Short Questions (with Answers)
1. वित्तीय संस्थाएँ क्या हैं?
- वे संस्थाएँ जो आर्थिक विकास के लिए साख और मुद्रा संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करती हैं।
2. वित्तीय संस्थाओं के कितने प्रकार हैं?
- वित्तीय संस्थाएँ दो प्रकार की होती हैं: राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय।
3. राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाएँ क्या करती हैं?
- ये राष्ट्रीय स्तर पर वित्त प्रबंधन और साख नीतियों का निर्धारण करती हैं।
4. राज्य स्तरीय वित्तीय संस्थाएँ कौन-सी हैं?
- सहकारी बैंक, भूमि विकास बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक आदि।
5. मुद्रा बाजार का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- अल्पकालीन और मध्यकालीन वित्तीय व्यवस्थाओं को प्रोत्साहन देना।
6. भारतीय पूँजी बाजार क्या है?
- यह दीर्घकालीन पूँजी के प्रबंधन और वित्तीय सहायता का स्रोत है।
7. गैर-संस्थागत वित्तीय संस्थाएँ क्या हैं?
- महाजन, सेठ-साहुकार और रिश्तेदार जैसे स्रोत।
8. सहकारिता का क्या अर्थ है?
- मिल-जुलकर सामूहिक लाभ के लिए कार्य करना।
9. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया क्या है?
- यह भारत का केंद्रीय बैंक है जो वित्तीय प्रणाली का संचालन करता है।
10. सूक्ष्म वित्तीय संस्थाएँ क्या करती हैं?
- ये छोटे किसानों और गरीबों को कम ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराती हैं।
11. सहकारी बैंक के कार्य क्या हैं?
- ये किसानों को अल्पकालीन, मध्यकालीन और दीर्घकालीन ऋण प्रदान करते हैं।
12. स्वयं सहायता समूह क्या है?
- यह 5-20 व्यक्तियों का एक समूह है जो सामूहिक बचत और ऋण गतिविधियाँ करता है।
13. महाजन से ऋण लेने की समस्या क्या है?
- महाजन अत्यधिक ब्याज दर वसूलते हैं और शोषण करते हैं।
14. वित्तीय संस्थाओं का उद्देश्य क्या है?
- आर्थिक विकास और वित्तीय स्थिरता प्रदान करना।
15. अर्धसरकारी वित्तीय संस्थाएँ कौन-सी हैं?
- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और सहकारी बैंक।
16. व्यावसायिक बैंक का मुख्य कार्य क्या है?
- जमा राशि स्वीकार करना और ऋण प्रदान करना।
17. भारतीय पूँजी बाजार का महत्व क्या है?
- यह बड़े उद्योगों और सार्वजनिक विकास परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
18. गैर-संस्थागत वित्तीय संस्थाओं की समस्या क्या है?
- ये उच्च ब्याज दर पर ऋण देते हैं और गरीबों का शोषण करते हैं।
19. नाबार्ड का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- कृषि और ग्रामीण विकास के लिए पुनर्वित्त सहायता प्रदान करना।
20. बिहार की अर्थव्यवस्था किस पर आधारित है?
- मुख्यतः कृषि पर।
Medium Questions (with Answers)
1. गैर-संस्थागत वित्तीय संस्थाएँ क्या समस्याएँ उत्पन्न करती हैं?
- ये उच्च ब्याज दर पर ऋण देती हैं और गरीबों का शोषण करती हैं। इनके द्वारा लिया गया कर्ज ग्रामीणों के लिए आर्थिक संकट का कारण बनता है। इनके पास नियमन का अभाव है, जिससे गरीब परिवार आर्थिक बोझ के तले दब जाते हैं।
2. राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाएँ क्या हैं?
- राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाएँ देश के वित्तीय और साख नीतियों का निर्धारण करती हैं। इनका उद्देश्य आर्थिक स्थिरता और विकास को बढ़ावा देना है। इनमें भारतीय मुद्रा बाजार और पूँजी बाजार शामिल हैं। ये संस्थाएँ राष्ट्रीय स्तर पर वित्तीय प्रबंधन और उद्योग-व्यवसाय को सशक्त करती हैं।
3. राज्य स्तरीय वित्तीय संस्थाएँ क्या कार्य करती हैं?
- राज्य स्तरीय संस्थाएँ किसानों, कारीगरों और छोटे व्यवसायियों को साख प्रदान करती हैं। ये सहकारी बैंक, भूमि विकास बैंक, और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के माध्यम से कार्य करती हैं। इनका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण और कृषि क्षेत्र को आर्थिक सहायता प्रदान करना है।
4. गैर-संस्थागत वित्तीय संस्थाओं के लाभ और हानि क्या हैं?
