प्रारंभिक शहर प्रथम नगरीकरण
प्रश्न 1: रहमान और राजीव के बीच भारतीय संस्कृति और सभ्यता पर चर्चा क्यों शुरू हुई?
उत्तर: रहमान और राजीव के बीच भारतीय संस्कृति और सभ्यता पर चर्चा तब शुरू हुई जब गाँव के चौपाल में लोग अपने देश के बारे में चर्चा कर रहे थे। एक व्यक्ति ने कहा कि भारतीय संस्कृति बहुत पुरानी है, जबकि दूसरे ने कहा कि अंग्रेजों ने हमें सभ्य बनाया। इस पर तीसरे व्यक्ति ने जोरदार विरोध किया और कहा कि भारतीय सभ्यता दुनिया की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। यह सुनकर रहमान और राजीव ने आपस में भारतीय संस्कृति और सभ्यता के अर्थ पर चर्चा शुरू की।
प्रश्न 2: धातु युग क्या है और इसका आरंभ कब हुआ?
उत्तर: धातु युग वह काल है जब मानव ने धातु का इस्तेमाल करना शुरू किया। इसका आरंभ नवपाषाण काल के अंतिम चरण में हुआ। सबसे पहले तांबे का उपयोग किया गया, जिसे नदी की तलहटी से प्राप्त किया जाता था। धातु युग में ही सिंध में कोटदीजी और अमरी, उत्तरी पंजाब में सराईखेला और जलीलपुर, तथा राजस्थान में कालीबंगा जैसे स्थलों का विकास हुआ, जहाँ बड़े पैमाने पर कृषि उत्पादन, रंगे हुए मिट्टी के बर्तन, और लम्बी दूरी का व्यापार होने लगा।
प्रश्न 3: हड़प्पा सभ्यता को सभ्यावस्था में प्रवेश कराने वाले मापदंड क्या थे?
उत्तर: हड़प्पा सभ्यता ने सभ्यावस्था में प्रवेश किया क्योंकि उसने उन सभी मापदंडों को पूरा किया जो किसी क्षेत्र की संस्कृति को सभ्यता के रूप में मापते हैं। इनमें शहरों का विकास, लेखन कला का विकास, शहरीकरण, ग्रामीण क्षेत्रों से पोषण के लिए जरूरी चीजों का व्यापार, और कारीगरी, कलाकारी, तथा विज्ञान का विकास शामिल हैं। हड़प्पा सभ्यता में ये सभी मापदंड विकसित हुए थे, जिससे यह सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में गिनी जाती है।
प्रश्न 4: हड़प्पा सभ्यता की खोज कैसे हुई, और इसका क्या महत्व है?
उत्तर: हड़प्पा सभ्यता की खोज लगभग 150 साल पहले पश्चिमी पंजाब में रेलवे लाइन बिछाने के क्रम में हुई। उस समय हड़प्पा पुरास्थल के खंडहर का पता चला, लेकिन रेलवे ठेकेदारों ने इन ईंटों का इस्तेमाल रेलवे निर्माण में कर दिया, जिससे कई इमारतें नष्ट हो गईं। 1921 ई. में पुरातत्वविदों ने इस स्थल का व्यवस्थित उत्खनन किया, जिससे यह पता चला कि हड़प्पा उपमहाद्वीप के सबसे पुराने शहरों में से एक था। इस खोज के बाद हड़प्पा सभ्यता के अन्य प्रमुख स्थलों का भी पता चला, जिनमें मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, बनावली, लोथल और धौलावीरा शामिल हैं।
प्रश्न 5: हड़प्पा सभ्यता के नगरों की प्रमुख विशेषताएँ क्या थीं?
उत्तर: हड़प्पा सभ्यता के नगरों की प्रमुख विशेषताओं में योजनाबद्ध बस्तियाँ, ऊँचे और निचले नगर, चारदीवारी से घिरे दुर्ग, और पकी हुई ईंटों से बने मकान शामिल थे। नगरों में एक व्यवस्थित जल निकासी प्रणाली थी, जिसमें घरों से निकलने वाले मल-जल को नालियों के माध्यम से बाहर निकाला जाता था। मोहनजोदड़ो में महास्नानागार जैसे विशेष संरचनाएँ भी मिली हैं, जहाँ संभवतः विशिष्ट अवसरों पर स्नान किया जाता था। इसके अलावा, अन्नागार और अग्निकुंड जैसी संरचनाएँ भी पाई गई हैं।
प्रश्न 6: हड़प्पा सभ्यता के नगरों में जल निकासी और सफाई व्यवस्था कैसी थी?
