Short Questions (with Answers)
1. प्रेमघन जी का जन्म और मृत्यु कब हुई?
उत्तर- बद्रीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’ का जन्म 1855 ई. में मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश) में हुआ और 1922 ई. में निधन हुआ।
2. प्रेमघन जी ने किस संस्था की स्थापना की?
उत्तर- उन्होंने 1874 ई. में मिर्जापुर में ‘रसिक समाज’ नामक संस्था की स्थापना की।
3. प्रेमघन जी की रचनाओं का संग्रह किस नाम से प्रसिद्ध है?
उत्तर- उनकी रचनाओं का संग्रह ‘प्रेमघन सर्वस्व’ के नाम से प्रसिद्ध है।
4. प्रेमघन ने किस पत्रिका का संपादन किया?
उत्तर- उन्होंने ‘आनंद कादंबिनी’ और ‘नागरी नीरद’ पत्रिकाओं का संपादन किया।
5. ‘स्वदेशी’ कविता का मुख्य विषय क्या है?
उत्तर- यह कविता भारतीयता और स्वदेशी विचारधारा को पुनः जाग्रत करने पर केंद्रित है।
6. कवि ने किस समाज की आलोचना की है?
उत्तर- कवि ने उन लोगों की आलोचना की है जो विदेशी सभ्यता और वस्त्रों को अपनाकर भारतीयता को भूल गए हैं।
7. ‘डफाली’ शब्द का प्रयोग कवि ने किसके लिए किया है?
उत्तर- ‘डफाली’ शब्द का प्रयोग कवि ने झूठी प्रशंसा करने वाले नेताओं के लिए किया है।
8. कवि ने भारत में भारतीयता को क्यों गायब बताया है?
उत्तर- कवि के अनुसार, भारतीय लोग विदेशी तौर-तरीके और भाषा को अपनाकर अपनी पहचान खो चुके हैं।
9. प्रेमघन ने अपनी कविता में किस भाषा का उपयोग किया है?
उत्तर- उन्होंने ब्रजभाषा, अवधी और खड़ी बोली का प्रयोग किया है।
10. कवि ने भारत की वस्त्र परंपरा पर क्या टिप्पणी की?
उत्तर- कवि ने कहा कि भारतीय लोग ढीली धोती पहनकर दासता का समर्थन कर रहे हैं।
11. कवि के अनुसार भारतीयों की कौन-सी आदतें विदेशी प्रभाव में हैं?
उत्तर- भारतीयों की भाषा, वेशभूषा, वाहन और रहन-सहन पूरी तरह से विदेशी प्रभाव में हैं।
12. कवि का स्वदेशी का क्या अर्थ है?
उत्तर- स्वदेशी का अर्थ है भारतीयता को अपनाना और विदेशी वस्त्र, रीति-रिवाज, और संस्कृति का त्याग करना।
13. प्रेमघन ने शिक्षा पर क्या टिप्पणी की है?
उत्तर- उन्होंने कहा कि विदेशी शिक्षा ने भारतीयों की बुद्धि और स्वभाव को पूरी तरह से बदल दिया है।
14. कवि के अनुसार भारतीयता की पहचान क्यों नहीं बची है?
उत्तर- विदेशी संस्कृति और आचरण ने भारतीयता की मौलिकता को समाप्त कर दिया है।
15. कवि ने हाट-बाजार की क्या स्थिति बताई है?
उत्तर- कवि के अनुसार, भारतीय बाजार विदेशी माल से भरे पड़े हैं और भारतीय वस्तुएँ उपेक्षित हो गई हैं।
Medium Questions (with Answers)
1. ‘स्वदेशी’ कविता का शीर्षक क्यों सार्थक है?
