Short Questions (with Answers)
1. गाँधीजी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर- महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद गाँधी और माता का नाम पुतलीबाई था। उनके जीवन पर माता के धार्मिक विचारों और सरल जीवन का गहरा प्रभाव पड़ा।
2. गाँधीजी का विवाह कब और किससे हुआ?
उत्तर- गाँधीजी का विवाह 1883 में कस्तूरबा गाँधी से हुआ। कस्तूरबा ने गाँधीजी के साथ स्वतंत्रता संग्राम में कदम से कदम मिलाकर सहयोग दिया और कई सामाजिक सुधार आंदोलनों में सक्रिय रहीं।
3. गाँधीजी की शिक्षा कहाँ हुई थी?
उत्तर- उनकी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर और उसके आस-पास हुई। 1888 में वे यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन गए जहाँ उन्होंने वकालत की पढ़ाई की। उन्होंने अपनी शिक्षा में अनुशासन और कड़ी मेहनत का परिचय दिया।
4. गाँधीजी को ‘महात्मा’ की उपाधि किसने दी?
उत्तर- रवींद्रनाथ टैगोर ने गाँधीजी को ‘महात्मा’ की उपाधि दी। यह उपाधि उनके अद्वितीय व्यक्तित्व और सत्य तथा अहिंसा के प्रति उनकी निष्ठा को सम्मानित करने के लिए दी गई थी।
5. गाँधीजी ने सत्याग्रह का पहला प्रयोग कहाँ किया?
उत्तर- गाँधीजी ने सत्याग्रह का पहला प्रयोग दक्षिण अफ्रीका में किया। उन्होंने 1893-1914 के दौरान वहाँ रंगभेद के खिलाफ अहिंसक प्रतिरोध का नेतृत्व किया और इसे सफलतापूर्वक अंजाम तक पहुँचाया।
6. गाँधीजी ने भारत में स्वाधीनता संग्राम कब शुरू किया?
उत्तर- गाँधीजी 1915 में भारत लौटे और स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। उन्होंने सत्याग्रह और असहयोग आंदोलनों के माध्यम से ब्रिटिश शासन के खिलाफ जन-जागृति फैलाई।
7. गाँधीजी का सबसे बड़ा हथियार क्या था?
उत्तर- उनका सबसे बड़ा हथियार अहिंसा और सत्याग्रह था। उन्होंने इसे सामाजिक और राजनीतिक समस्याओं को हल करने के साधन के रूप में अपनाया और लोगों को जागरूक किया।
8. गाँधीजी ने ‘स्वदेशी’ का नारा क्यों दिया?
उत्तर- ‘स्वदेशी’ का नारा देशी वस्तुओं के उपयोग को बढ़ावा देने और विदेशी सामान के बहिष्कार के लिए दिया गया। यह नारा आत्मनिर्भरता और भारतीय उद्योगों के विकास का प्रतीक था।
9. गाँधीजी ने किन पुस्तकों की रचना की?
उत्तर- गाँधीजी ने “हिंद स्वराज” और “सत्य के साथ मेरे प्रयोग” जैसी प्रमुख पुस्तकों की रचना की। इन पुस्तकों में उनके जीवन के अनुभव और उनके आदर्शों का विवरण है।
10. गाँधीजी के अनुसार शिक्षा का मुख्य उद्देश्य क्या होना चाहिए?
उत्तर- गाँधीजी के अनुसार शिक्षा का मुख्य उद्देश्य चरित्र-निर्माण, आत्मनिर्भरता और नैतिक मूल्यों का विकास होना चाहिए। उनका मानना था कि केवल साक्षरता शिक्षा नहीं हो सकती।
11. गाँधीजी ने ‘हरिजन’ और ‘यंग इंडिया’ पत्रिकाएँ क्यों शुरू कीं?
उत्तर- उन्होंने इन पत्रिकाओं के माध्यम से समाज सुधार और स्वतंत्रता आंदोलन के विचारों को जनता तक पहुँचाया। इन पत्रिकाओं ने सामाजिक बुराइयों को उजागर करने और जन-समर्थन जुटाने का काम किया।
12. गाँधीजी ने शिक्षा में दस्तकारी को क्यों महत्त्व दिया?
