Short Questions (with Answers)
1. उच्चावच निरूपण क्या है?
उत्तर: त्रिविमीय भू-आकृतियों का समतल सतह पर मानचित्र द्वारा प्रदर्शन।
2. हैश्यूर विधि किसने विकसित की?
उत्तर: ऑस्ट्रिया के सैन्य अधिकारी लेहमान ने।
3. पर्वतीय छायांकन विधि का उपयोग किसके लिए होता है?
उत्तर: उच्चावच प्रदर्शन के लिए।
4. तल चिह्न क्या है?
उत्तर: समुद्र तल से मापी गई स्थाई वस्तुओं की ऊँचाई।
5. स्थानिक ऊँचाई का क्या अर्थ है?
उत्तर: किसी स्थान की मापी गई ऊँचाई।
6. त्रिकोणमितीय स्टेशन क्या है?
उत्तर: त्रिभुजन विधि से मापे गए बिंदु।
7. स्तर रंजन विधि में नीले रंग का उपयोग किसके लिए होता है?
उत्तर: जल को दिखाने के लिए।
8. समोच्च रेखा क्या है?
उत्तर: समान ऊँचाई वाले स्थानों को जोड़ने वाली काल्पनिक रेखा।
9. शंक्वाकार पहाड़ी के समोच्च रेखाओं की विशेषता क्या है?
उत्तर: बाहर से अंदर की ओर ऊँचाई बढ़ती है।
10. पठार के समोच्च रेखाओं का स्वरूप कैसा होता है?
उत्तर: लंबाकार और उबड़-खाबड़।
11. जलप्रपात का समोच्च प्रदर्शन कैसे होता है?
उत्तर: खड़ी ढाल पर रेखाएँ मिलाई जाती हैं।
12. “V” आकार की घाटी किसके द्वारा बनती है?
उत्तर: नदी के द्वारा।
13. “V” आकार की घाटी में समोच्च रेखाएँ कैसे बनती हैं?
उत्तर: उल्टे “V” आकार में।
14. हैश्यूर विधि में रेखाओं की विशेषता क्या है?
उत्तर: महीन और खंडित रेखाएँ।
15. पर्वतीय छायांकन में प्रकाश किस दिशा से आता है?
उत्तर: उत्तर-पश्चिम दिशा से।
16. स्तर रंजन विधि में मैदान को कौन से रंग से दिखाया जाता है?
उत्तर: हरे रंग से।
17. पर्वतीय छायांकन विधि का मुख्य लाभ क्या है?
उत्तर: भू-आकृतियों को प्रभावशाली ढंग से दिखाना।
18. समोच्च रेखाओं में खड़ी ढाल को कैसे दिखाया जाता है?
उत्तर: रेखाएँ पास-पास बनती हैं।
19. सीढ़ीनुमा ढाल को समोच्च रेखाओं से कैसे प्रदर्शित करते हैं?
उत्तर: दो-दो रेखाओं के अंतराल से।
20. झील के समोच्च रेखाओं का स्वरूप कैसा होता है?
उत्तर: बाहर से अंदर की ओर ऊँचाई कम होती है।
Medium Questions (with Answers)
1. उच्चावच प्रदर्शन की हैश्यूर विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर: हैश्यूर विधि में छोटी, महीन और खंडित रेखाएँ खींची जाती हैं। ये रेखाएँ ढाल की दिशा में बनाई जाती हैं। अधिक ढाल वाले क्षेत्र में रेखाएँ पास-पास और मोटी होती हैं। यह मानचित्र को सजीव और आकर्षक बनाती है।
2. पर्वतीय छायांकन विधि का उपयोग किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर: इस विधि में भू-आकृतियों पर उत्तर-पश्चिम दिशा से प्रकाश पड़ने की कल्पना की जाती है। अंधेरे हिस्से को गहरे रंग से और प्रकाश वाले हिस्से को हल्के रंग से दिखाया जाता है। इससे भू-आकृतियों को प्रभावशाली रूप में प्रदर्शित किया जाता है।
3. तल चिह्न और स्थानिक ऊँचाई में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: तल चिह्न समुद्र तल से मापी गई स्थाई वस्तुओं की ऊँचाई को दर्शाता है। स्थानिक ऊँचाई किसी विशेष स्थान की मापी गई ऊँचाई होती है। मानचित्र में इसे संख्या द्वारा दिखाया जाता है।
4. स्तर रंजन विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर: इस विधि में विभिन्न ऊँचाइयों को विभिन्न रंगों से दिखाया जाता है। जैसे, मैदान को हरे, पहाड़ों को भूरे और बर्फीले क्षेत्रों को सफेद रंग से दिखाया जाता है। यह विधि एटलस और दीवार मानचित्रों में उपयोग होती है।
5. समोच्च रेखा का क्या महत्व है?
