उत्तर प्रदेश की कला, संस्कृति, साहित्य, परंपरा और विरासत भारतीय उपमहाद्वीप के सांस्कृतिक परिदृश्य में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह राज्य अपनी अद्वितीय सांस्कृतिक धरोहर, ऐतिहासिक स्थलों, साहित्यिक योगदान, और विविध परंपराओं के लिए जाना जाता है।
कला
चित्रकला और हस्तशिल्प:
चित्रकला
1. मुगल मिनिएचर पेंटिंग:
- विवरण: यह चित्रकला शैली मुगल काल में विकसित हुई और इसका केंद्र आगरा और लखनऊ रहा। इस शैली में सूक्ष्मता और जटिलता के साथ धार्मिक, दरबारी और प्रेम कथाओं को चित्रित किया जाता है।
- विशेषताएं: इनमें चमकीले रंग, बारीक ब्रशवर्क, और उच्च स्तर की विवरणिता होती है।
2. लखनऊ की चित्रकला:
- विवरण: लखनऊ अपनी अद्वितीय चिकनकारी के अलावा विभिन्न चित्रकला शैलियों के लिए भी जाना जाता है।
- विशेषताएं: यहां की चित्रकला में पारंपरिक और आधुनिक दोनों तत्व मिलते हैं, जो इसे विशेष बनाते हैं।
हस्तशिल्प
1. लखनऊ की चिकनकारी:
- विवरण: चिकनकारी लखनऊ की पहचान है और यह कढ़ाई का एक विशिष्ट रूप है जिसमें बारीक और आकर्षक डिजाइनें बनाई जाती हैं।
- विशेषताएं: चिकनकारी की विभिन्न तकनीकों में बखिया, फंदा, टेप्ची, झाली आदि प्रमुख हैं।
2. वाराणसी की रेशमी साड़ियां:
- विवरण: वाराणसी की रेशमी साड़ियां अपनी उच्च गुणवत्ता और बारीक कारीगरी के लिए प्रसिद्ध हैं।
- विशेषताएं: इन साड़ियों पर जटिल जरी का काम, ब्रोकेड और पन्नी के डिजाइनों का उपयोग होता है।
3. पीतल के बर्तन:
- विवरण: मुरादाबाद में पीतल के बर्तनों का निर्माण एक प्रमुख उद्योग है, जिसे ‘ब्रास सिटी’ भी कहा जाता है।
- विशेषताएं: मुरादाबाद के पीतल के बर्तनों पर की गई खुदाई और नक्काशी उत्कृष्ट होती है।
4. भदोही के कालीन:
- विवरण: भदोही अपने हाथ से बने कालीनों के लिए प्रसिद्ध है। यहां के कालीन अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी लोकप्रिय हैं।
- विशेषताएं: इन कालीनों में पारंपरिक और आधुनिक दोनों डिजाइनों का समावेश होता है।
5. लकड़ी का काम (सहारनपुर):
- विवरण: सहारनपुर में लकड़ी पर की जाने वाली कारीगरी विश्व प्रसिद्ध है।
- विशेषताएं: यहां की लकड़ी की नक्काशी और इनले वर्क उत्कृष्ट होते हैं, जो फर्नीचर और सजावटी वस्तुओं में उपयोग होते हैं।
6. टेराकोटा और कुम्हार कला (गोरखपुर):
- विवरण: गोरखपुर टेराकोटा के खिलौनों और मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है।
- विशेषताएं: यहां की टेराकोटा कला में मिट्टी से बनी वस्तुओं पर सुंदर नक्काशी और चित्रकारी होती है।
7. संगमरमर और पत्थर की कारीगरी (आगरा):
- विवरण: आगरा ताजमहल के लिए प्रसिद्ध है और यहां संगमरमर और अन्य पत्थरों पर उत्कृष्ट कारीगरी होती है।
- विशेषताएं: आगरा में पत्थर की जड़ाई का काम बहुत लोकप्रिय है, जिसे पच्चीकारी कहा जाता है।
संस्कृति
त्योहार:
- दिवाली: पूरे उत्तर प्रदेश में धूमधाम से मनाया जाने वाला यह पर्व राम के अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है।
- होली: रंगों का यह त्योहार विशेष रूप से वृंदावन और बरसाना में अनूठे तरीके से मनाया जाता है।
- कुंभ मेला: इलाहाबाद (प्रयागराज) में हर बारह वर्षों में आयोजित होने वाला यह मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है।
पारंपरिक नृत्य और संगीत:
- कथक: उत्तर प्रदेश का शास्त्रीय नृत्य, कथक, अपनी लयबद्धता और नृत्य मुद्राओं के लिए प्रसिद्ध है।
- ठुमरी और दादरा: ये शास्त्रीय संगीत की विधाएं वाराणसी और लखनऊ के संगीत घरानों में विकसित हुईं।
साहित्य
प्राचीन साहित्य
वेद और उपनिषद:
- ऋग्वेद: यह सबसे प्राचीन वेद माना जाता है और इसे मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के आसपास के क्षेत्रों में रचा गया था।
- उपनिषद: उत्तर प्रदेश के काशी और मथुरा जैसे स्थानों में उपनिषदों का अध्ययन और लेखन होता रहा है। इन ग्रंथों में दर्शन और आध्यात्मिक ज्ञान का वर्णन है।