उत्तर- उनका मानना था कि दस्तकारी बच्चों को आत्मनिर्भर बनाती है और उन्हें जीवन के लिए व्यावहारिक कौशल प्रदान करती है। यह शिक्षा को वैज्ञानिक और व्यावहारिक बनाती है।
13. गाँधीजी ने अहिंसा दिवस कब घोषित किया गया?
उत्तर- गाँधीजी के जन्म दिवस, 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ‘अहिंसा दिवस’ के रूप में घोषित किया गया। यह दिन उनके अहिंसा के सिद्धांत को सम्मानित करता है।
14. गाँधीजी ने बच्चों की शिक्षा में किस चीज़ को प्राथमिकता दी?
उत्तर- गाँधीजी ने बच्चों की शिक्षा में सत्य, प्रेम और आत्मा की शक्तियों की पहचान को प्राथमिकता दी। उनका मानना था कि यह बच्चों को नैतिक रूप से मजबूत बनाती है।
15. गाँधीजी की मृत्यु कब और कैसे हुई?
उत्तर- गाँधीजी की हत्या 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली में एक व्यक्ति द्वारा गोली मारकर की गई। उनकी मृत्यु ने पूरे देश को शोक में डाल दिया और उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में याद किया गया।
Medium Questions (with Answers)
1. गाँधीजी शिक्षा को किन चरणों में बांटते थे और क्यों?
उत्तर- गाँधीजी ने शिक्षा को शारीरिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक विकास के तीन प्रमुख चरणों में विभाजित किया। उनका मानना था कि केवल पुस्तकीय ज्ञान या अक्षर-ज्ञान पर्याप्त नहीं है। बच्चों को आत्मा, सत्य और प्रेम की शिक्षा मिलनी चाहिए ताकि वे घृणा को प्रेम से, असत्य को सत्य से और हिंसा को कष्ट सहन से जीतना सीखें। इस दृष्टिकोण से बच्चे का सर्वांगीण विकास संभव होता है।
2. बच्चों के लिए दस्तकारी का महत्त्व गाँधीजी ने कैसे बताया?
उत्तर- गाँधीजी ने दस्तकारी को शिक्षा का अनिवार्य हिस्सा माना। उनका मानना था कि दस्तकारी न केवल बच्चों को स्वावलंबी बनाती है, बल्कि उन्हें सामाजिक और आर्थिक रूप से भी सक्षम करती है। यह बच्चों को केवल यांत्रिक नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से काम करना सिखाती है। इस प्रकार की शिक्षा से बच्चे का मस्तिष्क, आत्मा और शरीर तीनों का संतुलित विकास होता है।
3. गाँधीजी के अनुसार शिक्षा का उद्देश्य क्या होना चाहिए?
उत्तर- गाँधीजी ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल साक्षरता नहीं, बल्कि चरित्र-निर्माण होना चाहिए। इसमें साहस, सदाचार और आत्म-संयम का विकास शामिल है। यह शिक्षा व्यक्ति को केवल जानकारी नहीं देती, बल्कि उसे समाज के लिए उपयोगी बनाती है। सच्ची शिक्षा वह है जो जीवन के बड़े लक्ष्यों की प्राप्ति में मदद करे।
4. गाँधीजी का ‘सत्याग्रह’ का सिद्धांत शिक्षा से कैसे जुड़ा है?
उत्तर- गाँधीजी का मानना था कि सत्याग्रह का सिद्धांत बच्चों की शिक्षा में आरंभ से ही शामिल होना चाहिए। यह बच्चों को सत्य, अहिंसा और आत्मसंयम के मूल्य सिखाने में मदद करता है। टॉल्सटाय फार्म और फिनिक्स आश्रम में उन्होंने इसी प्रकार की शिक्षा का प्रयोग किया, जहाँ बच्चों को सत्याग्रह के माध्यम से प्रेम और सहनशीलता का पाठ सिखाया गया।
5. गाँधीजी देशी भाषाओं में अनुवाद कार्य को क्यों महत्त्वपूर्ण मानते थे?
उत्तर- गाँधीजी का मत था कि देशी भाषाएँ राष्ट्र की सांस्कृतिक पहचान का आधार हैं। उन्होंने जोर दिया कि विदेशी भाषाओं के साहित्य का अनुवाद देशी भाषाओं में किया जाए ताकि हर नागरिक उस ज्ञान को अपनी भाषा में प्राप्त कर सके। यह राष्ट्रीय स्वाभिमान और संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए आवश्यक है।
Long Questions (with Answers)
1. गाँधीजी बच्चों की शिक्षा में शारीरिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक विकास को क्यों महत्त्व देते थे?