उत्तर: समोच्च रेखाएँ समान ऊँचाई वाले स्थानों को जोड़ती हैं। इनसे भू-आकृतियों की ढाल, ऊँचाई और संरचना का अध्ययन किया जा सकता है। यह मानचित्रण की सर्वश्रेष्ठ विधि मानी जाती है।
6. शंक्वाकार पहाड़ी का समोच्च प्रदर्शन कैसे किया जाता है?
उत्तर: इसमें समोच्च रेखाएँ वृत्ताकार होती हैं। बाहर से अंदर की ओर रेखाओं का आकार छोटा और ऊँचाई का मान बढ़ता जाता है। बीच में सबसे ऊँचाई वाला भाग होता है।
7. पठार का समोच्च प्रदर्शन कैसा होता है?
उत्तर: पठार में समोच्च रेखाएँ लंबाकार और विस्तृत होती हैं। रेखाओं के बीच की दूरी अधिक होती है। यह उबड़-खाबड़ और चौड़ी आकृति को दर्शाती हैं।
8. जलप्रपात का समोच्च प्रदर्शन कैसे करते हैं?
उत्तर: खड़ी ढाल के पास समोच्च रेखाएँ एक स्थान पर मिलाई जाती हैं। यह झरने की तीव्र ढाल को दिखाने में सहायक होती है।
9. “V” आकार की घाटी का समोच्च प्रदर्शन कैसे किया जाता है?
उत्तर: इसमें समोच्च रेखाएँ उल्टे “V” आकार में बनाई जाती हैं। रेखाओं का मान बाहर से अंदर की ओर कम होता जाता है।
10. त्रिकोणमितीय स्टेशन का क्या उपयोग है?
उत्तर: यह भू-सर्वेक्षण के लिए उपयोग होता है। मानचित्र में त्रिकोण बनाकर उनके बगल में ऊँचाई का मान लिखा जाता है।
Long Questions (with Answers)
1. उच्चावच प्रदर्शन की प्रमुख विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर: उच्चावच प्रदर्शन के लिए हैश्यूर विधि, पर्वतीय छायांकन, तल चिह्न, स्थानिक ऊँचाई, त्रिकोणमितीय स्टेशन, स्तर रंजन और समोच्च रेखाएँ उपयोग होती हैं। हैश्यूर विधि में महीन रेखाएँ खींची जाती हैं। पर्वतीय छायांकन में अंधेरे और हल्के रंगों का उपयोग होता है। स्तर रंजन में रंगों की आभा भू-आकृतियों को दर्शाती है। समोच्च रेखाएँ समान ऊँचाई वाले बिंदुओं को जोड़ती हैं।
2. समोच्च रेखाओं द्वारा विभिन्न ढालों का प्रदर्शन कैसे किया जाता है?
