प्राकृतिक आपदा एवं प्रबंधन: बाढ़ एवं सुखाड़
Short Questions (with Answers)
1. बाढ़ और सूखा किन प्राकृतिक आपदाओं से जुड़े हैं?
उत्तर: ये दोनों आपदाएँ वर्षा से संबंधित हैं।
2. भारत में बाढ़ किन कारणों से आती है?
उत्तर: अत्यधिक वर्षा के कारण नदियों का जलस्तर बढ़ने से।
3. “बिहार का शोक” किस नदी को कहा जाता है?
उत्तर: कोसी नदी।
4. मानसून की अनिश्चितता का बाढ़ पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: यह बाढ़ की संभावना को बढ़ा देती है।
5. बांग्लादेश को बाढ़ का देश क्यों कहा जाता है?
उत्तर: यहाँ हर साल बाढ़ से हजारों लोग प्रभावित होते हैं।
6. बाढ़ से फसलों को क्या लाभ मिलता है?
उत्तर: जलोढ़ मलबों के कारण मिट्टी उपजाऊ हो जाती है।
7. बाढ़ से मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है और महामारी फैलती है।
8. भारत में बाढ़ नियंत्रण के लिए प्रमुख उपाय क्या हैं?
उत्तर: बाँध और तटबंधों का निर्माण।
9. सुखाड़ की स्थिति कब उत्पन्न होती है?
उत्तर: जब वर्षा की भारी कमी हो।
10. सूखा प्रभावित क्षेत्रों में तीन प्रमुख समस्याएँ कौन-सी हैं?
उत्तर: खाद्यान्न की कमी, पेयजल की कमी, और मवेशियों के लिए चारा।
11. भारत में सूखा किन क्षेत्रों में अधिक होता है?
उत्तर: राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक आदि।
12. भूमिगत जल स्तर गिरने का क्या कारण है?
उत्तर: अत्यधिक दोहन और कम वर्षा।
13. सूखे से बचने के लिए जल संग्रहण का क्या महत्व है?
उत्तर: यह जल संकट को कम करता है।
14. नदियों पर बाँध बनाने से क्या लाभ होता है?
उत्तर: जलाशय का निर्माण और सिंचाई की सुविधा मिलती है।
15. बाढ़ से बचने के लिए मकान कहाँ बनाए जाने चाहिए?
उत्तर: नदी से कम से कम 250 मीटर की दूरी पर।
16. बाढ़ के बाद सबसे बड़ी समस्या क्या होती है?
उत्तर: महामारी का फैलना।
17. वर्षा जल संग्रहण का उद्देश्य क्या है?
उत्तर: जल संकट के समय इसका उपयोग।
18. बाढ़ प्रबंधन में ग्राम पंचायत की भूमिका क्या है?
उत्तर: पूर्व सूचना और राहत कार्य में मदद।
19. वर्षा जल संग्रहण का एक उदाहरण दें।
उत्तर: मकान की छत से पाइप द्वारा पानी एकत्र करना।
20. ड्रिप सिंचाई का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: जल का सही उपयोग और फसल की सुरक्षा।
Medium Questions (with Answers)
1. मानसून की अनिश्चितता भारत में किस प्रकार बाढ़ और सूखे का कारण बनती है?
उत्तर: मानसून की अनिश्चितता से भारत के कुछ हिस्सों में अत्यधिक बारिश होती है, जिससे नदियों का जलस्तर बढ़कर बाढ़ की स्थिति उत्पन्न करता है। दूसरी ओर, कम वर्षा वाले क्षेत्र सूखा का सामना करते हैं। इस असमानता के कारण फसलें बर्बाद होती हैं, पीने के पानी की कमी होती है, और जन-जीवन पर बुरा असर पड़ता है।
2. बाढ़ का जन-जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: बाढ़ जन-जीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर देती है। मकानों का गिरना, फसलों का नष्ट होना, जलजनित बीमारियों का फैलना, और पलायन इसके सामान्य प्रभाव हैं। बाढ़ से संचार, बिजली, और परिवहन व्यवस्था ठप हो जाती है, जिससे राहत कार्य भी प्रभावित होते हैं।
3. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में प्राकृतिक उर्वरता कैसे बढ़ती है?