उत्तर- गाँधीजी ने बच्चों की शिक्षा में शारीरिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक विकास को समान रूप से महत्त्व दिया। उनका मानना था कि केवल मस्तिष्क के विकास पर ध्यान देना बच्चों को एकांगी बनाता है। इसके विपरीत, शारीरिक कार्य जैसे दस्तकारी और व्यायाम बच्चों के शरीर को मजबूत करते हैं, जबकि आध्यात्मिक शिक्षा उनके नैतिक मूल्यों को विकसित करती है। इन तीनों पहलुओं का समग्र विकास बच्चों को समाज के लिए उपयोगी नागरिक बनाने में सहायक होता है। उनका कहना था कि शारीरिक इंद्रियों का सही उपयोग बच्चों के मस्तिष्क के तेज विकास का सबसे अच्छा तरीका है।
2. गाँधीजी ने ग्रामोद्योग आधारित शिक्षा को क्यों बढ़ावा दिया?
उत्तर- गाँधीजी मानते थे कि ग्रामोद्योग आधारित शिक्षा न केवल बच्चों को आत्मनिर्भर बनाती है, बल्कि समाज में एक शांति-प्रधान क्रांति लाने का माध्यम भी बनती है। कताई और बुनाई जैसे कार्यों से बच्चों को व्यावहारिक ज्ञान के साथ-साथ सामाजिक चेतना का भी विकास होता है। इससे गांवों और शहरों के बीच के विभाजन को कम किया जा सकता है। उनका विश्वास था कि इस प्रकार की शिक्षा समाज में वर्ग संघर्ष को समाप्त कर सकती है और एक न्यायसंगत व्यवस्था स्थापित कर सकती है।
3. गाँधीजी ने साक्षरता को शिक्षा का अंतिम उद्देश्य क्यों नहीं माना?
उत्तर- गाँधीजी ने कहा कि साक्षरता केवल शिक्षा का साधन है, न कि उसका उद्देश्य। शिक्षा का असली उद्देश्य मानव जीवन के उच्च मूल्यों जैसे सत्य, अहिंसा और सेवा को सिखाना है। केवल अक्षर-ज्ञान देने से व्यक्ति के चरित्र का निर्माण नहीं होता। उन्होंने यह भी कहा कि यदि शिक्षा चरित्र-निर्माण में विफल होती है, तो साक्षरता केवल व्यर्थ है। शिक्षा को समाज में योगदान देने और नैतिक मूल्यों को स्थापित करने की ओर उन्मुख होना चाहिए।
4. गाँधीजी ने दूसरी संस्कृतियों की समझ को अपनी संस्कृति से जोड़ने की बात क्यों की?
उत्तर- गाँधीजी का कहना था कि हर व्यक्ति को पहले अपनी संस्कृति और भाषा को समझना चाहिए और उसके बाद अन्य संस्कृतियों का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की संस्कृति दुनिया की अन्य संस्कृतियों के लिए प्रेरणा बन सकती है। दूसरी संस्कृतियों से सीखने के लिए यह आवश्यक है कि हम अपनी संस्कृति की महत्ता को समझें और उसे ह्रदय से अपनाएं। उनका मानना था कि यह प्रक्रिया समाज को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने में सहायक होगी।
5. गाँधीजी के अनुसार, स्वराज्य प्राप्ति के बाद शिक्षा का लक्ष्य क्या होना चाहिए?
उत्तर- गाँधीजी के अनुसार, स्वराज्य प्राप्ति के बाद शिक्षा का लक्ष्य चरित्र-निर्माण होना चाहिए। उन्होंने कहा कि केवल किताबी ज्ञान पर जोर देना पर्याप्त नहीं है। शिक्षा का उद्देश्य समाज में अच्छे नागरिक तैयार करना है, जो साहस, बलिदान और सदाचार के उच्चतम मानकों का पालन करें। उन्होंने यह भी कहा कि एक ऐसा समाज जिसमें चरित्रवान लोग हों, अपने आप प्रगति करेगा।
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