प्रारंभिक समाज
प्रश्न 1: आरंभिक मानव के जीवन के बारे में हमें जानकारी कैसे मिलती है?
उत्तर: आरंभिक मानव के जीवन के बारे में हमें पुरातत्ववेत्ताओं द्वारा की गई खोजों से जानकारी मिलती है। हजारों साल पहले के लोग किस प्रकार रहते थे, इसके बारे में हमें उनकी बची हुई चीजों, जैसे पत्थरों से बने औजार, कलाकृतियाँ, और उनके निवास स्थानों के अवशेषों को देखकर और उनकी सूझबूझ से अनुमान लगाया जाता है। इसके अलावा, आज भी जंगलों में रहने वाले शिकारी समाज के लोगों का अध्ययन करके भी हमें उनके जीवन के बारे में जानकारी मिलती है।
प्रश्न 2: भारत में आरंभिक मानव कहाँ रहते थे और उनके बारे में क्या महत्वपूर्ण साक्ष्य मिले हैं?
उत्तर: भारत में आरंभिक मानव के कई पुरास्थल मिले हैं। ये स्थल ज्यादातर नदियों और झीलों के किनारे स्थित हैं। उदाहरण के लिए, मध्य प्रदेश के भीमबेटका, भेंडाघाट, पंचमढ़ी, और महेश्वर जैसे स्थानों पर शिकारी मानव के निशान, जैसे पत्थरों के औजार, गुफाओं में बने चित्र, जानवरों और लोगों की हड्डियाँ, आदि पाए गए हैं। गुफाएँ उनका बसेरा थीं, जहाँ वे रहते थे।
प्रश्न 3: आरंभिक मानव की जीवन शैली कैसी थी?
उत्तर: आरंभिक मानव की जीवन शैली बहुत ही सरल और कठिन थी। वे जंगलों में छोटे-छोटे समूहों में रहते थे और शिकार करते थे। वे हिरण, भैंसा, शेर, खरगोश आदि जानवरों का शिकार करते थे और नदियों एवं तालाबों में मछली पकड़ते थे। उनके भोजन में ज्यादातर कंद-मूल, फल, और थोड़ी मात्रा में मांस शामिल था। उनके पहनने के लिए जानवरों की खाल और पेड़ों की पत्तियों का प्रयोग करते थे। वे आग का उपयोग भी करते थे और गुफाओं में रहते थे या पेड़ों की डालियों से झोपड़ियाँ बनाते थे।
प्रश्न 4: आरंभिक मानव के औजार कैसे बनाए जाते थे और उनका क्या महत्व था?
उत्तर: आरंभिक मानव के औजार पत्थर, लकड़ी, जानवरों की हड्डियाँ और सींग से बनाए जाते थे। वे पत्थरों को घिसकर नुकीला और धारदार बनाते थे ताकि उनका शिकार, पेड़ों को काटने, और अन्य कार्यों में उपयोग किया जा सके। उन्होंने पत्थर के छोटे-छोटे टुकड़ों को लकड़ी के हाथों पर लगाकर औजार बनाए। इन औजारों का उपयोग शिकार करने, जानवरों की खाल उतारने, और पेड़ों की छाल छीलने के लिए किया जाता था।
प्रश्न 5: आरंभिक मानव के बीच भोजन के बँटवारे का क्या महत्व था?
उत्तर: आरंभिक मानव के बीच भोजन का बँटवारा आवश्यक था क्योंकि जंगल में भोजन की उपलब्धता अनिश्चित होती थी। लोग साथ मिलकर शिकार करते थे और इकट्ठे किए गए भोजन को समूह में बाँटकर खाते थे। यह सामूहिक प्रयास उनके जीवन में स्थिरता लाता था और सुनिश्चित करता था कि सभी सदस्यों को भोजन मिल सके, चाहे जंगल में भोजन की कितनी भी कमी क्यों न हो।
प्रश्न 6: आरंभिक मानव की जीवन शैली में घूमने-फिरने का क्या महत्व था?