उत्तर: समोच्च रेखाएँ पास-पास खींचने से खड़ी ढाल और दूर-दूर खींचने से मंद ढाल दिखती है। अवतल ढाल में ऊँचाई की अधिक रेखाएँ अंदर की ओर और उत्तल ढाल में बाहर की ओर होती हैं। सीढ़ीनुमा ढाल में दो-दो रेखाएँ समान अंतर पर होती हैं।
3. स्तर रंजन विधि का उपयोग किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर: इसमें अलग-अलग ऊँचाइयों को विभिन्न रंगों से दर्शाया जाता है। जल को नीला, मैदान को हरा, पहाड़ों को भूरे और बर्फीले क्षेत्रों को सफेद रंग से दिखाया जाता है। यह विधि एटलस और भौगोलिक मानचित्रों में अधिक प्रचलित है।
4. “V” आकार की घाटी और जलप्रपात में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: “V” आकार की घाटी नदी के कटाव से बनती है, जबकि जलप्रपात में पानी तेज ढाल से गिरता है। घाटी में समोच्च रेखाएँ उल्टे “V” आकार में होती हैं, जबकि जलप्रपात में रेखाएँ एक स्थान पर मिलती हैं।
5. पर्वतीय छायांकन विधि का महत्व क्या है?
उत्तर: इस विधि में भू-आकृतियों को उत्तर-पश्चिम से प्रकाश पड़ने की कल्पना करके गहरे और हल्के रंगों से दर्शाया जाता है। यह मानचित्र को प्रभावशाली बनाती है लेकिन ढाल की सटीक मात्रा नहीं बताती।
6. हैश्यूर विधि का उपयोग और इसकी विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर: हैश्यूर विधि में छोटी, महीन और खंडित रेखाएँ खींची जाती हैं जो ढाल की दिशा में होती हैं। अधिक ढाल वाले क्षेत्रों में रेखाएँ मोटी और पास-पास होती हैं, जबकि समतल क्षेत्रों में रेखाएँ पतली और दूर-दूर बनाई जाती हैं। यह विधि मानचित्र को सजीव और आकर्षक बनाती है। परंतु इसे बनाने में समय और मेहनत अधिक लगती है।
7. त्रिकोणमितीय स्टेशन और स्थानिक ऊँचाई में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: त्रिकोणमितीय स्टेशन भू-सर्वेक्षण के बिंदु हैं, जहाँ से त्रिभुजन विधि के आधार पर ऊँचाई मापी जाती है। इसे मानचित्र पर त्रिकोण बनाकर दिखाया जाता है। वहीं, स्थानिक ऊँचाई किसी विशिष्ट स्थान की समुद्र तल से मापी गई ऊँचाई है, जिसे संख्या के रूप में दर्शाया जाता है।
8. समोच्च रेखाओं से शंक्वाकार पहाड़ी का प्रदर्शन कैसे किया जाता है?
उत्तर: शंक्वाकार पहाड़ी के लिए समोच्च रेखाएँ वृत्ताकार खींची जाती हैं। बाहर से अंदर की ओर रेखाओं का आकार छोटा और ऊँचाई बढ़ती जाती है। शिखर पर सबसे छोटी और सबसे ऊँचाई वाली रेखा होती है। यह विधि पहाड़ी आकृतियों को सटीक रूप से दर्शाती है।
9. उच्चावच प्रदर्शन में स्तर रंजन विधि का महत्व क्या है?
उत्तर: स्तर रंजन विधि में भू-आकृतियों को विभिन्न रंगों से प्रदर्शित किया जाता है। नीले रंग से जल, हरे से मैदान, भूरे से पहाड़ और सफेद रंग से बर्फीले क्षेत्र दिखाए जाते हैं। यह विधि एटलस और दीवार मानचित्रों में प्रमुख रूप से उपयोग होती है। यह उपयोगकर्ताओं को भू-आकृतियों को सरलता से समझने में मदद करती है।
10. समोच्च रेखाओं की सहायता से “V” आकार की घाटी और झील को कैसे दर्शाया जाता है?
उत्तर: “V” आकार की घाटी में समोच्च रेखाएँ बाहर से अंदर की ओर कम ऊँचाई दिखाती हैं और रेखाएँ उल्टे “V” आकार में होती हैं। झील के लिए समोच्च रेखाओं का मान बाहर से अंदर की ओर घटता है। यह विधि इन भू-आकृतियों को स्पष्ट और प्रभावशाली ढंग से प्रदर्शित करती है।
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