व संग्रहकर्ता कर इकट्ठा करने का कार्य करते थे, जो मुख्यतः भूमि कर के रूप में होता था। राज्य को चार प्रमुख प्रांतों में विभाजित किया गया था – मगध, तक्षशिला, उज्जैन, और स्वर्णगिरी। इन प्रांतों का प्रशासन राजकुमारों द्वारा संचालित होता था, जबकि जिलों और गांवों की देखभाल स्थानिक अधिकारियों और ग्रामिकों द्वारा की जाती थी।
प्रश्न 3: अशोक ने युद्धों का परित्याग क्यों किया और इसके बाद उसने क्या कार्य किए?
उत्तर: अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद युद्धों का परित्याग कर दिया क्योंकि इस युद्ध के दौरान हुए विनाश और रक्तपात ने उसे गहरे दुःख में डाल दिया था। युद्ध में हजारों सैनिक और नागरिक मारे गए, और बहुत से लोग बेसहारा हो गए। इस घटना से प्रभावित होकर अशोक ने निर्णय लिया कि वह अब युद्ध नहीं करेगा, बल्कि लोगों की भलाई के लिए कार्य करेगा। इसके बाद उसने अनेक कल्याणकारी कार्य किए, जैसे कि मनुष्यों और पशुओं के लिए चिकित्सालय खुलवाए, सड़क के किनारे पेड़ लगवाए, और यात्रियों के लिए कुएं खुदवाए।
प्रश्न 4: अशोक के धम्म का क्या महत्व था और उसमें किन आदर्शों को स्थान दिया गया था?
उत्तर: अशोक के धम्म का उद्देश्य लोगों के बीच शांति और सदाचार को बढ़ावा देना था। इस धम्म में कोई देवी-देवता नहीं थे, और न ही कोई व्रत, उपवास, या यज्ञ का प्रावधान था। यह महात्मा बुद्ध के उपदेशों से प्रभावित था। अशोक ने धम्म के माध्यम से बड़ों का आदर करने, छोटों के साथ अच्छा व्यवहार करने, अहिंसा का पालन करने और दान करने का संदेश दिया। अशोक ने अपने धम्म के संदेशों को शिलाओं और स्तंभों पर खुदवाकर जनसाधारण तक पहुंचाया।
प्रश्न 5: अशोक की न्याय प्रणाली की विशेषताएँ क्या थीं?
उत्तर: अशोक की न्याय प्रणाली में सम्राट सबसे बड़ा न्यायाधीश होता था। नगरों और गाँवों में अलग-अलग न्यायालय थे, जो साधारण मामलों का निपटारा करते थे। अशोक ने न्यायाधीशों को आदेश दिया था कि वे अपने फैसलों में उदारता बरतें और जहाँ तक संभव हो, कठोर दंड देने से बचें। इसके अलावा, सम्राट चाहता था कि न्यायालयों में अपील करने का प्रावधान हो, ताकि निचले न्यायालयों के गलत फैसलों को सुधारा जा सके। अशोक का धम्म न्याय प्रणाली में भी परिलक्षित होता था, जिसमें मानवीयता और सहानुभूति को महत्व दिया गया था।
प्रश्न 6: अशोक ने अपने शासनकाल में कौन-कौन से लोकहितकारी कार्य किए?
उत्तर: अशोक ने अपने शासनकाल में अनेक लोकहितकारी कार्य किए। उसने मनुष्यों और पशुओं के लिए चिकित्सालय खुलवाए, जहाँ गरीबों को नि:शुल्क चिकित्सा और औषधियाँ प्रदान की जाती थीं। सड़क के किनारे पेड़ लगवाए ताकि लोगों और पशुओं को छाया मिल सके। यात्रियों के लिए जगह-जगह पर कुएं खुदवाए और उनकी सुविधा के लिए अन्य व्यवस्थाएं कीं। अशोक ने यह भी सुनिश्चित किया कि उसके संदेश सभी लोगों तक पहुंचें, चाहे वे पढ़ सकते हों या नहीं।
प्रश्न 7: अशोक के द्वारा कलिंग युद्ध के पश्चात दिए गए संदेशों का क्या महत्व है?