उत्तर: आरंभिक मानव छोटे-छोटे समूहों में रहते थे और एक सीमित क्षेत्र में घूमते-फिरते रहते थे। वे भोजन की तलाश में विभिन्न दिशाओं में जाते थे। जब एक क्षेत्र में भोजन की उपलब्धता कम हो जाती थी, तो वे अन्य क्षेत्रों में चले जाते थे। इसके अलावा, मौसम के अनुसार पेड़ों पर फल-फूल आने पर वे उन क्षेत्रों की ओर चले जाते थे। जल स्रोतों के सूखने पर वे पानी की तलाश में भी इधर-उधर घूमते थे।
प्रश्न 7: पाषाण काल को कितने भागों में विभाजित किया गया है और इसके प्रत्येक चरण की विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर: पाषाण काल को तीन भागों में विभाजित किया गया है:
i) पुरापाषाण काल: यह काल लगभग बीस लाख साल से 14000 साल पहले तक फैला हुआ था। इस काल में लोग शिकार करते थे और भोजन इकट्ठा करते थे। आग का आविष्कार और स्थायी आवास इसी काल में शुरू हुए।
ii) मध्यपाषाण काल: इस काल में पर्यावरणीय बदलाव आए, जिससे गेहू, जौ, मडुआ जैसे अनाज स्वयं उग आए और घास वाले मैदान बनने लगे। इस समय लोग पत्थरों के और अच्छे औजार बनाने लगे, जिसे लकड़ी पर लगाकर इस्तेमाल किया जाता था। यह काल लगभग 14000 साल पहले से 8000 साल पहले तक फैला हुआ था।
iii) नवपाषाण काल: यह काल लगभग 8000 साल से 3000 साल पहले तक फैला हुआ था। इस युग में मानव जीवन में बड़ा बदलाव आया और वे अधिक स्थायी और विकसित जीवन शैली अपनाने लगे। इस युग के बारे में अधिक जानकारी अगले अध्याय में दी जाएगी।
प्रश्न 8: आरंभिक मानव के द्वारा बनाए गए चित्र और उनके जीवन में नाच का क्या महत्व था?
उत्तर: आरंभिक मानव अपने गुफाओं की दीवारों पर रंगीन चित्र बनाते थे। वे रंगीन पत्थरों को घिसकर रंग तैयार करते थे और बांस के ब्रश से चट्टानों पर चित्र बनाते थे। भीमबेटका की गुफाओं में उनके द्वारा बनाए गए चित्र पाए गए हैं, जिनमें ज्यादातर पशुओं के चित्र होते थे। चित्र बनाने के अलावा, उनके जीवन में नाच भी महत्वपूर्ण था। वे सब मिलकर देर तक नाचते थे, जो उनके सामाजिक जीवन का हिस्सा था।
प्रश्न 9: प्रारंभिक मानव का जीवन शिकारी और संग्रहकर्ता के रूप में कैसा था?
उत्तर: प्रारंभिक मानव का जीवन शिकारी और संग्रहकर्ता के रूप में बहुत ही साधारण और चुनौतीपूर्ण था। वे छोटे-छोटे समूहों में रहते थे और अपने भोजन की खोज में जंगलों में घूमते थे। उनके मुख्य कार्यों में शिकार करना, मछली पकड़ना, मधुमक्खी के छत्तों से शहद इकट्ठा करना, और जंगली पौधों से फल, कंद-मूल, और अन्य खाद्य पदार्थ इकट्ठा करना शामिल था। वे ज्यादातर कंद-मूल और फल खाते थे, जबकि मांस का सेवन कम करते थे क्योंकि बड़े जंगली जानवरों का शिकार करना उनके लिए कठिन था। उनका जीवन अत्यधिक परिव्राजक था, क्योंकि उन्हें हमेशा भोजन और पानी की तलाश में इधर-उधर घूमना पड़ता था।
प्रश्न 10: आरंभिक मानव के लिए आग का उपयोग कितना महत्वपूर्ण था?
उत्तर: आग का उपयोग आरंभिक मानव के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण था। आग ने उनके जीवन में मौलिक परिवर्तन लाए। वे आग का प्रयोग खाना पकाने, ठंड से बचाव, और जंगली जानवरों से रक्षा के लिए करते थे। आग का प्रयोग उन्हें स्थायी आवास बनाने में भी सहायक सिद्ध हुआ, क्योंकि उन्होंने गुफाओं में या झोपड़ियों में रहने की व्यवस्था की और आग के चूल्हों का उपयोग शुरू किया। आग के प्रयोग से उनका जीवन स्तर पहले की तुलना में अधिक सुरक्षित और उन्नत हो गया।
प्रश्न 11: आरंभिक मानव की कला और संस्कृति का क्या महत्व था?
उत्तर: आरंभिक मानव की कला और संस्कृति उनके जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा थीं। वे गुफाओं की दीवारों पर रंगीन चित्र बनाते थे, जिसमें ज्यादातर पशुओं के चित्र होते थे। इन चित्रों से उनकी शिकार कला और प्रकृति के प्रति उनकी समझ का पता चलता है। इसके अलावा, उनके जीवन में नृत्य भी महत्वपूर्ण था, जो उनकी सामूहिक गतिविधियों और सामाजिक एकजुटता को दर्शाता है। इस प्रकार, कला और संस्कृति ने उनके समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रश्न 12: पाषाण काल के विभिन्न चरणों में मानव जीवन में कौन-कौन से महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए?
