प्रश्न 1. लेखक ने कहानी का शीर्षक ‘नगर’ क्यों रखा? शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट करें।
उत्तर-
प्रस्तुत कहानी में नगरीय व्यवस्था का चित्रण किया गया है। एक रोगी जो ईलाज के लिए गाँव से नगर आता है किन्तु अस्पताल प्रशासन उसका टोलमटोल कर देता है। उसकी भर्ती नहीं हो पाती है। नगरीय व्यवस्था से क्षुब्ध होकर ही इस कहानी का शीर्षक ‘नगरे’ रखा गया है।
वर्तमान परिस्थिति में नगरीय जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
अस्पताल के डॉक्टर, कर्मचारी आदि खाना पूर्ति कर अपने जिम्मेदारी से मुक्त हो जाते हैं। अनपढ़ गंवार बल्लि अम्माल नाम की एक विधवा अपनी पुत्री के इलाज के लिए नगर के एक बड़े अस्पताल में आती है। अस्पताल के वरीय चिकित्सक उस रोगी को भर्ती करने का आदेश देते हैं। किन्तु कर्मचारीगण अनदेखी कर देते हैं। वल्लि अम्माल इधर-उधर चक्कर काटती है कि उसकी बेटी का इलाज सही तरीके से हो जाये। कर्मचारियों द्वारा सुबह 7:30 बजे आने की बात पर वलिल अम्माल अपनी बेटी को लेकर अस्पताल से निकल जाती है।
फुर्सत मिलने पर वरीय चिकित्सक मेनिनजाइटिस से पीड़ित रोगी को भर्ती होने की बात पूछते हैं। अस्पताल प्रशासन को इसकी कोई खबर नहीं होने पर वरीय चिकित्सक क्रोधित होकर उस रोगी को खोजने की बात कहते हैं। कर्मचारी एवं डॉक्टर उस रोगी ही खोज में लग जाते हैं। वस्तुत: इस कहानी में अस्पताल प्रशासन की कमजोरियों एवं मानवीय मूल्यों में निरन्तर आनेवाली गिरावटों का सजीवात्मक चित्रण किया हैं। नगर में रहनेवाले लोग केवल अपने सुख-सुविधा में लगे रहते हैं। अत: इन दृष्टान्तों से स्पष्ट होता है कि प्रस्तुत कहानी का शीर्षक सार्थक और समीचीन है।
प्रश्न 2. पाप्पाती कौन थी और वह शहर क्यों लायी गयी थी?
उत्तर-
पापाति तमिलनाडु के एक गाँव की महिला वल्लि अम्माल की बेटी थी। उसे बुखार
आ गया। जब वल्लि अम्माल उसे लेकर गांव के प्राइमरी हेल्थ सेंटर में दिखाने गई तो वहाँ के डॉक्टर ने अगले दिन सुबह ही जाकर नगर के बड़े अस्पताल में दिखाने को कहा। बस वह पाप्पाति को लेकर सुबह की बस से नगर के बड़े अस्पताल में दिखाने पहुंच गई।
प्रश्न 3. बड़े डॉक्टर ने अपने अधीनस्थ डॉक्टरों से पाप्पाति को अस्पताल में भर्ती कर लेने के लिए क्यों कहा? विचार करें।
उत्तर-
बड़े डॉक्टर ने पाप्पाति की सावधानी से जाँच की। पलकें उठाकर आँखं देखीं। सिर को घुमा कर देखा, उँगली गाल में गड़ाई। खोपड़ी को अपनी उँगलियों से ठोक-ठोक कर देखा। विदेश से पढ़कर आए थे। अपने अधीनस्थ डॉक्टरों से कहा कि कह दीजिए इसे एडमिट कर लें। इस केस को मैं स्वयं देखूगा। दरअसल, मेनेनजाइटिस में रोगी की संज्ञा प्रायः चली जाती है। इसीलिए डॉक्टर ने एडमिट करने को कहा। अस्पताल के बाहर ऐसे रोगी का इलाज होना कठिन होता है।
प्रश्न 4. बड़े डॉक्टर के आदेश के बावजूद पाप्पाति अस्पताल में भर्ती क्यों नहीं हो पाती?