उत्तर: कलिंग युद्ध के पश्चात अशोक द्वारा दिए गए संदेशों का बहुत बड़ा महत्व है, क्योंकि इन संदेशों में अशोक ने युद्ध के विनाशकारी प्रभावों और शांति के महत्व को रेखांकित किया। उसने स्वीकार किया कि युद्ध में लाखों लोग मारे गए और असंख्य परिवार बिखर गए। इस अनुभव ने अशोक को यह सिखाया कि धर्म और शांति के मार्ग पर चलना ही बेहतर है। उसने अपने इन विचारों को शिलालेखों पर अंकित करवाया ताकि आने वाली पीढ़ियाँ युद्ध से बचें और मानवता का आदर करें। अशोक के ये संदेश न केवल उसके साम्राज्य के लिए बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
प्रश्न 8: अशोक के शासनकाल में साम्राज्य के विभिन्न नगरों का क्या महत्व था और उनके प्रमुख कार्य क्या थे?
उत्तर: अशोक के शासनकाल में साम्राज्य के विभिन्न नगरों का अत्यधिक महत्व था। तक्षशिला उत्तर-पश्चिम में स्थित एक महत्वपूर्ण नगर था जो मध्य एशिया के साथ व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों का केंद्र था। उज्जैन उत्तर भारत से दक्षिण भारत जाने वाले मार्ग पर स्थित था और व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र था। नगरों में व्यापारी, सरकारी अधिकारी, और शिल्पकार निवास करते थे। ये नगर प्रशासनिक और आर्थिक गतिविधियों का केंद्र थे, जहाँ से साम्राज्य का व्यापार, शिल्पकला, और प्रशासनिक कार्य संचालित होते थे।
प्रश्न 9: अशोक के धम्म के सिद्धांतों का भारतीय समाज पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर: अशोक के धम्म के सिद्धांतों ने भारतीय समाज पर गहरा प्रभाव डाला। अशोक के धम्म ने लोगों के बीच सद्भावना, शांति, और सह-अस्तित्व के आदर्शों को बढ़ावा दिया। धम्म के माध्यम से अशोक ने सभी धर्मों के लोगों को आपस में मिल-जुलकर रहने की प्रेरणा दी। उसने अहिंसा और दान को समाज में प्राथमिकता दी, जिससे लोगों के बीच परोपकार की भावना विकसित हुई। अशोक के धम्म ने भारतीय समाज को धार्मिक सहिष्णुता और नैतिकता के सिद्धांतों पर चलने की प्रेरणा दी।
प्रश्न 10: अशोक के शासनकाल में किए गए लोकहितकारी कार्यों की तुलना आज के शासन व्यवस्था से कैसे की जा सकती है?
उत्तर: अशोक के शासनकाल में किए गए लोकहितकारी कार्य जैसे चिकित्सालयों की स्थापना, सड़कों के किनारे पेड़ लगाना, कुओं का निर्माण, और यात्रियों की सुविधा के लिए प्रबंध आज की शासन व्यवस्था में भी महत्वपूर्ण हैं। आज भी सरकारें जनहित के लिए अस्पताल, सड़कों पर छायादार पेड़, पानी की सुविधा आदि की व्यवस्था करती हैं। अशोक के समय में इन कार्यों का उद्देश्य जनता की भलाई और कल्याण था, जो आज भी शासन व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य है। हालाँकि, आज की तकनीक और संसाधनों के साथ इन कार्यों का पैमाना और भी विस्तृत हो चुका है।
प्रश्न 11: अशोक के समय में कलिंग युद्ध क्यों महत्वपूर्ण था और इसके क्या परिणाम हुए?
उत्तर: कलिंग युद्ध अशोक के समय का सबसे महत्वपूर्ण युद्ध था क्योंकि यह अशोक के जीवन और उसकी नीति में एक बड़ा परिवर्तन लेकर आया। कलिंग के लोग स्वतंत्र और स्वाभिमानी थे, और उन्होंने अशोक की सेना के खिलाफ घमासान युद्ध किया। इस युद्ध में हजारों लोग मारे गए, और अशोक ने इसे जीतने के बाद भी अपने मन में गहरा दुःख महसूस किया। इस युद्ध के परिणामस्वरूप अशोक ने युद्धों का परित्याग कर दिया और शांति और कल्याण के मार्ग पर चलने का निर्णय लिया। यह युद्ध न केवल अशोक के शासनकाल में बल्कि भारतीय इतिहास में भी एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।
प्रश्न 12: अशोक ने अपने संदेशों को किस प्रकार और क्यों प्रसारित किया?
