बिहार में पर्यावरण संरक्षण और प्रबंधन के लिए कई नीतियां, अधिनियम और नियम लागू किए गए हैं। इनका उद्देश्य राज्य में पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना और प्राकृतिक संसाधनों का सतत उपयोग सुनिश्चित करना है।
यहां कुछ प्रमुख पर्यावरण संबंधी नीतियां, अधिनियम और नियमों की जानकारी दी गई है:
1. नीतियां (Policies):
(a.) बिहार जल संरक्षण नीति:
1. नीति के उद्देश्य (Objectives):
- जल संरक्षण: जल की बर्बादी को रोकना और इसके समुचित उपयोग को बढ़ावा देना।
- पुनर्भरण और रिचार्ज: भूजल स्तर को बनाए रखने के लिए जल पुनर्भरण और रिचार्ज को बढ़ावा देना।
- विस्तारित जल आपूर्ति: पेयजल और सिंचाई के लिए जल की उपलब्धता को सुनिश्चित करना।
- जल गुणवत्ता में सुधार: जल स्रोतों की गुणवत्ता में सुधार करना और प्रदूषण को नियंत्रित करना।
2. प्रमुख रणनीतियां (Key Strategies):
- वृक्षारोपण और वनस्पति संरक्षण: वृक्षारोपण और वनस्पति संरक्षण को बढ़ावा देना, जिससे जल स्रोतों की सुरक्षा हो सके।
- सिचाई पद्धतियों में सुधार: ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई जैसी आधुनिक सिचाई पद्धतियों को अपनाना, जिससे जल की बचत हो सके।
- वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting): भवनों, संस्थानों और खेतों में वर्षा जल संचयन की प्रणालियों को अनिवार्य करना।
- भूजल पुनर्भरण: भूजल पुनर्भरण के लिए तालाब, कुंआ, और चेक डैम जैसी संरचनाओं का निर्माण।
- जल स्रोतों का संरक्षण: नदियों, तालाबों, झीलों और अन्य जल स्रोतों का संरक्षण और पुनर्जीवन करना।
3. कानूनी और प्रशासनिक प्रावधान (Legal and Administrative Provisions):
- संस्थागत ढांचा: जल संसाधन विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, और शहरी विकास विभाग के बीच समन्वय सुनिश्चित करना।
- समिति और आयोग: जल संरक्षण के लिए राज्य और जिला स्तर पर समितियों और आयोगों का गठन करना।
- नियम और विनियम: जल संरक्षण के लिए सख्त नियम और विनियम लागू करना, जैसे भूजल निष्कर्षण के लिए लाइसेंस प्रणाली।
(b.) बिहार वन नीति:
1.नीति के उद्देश्य (Objectives):
- वन क्षेत्र का विस्तार: राज्य में वन क्षेत्र को बढ़ाना और मौजूदा वनों का संरक्षण करना।
- जैव विविधता की सुरक्षा: वन्यजीवों और जैव विविधता की रक्षा करना और उनके आवासों का संरक्षण करना।
- स्थानीय समुदायों की भागीदारी: वन प्रबंधन में स्थानीय समुदायों की भागीदारी को सुनिश्चित करना।
- पर्यावरणीय संतुलन: पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करना।
- प्राकृतिक संसाधनों का सतत उपयोग: वनों से प्राप्त होने वाले प्राकृतिक संसाधनों का सतत और जिम्मेदार उपयोग सुनिश्चित करना।
2. प्रमुख रणनीतियां (Key Strategies):
- वृक्षारोपण और वनीकरण: बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण और वनीकरण कार्यक्रम चलाना, जिसमें ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों दोनों में वृक्षारोपण शामिल हो।
- संरक्षित क्षेत्रों का विस्तार: वन्यजीव अभयारण्यों, राष्ट्रीय उद्यानों और जैव विविधता पार्कों का विस्तार करना।
- वन प्रबंधन योजना: वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित वन प्रबंधन योजनाएं तैयार करना और लागू करना।
- समुदाय आधारित वन प्रबंधन: स्थानीय समुदायों और वनवासियों को वन प्रबंधन में शामिल करना और उनके अधिकारों की रक्षा करना।
- प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण: वन विभाग के कर्मचारियों और स्थानीय समुदायों के लिए प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित करना।
3. कानूनी और प्रशासनिक प्रावधान (Legal and Administrative Provisions):
- संस्थागत ढांचा: वन विभाग के अंतर्गत विभिन्न स्तरों पर संस्थागत ढांचे का गठन और सुदृढ़ीकरण करना।
- वन अपराधों की रोकथाम: वन अपराधों की रोकथाम और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करना।