उत्तर- ‘स्वदेशी’ कविता का शीर्षक पूरी तरह सार्थक है क्योंकि यह कविता भारतीयता और स्वदेशी आंदोलन की भावना को उजागर करती है। कवि ने इस कविता के माध्यम से भारतीय समाज में विदेशी प्रभाव और दासता की मानसिकता की आलोचना की है। स्वदेशी अपनाने की प्रेरणा देकर कवि ने आत्मगौरव और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का संदेश दिया। इस कविता में भारतीयता की पुनर्स्थापना और स्वतंत्रता के प्रति जागरूकता का स्वर है।
2. कवि ने भारतीय समाज के चाल-चलन पर क्या टिप्पणी की है?
उत्तर- कवि ने भारतीय समाज की आलोचना की है जो विदेशी रीति-रिवाज और जीवनशैली को अपनाने में व्यस्त है। भारतीयों की वेशभूषा, चाल-चलन, और व्यवहार पूरी तरह से विदेशी प्रभाव में हैं। वे अपनी मातृभाषा और परंपराओं को त्यागकर अंग्रेजी जीवनशैली को श्रेष्ठ मानने लगे हैं। यह स्थिति उनकी सांस्कृतिक पहचान को समाप्त कर रही है।
3. कवि ने ‘भारतीयता’ के गायब होने का कारण क्या बताया है?
उत्तर- कवि ने बताया कि भारतीय समाज में विदेशी तौर-तरीकों, भाषा और वस्त्रों का प्रभाव इतना बढ़ गया है कि भारतीयता लगभग समाप्त हो चुकी है। लोग विदेशी वस्त्र और भाषा को अपनाकर अपनी मूल पहचान से दूर हो गए हैं। भारतीयता के प्रति यह उदासीनता सांस्कृतिक और नैतिक गिरावट का प्रतीक है।
4. ‘डफाली’ शब्द का प्रयोग कवि ने किस संदर्भ में किया है?
उत्तर- कवि ने ‘डफाली’ शब्द उन स्वार्थी नेताओं और समाज के लोगों के लिए प्रयोग किया है जो दासता का समर्थन करते हैं। ये लोग झूठी प्रशंसा और खुशामद में लगे रहते हैं और अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए राष्ट्रीय सम्मान और भारतीयता की उपेक्षा करते हैं। यह शब्द उनकी स्वार्थपरक और अनैतिक प्रवृत्ति को दर्शाता है।
5. कवि ने स्वदेशी वस्त्रों को अपनाने पर जोर क्यों दिया?
उत्तर- कवि ने स्वदेशी वस्त्रों को भारतीयता और आत्मसम्मान का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि विदेशी वस्त्र भारतीय समाज को मानसिक रूप से गुलाम बना रहे हैं। स्वदेशी वस्त्र अपनाने से न केवल भारतीय उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि यह सांस्कृतिक और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक भी बनेगा। यह स्वतंत्रता संग्राम का एक आवश्यक हिस्सा था।
6. कवि ने ‘अंग्रेजी भाषा’ को लेकर क्या विचार प्रकट किए हैं?
उत्तर- कवि ने कहा कि भारतीय लोग अब हिंदी और भारतीय भाषाएँ बोलने में संकोच करते हैं। वे अंग्रेजी भाषा को अपनाकर अपनी पहचान और संस्कृति को भूल रहे हैं। यह स्थिति भारतीय समाज में सांस्कृतिक दासता को बढ़ावा दे रही है।
7. भारतीय बाजारों की स्थिति पर कवि ने क्या टिप्पणी की है?
उत्तर- कवि ने भारतीय बाजारों की आलोचना की है, जो पूरी तरह से विदेशी माल और वस्त्रों से भरे हुए हैं। स्थानीय उत्पाद उपेक्षित हो गए हैं, और लोगों की रुचि विदेशी वस्त्रों और सामानों में अधिक है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक पहचान के लिए घातक है।
8. कवि ने भारतीय नेताओं की भूमिका पर क्या विचार व्यक्त किए हैं?