उत्तर: हड़प्पा सभ्यता के नगरों में जल निकासी और सफाई व्यवस्था अत्यधिक उन्नत थी। नगरों में जल निकासी के लिए सुव्यवस्थित नालियाँ बनाई गई थीं, जो ईंटों से ढँकी होती थीं। घरों से निकलने वाला मल-जल गली में बनी मध्यम आकार की नालियों से होकर बड़े नालों में पहुँचता था। बड़े नालों में आयताकार गड्ढे बने होते थे, जिनमें गंदगी इकट्ठी होती थी और इसे समय-समय पर साफ किया जाता था। इस व्यवस्था से पता चलता है कि हड़प्पा सभ्यता के लोग स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक थे।
प्रश्न 7: हड़प्पा सभ्यता के लोगों का धार्मिक जीवन कैसा था?
उत्तर: हड़प्पा सभ्यता के लोग धरती को उर्वरता की देवी मानते थे और मातृदेवी की पूजा का प्रचलन था। पकी हुई मिट्टी की स्त्री-मूर्तियाँ, जो मातृदेवी का प्रतिनिधित्व करती थीं, भारी संख्या में मिली हैं। इसके अलावा, हड़प्पा सभ्यता में पुरुष देवता और पशु पूजा का भी प्रचलन था। हालांकि, हड़प्पा सभ्यता में मंदिरों के कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं, लेकिन उनके धार्मिक जीवन में भूत-प्रेत और जादू-टोना पर विश्वास करने के संकेत मिले हैं। वे मृतकों को दफनाते और जलाते भी थे।
प्रश्न 8: धौलावीरा और लोथल के हड़प्पाई नगरों का क्या महत्व है?
उत्तर: धौलावीरा और लोथल हड़प्पाई नगरों का महत्वपूर्ण स्थान है। धौलावीरा तीन भागों में बँटा हुआ था—गढ़ी, मध्यनगर, और निचला नगर। यहाँ से एक शिलालेख भी मिला है, जिस पर बड़े अक्षरों में लेखन किया गया है। लोथल, खंभात की खाड़ी के निकट स्थित था और यहाँ से एक बंदरगाह के अवशेष मिले हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि यहाँ से जलीय मार्ग से व्यापार किया जाता था। इन दोनों नगरों के साक्ष्य हड़प्पा सभ्यता के व्यापारिक और सामाजिक जीवन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।
प्रश्न 9: हड़प्पा सभ्यता के अंत के संभावित कारण क्या थे?
उत्तर: हड़प्पा सभ्यता के अंत के कई संभावित कारण विद्वानों द्वारा बताए गए हैं, जिनमें प्राकृतिक आपदाएँ, जैसे बाढ़, भूमि में नमक की वृद्धि और बंजरता, बाहरी आक्रमण, और पर्यावरणीय तथा पारिस्थितिकी तंत्र में बदलाव शामिल हैं। इन कारणों से हड़प्पा सभ्यता का धीरे-धीरे ह्रास होने लगा और लगभग 1700 ई.पू. में इसका अंत हो गया। हालांकि, हड़प्पा संस्कृति के कई तत्व आगे चलकर ताम्रपाषाणिक संस्कृतियों में समाहित हो गए।
प्रश्न 10: हड़प्पा सभ्यता के आर्थिक जीवन की क्या विशेषताएँ थीं?
उत्तर: हड़प्पा सभ्यता का आर्थिक जीवन कृषि, पशुपालन, और व्यापार पर आधारित था। हड़प्पा लोग गेहूँ, जौ, मटर, धान, तिल, और सरसों की खेती करते थे। सिंचाई के लिए वे कुओं और नदियों पर बाँध बनाते थे। वे पशुपालन में भी निपुण थे और गाय, भैंस, भेड़, और बकरियाँ पालते थे। हड़प्पा सभ्यता में व्यापार का भी महत्वपूर्ण स्थान था, और वे राजस्थान, कर्नाटक, अफगानिस्तान, ईरान, और मध्य एशिया से आवश्यक कच्चे माल का आयात करते थे। हड़प्पा सभ्यता का व्यापार मेसोपोटामिया सभ्यता से भी जुड़ा हुआ था, जिसे सिंधु क्षेत्र में मेलुहा कहा जाता था।
प्रश्न 11: हड़प्पा सभ्यता में नगरीकरण की प्रक्रिया कैसे विकसित हुई, और इसके क्या परिणाम हुए?