महाकाव्य:
- रामायण: वाल्मीकि द्वारा रचित यह महाकाव्य अयोध्या के राजा राम की कहानी पर आधारित है। अयोध्या उत्तर प्रदेश में स्थित है और यह रामायण की कहानी का मुख्य केंद्र है।
- महाभारत: इस महाकाव्य का मुख्य युद्ध कुरुक्षेत्र में हुआ था, लेकिन इसके अनेक पात्र और घटनाएं उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्थानों से जुड़ी हुई हैं।
मध्यकालीन साहित्य
भक्ति काल:
- कबीरदास: कबीरदास का जन्म वाराणसी में हुआ था। उनके दोहे और साखियाँ समाज में व्याप्त कुरीतियों और अंधविश्वासों पर कटाक्ष करते हैं। उनकी रचनाएँ भक्ति काल के महत्वपूर्ण साहित्यिक धरोहर हैं।
- तुलसीदास: तुलसीदास ने ‘रामचरितमानस’ की रचना की, जो अवधी भाषा में है और भगवान राम की कहानी का विस्तारपूर्वक वर्णन करती है। यह ग्रंथ उत्तर प्रदेश के साहित्य का अभिन्न हिस्सा है।
- सूरदास: सूरदास का जन्म उत्तर प्रदेश के रुनकता गाँव में हुआ था। उन्होंने भगवान कृष्ण की लीलाओं पर आधारित ‘सूरसागर’ की रचना की। सूरदास की कविताएँ और भजन भक्तिकाल की महत्वपूर्ण कृतियाँ हैं।
रीतिकाल:
- केशवदास: केशवदास ने रीति साहित्य की रचना की और उनके ‘रसिकप्रिया’ तथा ‘कविप्रिया’ जैसे ग्रंथ रीति साहित्य के महत्वपूर्ण अंग हैं।
सूफी साहित्य:
- अमीर खुसरो: अमीर खुसरो का जन्म एटा जिले में हुआ था। वह फारसी और हिंदी के महान कवि थे और उन्होंने अनेक सूफी गीत और कविताएँ लिखीं। उनकी रचनाएँ सूफी साहित्य का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
अन्य महत्वपूर्ण साहित्यकार:
- रहीम: रहीम का जन्म लाहौर में हुआ था, लेकिन उनका अधिकांश जीवन उत्तर प्रदेश के आगरा और दिल्ली में बीता। उन्होंने हिंदी और फारसी में कई रचनाएँ कीं, जिनमें रहीम के दोहे विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं।
- भारतेन्दु हरिश्चंद्र: वाराणसी में जन्मे भारतेन्दु हरिश्चंद्र हिंदी साहित्य के आधुनिक काल के जनक माने जाते हैं। उन्होंने नाटक, कविता और गद्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
साहित्यिक कृतियाँ और विशेषताएँ
धार्मिक साहित्य:
- रामचरितमानस: तुलसीदास द्वारा रचित यह ग्रंथ भगवान राम की कहानी का एक महाकाव्य है और इसे उत्तर प्रदेश में व्यापक रूप से पढ़ा और गाया जाता है।
- सूरसागर: सूरदास द्वारा रचित यह ग्रंथ भगवान कृष्ण की लीलाओं का वर्णन करता है।
दोहा और साखी:
- कबीर के दोहे: कबीरदास के दोहे और साखियाँ समाज में सुधार और आध्यात्मिक ज्ञान का संदेश देती हैं।
आधुनिक साहित्य:
- मुंशी प्रेमचंद: प्रेमचंद की कहानियाँ और उपन्यास भारतीय समाज के यथार्थ चित्रण के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी कृतियों में ‘गोदान’ और ‘गबन’ प्रमुख हैं।
- जयशंकर प्रसाद: प्रसाद का हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान है, विशेषकर उनकी कविताएं और नाटक।
परंपरा
लोकगीत और लोककथाएं:
- रामलीला: यह नाट्य प्रस्तुति भगवान राम के जीवन पर आधारित होती है और दशहरा के समय विशेष रूप से अयोध्या और वाराणसी में आयोजित की जाती है।
- बिरहा और कजरी: उत्तर प्रदेश के लोकगीतों में बिरहा और कजरी विशेष रूप से पूर्वांचल में लोकप्रिय हैं।
वस्त्र और आभूषण:
- लखनऊ की चिकनकारी कुर्तियां: यह कुर्तियां अपनी बारीक कढ़ाई और सुंदर डिजाइनों के लिए प्रसिद्ध हैं।
- वाराणसी की रेशमी साड़ियां: ये साड़ियां अपनी उच्च गुणवत्ता और सुंदरता के लिए जानी जाती हैं।
विरासत
सांस्कृतिक धरोहर
लखनऊ की चिकनकारी:
- विवरण: चिकनकारी लखनऊ की एक प्रसिद्ध कढ़ाई कला है, जो कपड़ों पर सूक्ष्म और बारीक डिजाइनों के लिए जानी जाती है। यह कला मुगल काल से चली आ रही है और लखनऊ की पहचान बन चुकी है।
वाराणसी की रेशमी साड़ियां:
- विवरण: वाराणसी की रेशमी साड़ियां अपनी उच्च गुणवत्ता और आकर्षक डिजाइनों के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं। यह साड़ियां भारतीय संस्कृति और परंपरा का अभिन्न हिस्सा हैं।
धार्मिक स्थल:
1. काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी
- भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर वाराणसी में स्थित है और हिन्दू धर्म के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक माना जाता है। यह गंगा नदी के तट पर स्थित है और यहाँ प्रतिदिन हजारों भक्त पूजा करने आते हैं।
2. राम जन्मभूमि, अयोध्या
- भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या में स्थित यह स्थान हिन्दू धर्म के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। यहाँ रामलला का मंदिर और राम की पैड़ी भी प्रसिद्ध स्थल हैं।
3. बुद्धा स्थल, सारनाथ
- यह वह स्थान है जहाँ भगवान बुद्ध ने अपने पहले धर्मोपदेश (धम्मचक्र प्रवर्तन) का आयोजन किया था। यहाँ धमेख स्तूप और चौखण्डी स्तूप जैसे महत्वपूर्ण बौद्ध स्थल स्थित हैं।
4. बांके बिहारी मंदिर, वृन्दावन
- यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है और वृन्दावन में स्थित है। यह स्थान अपनी विशेष आरती और सेवा के लिए प्रसिद्ध है और यहाँ बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
5. मथुरा
- भगवान कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा हिन्दू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। यहाँ कृष्ण जन्मभूमि मंदिर और द्वारकाधीश मंदिर प्रमुख धार्मिक स्थल हैं।
6. गोरखनाथ मंदिर, गोरखपुर
- यह मंदिर गुरु गोरखनाथ को समर्पित है और गोरखपुर में स्थित है। यह नाथ संप्रदाय का एक महत्वपूर्ण केंद्र है और यहाँ प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में भक्त आते हैं।
7. इस्कॉन मंदिर, वृन्दावन
- यह मंदिर इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (ISKCON) द्वारा स्थापित है और वृन्दावन में स्थित है। यह मंदिर भगवान कृष्ण और राधा को समर्पित है और यहाँ भक्ति योग और कीर्तन के कार्यक्रम होते हैं।
8. तुलसी मानस मंदिर, वाराणसी
- यह मंदिर तुलसीदास द्वारा रचित ‘रामचरितमानस’ को समर्पित है और यहाँ रामायण के दोहे और चौपाइयां दीवारों पर अंकित हैं।
9. देवीपाटन शक्ति पीठ, बलरामपुर
- यह मंदिर माता सती को समर्पित है और हिन्दू धर्म के 51 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। यहाँ नवरात्रि के समय विशेष मेले का आयोजन होता है।
10. अयोध्या का हनुमानगढ़ी मंदिर
- यह मंदिर हनुमान जी को समर्पित है और अयोध्या के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह माना जाता है कि यहाँ हनुमान जी हमेशा रामलला की रक्षा करते हैं।
11. कैंची धाम, नैनीताल
- यह मंदिर नीम करोली बाबा को समर्पित है और यहाँ बाबा के भक्त बड़ी संख्या में आते हैं। यह स्थान अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा और शांति के लिए प्रसिद्ध है।
12. कैलाश मंदिर, आगरा
- यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और आगरा में स्थित है। यहाँ सावन के महीने में विशेष पूजाओं का आयोजन होता है।
13. काशी के घाट
- वाराणसी के घाट हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र माने जाते हैं। यहाँ दशाश्वमेध घाट और मणिकर्णिका घाट प्रमुख धार्मिक स्थलों में से हैं जहाँ लोग पूजा, स्नान और अन्त्येष्टि के लिए आते हैं।
उत्तर प्रदेश की कला, संस्कृति, साहित्य, परंपरा और विरासत भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं। इसकी विविधता और समृद्धि राज्य को सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण बनाती है। उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर न केवल राज्य के भीतर बल्कि पूरी दुनिया में भारतीय संस्कृति की पहचान बनाती है।
Anonymous says
Varnasi living artist Mughal tradition artist