उत्तर: बाढ़ के पानी के साथ बहकर आने वाला जलोढ़ मलबा मिट्टी को उर्वर बनाता है। इसमें प्राकृतिक उर्वरक और खनिज पदार्थ होते हैं, जो फसलों के लिए लाभकारी हैं। बाढ़ के पानी के उतरते ही किसान खेतों में फसलें उगाते हैं, जिससे उनकी आजीविका को मदद मिलती है।
4. बाढ़ रोकने के लिए बांध और तटबंध किस प्रकार सहायक हैं?
उत्तर: बांध और तटबंध बाढ़ नियंत्रण में सहायक होते हैं क्योंकि वे नदियों के पानी को नियंत्रित करके जल का संग्रहण करते हैं। इनसे बाढ़ के दायरे को सीमित किया जा सकता है। हालांकि, तटबंध टूटने पर और अधिक गंभीर स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
5. सूखे का प्रभाव समाज और अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ता है?
उत्तर: सूखे के कारण कृषि पर बुरा असर पड़ता है, जिससे खाद्यान्न की कमी होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की कमी और पशुओं के चारे की समस्या उत्पन्न होती है। अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि और पलायन के रूप में दिखाई देता है।
6. सूखे से बचाव के लिए वर्षा जल संग्रहण क्यों आवश्यक है?
उत्तर: वर्षा जल संग्रहण से सूखे के दौरान जल की उपलब्धता बनी रहती है। यह भूमिगत जल स्तर को बढ़ाकर पेयजल और सिंचाई की समस्याओं का समाधान करता है। इससे जल का संरक्षण होता है, जो दीर्घकालिक राहत प्रदान करता है।
7. बाढ़ की स्थिति में त्वरित बचाव प्रबंधन क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: त्वरित बचाव प्रबंधन से जन-धन की हानि को कम किया जा सकता है। सही समय पर राहत सामग्री, सुरक्षित स्थानों पर पुनर्वास, और जल निकासी की व्यवस्था से प्रभावित लोगों की सहायता की जाती है। इससे महामारी और भूख जैसी समस्याओं को नियंत्रित किया जा सकता है।
8. बाढ़ और सूखा दोनों ही आपदाओं के क्या समान परिणाम हैं?
उत्तर: दोनों आपदाएँ फसलों की बर्बादी और जल संकट पैदा करती हैं। पलायन, बीमारी, और आर्थिक नुकसान इनके सामान्य प्रभाव हैं। इसके अलावा, ये आपदाएँ प्राकृतिक संसाधनों के असंतुलन और सामाजिक समस्याओं को बढ़ावा देती हैं।
9. बाढ़ के पूर्वानुमान में तकनीक कैसे सहायक है?
उत्तर: सुदूर संवेदन और मौसम विज्ञान तकनीक से बाढ़ की भविष्यवाणी की जा सकती है। यह सूचना प्रभावित क्षेत्रों तक पहुँचाने में मददगार होती है, जिससे लोग पहले से सतर्क होकर आवश्यक कदम उठा सकते हैं।
10. सूखे से निपटने के लिए दीर्घकालीन उपाय क्या हो सकते हैं?
उत्तर: दीर्घकालीन उपायों में जल संचयन, नहर निर्माण, और जल संरक्षण शामिल हैं। इनसे सूखे के दौरान पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती है। वृक्षारोपण और जल प्रबंधन से पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है।
Long Questions (with Answers)
1. बाढ़ के मुख्य कारण और इसके दुष्प्रभाव क्या हैं?
उत्तर: बाढ़ मुख्यतः अत्यधिक बारिश, नदियों के जलस्तर में वृद्धि, और तटबंधों के टूटने से आती है। यह जन-जीवन को बुरी तरह प्रभावित करती है। मकानों का गिरना, फसलों का नष्ट होना, और जलजनित बीमारियाँ इसके सामान्य दुष्प्रभाव हैं। बाढ़ के कारण लोगों को अपने घर छोड़ने पड़ते हैं। बुनियादी सुविधाएँ जैसे सड़क, बिजली, और जल आपूर्ति बाधित हो जाती हैं।
2. बाढ़ के रोकथाम के उपायों पर चर्चा करें।
उत्तर: बाढ़ रोकने के लिए बांध, तटबंध, और कृत्रिम जलाशयों का निर्माण किया जाता है। नदियों के बहाव को नियंत्रित करने और जल निकासी की व्यवस्था के माध्यम से बाढ़ को रोका जा सकता है। सुदूर संवेदन और सूचना प्रबंधन तकनीकों से पहले से चेतावनी देकर नुकसान को कम किया जा सकता है। सामुदायिक सहभागिता और राहत प्रबंधन भी महत्वपूर्ण हैं।
3. सूखे के मुख्य कारण और इसके परिणाम क्या हैं?