उत्तर: हड़प्पा सभ्यता में नगरीकरण की प्रक्रिया तब विकसित हुई जब लोग स्थायी रूप से शहरों में बसने लगे। ये शहर योजनाबद्ध तरीके से बनाए गए थे, जिसमें आवासीय कॉलोनियाँ, सड़कें, नालियाँ, और जल आपूर्ति जैसी सुविधाएँ विकसित की गईं। नगरीकरण के परिणामस्वरूप एक संगठित नगरीय समुदाय का उदय हुआ, जिसमें ज्ञान, विज्ञान, और आधुनिक सुविधाओं का विकास हुआ। इसके अलावा, व्यापार, शिल्प, और सामाजिक संगठन में भी वृद्धि हुई, जिससे हड़प्पा सभ्यता का समृद्धि और विकास हुआ।
प्रश्न 12: हड़प्पा सभ्यता के लोगों के वस्त्र, आभूषण, और कला-कौशल में क्या विशेषताएँ थीं?
उत्तर: हड़प्पा सभ्यता के लोग सूती वस्त्र और ऊनी कपड़े पहनते थे। वे बाजूबंद, अंगूठी, चूड़ी, कमरबंद, कान की बाली, और पायल जैसे आभूषण पहनते थे। इन आभूषणों का निर्माण सोना, ताँबा, और बहुमूल्य पत्थरों से किया जाता था। हड़प्पा के लोग चाक पर बने मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करते थे, जिन पर चित्रकारी की जाती थी। इसके अलावा, ताम्बा, कांस्य, चाँदी, और चीनी मिट्टी के बर्तनों का भी इस्तेमाल होता था। कला-कौशल में पत्थरों से मनके और बाट बनाए जाते थे, जो नाप-तौल और आभूषण के रूप में उपयोग होते थे।
प्रश्न 13: हड़प्पा सभ्यता में मुहरों का क्या महत्व था, और उनका उपयोग कैसे होता था?
उत्तर: हड़प्पा सभ्यता में मुहरें महत्वपूर्ण स्थान रखती थीं। इनका उपयोग धनी लोग अपनी निजी संपत्ति को चिह्नित करने और पहचानने के लिए करते थे। हड़प्पा मुहरों की दो मुख्य विशेषताएँ थीं: पहली, इन पर जानवरों की सुंदर कलाकृतियाँ मिलती थीं, और दूसरी, इन पर कुछ शब्द लिखे होते थे। अधिकांश लेख दो से चार शब्दों के होते थे। ये मुहरें उस समय के लोगों के आर्थिक और सामाजिक जीवन के महत्वपूर्ण साक्ष्य प्रदान करती हैं।
प्रश्न 14: हड़प्पा सभ्यता के नगरों में अन्नागार और अग्निकुंड का क्या महत्व था?
उत्तर: हड़प्पा सभ्यता के नगरों में अन्नागार और अग्निकुंड महत्वपूर्ण संरचनाएँ थीं। अन्नागारों का उपयोग अनाज के भंडारण के लिए किया जाता था, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि खाद्य सामग्री की आपूर्ति बनी रहे। अग्निकुंड, जो कालीबंगा और लोथल जैसे नगरों में पाए गए हैं, संभवतः यज्ञ या धार्मिक अनुष्ठानों के लिए उपयोग होते थे। ये संरचनाएँ हड़प्पा सभ्यता के धार्मिक और आर्थिक जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को दर्शाती हैं।
प्रश्न 15: हड़प्पा सभ्यता के अंत के बाद इसके तत्व किस प्रकार जारी रहे, और किन क्षेत्रों में उनका प्रभाव देखा गया?
उत्तर: हड़प्पा सभ्यता के अंत के बाद इसके कई तत्व ताम्रपाषाणिक संस्कृतियों में जारी रहे। राजस्थान में मालवा संस्कृति, मध्य प्रदेश में मध्यपाषाणिक संस्कृति, और महाराष्ट्र में इनामगाँव और जोर्वे संस्कृति में हड़प्पा संस्कृति के तत्व देखे गए। इन क्षेत्रों में मातृदेवी की पूजा, धार्मिक अनुष्ठान, और अन्य सांस्कृतिक परंपराएँ जारी रहीं, जो हड़प्पा सभ्यता से प्रेरित थीं। इससे पता चलता है कि हड़प्पा संस्कृति का प्रभाव बाद की संस्कृतियों पर भी बना रहा।
प्रश्न 16: हड़प्पा सभ्यता के नगरों में सामाजिक संगठन कैसा था, और इसमें शासक वर्ग की क्या भूमिका थी?
