1. दादू दयाल (Dadu Dayal)
- कालखंड: 1544-1603
- विवरण: दादू दयाल संत कबीर के समकालीन थे और उन्होंने निराकार भगवान की उपासना पर जोर दिया। वे दादू पंथ के संस्थापक थे और उनकी शिक्षाएँ सरल जीवन, भक्ति और सामाजिक समानता पर आधारित थीं।
2. मीरा बाई (Mira Bai)
- कालखंड: 1498-1547
- विवरण: मीरा बाई एक प्रसिद्ध भक्त कवयित्री थीं, जिन्होंने भगवान कृष्ण की भक्ति में अपना जीवन समर्पित कर दिया था। उनके भजनों में प्रेम और समर्पण की गहरी भावना झलकती है। मीरा बाई का जीवन और उनकी कविताएँ भक्तिकाल के प्रमुख योगदानों में से हैं।
3. सुंदर दास (Sundar Das)
- कालखंड: 1596-1689
- विवरण: सुंदर दास एक प्रसिद्ध संत और दार्शनिक थे। उन्होंने अद्वैत वेदांत पर महत्वपूर्ण कार्य किया और भक्ति के माध्यम से समाज सुधार की दिशा में भी काम किया।
4. रज्जब (Rajjab)
- कालखंड: 1618-1685
- विवरण: रज्जब दादू पंथ के प्रमुख संतों में से एक थे। उन्होंने दादू की शिक्षाओं को आगे बढ़ाया और उनके भजन और दोहे आज भी प्रसिद्ध हैं।
5. भक्खन (Bhakhan)
- कालखंड: अज्ञात (लगभग 17वीं शताब्दी)
- विवरण: भक्खन संत रज्जब के समकालीन थे और उन्होंने भक्ति मार्ग को अपनाकर अपने जीवन को समाज सेवा में लगाया।
6. वजिन्द (Wajind)
- कालखंड: अज्ञात (लगभग 17वीं शताब्दी)
- विवरण: वजिन्द एक प्रसिद्ध संत थे जिन्होंने अपने भजनों और उपदेशों के माध्यम से भक्ति और समाज सुधार का संदेश फैलाया।
7. राघवदास (Raghavdas)
- कालखंड: अज्ञात (लगभग 18वीं शताब्दी)
- विवरण: राघवदास एक भक्त कवि और संत थे। उन्होंने भक्ति, प्रेम और सामाजिक समानता पर आधारित कई रचनाएँ लिखीं।
8. लाल दास (Lal Das)
- कालखंड: अज्ञात (लगभग 18वीं शताब्दी)
- विवरण: लाल दास एक प्रमुख संत थे जिन्होंने भक्ति और सामाजिक सुधार के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया। उनकी रचनाओं में भक्ति और ज्ञान का समन्वय मिलता है।
9. चरण दास (Charan Das)
- कालखंड: 1703-1782
- विवरण: चरण दास एक प्रसिद्ध संत और कवि थे। उन्होंने अपने भजनों और उपदेशों के माध्यम से समाज में भक्ति और सेवा का संदेश फैलाया।
10. मावजी (Mavaji)
- कालखंड: 18वीं शताब्दी
- विवरण: मावजी एक प्रमुख संत थे जिन्होंने भक्ति और साधना के माध्यम से समाज सुधार का कार्य किया। उनकी शिक्षाएँ सरल जीवन, सत्य और अहिंसा पर आधारित थीं।
11. संत रैदास (Sant Ravidas)
- कालखंड: 1450-1520
- विवरण: संत रैदास एक महान संत और समाज सुधारक थे। उन्होंने जाति प्रथा और सामाजिक असमानता के खिलाफ आवाज उठाई और भक्ति मार्ग को सरल और सहज बनाया।
12. जांभोजी (Jambhoji)
- कालखंड: 1451-1536
- विवरण: जांभोजी, बिश्नोई पंथ के संस्थापक थे। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण और जीव दया के सिद्धांतों को अपने अनुयायियों में प्रचलित किया।
13. पीपा (Pipa)
- कालखंड: 1425-1525
- विवरण: राजा पीपा ने अपने राज्य को त्यागकर भक्ति मार्ग अपनाया। वे संत रामानंद के शिष्य थे और भगवान राम और कृष्ण की भक्ति में लीन रहे।
14. हरिदासजी (Haridasji)
- कालखंड: 16वीं शताब्दी
- विवरण: हरिदासजी एक प्रसिद्ध संत थे, जिन्होंने वैष्णव भक्ति की परंपरा को आगे बढ़ाया। वे भगवान विष्णु के परम भक्त थे।
15. गोपीनाथजी (Gopinathji)
- कालखंड: 1551-1619
- विवरण: गोपीनाथजी ने भक्ति आंदोलन को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने समाज में समानता और प्रेम का संदेश फैलाया।
16. भर्तृहरि (Bhartrihari)
- कालखंड: 7वीं शताब्दी
- विवरण: भर्तृहरि एक महान संत और योगी थे। उन्होंने अपने जीवन के अंत में राज्य त्याग कर साधु जीवन अपनाया।
17. संत हरिदास (Sant Haridas)
- कालखंड: 1480-1575
- विवरण: संत हरिदास ब्रज क्षेत्र के निवासी थे, लेकिन उनका प्रभाव राजस्थान में भी देखा गया। वे संगीत और भक्ति के महान संत थे।
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