उत्तर: सूखे का मुख्य कारण वर्षा की कमी है, लेकिन जल स्रोतों का अति दोहन और पर्यावरणीय असंतुलन इसे और बढ़ाते हैं। इसका परिणाम फसलों की बर्बादी, पेयजल संकट, और पशुधन की हानि के रूप में सामने आता है। ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन और भूखमरी आम समस्या बन जाती है।
4. बाढ़ और सूखा प्रबंधन में सरकार की भूमिका पर चर्चा करें।
उत्तर: सरकार ने बाढ़ और सूखा प्रबंधन के लिए कई परियोजनाएँ चलाई हैं, जैसे बांध और जलाशयों का निर्माण। राहत कार्यों में खाद्यान्न, दवाइयाँ और पुनर्वास केंद्र उपलब्ध कराए जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण योजनाएँ और नदी जोड़ने की परियोजनाएँ लागू की जाती हैं।
5. वर्षा जल संग्रहण की आवश्यकता और लाभ क्या हैं?
उत्तर: वर्षा जल संग्रहण जल संकट के समाधान में सहायक है। यह भूमिगत जल स्तर को बनाए रखता है और सूखे के दौरान पेयजल और सिंचाई के लिए उपयोगी होता है। इससे जल संसाधनों का टिकाऊ उपयोग होता है और पर्यावरण संतुलन बना रहता है।
6. भारत में बाढ़ और सूखे की समस्या को स्थायी रूप से कैसे हल किया जा सकता है?
उत्तर: बाढ़ और सूखे की समस्या के समाधान के लिए नदियों को जोड़ने, जल संग्रहण, और टिकाऊ कृषि प्रणाली को अपनाने की आवश्यकता है। सामुदायिक जागरूकता, सुदूर संवेदन तकनीक, और वृक्षारोपण जैसे उपाय भी सहायक हो सकते हैं।
7. बाढ़ और सूखे में सामुदायिक सहयोग का महत्व क्या है?
उत्तर: बाढ़ और सूखे जैसी आपदाओं में सामुदायिक सहयोग से राहत कार्य प्रभावी होते हैं। एकजुट होकर बचाव कार्य, राहत सामग्री वितरण, और महामारी नियंत्रण में मदद मिलती है। सामूहिक प्रयास से आपदा के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
8. सूखे से निपटने के लिए दीर्घकालीन और लघुकालीन योजनाओं पर चर्चा करें।
उत्तर: दीर्घकालीन योजनाओं में नहर निर्माण, जलाशयों का विकास और वृक्षारोपण शामिल हैं। लघुकालीन उपायों में ट्यूबवेल, बोरिंग, और सूक्ष्म सिंचाई तकनीक का उपयोग किया जाता है। इनसे सूखे के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
9. बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में पूर्व सूचना प्रणाली का महत्व क्या है?
उत्तर: पूर्व सूचना प्रणाली से बाढ़ की संभावना वाले क्षेत्रों में लोगों को समय रहते सतर्क किया जा सकता है। यह बचाव कार्यों के लिए महत्वपूर्ण समय प्रदान करती है। सुरक्षित स्थानों पर पुनर्वास और राहत सामग्री की तैयारी समय पर हो सकती है।
10. नदियों को जोड़ने की परियोजना से बाढ़ और सूखे की समस्या कैसे हल हो सकती है?
उत्तर: नदियों को जोड़ने से अतिरिक्त जल को सूखाग्रस्त क्षेत्रों में पहुँचाया जा सकता है। इससे बाढ़ की तीव्रता कम होती है और सूखा प्रभावित क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता बढ़ती है। जल संतुलन बनाए रखने में यह परियोजना प्रभावी साबित हो सकती है।
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