- गैर-संस्थागत वित्तीय संस्थाएँ जैसे महाजन और साहूकार आसानी से ऋण उपलब्ध कराते हैं। ये ग्रामीण क्षेत्रों में तत्काल धन की आवश्यकता पूरी करती हैं। लेकिन उच्च ब्याज दर और शोषण के कारण गरीबों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
5. व्यावसायिक बैंक के मुख्य कार्य क्या हैं?
- व्यावसायिक बैंक जमा राशि स्वीकार करते हैं, ऋण प्रदान करते हैं और निवेश सेवाएँ देते हैं। ये चेक और ड्राफ्ट जैसी सुविधाएँ भी उपलब्ध कराते हैं। इसके अलावा, ये व्यापारिक आँकड़े एकत्र करते हैं और ग्राहकों को वित्तीय सलाह देते हैं।
6. भारतीय मुद्रा बाजार और पूँजी बाजार में क्या अंतर है?
- मुद्रा बाजार अल्पकालीन वित्तीय जरूरतों को पूरा करता है, जबकि पूँजी बाजार दीर्घकालीन आवश्यकताओं के लिए है। मुद्रा बाजार में वाणिज्य बैंक और वित्तीय संस्थाएँ कार्य करती हैं, जबकि पूँजी बाजार में प्रतिभूति और उद्योगों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
7. सहकारी बैंक के कार्यों का वर्णन करें।
- सहकारी बैंक कृषि और छोटे व्यापार के लिए अल्पकालीन और मध्यकालीन ऋण प्रदान करते हैं। ये किसानों और ग्रामीण उद्यमियों को सशक्त बनाते हैं। राज्य स्तर पर इनका संचालन सहकारी समितियों के माध्यम से किया जाता है।
8. स्वयं सहायता समूह का महत्व क्या है?
- स्वयं सहायता समूह ग्रामीण महिलाओं और गरीबों को सशक्त करते हैं। ये समूह बचत करते हैं और बैंकों से लघु ऋण लेकर स्वरोजगार को प्रोत्साहन देते हैं। ये सामाजिक और आर्थिक विकास में योगदान करते हैं।
9. नाबार्ड का कार्य क्या है?
- नाबार्ड राष्ट्रीय स्तर पर कृषि और ग्रामीण विकास के लिए पुनर्वित्त सहायता प्रदान करता है। यह सहकारी समितियों और क्षेत्रीय बैंकों को वित्तीय सहायता देता है। इसका उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देना है।
10. सहकारिता का उद्देश्य क्या है?
- सहकारिता का उद्देश्य सामूहिक प्रयासों द्वारा आर्थिक और सामाजिक कल्याण सुनिश्चित करना है। यह छोटे किसानों और गरीबों को मदद करके उनके जीवन स्तर में सुधार लाती है।
11. बिहार में वित्तीय संस्थाओं की स्थिति क्या है?
- बिहार में सहकारी बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, और भूमि विकास बैंक सक्रिय हैं। लेकिन इनकी सेवाएँ सीमित हैं। इन संस्थाओं का उद्देश्य कृषि और लघु उद्योग को समर्थन देना है।
12. महाजन से ऋण लेने की प्रक्रिया क्यों सरल है?
- महाजन ऋण देने में कम औपचारिकताएँ रखते हैं और तुरंत धन उपलब्ध कराते हैं। लेकिन उनकी उच्च ब्याज दरें और शोषण ग्रामीण गरीबों को नुकसान पहुँचाते हैं।
13. भारतीय पूँजी बाजार का महत्व क्यों है?
- भारतीय पूँजी बाजार दीर्घकालीन वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करता है। यह बड़े उद्योगों और सार्वजनिक परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
14. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक का उद्देश्य क्या है?
- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक छोटे और सीमांत किसानों, कारीगरों, और कमजोर वर्गों को साख प्रदान करते हैं। ये ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास को प्रोत्साहन देते हैं।
15. सूक्ष्म वित्तीय संस्थाएँ किस प्रकार कार्य करती हैं?
- ये छोटे किसानों और गरीबों को कम ब्याज दर पर ऋण प्रदान करती हैं। ये ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक और सामाजिक विकास को प्रोत्साहित करती हैं।
Long Questions (with Answers)
1. राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाएँ किस प्रकार कार्य करती हैं?
- राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाएँ देश में वित्तीय नीतियों का निर्माण और क्रियान्वयन करती हैं। इनमें भारतीय मुद्रा बाजार और पूँजी बाजार शामिल हैं। मुद्रा बाजार अल्पकालीन वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करता है और संगठित तथा असंगठित क्षेत्रों में कार्य करता है। पूँजी बाजार दीर्घकालीन पूँजी के प्रबंधन के लिए है। ये संस्थाएँ उद्योग, व्यापार और सार्वजनिक विकास परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं।
2. राज्य स्तरीय वित्तीय संस्थाओं का बिहार में योगदान क्या है?