उत्तर: पाषाण काल के विभिन्न चरणों में मानव जीवन में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए:
i) पुरापाषाण काल: इस चरण में लोग शिकार और भोजन संग्रहक के रूप में जीवन यापन करते थे। आग का आविष्कार और स्थायी आवास का विकास इसी चरण में हुआ।
ii) मध्यपाषाण काल: इस काल में पर्यावरणीय बदलाव के कारण घास के मैदान बनने लगे और अनाज उगने लगे। लोग पत्थरों के बेहतर औजार बनाने लगे और कृषि का प्रारंभिक स्वरूप देखने को मिला।
iii) नवपाषाण काल: इस चरण में मानव जीवन में बड़ा बदलाव आया। उन्होंने स्थायी बस्तियाँ बनाईं, कृषि को विकसित किया, और एक अधिक स्थिर और संगठित जीवन शैली अपनाई। यह काल मानव सभ्यता के विकास का महत्वपूर्ण समय था।
प्रश्न 13: आरंभिक मानव द्वारा उपयोग किए गए औजारों और हथियारों का निर्माण कैसे किया जाता था?
उत्तर: आरंभिक मानव द्वारा उपयोग किए गए औजारों और हथियारों का निर्माण पत्थर, लकड़ी, जानवरों की हड्डियों, और सींगों से किया जाता था। वे पत्थर के टुकड़ों को घिसकर उन्हें नुकीला और धारदार बनाते थे, ताकि उनका उपयोग शिकार, पेड़ों की छाल छीलने, और अन्य कार्यों में किया जा सके। उन्होंने पत्थर के छोटे टुकड़ों को लकड़ी पर लगाकर औजार बनाए, जिनसे वे शिकार करते थे। उनके औजारों का निर्माण समूह के सभी लोग मिलकर करते थे, और उनका उपयोग उनके दैनिक जीवन के विभिन्न कार्यों में होता था।
प्रश्न 14: आरंभिक मानव के बीच बाँटकर खाने की परंपरा का क्या महत्व था?
उत्तर: बाँटकर खाने की परंपरा आरंभिक मानव के बीच सामूहिक जीवन और सह-अस्तित्व की भावना को बनाए रखने में महत्वपूर्ण थी। वे समूह में शिकार करते थे और इकट्ठा किए गए भोजन को आपस में बाँटकर खाते थे। यह परंपरा इसलिए आवश्यक थी क्योंकि जंगल में भोजन की उपलब्धता अनिश्चित होती थी। बाँटकर खाने से यह सुनिश्चित होता था कि समूह के सभी सदस्यों को भोजन मिले, जिससे उनकी जीविका और सुरक्षा बनी रहती थी।
प्रश्न 15: पैसरा का पुरास्थल बिहार में क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: पैसरा, बिहार के मुंगेर जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण पुरास्थल है, जहाँ से आरंभिक मानव से संबंधित कई साक्ष्य मिले हैं। इस स्थल पर आरंभिक मानव के द्वारा उपयोग किए गए पत्थर के औजार, उनके आवासों के अवशेष, और उनके द्वारा बनाए गए अन्य निर्माण के साक्ष्य मिले हैं। यह स्थल इस बात की पुष्टि करता है कि आरंभिक मानव बिहार के इस क्षेत्र में भी बसे हुए थे और उन्होंने यहाँ पर अपनी जीवन शैली विकसित की थी।
प्रश्न 16: पाषाण काल को “पाषाण काल” नाम क्यों दिया गया और इसका क्या महत्त्व है?
उत्तर: पाषाण काल को “पाषाण काल” नाम इसलिए दिया गया क्योंकि इस काल में मानव समाज ने पत्थरों का व्यापक रूप से उपयोग किया। पत्थर के औजार, हथियार, और अन्य वस्तुओं का निर्माण इस काल में प्रमुखता से किया गया। इस काल के मानव के जीवन में पत्थरों का सबसे महत्वपूर्ण स्थान था, और उन्होंने पत्थरों का प्रयोग अपने दैनिक जीवन के हर क्षेत्र में किया। इसलिए, इस काल को “पाषाण काल” के नाम से जाना जाता है, और यह मानव सभ्यता के विकास में एक महत्वपूर्ण चरण के रूप में माना जाता है।
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