उत्तर: अशोक ने अपने संदेशों को प्रसारित करने के लिए शिलालेखों और स्तंभों का उपयोग किया। ये संदेश विभिन्न लिपियों में, विशेष रूप से ब्राह्मी लिपि में, चट्टानों और स्तंभों पर खुदवाए गए थे। अशोक ने अपने संदेशों को विभिन्न लिपियों में इसीलिए लिखवाया ताकि वे सभी लोग, जो उन्हें पढ़ सकते थे या सुन सकते थे, अशोक के धम्म और उसके आदेशों को समझ सकें। इन संदेशों का उद्देश्य जनता को नैतिकता, अहिंसा, और परोपकार के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करना था। अशोक ने अपने अधिकारियों को आदेश दिया था कि वे इन संदेशों को उन लोगों को भी सुनाएं जो पढ़ नहीं सकते थे।
प्रश्न 13: अशोक के धम्म में किन बातों पर विशेष बल दिया गया था, और इसका उद्देश्य क्या था?
उत्तर: अशोक के धम्म में बड़ों का आदर, छोटों के साथ अच्छा व्यवहार, अहिंसा, और दान पर विशेष बल दिया गया था। इसका उद्देश्य समाज में नैतिकता, सद्भावना, और शांति को बढ़ावा देना था। अशोक ने अपने धम्म में धार्मिक सहिष्णुता का भी विशेष महत्व दिया, जिससे सभी धर्मों के लोग एक साथ मिल-जुलकर रहें। धम्म का मूल उद्देश्य समाज में सदाचारी और शांति प्रिय आचरण को प्रोत्साहित करना था, जिससे समाज में हिंसा और अराजकता का अंत हो और सभी लोग मिल-जुलकर शांति से जीवन व्यतीत कर सकें।
प्रश्न 14: अशोक के समय में किस प्रकार का राजस्व संग्रह किया जाता था और इसके क्या प्रावधान थे?
उत्तर: अशोक के समय में मुख्य रूप से भूमि कर (भू-राजस्व) के रूप में राजस्व संग्रह किया जाता था। यह कर कुल उत्पादन का 1/6 भाग या 1/4 भाग होता था। राजस्व संग्रह का कार्य समाहर्ता या राजस्व संग्रहकर्ता द्वारा किया जाता था। इस कर को इकट्ठा करके उच्च अधिकारियों तक पहुंचाया जाता था। राजस्व संग्रह साम्राज्य के आर्थिक संसाधनों का एक महत्वपूर्ण स्रोत था, जिससे शासन के विभिन्न कार्यों को संचालित किया जाता था। अशोक के शासनकाल में कर संग्रह की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित और पारदर्शी बनाने का प्रयास किया गया था।
प्रश्न 15: अशोक ने अपने शासनकाल में बौद्ध धर्म का प्रचार कैसे किया और इसके क्या परिणाम हुए?
उत्तर: अशोक ने अपने शासनकाल में बौद्ध धर्म का प्रचार करने के लिए विभिन्न देशों में अपने संदेशवाहक भेजे। उसने अपने पुत्र महेन्द्र और पुत्री संघमित्रा के नेतृत्व में अधिकारियों का एक दल श्रीलंका भेजा, जहाँ उन्होंने बौद्ध धर्म का प्रचार किया। इसके अलावा, अशोक ने मिस्र, यूनान, बर्मा आदि देशों में भी अपने संदेशवाहक भेजे। अशोक ने अपने धम्म के संदेशों को शिलाओं और स्तंभों पर खुदवाया, जिससे बौद्ध धर्म का प्रचार व्यापक रूप से हुआ। इसके परिणामस्वरूप, बौद्ध धर्म न केवल भारत में बल्कि अन्य देशों में भी फैल गया और कई लोग इस धर्म को अपनाने लगे।
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