उत्तर: हड़प्पा सभ्यता के नगरों में सामाजिक संगठन अत्यधिक उन्नत और व्यवस्थित था। नगरों के निर्माण और योजना में शासक वर्ग की महत्वपूर्ण भूमिका थी। शासक संभवतः शहर के लिए आवश्यक धातुओं, बहुमूल्य पत्थरों, और अन्य उपयोगी चीजों को प्राप्त करने के लिए लोगों को दूर-दूर के क्षेत्रों में भेजते थे। नगरों में लिपिक, शिल्पकार, और व्यापारी भी थे, जो अपने-अपने कार्यों में निपुण थे। यह संगठन हड़प्पा सभ्यता के आर्थिक और सामाजिक जीवन को समृद्ध और संगठित बनाने में सहायक था।
प्रश्न 17: हड़प्पा सभ्यता के लोग किस प्रकार का व्यापार करते थे, और उनके प्रमुख व्यापारिक साझेदार कौन थे?
उत्तर: हड़प्पा सभ्यता के लोग व्यापार में निपुण थे और उन्होंने भीतरी और बाहरी दोनों क्षेत्रों से व्यापारिक संबंध स्थापित किए थे। उनके प्रमुख व्यापारिक साझेदारों में राजस्थान से तांबा, कर्नाटक से सोना, अफगानिस्तान और ईरान से चाँदी, और मध्य एशिया से फिरोजा शामिल थे। मेसोपोटामियाई अभिलेखों में सिंधु क्षेत्र को “मेलुहा” के नाम से जाना जाता है, जिससे पता चलता है कि हड़प्पा सभ्यता का व्यापारिक संबंध मेसोपोटामियाई सभ्यता से भी था। इस व्यापार से उन्हें आवश्यक कच्चा माल और बहुमूल्य धातुएँ प्राप्त होती थीं।
प्रश्न 18: हड़प्पा सभ्यता में महिलाओं की स्थिति क्या थी, और वे किन-किन कार्यों में शामिल होती थीं?
उत्तर: हड़प्पा सभ्यता में महिलाओं की स्थिति सम्मानजनक और महत्वपूर्ण थी। वे विभिन्न सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों में शामिल होती थीं। महिलाओं का मुख्य कार्य घर की देखभाल करना, वस्त्र बनाना, और घरेलू कार्य करना था। इसके अलावा, वे शिल्पकारी और बुनाई जैसे कार्यों में भी शामिल होती थीं। मातृदेवी की पूजा का प्रचलन भी इस बात का संकेत देता है कि समाज में महिलाओं की धार्मिक और सामाजिक भूमिका भी महत्वपूर्ण थी।
प्रश्न 19: हड़प्पा सभ्यता के नगरों में शिक्षा और लेखन की क्या स्थिति थी?
उत्तर: हड़प्पा सभ्यता के नगरों में शिक्षा और लेखन की स्थिति उन्नत थी। नगरों में लिपिक मौजूद थे, जो भोजपत्र या कपड़े पर लेखन कार्य करते थे। हालांकि, अधिकांश लिखित सामग्री अब नष्ट हो चुकी है, लेकिन उनके द्वारा बनाए गए मुहरों, हाथी-दांत, और अन्य अभिलेखों से यह पता चलता है कि लेखन का प्रचलन था। हड़प्पा लिपि अभी तक पूरी तरह से पढ़ी नहीं जा सकी है, लेकिन इससे यह स्पष्ट है कि हड़प्पा सभ्यता में लेखन और शिक्षा का महत्व था।
प्रश्न 20: हड़प्पा सभ्यता में बच्चों के खिलौने और खेल का क्या महत्व था?
उत्तर: हड़प्पा सभ्यता में बच्चों के खिलौनों और खेल का महत्वपूर्ण स्थान था। बच्चों के लिए छोटे चक्के वाली बैलगाड़ियाँ, पशुमूर्तियाँ, और अन्य खिलौने बनाए जाते थे। इसके अलावा, लोग पासे का खेल भी खेलते थे। ये खिलौने और खेल न केवल बच्चों के मनोरंजन का साधन थे, बल्कि वे सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का भी हिस्सा थे, जो हड़प्पा सभ्यता की समृद्धि और विकास का प्रतीक थे।
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