- नीतियों और कानूनों का समन्वय: वन संरक्षण से संबंधित नीतियों और कानूनों के बीच समन्वय स्थापित करना।
(c.) मुख्यमंत्री हरित बिहार अभियान:
1.उद्देश्य (Objectives):
- वृक्षारोपण को बढ़ावा देना: राज्य में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण करना और हरित आवरण को बढ़ाना।
- पर्यावरण संरक्षण: पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण को प्रोत्साहित करना।
- जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करना: जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों को कम करना।
- स्थानीय समुदायों की भागीदारी: वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण में स्थानीय समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित करना।
2. प्रमुख रणनीतियां (Key Strategies):
- सामूहिक वृक्षारोपण अभियान: विभिन्न सार्वजनिक स्थलों, सड़कों के किनारे, नदी तटों, और सरकारी भूमि पर सामूहिक वृक्षारोपण अभियान चलाना।
- शैक्षणिक संस्थानों में वृक्षारोपण: स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करना।
- पार्कों और उद्यानों का विकास: शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में नए पार्क और उद्यानों का विकास करना।
- जल स्रोतों का संरक्षण: तालाबों, झीलों, और नदियों के किनारे वृक्षारोपण करना ताकि जल स्रोतों का संरक्षण हो सके।
3. जन भागीदारी (Public Participation):
- सामुदायिक सहभागिता: वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण में स्थानीय समुदायों और संगठनों को शामिल करना।
- शैक्षणिक कार्यक्रम: स्कूलों और कॉलेजों में वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण के बारे में जागरूकता कार्यक्रम चलाना।
- सार्वजनिक अभियान: मीडिया, सोशल मीडिया, और अन्य माध्यमों के जरिए जन जागरूकता अभियान चलाना।
2. अधिनियम (Acts):
- भारतीय वन अधिनियम, 1927: यह अधिनियम वनों के संरक्षण और प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर लागू होता है और बिहार में भी इसका अनुपालन होता है।
- पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986: यह अधिनियम पर्यावरण की सुरक्षा और सुधार के लिए व्यापक प्रावधान करता है और बिहार में भी लागू होता है।
- जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974: यह अधिनियम जल प्रदूषण को रोकने और नियंत्रित करने के लिए बनाया गया है और बिहार में भी लागू होता है।
- वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981: यह अधिनियम वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए लागू किया गया है और बिहार में भी इसका अनुपालन होता है।
3. नियम (Rules):
- बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नियम: यह नियम राज्य में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की स्थापना और कार्यप्रणाली को निर्धारित करते हैं। इसका उद्देश्य जल, वायु और ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करना है।
- वृक्षारोपण और वृक्ष संरक्षण नियम: यह नियम राज्य में वृक्षारोपण और वृक्षों की सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए बनाए गए हैं।
- कचरा प्रबंधन नियम: ठोस कचरा प्रबंधन, जैविक कचरा प्रबंधन, और प्लास्टिक कचरा प्रबंधन के लिए नियम बनाए गए हैं ताकि राज्य में स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित हो सके।
अन्य पहलें:
- स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण और शहरी): इस मिशन के तहत स्वच्छता और स्वच्छता सुविधाओं को बढ़ावा दिया जाता है।
- गंगा नदी संरक्षण कार्यक्रम: गंगा नदी के प्रदूषण को कम करने और इसकी सफाई के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाए जाते हैं।
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