उत्तर- कवि ने भारतीय नेताओं की आलोचना करते हुए कहा कि वे दासता और विदेशी संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं। वे विदेशी शासकों की खुशामद और झूठी प्रशंसा में व्यस्त रहते हैं। ऐसे नेता न केवल समाज को भटकाते हैं, बल्कि भारतीयता और स्वदेशी भावना के विरोधी भी हैं।
Long Questions (with Answers)
1. कवि ने ‘स्वदेशी’ को भारतीय समाज के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण बताया है?
उत्तर- कवि ने ‘स्वदेशी’ को भारतीय समाज के लिए आत्मसम्मान, स्वतंत्रता, और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक बताया। उनका कहना है कि स्वदेशी वस्त्र, भाषा, और रीति-रिवाज अपनाने से भारतीयता का पुनर्जागरण होगा। विदेशी वस्त्रों और संस्कृति ने भारतीयों को मानसिक और सांस्कृतिक रूप से गुलाम बना दिया है। स्वदेशी अपनाने से न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था सशक्त होगी, बल्कि समाज में आत्मगौरव और राष्ट्रीय एकता की भावना भी विकसित होगी। यह स्वतंत्रता संग्राम का भी एक प्रमुख उद्देश्य था।
2. कवि ने भारतीय समाज में विदेशी प्रभाव के कौन-कौन से उदाहरण दिए हैं?
उत्तर- कवि ने बताया कि भारतीय समाज में विदेशी प्रभाव उनके जीवन के हर क्षेत्र में देखा जा सकता है। उनकी भाषा अंग्रेजी हो गई है, वेशभूषा में विदेशी कपड़े और चाल-चलन में अंग्रेजी संस्कृति दिखती है। बाजार पूरी तरह विदेशी सामानों से भर गए हैं। भारतीय लोग अपनी परंपराओं और संस्कृति को छोड़कर विदेशी रीति-रिवाज अपनाने में गर्व महसूस करते हैं। यह सांस्कृतिक और नैतिक पतन को दर्शाता है।
3. कवि ने नवजागरण की भावना को ‘स्वदेशी’ कविता में कैसे व्यक्त किया है?
उत्तर- ‘स्वदेशी’ कविता में कवि ने भारतीयता और स्वदेशी आंदोलन के प्रति जागरूकता पैदा करने का प्रयास किया है। उन्होंने नवजागरण की भावना को विदेशी प्रभाव के खिलाफ संघर्ष, स्वदेशी वस्त्रों को अपनाने, और आत्मसम्मान की स्थापना के रूप में व्यक्त किया। यह कविता भारतीय समाज को उसकी सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान की याद दिलाने और उसे पुनर्जीवित करने का आह्वान करती है।
4. प्रेमघन जी ने स्वदेशी वस्त्रों को आत्मसम्मान से कैसे जोड़ा?
उत्तर- प्रेमघन जी ने कहा कि स्वदेशी वस्त्र भारतीय समाज की सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान का प्रतीक हैं। विदेशी वस्त्र दासता और आत्मगौरव की हानि का कारण हैं। स्वदेशी वस्त्र अपनाने से भारतीय समाज आत्मनिर्भर बनेगा और स्वतंत्रता की भावना को प्रोत्साहन मिलेगा। स्वदेशी वस्त्र राष्ट्रीय गौरव और सांस्कृतिक पहचान की पुनर्स्थापना का माध्यम हैं।
5. कवि ने भारतीय समाज के नेताओं और जनता की मानसिकता की क्या आलोचना की है?
उत्तर- कवि ने नेताओं और जनता दोनों की आलोचना की है। नेताओं को दासता और विदेशी शासकों की खुशामद का प्रतीक बताया गया है। जनता विदेशी वेशभूषा और रीति-रिवाजों को अपनाकर अपनी संस्कृति और स्वाभिमान को भूल चुकी है। इस मानसिकता ने भारतीयता को खत्म कर दिया है और समाज को सांस्कृतिक रूप से कमजोर बना दिया है। कवि ने इसे भारतीय समाज के लिए बड़ा खतरा बताया।
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