- बिहार में सहकारी बैंक, भूमि विकास बैंक, और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक जैसे संस्थान कार्यरत हैं। ये संस्थाएँ छोटे किसानों और लघु उद्योगों को साख प्रदान करती हैं। लेकिन इनका दायरा सीमित है, जिससे सभी जरूरतमंदों तक सहायता नहीं पहुँच पाती। कृषि क्षेत्र को अधिक ऋण की आवश्यकता होती है, जिसे पूरा करने के लिए इन संस्थाओं का विस्तार जरूरी है।
3. वित्तीय संस्थाएँ ग्रामीण क्षेत्रों में कैसे कार्य करती हैं?
- ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय संस्थाएँ सहकारी समितियों और क्षेत्रीय बैंकों के माध्यम से कार्य करती हैं। ये किसान, मजदूर, और छोटे व्यापारियों को अल्पकालीन, मध्यकालीन और दीर्घकालीन ऋण देती हैं। इनका उद्देश्य कृषि उत्पादन बढ़ाना और ग्रामीण उद्यमिता को प्रोत्साहित करना है।
4. नाबार्ड की भूमिका पर चर्चा करें।
- नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) कृषि और ग्रामीण विकास के लिए पुनर्वित्त प्रदान करता है। यह सहकारी समितियों, व्यावसायिक बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को वित्तीय सहायता देता है। इसका उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों को सशक्त बनाना और ग्रामीण क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता बढ़ाना है।
5. सहकारिता से समाज को क्या लाभ हैं?
- सहकारिता आर्थिक और सामाजिक कल्याण के लिए सामूहिक प्रयास है। यह छोटे और गरीब किसानों को सशक्त बनाती है। सहकारी समितियाँ सामूहिक निवेश और साझा लाभ की प्रक्रिया को बढ़ावा देती हैं। यह कृषि उत्पादन, रोजगार सृजन, और ग्रामीण विकास में योगदान करती है।
6. स्वयं सहायता समूह ग्रामीण विकास में कैसे सहायक हैं?
- स्वयं सहायता समूह 5-20 व्यक्तियों के समूह होते हैं, जो बचत करते हैं और सामूहिक ऋण गतिविधियाँ संचालित करते हैं। ये रोजगार सृजन, महिला सशक्तिकरण, और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में सहायक हैं। समूह के सदस्यों को स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए जाते हैं।
7. सूक्ष्म वित्तीय संस्थाएँ बिहार में कैसे कार्य करती हैं?
- सूक्ष्म वित्तीय संस्थाएँ गरीब किसानों और ग्रामीण श्रमिकों को कम ब्याज दर पर ऋण देती हैं। ये छोटे पैमाने पर व्यापार और उत्पादन को बढ़ावा देती हैं। बिहार के ग्रामीण इलाकों में ये संस्थाएँ महिलाओं के सशक्तिकरण और आर्थिक सुधार में योगदान देती हैं।
8. व्यावसायिक बैंकों के मुख्य कार्य क्या हैं?
- व्यावसायिक बैंक जमा राशि स्वीकार करना, ऋण प्रदान करना और निवेश सेवाएँ देना जैसे कार्य करते हैं। ये ग्राहकों को एटीएम, क्रेडिट कार्ड और डिजिटल बैंकिंग की सुविधा प्रदान करते हैं। इसके अलावा, ये व्यापारिक आँकड़े एकत्रित करके वित्तीय सलाह भी देते हैं।
9. सहकारिता के सिद्धांत और बिहार में इसकी भूमिका पर चर्चा करें।
- सहकारिता का सिद्धांत “सबके लिए और सबके द्वारा” पर आधारित है। बिहार में सहकारी समितियाँ किसानों और मजदूरों को ऋण प्रदान करती हैं। सहकारिता ने कृषि उत्पादन और छोटे व्यवसायों को प्रोत्साहित किया है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक और सामाजिक विकास का आधार बनती है।
10. वित्तीय संस्थाएँ किस प्रकार आर्थिक विकास में सहायक हैं?
- वित्तीय संस्थाएँ कृषि, उद्योग और व्यापार के लिए ऋण और साख उपलब्ध कराती हैं। ये अल्पकालीन, मध्यकालीन, और दीर्घकालीन ऋण प्रदान करके पूँजी निर्माण में मदद करती हैं। इनके माध्यम से उद्यमी और व्यापारी अपने आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त कर पाते हैं। वित्तीय संस्थाएँ रोजगार सृजन और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करती हैं।
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