उत्तर-
नगर के बड़े अस्पताल के बड़े डॉक्टर के बावजूद एक्यूट मेनेनजाइटिस से ग्रस्त पाप्पाति अस्पताल में भर्ती नहीं हो सकी इसका कारण सरकारी अस्पताल में व्याप्त टालू प्रवृत्ति, कर्तव्यहीनता, सामान्य व्यक्ति के प्रति सरकारी कर्मचारियों का उपेक्षापूर्ण रवैया और भ्रष्टाचार है। डॉक्टर के चिट देने के बावजूद प्रभारी देर से काम पर लौटा और कहा कि डॉक्टर का दस्तखत नहीं है।
दूसरी जगह के आदमी ने चिट लेने के आधे घंटे बाद कहा कि यहाँ क्यों लाई ? लोगों नं बल्लि अम्माल को सही रास्ता नहीं बताया। किसी ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि यह शहर और अस्पताल की स्थिति से परिचित नहीं है और यह जानने का कष्ट भी नहीं किया कि इसकी बेटी को गंभीर बीमारी है या यों ही। एक कर्मचारी ने यह कहकर टरका दिया कि आज जगह नहीं है, कल आना और खोज पूछ होने पर कहा कि यदि बड़े डॉक्टर इंटरेस्टेड हैं, तो यह बताना चाहिए। एक ने यह कहा कि दरवाजा नहीं खुलेगा, जबकि घूस पाकर दरवाजा खोल दिया। और तो और अधीनस्थ डॉक्टर ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए भी स्वयं भर्ती की, पहल नहीं की सिर्फ चिट देकर चलता कर दिया।
प्रश्न 5. वल्लि अम्माल का चरित्र-चित्रण करें।
उत्तर-
वल्लि अम्माल-नगर शीर्षक कहानी का केन्द्रीय चरित्र है। वह एक विधवा नारी है जो बीमार बेटी को ईलाज कराने के लिए गाँव से नगर ले आती है। वह पढ़ी-लिखी नहीं है। अस्पताल में उसकी बेटी भर्ती नहीं हो पाती है। बीमार बेटी से चिन्तित वल्लि अम्माल अंधविश्वास में डूब जाती है। उसे लगता है कि बेटी को केवल बुखार है। उसकी आस्था डॉक्टरी में नहीं झाड़-फूंक में है। बेटी को ठीक होने के लिए भगवान से मानते माँगने लाती है। उसे विश्वास है कि ओझा से झाड़-फूंक करवाने पर उसकी बेटी ठीक हो जायेगी। अशिक्षा अंधविश्वास को बढ़ावा देती है। यहाँ वल्लि अम्माल के व्यवहार से सिद्ध हो जाती है।
प्रश्न 6. कहानी का सारांश प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कहानी सुजाता द्वारा रचित है। इसमें कहानीकार नगरीय व्यवस्था को यथार्थ के धरातल पर लाने का अथक प्रयास किया है। इस कहानी की नायिका वल्लि अम्माल अपनी बेटी पाप्पति को ईलाज कराने के लिए गाँव से नगर आता है। यह नगर छोटा नहीं बल्कि अपने आप में अस्तित्व रखता है। मदुरै कभी पांडिय लोगों की ‘राजधानी’ थी। अंग्रेजों द्वारा मदुरा यूनानी लोगों द्वारा मेदोरो और तमिल लोगों का द्वारा मदुरै कहा जाता है।
नगर के चकाचौंध से प्रभावित अस्पताल के कर्मचारी ठीक ढंग से काम नहीं करते हैं। वे केवल खानापूर्ति में लगे रहते हैं। वरीय चिकित्सक के आदेश के बावजूद भी पाप्पाति अस्पताल में भर्ती नहीं हो पाती है। हताश और विवश वल्लि अम्माल अंधविश्वास के शरण में चली जाती है। नगर से उसका विश्वास उठ जाता है। ओझा से झाड़-फूंक कराकर अपनी बेटी को स्वस्थ रखना चाहती है। वस्तुतः इस कहानी के द्वारा नगरीय व्यवस्था के साथ-साथ मानवीय मूल्यों के शासकों को उद्घाटित किया गया है।
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